संदर्भ:
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) लोगों के काम करने, सृजन करने और संवाद करने के तरीके में बदलाव ला रही है। चैटजीपीटी और जेमिनी जैसे AI मॉडल इंटरनेट से एकत्रित पुस्तकों, लेखों, छवियों और ध्वनियों वाले विशाल डेटासेट पर प्रशिक्षित होते हैं। यद्यपि यह डेटा एआई प्रणालियों को पाठ, चित्र या संगीत उत्पन्न करने में सक्षम बनाने के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इसने गंभीर कानूनी और नैतिक बहस को भी जन्म दिया है।
कई लेखक, कलाकार और कंपनियाँ तर्क देती हैं कि कॉपीराइट युक्त सामग्री पर बिना अनुमति एआई का प्रशिक्षण कराना चोरी के समान है। उन्हें डर है कि एआई उनके मौलिक कार्यों की तरह सामग्री बना सकता है, जिससे उनके कार्य की मांग घटेगी और आजीविका प्रभावित होगी।
वहीं, टेक कंपनियाँ दावा करती हैं कि उनका डेटा उपयोग "परिवर्तनकारी" (transformative) है। वे तर्क देती हैं कि एआई केवल सामग्री से पैटर्न सीखता है और कुछ नया बनाता है, जो “फेयर यूज़” सिद्धांत के तहत वैध है। फेयर यूज़ एक कानूनी सिद्धांत है जो आलोचना, टिप्पणी, शिक्षा और शोध जैसे विशेष मामलों में सीमित रूप से कॉपीराइट सामग्री के उपयोग की अनुमति देता है।
हाल ही में अमेरिका की दो अदालतों ने एआई कंपनियों के पक्ष में निर्णय दिए हैं, जो इस विषय पर पहले कानूनी फैसले हैं कि क्या एआई को कॉपीराइट सामग्री पर प्रशिक्षित करना वैध है। इन फैसलों ने नए मानदंड तय किए हैं, लेकिन कई सवाल अब भी अनुत्तरित हैं।
फेयर यूज़ और ट्रांसफॉर्मेटिव यूज़ को समझना:
फेयर यूज़ एआई और कॉपीराइट के बीच की कानूनी बहस का मुख्य आधार है। इसके अंतर्गत, अदालतें यह तय करती हैं कि बिना अनुमति कॉपीराइट सामग्री का उपयोग उचित है या नहीं। इसके लिए निम्नलिखित बिंदुओं का मूल्यांकन किया जाता है:
• उपयोग का उद्देश्य और प्रकृति
• कॉपीराइट सामग्री का स्वरूप
• उपयोग की गई सामग्री की मात्रा और उसका महत्व
• मूल सामग्री के बाज़ार पर प्रभाव
जब एआई मॉडल कॉपीराइट सामग्री से पैटर्न सीखकर पूरी तरह नई सामग्री बनाता है, तो टेक कंपनियाँ इसे "परिवर्तनकारी उपयोग" मानती हैं। इसका अर्थ है कि कार्य का उद्देश्य, स्वरूप या अभिव्यक्ति इतनी बदल जाती है कि यह मूल की नकल नहीं रह जाती।
हाल ही के दोनों मामलों में ये तर्क केंद्र में रहे। अदालतों ने माना कि एआई ट्रांसफॉर्मेटिव हो सकता है, लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पायरेटेड डेटा का उपयोग अतिरिक्त कानूनी समस्याएँ पैदा करता है।
कानूनी मिसाल: एआई प्रशिक्षण और कॉपीराइट उपयोग
पुस्तकों के उपयोग पर अदालत का फैसला
कुछ लेखकों ने एक एआई कंपनी के खिलाफ सामूहिक मुकदमा दायर किया, जिसमें आरोप था कि कंपनी ने बिना अनुमति पायरेटेड पुस्तकों पर अपने भाषा मॉडल का प्रशिक्षण किया। ये पुस्तकें Books3 नामक एक ऑनलाइन शैडो लाइब्रेरी से ली गई थीं जिसमें लाखों कॉपीराइट ग्रंथ शामिल हैं।
लेखकों के मुख्य आरोप:
• कंपनी ने उनकी पुस्तकों के पायरेटेड संस्करणों की प्रतिलिपियाँ बनाईं।
• इससे उनकी आय घट गई और मौलिक सामग्री के बाज़ार को नुकसान पहुँचा।
• एआई जनित सामग्री उन्हीं प्रकार के कार्यों को दोहरा सकती है जिनके लिए लेखकों को आमतौर पर भुगतान मिलता है।
कंपनी का पक्ष:
• कंपनी ने Books3 के उपयोग की बात मानी, लेकिन साथ ही कहा कि उसने कानूनी रूप से मुद्रित किताबें खरीदी और स्कैन कीं ताकि एक व्यापक डेटा सेट तैयार किया जा सके।
• उसने तर्क दिया कि यह उपयोग ट्रांसफॉर्मेटिव है, जैसे कोई व्यक्ति किताबें पढ़कर बेहतर लेखक बनता है।
अदालत का फैसला:
• न्यायाधीश ने माना कि एआई द्वारा कॉपीराइट सामग्री पर प्रशिक्षण को फेयर यूज़ माना जा सकता है क्योंकि आउटपुट नया और भिन्न होता है।
• उन्होंने कहा कि एआई मॉडल “एक अलग दिशा में मुड़ता है और कुछ नया बनाता है”, न कि मूल कार्यों की नकल करता है।
• हालाँकि, अदालत ने यह भी स्वीकार किया कि पायरेटेड सामग्री को संग्रहित करना और कॉपी करना कॉपीराइट का उल्लंघन है।
• इस उल्लंघन के लिए नुकसान का निर्धारण करने हेतु एक अलग ट्रायल आदेशित किया गया है।
प्रशिक्षण विधियों और बाज़ार प्रभाव पर अदालत का फैसला
एक अन्य लेखकों के समूह ने दूसरी एआई कंपनी पर मुकदमा दायर किया कि उसने Books3, Anna’s Archive और Libgen जैसी शैडो लाइब्रेरियों से सामग्री लेकर बिना अनुमति मॉडल प्रशिक्षण किया।
लेखकों की चिंताएँ:
• एआई की क्षमता उनके पुस्तकों के आधार पर सामग्री तैयार करने की वजह से मौलिक कार्यों की मांग में कमी आई।
• उन्होंने आर्थिक नुकसान और बाज़ार हानि के लिए मुआवज़े की मांग की।
कंपनी का पक्ष:
• कंपनी ने कहा कि उसने मॉडल को इस तरह प्रशिक्षित किया है कि वह किसी भी कॉपीराइट सामग्री के 50 से अधिक शब्द लगातार उत्पन्न नहीं कर सकता।
• उसने यह भी तर्क दिया कि आउटपुट से मूल पुस्तकों के बाज़ार पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा।
अदालत का फैसला:
• न्यायाधीश ने कहा कि वादकारियों ने बाज़ार हानि के ठोस प्रमाण नहीं दिए।
• उन्होंने कहा कि जब तक एआई जनित सामग्री से मूल पुस्तकों की मांग में गिरावट नहीं होती, बाज़ार प्रभाव साबित नहीं होता।
• अदालत ने एआई की परिवर्तनकारी प्रकृति को स्वीकार किया, लेकिन यह भी कहा कि टेक कंपनियों को रचनाकारों को मुआवज़ा देने के तरीके खोजने चाहिए।
• कंपनी को अभी भी पायरेटेड सामग्री के उपयोग पर कानूनी प्रक्रिया का सामना करना होगा।
हालिया कानूनी विवाद और व्यापक प्रभाव
हाल के फैसले भले ही फेयर यूज़ के मुद्दे पर एआई कंपनियों के पक्ष में रहे, लेकिन उन्होंने उन्हें पूर्ण कानूनी छूट नहीं दी। दोनों कंपनियाँ अब भी पायरेटेड सामग्री के उपयोग के लिए जवाबदेह ठहराई गई हैं।
इसके अलावा, कई अन्य मुकदमे चल रहे हैं या सामने आ रहे हैं:
• OpenAI और Microsoft के खिलाफ लेखकों, प्रकाशकों और समाचार संस्थानों के 12 संयुक्त मुकदमे।
• छवियों के निर्माण वाले टूल्स के खिलाफ दृश्य कलाकारों द्वारा मुकदमे।
• Stability AI के खिलाफ Getty Images द्वारा 1.2 करोड़ से अधिक कॉपीराइट चित्रों के उपयोग को लेकर मुकदमा।
• भारत में एक प्रमुख समाचार एजेंसी और कई डिजिटल प्रकाशकों द्वारा OpenAI के खिलाफ भारतीय कंटेंट के उपयोग को लेकर मुकदमा।
ये सभी मुकदमे दर्शाते हैं कि एआई के प्रशिक्षण तरीकों को लेकर कानूनी चुनौतियाँ अभी शुरू हुई हैं। फेयर यूज़, रचनाकारों को मुआवज़ा, और पायरेसी से संबंधित चिंताएँ आने वाले वर्षों में नीति निर्धारण में केंद्र में रहेंगी।
निष्कर्ष
हालिया अमेरिकी अदालतों के फैसले यह दिखाते हैं कि नवाचार और रचनाकारों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाना कितना जटिल है। एआई कंपनियाँ तर्क देती हैं कि मॉडल को विशाल डेटा सेट पर प्रशिक्षित करना आवश्यक है और यह जनहित में है, जबकि लेखक और कलाकार इसे उनकी रचनाओं के बिना श्रेय और मुआवज़ा उपयोग के रूप में देखते हैं।
फेयर यूज़, विशेष रूप से ट्रांसफॉर्मेटिव यूज़, इन कानूनी लड़ाइयों का केंद्र बन चुका है। हालाँकि न्यायाधीशों ने माना है कि एआई मॉडल कुछ नया बना सकते हैं, लेकिन पायरेटेड सामग्री का उपयोग अब भी गंभीर कानूनी और नैतिक मुद्दा बना हुआ है।
आगे चलकर, स्पष्ट नियम और रूपरेखाएँ आवश्यक हैं जो यह परिभाषित करें:
• एआई प्रशिक्षण में क्या ‘फेयर यूज़’ के अंतर्गत आता है।
• रचनाकारों को कैसे उचित मुआवज़ा मिल सकता है।
• कॉपीराइट सामग्री के दुरुपयोग को कैसे रोका जाए।
• मौलिक रचनाओं के बाज़ार की रक्षा के लिए क्या सुरक्षा उपाय हों।
इन मुद्दों का समाधान जल्दी नहीं होगा। जैसे-जैसे एआई सिस्टम विकसित होंगे, अदालतों, नीति निर्माताओं और उद्योग से जुड़े लोगों को मिलकर ऐसे न्यायसंगत नियम बनाने होंगे जो नवाचार को प्रोत्साहित करें और साथ ही लेखकों, कलाकारों और अन्य रचनाकारों के अधिकारों की रक्षा करें। इन मामलों के परिणाम एआई और कॉपीराइट कानून के भविष्य को अमेरिका ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में प्रभावित करेंगे।
मुख्य प्रश्न: जनरेटिव एआई के तेज़ी से विकास ने बौद्धिक संपदा अधिकारों के मुद्दे को प्रमुखता से सामने ला दिया है। विश्लेषण करें कि एआई मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए कॉपीराइट युक्त सामग्री के उपयोग का रचनात्मक अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है। नवाचार और रचनाकारों के अधिकारों की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने के उपाय सुझाइए। |