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यूपीएससी और सभी राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षाओं के लिए हिंदी में डेली करेंट अफेयर्स / 07 Oct 2025
भारत ने ब्रुसेल्स स्थित अंतर्राष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान (IIAS) की अध्यक्षता में एक नए अंतर्राष्ट्रीय शासन सूचकांक के निर्माण का प्रस्ताव रखा है। यह प्रस्ताव विभिन्न वैश्विक शासन और लोकतंत्र सूचकांकों में भारत के गिरते प्रदर्शन और उनकी कार्यप्रणाली, आँकड़ों के स्रोतों और पारदर्शिता को लेकर उसकी दीर्घकालिक चिंताओं की पृष्ठभूमि में आया है।.
Viewयूपीएससी और सभी राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षाओं के लिए हिंदी में डेली करेंट अफेयर्स / 03 Oct 2025
2021 में इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) की शुरुआत और ₹76,000 करोड़ के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा के साथ भारत ने वैश्विक सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र में औपचारिक प्रवेश किया। मात्र चार वर्षों में, भारत चिप्स का उपभोक्ता भर होने से आगे बढ़कर अपने स्वदेशी डिज़ाइन, पैकेजिंग सुविधाओं और विनिर्माण क्षमताओं का विकास कर चुका है। हाल ही में आयोजित सेमिकॉन इंडिया 2025 सम्मेलन ने इन उपलब्धियों को प्रदर्शित किया और भारत की यह महत्वाकांक्षा स्पष्ट की कि वह एक वैश्विक सेमीकंडक्टर महाशक्ति बने।.
Viewयूपीएससी और सभी राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षाओं के लिए हिंदी में डेली करेंट अफेयर्स / 01 Oct 2025
भारत की नदियाँ हमेशा से पारिस्थितिकी, अर्थव्यवस्था और संस्कृति का केंद्र रही हैं। हालाँकि, वे बढ़ते प्रदूषण भार से गंभीर दबाव में हैं। हाल ही में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक मूल्यांकन रिपोर्ट (सितंबर 2025) ने इस संकट की गहराई को उजागर किया है। महाराष्ट्र ने सर्वाधिक प्रदूषित नदी खंडों (54) की संख्या दर्ज गयी है, इसके बाद कई अन्य राज्य आते हैं। यद्यपि पिछले मूल्यांकन की तुलना में प्रदूषित खंडों की संख्या में मामूली गिरावट हुई है, परंतु समग्र स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है।.
Viewयूपीएससी और सभी राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षाओं के लिए हिंदी में डेली करेंट अफेयर्स / 23 Sep 2025
जल जीवन का आधार है। यह हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखता है, हमारे खेतों को सींचता है, उद्योगों को ऊर्जा देता है और प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्रों को जीवित रखता है। फिर भी, जल 21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बनता जा रहा है। भारत की स्थिति विशेष रूप से गंभीर है। यह देश विश्व की लगभग 18% आबादी का समर्थन करता है लेकिन इसके पास केवल 4% वैश्विक मीठे जल संसाधन हैं। यह असंतुलन भारत को लगातार दबाव में रख रहा है। वर्षों से, तेज शहरीकरण, बढ़ते उद्योग और बढ़ती आबादी ने स्वच्छ जल की मांग को तीव्रता से बढ़ा दिया है। इसी समय, जलवायु परिवर्तन और अनियमित वर्षा पैटर्न ने जल की उपलब्धता को और भी अनिश्चित बना दिया है।.
Viewयूपीएससी और सभी राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षाओं के लिए हिंदी में डेली करेंट अफेयर्स / 19 Sep 2025
भारत ने जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध अपनी लड़ाई के हिस्से के रूप में दुनिया के सबसे महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों में से कुछ तय किए हैं, जिसका स्पष्ट लक्ष्य 2070 तक नेट ज़ीरो अर्थव्यवस्था बनना है। इस यात्रा में, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलविद्युत और बायोएनर्जी जैसे स्रोत अग्रणी रहे हैं और अब भारत के नवीकरणीय ऊर्जा मिश्रण की रीढ़ बन चुके हैं। लेकिन एक और प्राकृतिक स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है जो भारत में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, परंतु अब तक इसका उपयोग बहुत कम हुआ है जिसे भू-तापीय ऊर्जा कहा जाता है, यानी पृथ्वी के भीतर गहराई में संग्रहीत ऊष्मा।.
Viewयूपीएससी और सभी राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षाओं के लिए हिंदी में डेली करेंट अफेयर्स / 17 Sep 2025
आज प्लास्टिक प्रदूषण केवल कूड़े से भरी सड़कों या जाम नालियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक संकट है जिसका पारिस्थितिकी तंत्र, जलवायु, मानव स्वास्थ्य और सतत विकास पर प्रभाव पड़ रहा है। इसका प्रसार इतना व्यापक है कि आर्कटिक के हिमखंडों, माउंट एवरेस्ट की चोटी, मानव फेफड़ों और यहाँ तक कि माँ के दूध में भी प्लास्टिक के कण पाए गए हैं। माइक्रोप्लास्टिक को अब प्रदूषकों का एक नया वर्ग माना जाता है, जिसका महत्व ग्रीनहाउस गैसों और स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों (पीओपी) के बराबर है। कई अन्य प्रदूषकों के विपरीत, प्लास्टिक का कोई प्राकृतिक विघटन चक्र नहीं होता है, जिसका अर्थ है कि उनका संचय प्रभावी रूप से स्थायी है।.
Viewयूपीएससी और सभी राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षाओं के लिए हिंदी में डेली करेंट अफेयर्स / 02 Sep 2025
धीरे-धीरे कैंसर भारत में रोग भार और मृत्यु-दर दोनों ही दृष्टियों से प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताओं में से एक बन गया है। पूर्व में अपेक्षाकृत दुर्लभ मानी जाने वाली यह स्थिति अब हर साल लाखों परिवारों को प्रभावित करने वाली आम चुनौती बन चुकी है। हाल ही में आईसीएमआर–नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च (NCDIR) द्वारा समन्वित 43 जनसंख्या-आधारित कैंसर रजिस्ट्रियों के आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत में कैंसर विकसित होने का जीवनकाल जोखिम 11% है। केवल 2024 में ही देश में 15.6 लाख नए कैंसर मामले और 8.74 लाख मौतें दर्ज की गईं।.
Viewयूपीएससी और सभी राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षाओं के लिए हिंदी में डेली करेंट अफेयर्स / 28 Aug 2025
भारत को अक्सर “दुनिया की फार्मेसी” कहा जाता है। वैश्विक स्तर पर उपभोग किए जाने वाले हर पाँच में से एक जेनेरिक दवा का निर्माण, भारत में होता है। न्यूयॉर्क की फार्मेसी से लेकर लागोस के अस्पतालों तक, भारत में बनी दवाओं की पहुँच हैं। यह उपलब्धि राष्ट्रीय गर्व का विषय है और इसने भारत को वैश्विक स्वास्थ्य सेवा में एक केंद्रीय खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। फिर भी, इस सफलता के पीछे चुनौतियों भी है। इंडियन स्कूल ऑफ बिज़नेस के मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थकेयर मैनेजमेंट के एक हालिया अध्ययन ने भारत की औषधि नीति और नियामक ढांचे में गंभीर खामियों की ओर इशारा किया है। ये कमजोरियाँ न केवल घरेलू दवा सुरक्षा को खतरे में डालती हैं, बल्कि भारत की एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा पर भी प्रश्नचिह्न लगाती हैं।.
Viewयूपीएससी और सभी राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षाओं के लिए हिंदी में डेली करेंट अफेयर्स / 26 Aug 2025
वैश्वीकरण और औद्योगीकरण ने आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं को इस प्रकार पुनर्गठित किया है कि तकनीकी प्रगति हुई, उत्पादकता बढ़ी और उपभोक्ता मांग में वृद्धि हुई। इस परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा विभिन्न उद्योगों और दैनिक उपभोक्ता वस्तुओं में सिंथेटिक रसायनों का निर्माण और उपयोग रहा है। इन रसायनों ने निस्संदेह सुविधा और आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया है, परंतु उन्होंने एक अनपेक्षित विरासत भी छोड़ी है, अनुचित प्रबंधन, लापरवाह निपटान और कमजोर नियमन के कारण व्यापक पर्यावरणीय प्रदूषण। हाल के वर्षों में वैज्ञानिकों ने प्रदूषकों की एक श्रेणी पर अधिक ध्यान देना शुरू किया है, जिसे नव उभरते प्रदूषक (Contaminants of Emerging Concern - CECs) कहा जाता है। ये पदार्थ निगरानी और नियमन के दृष्टिकोण से अपेक्षाकृत नए हैं। ये पारंपरिक जल परीक्षण ढांचों का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन नदियों, झीलों, जलभृतों, मिट्टी और यहाँ तक कि उपचारित पेयजल में भी लगातार पाए जा रहे हैं। चूंकि इन पर अभी तक पर्याप्त नियमन या निगरानी नहीं है, इनके मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिक तंत्र पर संभावित प्रभावों को लेकर चिंता बढ़ रही है।.
Viewयूपीएससी और सभी राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षाओं के लिए हिंदी में डेली करेंट अफेयर्स / 21 Aug 2025
भारत 23 अगस्त को अपना द्वितीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाने जा रहा है। चंद्रयान–3 की ऐतिहासिक सफलता ने न केवल भारत को वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित किया बल्कि मानवता के सामूहिक ज्ञान–भंडार में भी नई उपलब्धि जोड़ी। आगामी गगनयान मिशन, चंद्रयान–4, और प्रस्तावित भारत अंतरिक्ष स्टेशन (Bharat Antariksh Station) इस यात्रा को और अधिक गौरवपूर्ण बनाने वाले हैं। इसके साथ ही निजी कंपनियों का बढ़ता योगदान इस बात का प्रमाण हैं कि भारत अब पारंपरिक अंतरिक्ष अन्वेषण से आगे बढ़कर वाणिज्यिक और रणनीतिक क्षितिज की ओर अग्रसर है। परंतु इन सभी सफलताओं के बीच एक महत्वपूर्ण प्रश्न सामने आता है, भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष क़ानून। अंतरिक्ष अन्वेषण, नवाचार और वाणिज्यीकरण की वैश्विक दौड़ में भारत की प्रगति को स्थायित्व और विश्वसनीयता प्रदान करने के लिए मजबूत कानूनी ढांचे की आवश्यकता अब पहले से कहीं अधिक स्पष्ट हो चुकी है।.
Viewयूपीएससी और सभी राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षाओं के लिए हिंदी में डेली करेंट अफेयर्स / 12 Aug 2025
भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग का गहन विश्लेषण — इसके विकास पथ, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह, निर्यात प्रदर्शन, रोजगार में भूमिका, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकरण, और विद्युत वाहनों (EVs) के माध्यम से सतत गतिशीलता की दिशा में बदलाव, नीतिगत पहलों तथा ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को सम्मिलित करता है। इसमें भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र की वृद्धि, वैश्वीकरण और सतत विकास की दिशा में हो रहे परिवर्तन को रेखांकित किया गया है, जिसमें FDI, निर्यात, रोजगार और प्रमुख सरकारी पहलों पर विशेष ध्यान दिया गया है।.
Viewयूपीएससी और सभी राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षाओं के लिए हिंदी में डेली करेंट अफेयर्स / 08 Aug 2025
हाल के वर्षों में, भारत में फसल सुरक्षा रसायनों, विशेष रूप से खरपतवारनाशकों (Herbicides) का उपयोग तेज़ी से बढ़ा है, जिसमें खरपतवारनाशक बाज़ार लगभग 10% की वार्षिक दर से विस्तार कर रहा है। भारत की कृषि एक अरब से अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध कराती है, लेकिन फसलों को कीटों, बीमारियों और खरपतवारों से बचाना एक निरंतर चुनौती है। हर साल किसान अपने उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा कीड़ों, फंगल संक्रमण और उन अवांछित पौधों के कारण खो देते हैं, जो पोषक तत्वों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। यह न केवल खाद्य आपूर्ति को कम करता है बल्कि किसानों की आय और खाद्य कीमतों को भी प्रभावित करता है।.
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