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Blog / 20 Feb 2019

(राष्ट्रीय मुद्दे) आतंकवाद : चुनौतियाँ और हल (Terrorism: Challenges And Solution)

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(राष्ट्रीय मुद्दे) आतंकवाद : चुनौतियाँ और हल (Terrorism: Challenges And Solution)


एंकर (Anchor): कुर्बान अली (पूर्व एडिटर, राज्य सभा टीवी)

अतिथि (Guest): अम्बैस्डर विवेक काटजू (पूर्व सचिव, विदेश मंत्रालय), लेफ़्टिनेंट जनरल सय्यद अता हसनैन (सेना की 15वीं कोर के पूर्व प्रमुख)

सन्दर्भ:

चर्चा में क्यों?

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फ़रवरी को हुए जबरदस्त आतंकवादी हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 42 जवान शहीद हो गए तथा पांच बुरी तरह से घायल हो गए। पाकिस्तान के आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने इस आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ली थी।

क्या है आतंकवाद?

आतंकवाद को एक प्रकार के हिंसात्मक गतिविधि के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो कि अपने आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक एवं वैचारिक मक़सद को पाने के लिए गैर-सैनिक अर्थात नागरिकों की सुरक्षा को भी निशाना बनाते हैं। गैर-राज्य कारकों द्वारा किये गए राजनीतिक, वैचारिक या धार्मिक हिंसा को भी आतंकवाद की श्रेणी का ही समझा जाता है। अब इसके तहत गैर-क़ानूनी हिंसा और युद्ध को भी शामिल कर लिया गया है।

आतंकवाद के प्रकार

गैर-राज्य कर्ताओं द्वारा आतंकवाद: इसमें आतंकवाद की कार्रवाई ऐसे व्यक्ति या समूह द्वारा की जाती है जो कि ना तो किसी सरकार के साथ जुड़ा होता है और ना ही उसे किसी सरकार का वित्तीय सहयोग प्राप्त होता है। हालांकि सरकार से अप्रत्यक्ष संबंध को पूरी तरह से नकार नहीं सकते। नक्सलवाद, एलटीटीई आतंकवाद और पूर्वोत्तर क्षेत्र में उग्रवाद इस तरह के आतंकवाद के उदाहरण हो सकते हैं।
स्वापक आतंकवाद: इस श्रेणी में क्रमबद्ध धमकी अथवा हिंसा द्वारा सरकार की नीतियों को प्रभावित करने वाले स्वापक (नारकोटिक) पदार्थों का अवैध व्यापार आता है। इस ज़रिये आतंकवादी संगठन अपने लिए धन जुटाने का काम करते हैं। मादक पदार्थों और नकली करेंसी की समस्या इसी श्रेणी के अंदर आते हैं।

मानवजाति राष्ट्रवादी आतंकवाद: ऐसा आतंकवाद अक्सर अलग देश बनाने या एक मानवजातीय समूह का दूसरे पर स्तर बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है।

धार्मिक आतंकवाद: इस तरह के आतंकवाद की श्रेणी में हिंसा को ईश्वरीय कर्तव्य या सांस्कारिक कृत्य माना जाता है और इसे धार्मिक अनिवार्यता के आधार पर सही ठहराया जाता है।

राज्य प्रायोजित आतंकवादी: जब किसी देश की सरकार खुद किसी आतंकवादी गतिविधि को समर्थन दे रही होती है तो इस प्रकार के आतंकवाद को राज्य प्रायोजित आतंकवाद कहा जाता है। हाल के समय में कुछ देशों ने विदेश नीति के एक सुविचार एक साधन के रूप में इस तरह आतंकवाद को अपनाया है। भारत आज़ादी के वक़्त से ही इस प्रकार के आतंकवाद का सामना करता आ रहा है। इसमें महत्वपूर्ण भूमिका पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद की है। वर्तमान की पुलवामा घटना इसी का एक उदाहरण है।

वामपंथी आतंकवाद: सत्ता में बैठे लोगों के खिलाफ कई बार कृषक अथवा मजदूर वर्ग द्वारा हिंसा का रास्ता अपनाया जाता है। इस वर्ग का मानना होता है कि उनकी समस्यायों के लिए हुक्मरान ही ज़िम्मेदार हैं। इस तरह के हिंसा वामपंथी विचारधारा से प्रेरित होकर किए जाते हैं। इसे ही वामपंथी आतंकवाद की श्रेणी में रखा जाता है। भारत की नक्सलवाद की समस्या इसी का एक उदाहरण है।

आतंकवाद का कारण

  • गरीबी, अशिक्षा और आर्थिक कारण
  • सामाजिक पिछड़ापन
  • ज़िहाद के नाम पर आतंकवाद
  • शासन में हस्तक्षेप
  • महत्वाकांक्षा
  • झुंझलाहट और गुस्सा

आतंकवाद के साधन

  • पर्यावरणीय आतंकवाद
  • जन संहार के हथियार
  • रासायनिक हथियार
  • न्यूक्लियर हथियार
  • जैविक हथियार
  • साइबर आतंकवाद
  • आत्मघाती आतंकवाद

भारत में आतंकवाद की स्थिति

  • भारत के आतंरिक इलाके में आतंकवाद
  • जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र में उग्रवाद
  • वामपंथी-चरमपंथ
  • नकली करेंसी के ज़रिये आर्थिक आतंकवाद
  • मादक पदार्थों की सप्लाई के ज़रिये आतंकवाद

कुछ प्रमुख आतंकवादी संगठन

  • अबू निदाल,
  • हमास
  • अल-क़ायदा
  • बोको हराम
  • आईएसआईएस
  • लश्कर-ए-तैयबा
  • जैश-ए-मोहम्मद
  • हिज्बुल मुजाहिदीन
  • स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया
  • हरक़त-उल-ज़िहाद-अल-इस्लामिक
  • इंडियन मुजाहिद्दीन
  • सोमालियाई आतंकवादी संगठन अल शबाब
  • अल कायदा इन द लैंड्स ऑफ़ द इस्लामिक माघरेब
  • हक्कानी नेटवर्क
  • हिज़्बुल्लाह
  • लॉर्ड रजिस्टेंस आर्मी
  • अल कायदा इन द अरेबियन पेनिनसुला

जैश-ए-मोहम्मद के बारे में

दिसंबर 1999 भारतीय जेल से रिहा किए गए आतंकवादी मौलाना मसूद अजहर ने मार्च 2000 में जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की थी। साल 2001 में नई दिल्ली में भारतीय संसद पर हुए हमले में लश्कर-ए-तैयबा के साथ जैश ए मोहम्मद भी शामिल था। पाकिस्तान स्थित इस सक्रिय आतंकवादी संगठन का मूल उद्देश्य कश्मीर को पाकिस्तान के साथ मिलाना और अफगानिस्तान से विदेशी सेनाओं को हटाना है। साल 2001 में अमेरिका ने जैश-ए-मोहम्मद को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया। जिसके बाद साल 2002 में पाकिस्तान ने जैश-ए-मोहम्मद को बैन कर दिया। जैश-ए-मोहम्मद का नाम भारत, अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा जारी आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल है।

कंधार विमान अपहरण से पहले मौलाना मसूद अज़हर भारत के कब्जे में था, जिसे छुड़ाने के लिए आतंकियों ने 31 दिसंबर 1999 को भारत के एक विमान को अगवा कर लिया था। इस विमान नें 814 यात्री सवार थे। इन यात्रियों को बचाने के लिए भारत सरकार को मसूद अजहर को कंधार ले जाकर छोड़ना पड़ा था।

भारत में हुए कुछ दुखद आतंकवादी हमले

  • 1993 का मुंबई ब्लास्ट
  • मुंबई में 26/11 हमला
  • 14 फरवरी 1998 में कोयम्बटूर धमाका
  • 1 अक्टूबर 2001 को जम्मू कश्मीर विधानसभा पर हमला
  • 13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हमला
  • 24 सितंबर 2002 को अक्षरधाम मंदिर पर हमला
  • 29 अक्टूबर 2005 को दिल्ली में सीरियल बम ब्लास्ट
  • 11 जुलाई 2006 को मुंबई के लोकल ट्रेन में धमाका
  • महाराष्ट्र के मालेगांव में 8 सितंबर, 2006 को हुए तीन धमाकों में 32 लोग मारे गए और सौ से अधिक घायल हुए।
  • भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 19 फरवरी, 2007 को हुए धमाके में 66 यात्री मारे गए।
  • 18 सितम्बर 2016 को किया गया उरी हमला, 18 जवान शहीद हो गए
  • अमेरिका में 9/11 हमला
  • पेशावर में स्कूल पर हमला
  • पेरिस में सिलसिलेवार आतंकी हमले
  • 23 अक्टूबर 2002 को मॉस्को के थिएटर में हमला
  • सितंबर 2004 में रूस के बेसलैन स्कूल पर हमला
  • 23 नवंबर, 2014 को अफगानिस्तान में आतंकी हमला

भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए क़ानूनी व्यवस्था

  • ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियां (निवारण) संशोधन अधिनियम: यह कानून पहली बार 1967 में बनाया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य गैरकानूनी गतिविधियों को रोकना और इस प्रकार का माहौल पैदा करना था जिससे गैर-कानूनी गतिविधियों को बढ़ावा ना मिल सके। इस एक्ट में ज़रूरत के अनुसार कई संशोधन भी किये गए। साल 2012 में किए गए संशोधन के ज़रिये इसमें आर्थिक अपराधों को भी शामिल कर लिया गया और आतंकवादी गतिविधियों को नए सिरे से परिभाषित किया गया।
  • राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008 और स्पेशल NIA कोर्ट की स्थापना

26/11 के पश्चात किये गये बदलाव

  • राष्ट्रीय जांच एजेंसी की स्थापना की गई। इसकी स्थापना आतंकवाद से लड़ने के लिए की गई।
  • डेटाबेस मेन्टेन करने के लिहाज़ से नैटग्रिड की स्थापना की गई।
  • मल्टी एजेंसी सेंटर (मैक) का पुनर्गठन।
  • एनएसजी के चार नए केंद्रों की स्थापना।
  • तटीय सुरक्षा योजना का नवीनीकरण।

आतंकवाद के ऊपर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

  • देशों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग।
  • देशों के बीच परस्पर क़ानूनी सहायता संधि: भारत ने अब तक 34 देशों के साथ इस तरह के संधि किये हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की समस्या से मुकाबला करने के लिए एक नयी रूपरेखा जारी की है। इस रूपरेखा को 'संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद निरोधक समन्वय प्रभाव' नाम दिया गया है। यह संयुक्त राष्ट्र प्रमुख, 36 सांगठनिक निकायों, इंटरपोल और विश्व सीमाशुल्क संगठन के बीच समझौता है जो अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए सदस्य देशों की जरूरत को बेहतर तरीके से पूरा करने के लिए किया गया है।

आगे क्या किया जाना चाहिए?

1. भारत को बड़े आतंकवादी हमलों से सुरक्षित रखने के लिए एक समग्र आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था की जरूरत है यानि घरेलू मोर्चे की सुरक्षा अहम् हो चुकी है।
2. पाकिस्तान को बेनक़ाब करने के लिए चौतरफा दबाव की जरूरत है।
3. सशस्त्र बलों और पुलिस में भारी सुधार यानी उन्हें उचित प्रशिक्षण और अत्याधुनिक हथियारों से लैस करना होगा।
4. एनएसजी का और आधुनिकीकरण ज़रूरी है।
5. आंतकी हमले रोकने के लिए खुफिया सूचनाएं जुटाने के काम में समन्वय और उन पर प्रभावी एक्शन लेना चाहिए मतलब खुफिया तंत्र का अपग्रेडेशन होना चाहिए।
6. दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े महानगरों की सुरक्षा के लिए इन शहरों के इर्दगिर्द सुरक्षा के ऐसे कवच का निर्माण करें कि वे किसी भी प्रकार की आपातस्थिति से निबटने में स्वतंत्र रूप से सक्षम हो सकें।
7. भेद्य क्षेत्रों जैसे कि पोरस बॉर्डर और समुद्री रास्ते आदि को मजबूत बनाना।
8. आतंकवादी हिंसा को अंजाम देने वालों को कड़ी से कड़ी सजा देने के लिए कानूनी प्रावधानों को अब और भी सख्त बनाने की जरूरत है।
9. आतंक की फंडिंग पर अंकुश लगाना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है।
10. कश्मीर घाटी में असंतोष को दूर करने के लिए विकास और समावेशन के अलावा पाकिस्तान के साथ उलझे मसले को सुलझाना होगा।
11. अन्तराष्ट्रीय स्तर पर सामूहिक प्रयास और व्यापक योजना के ज़रिये इसका हल ढूंढा जाना चाहिए। आतंकवाद सिर्फ़ आतंकवाद होता है, यानी इसमें 'अच्छा आतंकवाद' और 'बुरा आतंकवाद' के पूर्वाग्रह से ऊपर उठाना होगा।
12. लोकल संलिप्तता और बम बनाने के सामानों की सहज उपलब्धता भी एक बड़ी समस्या है, जिनसे निपटना बहुत ज़रूरी है।