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Daily-current-affairs / 07 Aug 2025

जुड़ता भारत, सशक्त भारत: नागरिक उड्डयन क्षेत्र को बढ़ावा

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विश्व वायु परिवहन सांख्यिकी (WATS) 2024 में, अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (IATA) ने कुल हवाई यात्रियों के संदर्भ में भारत को विश्व स्तर पर पाँचवाँ स्थान दिया, जिसमें 211 मिलियन यात्री शामिल थे। इसके साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) ने भारत की बेहतर वायु सुरक्षा और नियामक प्रदर्शन को मान्यता दी और 85.65% का प्रभावी कार्यान्वयन (EI) स्कोर प्रदान किया, जो 2018 के 69.95% से तेज़ी से बढ़ा है।

भारत का नागर विमानन क्षेत्र तीव्र और व्यापक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। 2024 में, देश ने 350 मिलियन से अधिक हवाई यात्रियों को सेवा दी, जिससे यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाज़ार बन गया। यह पहल जो दूरदराज़ क्षेत्रों को जोड़ने और हवाई यात्रा को जनसुलभ बनाने के उद्देश्य से शुरू हुई थी, अब कानूनी सुधारों, बुनियादी ढांचे के बड़े विस्तार और सुरक्षा व प्रौद्योगिकी में रणनीतिक निवेश द्वारा समर्थित एक मजबूत विमानन पारिस्थितिकी तंत्र में बदल गई है।

अंतरराष्ट्रीय विमानन निकाय जैसे कि इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) और इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO) ने भारत के बढ़ते महत्व को मान्यता दी है। जहां IATA की विश्व वायु परिवहन सांख्यिकी (WATS) 2024 ने भारत को कुल यात्रियों की दृष्टि से विश्व में पाँचवाँ स्थान दिया (211 मिलियन), वहीं अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन ने भारत के नियामक प्रदर्शन में सुधार को 85.65% के प्रभावी कार्यान्वयन स्कोर के साथ मान्यता दी जो 2018 के 69.95% से एक बड़ी छलांग है।

भारत के विमानन उद्योग का महत्व

1.   तेजी से बढ़ता बाज़ार
भारत के 2030 तक अमेरिका और चीन को पीछे छोड़ते हुए यात्री मात्रा के लिहाज़ से तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाज़ार बनने का अनुमान है। इससे वैश्विक एयरलाइंस, विमान निर्माता कंपनियों और सेवा प्रदाताओं का ध्यान भारत की ओर केंद्रित हो गया है।

2.   संतुलित आर्थिक विकास
हवाई संपर्क एक भौगोलिक समानता साधक की तरह कार्य करता है। विशेषकर पूर्वोत्तर राज्यों में, बेहतर एयरलाइन संपर्क के कारण राष्ट्रीय आर्थिक नेटवर्क से मजबूत एकीकरण देखा गया है।

3.   पर्यटन और अवसंरचना को बढ़ावा

बेहतर हवाई पहुंच ने पर्यटन और उससे जुड़े क्षेत्रों जैसे कि आतिथ्य और परिवहन को प्रोत्साहित किया है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार उत्पन्न हुआ है।

4.   उत्पादन और एमआरओ में वृद्धि
भारत का विमानन विस्तार घरेलू मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल (MRO) सेवाओं तथा एयरोस्पेस निर्माण की मांग को बढ़ावा दे रहा है जो विमानन तकनीक में आत्मनिर्भर बनने के लिए आवश्यक है।

5.   एफडीआई आधारित बुनियादी ढांचा विस्तार

करीब $3 बिलियन प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के साथ, भारत प्रमुख हवाई अड्डों (दिल्ली, बेंगलुरु) को उन्नत कर रहा है और नवी मुंबई व जेवर (नोएडा) में नए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों का निर्माण कर रहा है।

6.   रोज़गार सृजन

अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन के अनुसार, FY30 तक भारतीय एयरलाइनों को 10,900 से अधिक नए पायलटों की आवश्यकता होगी, इसके अलावा हजारों केबिन क्रू, ग्राउंड स्टाफ और इंजीनियरों की भी ज़रूरत होगी।

विमानन क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले कानून
भारत ने वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप अपने विमानन लक्ष्यों को समर्थन देने हेतु दो प्रमुख विधायी सुधार किए हैं:

एयरक्राफ्ट ऑब्जेक्ट्स में हितों की सुरक्षा विधेयक, 2025

भारत को केप टाउन कन्वेंशन, 2001 के अनुरूप बनाता है।
विमान पट्टे और वित्तपोषण लागत को कम करने का लक्ष्य।
लीज प्रीमियम को घटाता है, जो पहले वैश्विक मानकों से 8–10% अधिक थे।
विमान पट्टे हब को आकर्षित करने के लिए कानूनी स्पष्टता प्रदान करता है।

भारतीय वायुवान अधिनियम, 2024

उपनिवेशकालीन एयरक्राफ्ट अधिनियम, 1934 को प्रतिस्थापित करता है। भारतीय वायुवान अधिनियम, 2024, 1 जनवरी 2025 से प्रभावी हुआ।
• ICAO
और शिकागो कन्वेंशन के अनुरूप नियमों का आधुनिकीकरण करता है।
• ‘
मेक इन इंडियाको प्रोत्साहित करता हैलाइसेंसिंग को सरल बनाकर और पारदर्शिता बढ़ाकर।

भारत के विमानन क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियाँ

1.   संचालन और सुरक्षा में कमियाँ

मानव संसाधन की कमी: प्रशिक्षित पायलटों, विमान इंजीनियरों, ग्राउंड क्रू और एयर ट्रैफिक कंट्रोलरों की गंभीर कमी। लंबे ड्यूटी घंटे और थकान से सुरक्षा जोखिम बढ़ते हैं। Aon 2025 APAC रिपोर्ट में प्रमुख कार्यबल अंतर को चिह्नित किया गया है।
मेंटेनेंस में लापरवाही: DGCA निरीक्षणों ने ऑनबोर्ड सिस्टम के खराब होने और आपातकालीन उपकरणों के गायब होने जैसी गंभीर सुरक्षा उल्लंघनों का खुलासा किया है। कई क्षेत्रीय हवाई अड्डों में आधुनिक अवसंरचना और आपात प्रतिक्रिया की पर्याप्त क्षमता नहीं है।
ग्राउंडेड विमान: वित्तीय तनाव और मेंटेनेंस में देरी के कारण 160 से अधिक विमान खड़े हैंजिससे संचालन क्षमता पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। गो फर्स्ट और स्पाइसजेट जैसी एयरलाइनों में दिवालियापन की स्थिति ने समस्या को और बढ़ा दिया है।

2.   आपूर्ति श्रृंखला और अवसंरचना की बाधाएँ

आपूर्ति श्रृंखला में रुकावट: वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और मूल उपकरण निर्माताओं (OEMs) की देरी ने यात्री मांग में वृद्धि के बावजूद बेड़े के विस्तार को बाधित किया है।
ग्रामीण संपर्क में कमी: उडान (UDAN) योजना का वादा अब भी अधूरा है क्योंकि कई टियर-2 और टियर-3 शहरों में उपयुक्त हवाई अड्डे की अवसंरचना नहीं है, जिससे क्षेत्रीय मार्ग व्यावसायिक रूप से असंभव हो जाते हैं।

3.   बाज़ार संरचना और वित्तीय व्यवहार्यता

बाजार में एकाधिकार: इंडिगो और टाटा ग्रुप की एयरलाइनों के पास 80% बाजार हिस्सेदारी है जो किराया प्रतिस्पर्धा, नवाचार और सेवा गुणवत्ता पर चिंता बढ़ाता है।
लगातार वित्तीय घाटे: भारतीय एयरलाइनों को FY24 में $1.6 से $1.8 बिलियन का सामूहिक नुकसान होने की संभावना है, जिसका कारण खराब लागत प्रबंधन, उच्च ईंधन लागत और अतिरिक्त क्षमता पर कम रिटर्न है।
अधिक अनुमानित विकास योजनाएँ: किंगफिशर, जेट एयरवेज और गो फर्स्ट का पतन इस बात को दर्शाता है कि अव्यवहारिक विस्तार योजनाएं जो वित्तीय और अवसंरचनात्मक तत्परता से मेल नहीं खातींप्रणालीगत अस्थिरता का कारण बनती हैं।

4.   नियामक और कानूनी अड़चनें

नियामक खामियाँ: DGCA 53% स्टाफ रिक्तियों के साथ काम कर रहा है, जिससे प्रभावी निगरानी सीमित होती है। इसका नियमन अक्सर प्रतिक्रियात्मक होता है, न कि निवारक।
जटिल और बोझिल अनुपालन: एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) पर उच्च कर, हवाई अड्डा स्लॉट आवंटन में पारदर्शिता की कमी और अनुपालन की जटिलताएं नए खिलाड़ियों को हतोत्साहित करती हैं। राज्य संचालित हवाई अड्डा एकाधिकार संचालन कुशलता में बाधा डालते हैं।
पुरानी कानूनी व्यवस्था: एयरक्राफ्ट एक्ट (1934) और एयरक्राफ्ट रूल्स (1937) आधुनिक तकनीकों या व्यापार मॉडलों के अनुकूल नहीं हैं जिससे कानूनी अस्पष्टता और संचालन की जटिलता बढ़ती है।

5.   स्थिरता और पर्यावरणीय अनुपालन

हरित अनुपालन लागत में वृद्धि: भारत वैश्विक ढांचों जैसे कि CORSIA (कार्बन ऑफसेटिंग एंड रिडक्शन स्कीम फॉर इंटरनेशनल एविएशन) का हस्ताक्षरकर्ता है, जो उत्सर्जन में कमी अनिवार्य करता है। यद्यपि आवश्यक है, यह पहले से ही दबाव में चल रही एयरलाइनों पर अतिरिक्त वित्तीय और योजना संबंधी बोझ डालता है।

विमानन के लिए रूपरेखा और शासन प्रणाली

नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA)
सुरक्षा, लाइसेंसिंग और उड़ान संचालन को नियंत्रित करता है।
• ICAO
के साथ समन्वय करता है और सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली सुनिश्चित करता है।

भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI)
भारत भर में हवाई अड्डों के विकास और एयर ट्रैफिक कंट्रोल का प्रबंधन करता है।

विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB)
• ICAO
नियमों के अंतर्गत एक स्वतंत्र निकाय।
विशेष रूप से एयर इंडिया फ्लाइट 171 केस में ब्लैक बॉक्स डेटा को डिकोड किया।

नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS)
विमानन सुरक्षा और ICAO प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी।

    विकास, सुधार और भविष्य की दृष्टि

    अवसंरचना विकास और पूंजी निवेश-

    हवाई अड्डा विस्तार
    वाराणसी, आगरा, दरभंगा और बागडोगरा में नए टर्मिनल की आधारशिला रखी गई।
    • 2014
    से अब तक स्वीकृत 21 में से 12 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे चालू हो चुके हैं (जैसे मोपा, कुशीनगर, शिवमोग्गा)।
    जेवर और नवी मुंबई हवाई अड्डों को FY 2025–26 तक चालू किया जाएगा।

    राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP)
    • ₹91,000
    करोड़ आवंटित (FY20–FY25), नवंबर 2024 तक ₹82,600 करोड़ खर्च।
    लक्ष्य: पाँच वर्षों में 50 नए हवाई अड्डे और 2035 तक 120 नए गंतव्य।

    उड़ान योजना और क्षेत्रीय संपर्क-

    अब तक की उपलब्धियाँ
    • 2016
    से 619 मार्ग और 88 हवाई अड्डे चालू किए गए।
    केवल 2024 में 102 नए उड़ान मार्ग जोड़े गए—20 पूर्वोत्तर में।
    अब तक 1.5 करोड़ यात्री सेवा प्राप्त कर चुके; अगले दशक में 4 करोड़ लक्ष्य।
    ज़ोर: आदिवासी, पहाड़ी और आकांक्षी ज़िलों पर।

    उड़ान यात्री कैफे
    हवाई अड्डों पर किफायती भोजन: चाय ₹10, समोसा ₹20 में उपलब्ध।
    कोलकाता और चेन्नई में सफल रोलआउट के बाद अब राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार।

    सुरक्षा, डिजिटल अवसंरचना और सीप्लेन

    उड्डयन सुरक्षा में सुधार
    नई डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (DFDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) लैब AAIB, नई दिल्ली में लॉन्च।
    • HAL
    के साथ ₹9 करोड़ की लागत से विकसित।

    डिजी यात्रा द्वारा निर्बाध यात्रा
    • 24
    हवाई अड्डों पर सक्षम।
    • 80
    लाख+ डाउनलोड; 4 करोड़+ यात्राएँ पूरी।
    संपर्करहित, सुरक्षित बोर्डिंग और यात्रा की सुविधा।

    सीप्लेन संचालन
    अगस्त 2024 में नए दिशा-निर्देश जारी।
    उड़ान 5.5 में 50+ जल निकायों को सीप्लेन कनेक्टिविटी के लिए शामिल किया गया।

    रणनीतिक सुधार और अंतरराष्ट्रीय सहभागिता
    MRO
    प्रोत्साहन: विमान पुर्जों पर 5% IGST लागू किया गया ताकि स्थानीय मेंटेनेंस हब को बढ़ावा मिल सके।
    लैंगिक समावेशन: महिला पायलटों की संख्या 13–18%—दुनिया में सर्वाधिक में से एक। DGCA का लक्ष्य 2025 तक महिला विमानन कार्यबल को 25% तक पहुँचाना।
    एयर कार्गो विस्तार: FY24 में 8 मिलियन मीट्रिक टन कार्गो प्रबंधन; 10% वार्षिक वृद्धि; वेयरहाउसिंग और कस्टम सुधार जारी।
    राजनयिक पहल: दूसरी एशिया-प्रशांत मंत्री स्तरीय नागर विमानन सम्मेलन की मेज़बानी; दिल्ली घोषणा-पत्र पारित।

    निष्कर्ष:

    नागर विमानन मंत्रालय के दूरदर्शी नेतृत्व में, भारत का विमानन क्षेत्र राष्ट्र की विकास गाथा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है। वैश्विक संपर्क और क्षेत्रीय पहुंच के विस्तार से लेकर डिजिटल परिवर्तन और स्थिरता को बढ़ावा देने तक, भारत एक विश्व-स्तरीय विमानन पारिस्थितिकी तंत्र की नींव मज़बूती से रख रहा है।
    ये पहल केवल शहरों को नहीं जोड़तींये रोज़गार सृजित करती हैं, पर्यटन को बढ़ावा देती हैं, आर्थिक वृद्धि को मज़बूत करती हैं और राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करती हैं। स्पष्ट नीतिगत दिशा और सशक्त क्रियान्वयन के साथ, भारत का विमानन क्षेत्र विकसित भारत @2047 की यात्रा पर उड़ान भरने को तैयार है।

     

    मुख्य प्रश्न: भारत का नागर विमानन क्षेत्र 'आत्मनिर्भर भारत' के लक्ष्यों को कहाँ तक प्रतिबिंबित करता है? इस संदर्भ में घरेलू विनिर्माण, MRO सेवाओं और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की भूमिका का परीक्षण कीजिए।