इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम का मक़सद आपको हफ्ते भर की उन अहम ख़बरों से रूबरू करना हैं जो आपकी परीक्षा के लिहाज़ से बेहद ही ज़रूरी है। तो आइये इस सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरों के साथ शुरू करते हैं इस हफ़्ते का इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम...
न्यूज़ हाईलाइट (News Highlight):
- भारत, मालदीव ने ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट कार्यान्वयन के लिए 400 मिलियन डॉलर के LOC समझौते पर किए हस्ताक्षर…ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के तहत मालदीव में बुनियादी ढाँचा मजबूत किया जाएगा….
- दिल्ली में प्रदूषण रोकने के लिए लागू हुआ ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान....दिल्ली-एनसीआर में डीजल जेनसेट, कूड़ा जलाने, बड़े निर्माण कार्यों, सड़कों पर झाड़ू मारने पर रहेगी रोक....साथ ही EPCA नेयह आदेश पंजाब, राजस्थान, यूपी, हरियाणा को भी दिए...
- राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने शुरू किया...इस साल दीपावली के अवसर पर 'कामधेनु दीपावली अभियान' ...इस अभियान के माध्यम से, आयोग दिवाली महोत्सव के दौरान गाय के गोबर और पंचगव्य उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा दे रहा है... दीपावली के पहले पूरे देश में बनाये जायेंगे गोबर से 33 करोड़ दीपक..
- मोहाली में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में'एक्वापोनिक्स सुविधा 'का किया गया उद्घाटन...खेती के अनूठे तरीके से किसानों के चेहरे पर ख़ुशी....एक्वापोनिक्स और संबंधित वैकल्पिक कृषि तकनीकों से किसानों को अपनी उत्पादकता और आय बढ़ाने में मिलेगी मदद ..
- गुजरात के संशोधित अशांत क्षेत्र अधिनियम को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी... संशोधित क़ानून के उल्लंघन पर जहाँ पहले 6 महीने की जेल का प्रावधान था...वहीँ संशोधन के बाद कारावास की सज़ा बढ़ाकर 3 से 5 साल कर दी गई...
- किसानों को हो रहें नुकसान से राहत देने के लिए....केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, ऑपरेशन ग्रीन के तहत किसान को रेल से फलों और सब्जियों की ढुलाई में मिलेगी 50 प्रतिशत छूट... (ऑपरेशन ग्रीन: किसानो को टॉप फसलों की ढुलाई में 50% की सब्सिडी )
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नई शिक्षा नीति के तहत स्टार्स प्रोजेक्ट को दी मंजूरी...स्कूली शिक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए STARS प्रोजेक्ट होगा बेहद ही मददगार...इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य स्कूलों से रटने-रटाने वाली संस्कृति को खत्म कर ..छात्रों को ज्ञान आधारित शिक्षा से जोड़ना...
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने जारी की साल 2020 की वर्ल्ड इकनोमिक आउटलुक रिपोर्ट...सभी उभरते बाज़ारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट की कही बात...रिपोर्ट में खासतौर पर भारत और इंडोनेशिया जैसी बड़ी इकोनॉमी शामिल....
खबरें विस्तार से:
1.
हाल ही में भारत और मालदीव ने ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (Greater Male Connectivity Project–GMCP) के लिए 400 मिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट (line of credit–LoC) हेतु समझौता किया है। ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के तहत मालदीव में बुनियादी ढाँचा मजबूत किया जाएगा....इसके माध्यम से मालदीव की राजधानी माले (Malé) को पड़ोस के तीन द्वीपों विलिंगिली (Villingili), गुल्हीफाहू (Gulhifalhu) और थिलाफूसी (Thilafushi) से जोड़ा जाएगा मतलब मालदीव की राजधानी माले को उसके तीनों पड़ोसी द्वीपों से जोड़ने के लिये लगभग 6.7 किलोमीटर लंबे पुल का निर्माण किया जाएगा....ताकि इन द्वीपों के मध्य कनेक्टिविटी को बढ़ाया जा सके ...
इन चारों द्वीपों के मध्य कनेक्टिविटी बढ़ने से इस क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, रोज़गार सृजन में सहायता मिलेगी और माले क्षेत्र में समग्र शहरी विकास को बढ़ावा मिलेगा...
हिंद महासागर चालीस देशों को स्पर्श करता है, और इसके तटों पर विश्व की चालीस प्रतिशत जनसंख्या बसती है..विश्व के समस्त तेल व्यापार का दो तिहाई हिस्सा और सम्पूर्ण माल-वहन का एक तिहाई हिस्सा केवल हिन्द महासागर से गुजरता है...
संक्षेप में कहें तो यह क्षेत्र सी लाइन कम्युनिकेशन का दिल माना जाता है... इसमें स्थित कई सारे देश भविष्य और सुरक्षा के दृष्टिकोण से भारत की ओर देखते हैं। भारत के लिए भी हिंद महासागर का बड़ा ही महत्व है क्योंकि एक तो यहां पर मिलने वाले समुद्री संसाधन और अनन्य आर्थिक से संसाधनों के दोहन की व्यापक संभावना है....
भारत के लिए मालदीव रणनीतिक रूप से अहम है। मालदीव, हिन्द महासागर में लगभग 90 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला है...मालदीव की जलसीमा से सबसे नजदीक स्थित भारतीय द्वीप मिनीकॉय की दूरी मात्र 100 किलोमीटर है। जो कि लक्षद्वीप की राजधानी कावरत्ती से लगभग 400 किलोमीटर दूर है....हालांकि भारत की दूरगामी समुद्री दृष्टिकोण काफी संकुचित रहा है जिसके कारण भारत इस क्षेत्र में रणनीतिक रूप से काफी पिछड़ गया था...
हिन्द महासागर चीन और अमेरिका की प्रतिस्पर्धा का क्षेत्र बनता गया। चीन नेस्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स नीति के तहत भारत को घेरने की कार्य योजना पर बढ़ते हुए पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में ग्वादर से लेकर श्रीलंका(हंबनटोटा पोर्ट), मालदीव(मराओ पोर्ट),बांग्लादेश (चटगांव पोर्ट),समेत म्यांमार तक अपने समुद्री प्रभाव का विस्तार किया।इसके साथ ही चीन ने अफ्रीकी देश जिबूती में अपनी पहली सैन्य चौकी बनाई।
हालांकि पिछले कुछ वर्षों से समुद्री कूटनीति को प्राथमिकता देते हुए भारत सरकार के द्वारा कई नीतियां चलाई गई हैं। भारत सरकार के द्वारा 2015 में मिली अर्थव्यवस्था पर ध्यान देते हुएसागर (Security And Growth for All in the Region- SAGAR) कार्यक्रम की शुरुआत की गई।सागर नीति के तहत भारत हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि भी सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है।
क्या होता है लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC)?
विकासशील व गरीब देशों को रियायती ब्याज दरों पर दिया जाने वाला लाइन ऑफ क्रेडिट (line of credit -LOC) , एक तरह का ‘सॉफ्ट लोन या ऋण‘ होता है....लाइन ऑफ क्रेडिट के रूप में लिये गए ऋण को ऋणकर्ता देश या सरकार(यथा- मालदीव आदि ) द्वारा एक समयसीमा में ब्याज सहित चुकाना भी होता है...इसलिए यह ‘अनुदान’ नहीं होता है...
लाइन ऑफ क्रेडिट के द्वारा ऋण देने वाले देश (यथा-भारत आदि) की वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को भी बढ़ावा मिलता है, क्योंकि इसके तहत किये गए समझौते के मुताबिक ज़्यादातर सामग्री की आपूर्ति लाइन ऑफ क्रेडिट देने वाले देश के द्वारा ही की जाती है...
2.
प्रदूषण रोधी उपाय ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान दिल्ली में लागू किया जायेगा। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने बिजली जनरेटर सेट के संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया है। पर्यावरण प्रदूषण प्राधिकरण ने पहले पंजाब, दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा सरकारों को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के तहत वायु प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करने का निर्देश दिया था...
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान संस्थागत उपाय हैं जिन्हें वायु की गुणवत्ता बिगड़ने पर अपनाया जाता है। यह एक आपातकालीन उपाय है। इसे पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण द्वारा तैयार किया गया था। इसका उद्देश्य पार्टिकुलेट मैटर पीएम 10 और पीएम 2.5 को “मध्यम” वायु गुणवत्ता सूचकांक से अधिक होने से रोकना है...
यह योजना चार श्रेणियों को सूचीबद्ध करती है और विशेष श्रेणी की स्थिति आने पर अपनाए जाने वाले उपायों को सूचीबद्ध करती है...
पहला मध्यम से ख़राब : वायु गुणवत्ता को मध्यम से ख़राब के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जब पीएम 5 का सान्द्रण 61 इकसठ से 120 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर यानी Micrograms per cubic meter के बीच होता है और पीएम 10 की सांद्रता 101 और 350 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर के बीच
इस स्थिति के दौरान बिजली संयंत्रों में प्रदूषण नियंत्रण के उपाय लागू किए जाने चाहिए
पटाखों पर प्रतिबंध
कचरा जलाना बंद किया जाए
सड़कों की मशीनीकृत सफाई
दूसरा बहुत ख़राब : वायु गुणवत्ता को बहुत खराब के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जब पीएम 5 का सान्द्रण 121 से 250 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर के बीच होता है और पीएम 10 की सांद्रता 351 और 430 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर के बीच
इस स्थिति के दौरान डीजल जनरेटर सेट का उपयोग बंद कर दिया जाना चाहिए
बस और मेट्रो सेवाओं की आवृत्ति बढ़ाई जानी चाहिए
तीसरा गंभीर : वायु गुणवत्ता को गंभीर रूप से वर्गीकृत किया जाता है, जब पीएम 5 की सांद्रता 250 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा होती है...और पीएम 10 की सांद्रता 430 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा हो...
इस स्थिति के दौरान गर्म मिक्स प्लांट, स्टोन क्रशर और ईंट भट्टे बंद किये जाने चाहिए
सार्वजनिक परिवहन में ऑफ-पीक यात्रा शुरू की जानी चाहिए
सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाना चाहिए
चौथा आपातकालीन : इसे सीवियर प्लस भी कहा जाता है। वायु गुणवत्ता को गंभीर रूप से वर्गीकृत किया जाता है, जब पीएम 5 की सांद्रता 300 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा होती है...
पीएम 10 की सांद्रता 500 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा है
इस स्थिति के दौरान निर्माण गतिविधियाँ रोक दी जाती हैं
स्कूल बंद किये जाते हैं
डीजल ट्रकों के प्रवेश पर रोक लग दी जाती है..
3.
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग द्वारा लॉन्च किए इन सारे उत्पादों को कामधेनु दीपावली अभियान के तहत लांच किया गया...कामधेनु आयोग के मुताबिक़ इन उत्पादों का लक्ष्य इस साल दीवाली पर होने वाले प्रदूषण पर लगाम लगाना है. दीयों के अलावा, आयोग गोबर, गौमूत्र और दूध से बने अन्य उत्पादों जैसे कि एंटी-रेडिएशन चिप, पेपर वेट, गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियों, अगरबत्ती, मोमबत्तियों और अन्य चीजों के उत्पादन को भी बढ़ावा दे रहे हैं.
इस अभियान के तहत 11 करोड़ परिवारों तक पहुँच बनायी जाएगी....इसके अलावा इस कार्यक्रम के तहत गाय के गोबर से बने 33 करोड़ दीयों को प्रज्वलित करना भी लक्ष्य रखा गया है...कामधेनु दीपावली पहल को कार्यान्वित करने का ज़िम्मा मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय उठा रहा है....
कामधेनु दीपावली आयोग का महत्व : गोबर का इस्तेमाल कर सामानों को बनाने से हजारों गाय आधारित उद्यमियों और किसानों को फायदा होगा जो न सिर्फ इनकी आय में इज़ाफ़ा करेंगे बल्कि हज़ारों पशुपालकों को और छोटे तबके के दुकानदारों को भी फायदा पहुंचाएंगे। इसके साथ ही, इस अभियान की मदद से कई गौशालाओं को बनाने में सहायता मिलेगी। इसके अलावा अपने देश में बने ये दीप चीन के दीयों के मुकाबले भी बेहतर विकल्प साबित होंगे । गौर तलब है की इस अभियान के पीछे की प्रेरणा का स्त्रोत “गौम्य गणेश अभियान” था। इसने भगवान् गणेश की मूर्तियों को बनाने में उपयोगकर्ता के अनुकूल सामग्रियों के इस्तेमाल के लिए प्रेरणा दी ।
क्या है राष्ट्रीय कामधेनु आयोग : गायों को संरक्षित रखने के मकसद से इस आयोग को साल 2019 में बनाया गया था....यह आयोग पशु विज्ञान और कृषि विश्वविद्यालयों की मदद से काम करता है जो गाय पालन और प्रजनन, बायोगैस और जैविक खाद के क्षेत्र में कार्यरत्त हैं....
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की स्थापना राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत की गई थी। गोकुल मिशन के कार्यान्वयन के लिए 750 करोड़ रुपये की राशि अंतरिम बजट में आवंटित की गयी थी ....इस मिशन को शुरू किये जाने का मकसद गोकुल ग्राम की स्थापना करना था । गोकुल ग्राम ऐसे मवेशी विकास केंद्र जहां हर नस्ल की गायें हैं ।
साल 2019 के जून महीने तक कुल 4 गोकुल गाँवों की नीव रखी जा चुकी थी। इन गोकुल ग्रामों की स्थापना वाराणसी, फोरा, पटियाला, मथुरा में की गयी । इस मिशन का लक्ष्य ऐसे ही 21 और केंद्रों की स्थापना करना है...राष्ट्रीय गोकुल मिशन का मकसद एक केंद्रित और वैज्ञानिक तरीके से स्वदेशी नस्लों का विकास और संरक्षण, दूध के उत्पादन में इज़ाफ़ा गायों के नस्ल में सुधार सम्बन्धी कार्यक्रम को बढ़ावा देना और उच्च आनुवंशिक और रोग मुक्त क्षमता वाले बैल बांटना है...राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत कई नई पहले लागू की गयीं। इस मिशन के तहत गोकुल ग्राम बनाये गए,देशी नस्लों की सुरक्षा के लिए प्रजनन केंद्र और पशु स्वास्थ्य कार्ड बाँटने के लिए पशु संजीवनी कार्यक्रम का आगाज़ किया गया...
4.
एक्वापोनिक्स सुविधा की पायलट परियोजना के लिए सुपरकम्प्यूटिंग सुविधा सी डैक के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है….इसके लिए धन मुहैया कराने का काम इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीकी मंत्रालय द्वारा किया जाएगा….यह सुविधा पूरी तरह से आर्गेनिक होगी अर्थात इसमें किसी भी तरह की रासायनिक खाद या कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा....इसकी शुरुवात मोहाली स्थित राष्ट्रिया प्रगनत संस्थान ने लुधिआना में गुरु अंगद देव वेटरनरी इंस्टिट्यूट में की ...
इस सुविधा में पारम्परिक खेती के मुकाबले पानी की खपत भी कम से कम होगी। एक अनुमान के मुताबिक़ इस सुविधा में तकरीबन 90 फीसदी कम पानी खर्च होने का अनुमान है।
एक्वापोनिक्स सुविधा का महत्त्व
ये सुविधा इसलिए मायने रखती है क्यूंकि शहरी इलाकों में मछलियों और फसलों की मांग में तेज़ी से बढ़ोत्तरी हुई है। लेकिन ये मांग पूरी करने में किसान असफल हैं जिसकी वजह है बढ़ती आबादी की वजह से खेती योग्य ज़मीन में लगातार कमी….गाँव के युवाओं में इस सुविधा से खेती की तरफ रुझान बढ़ेगा जिससे कृषि अर्थव्यवस्था को एक समबल मिलेगा...यह तकनीकी किसानों को उनकी ज़मीन की पैदावार बढ़ाने में भी मदद करेगी। इसके अलावा पैदावार बढ़ने से किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी।
क्या है एक्वापोनिक्स
एक्वापोनिक्स एक ऐसी व्यवस्था है जिसमे हाइड्रो पोनिक्स, मृदारहित कृषि और एक्वाकल्चर को एक बंद तंत्र में एक साथ अंजाम दिया जाता है..
हाइड्रो पोनिक्स : यह एक ऐसा तरीका है जिसमे पौधे बिना मिट्टी के पानी और पोषक तत्वों के एक घोल में उगते हैं। हाइड्रो पोनिक्स में मिट्टी का इस्तेमाल नहीं किया जाता बल्कि पौधों की जड़ों को सहारा देने के लिए मिट्टी की पेलेट का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें सबसे ख़ास बात ये होती है की पौधों की जड़ें पोषक घोल के संपर्क में आसानी से आ जाती हैं। इसके अलावा पौधों को ऑक्सीजन भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहती है।
एक्वाकल्चर : यह भी एक तरीके की व्यवस्था है जिसमे जलीय जंतुओं जैसे- मछली एवं मोलस्क का विकास, कृत्रिम प्रजनन तथा संग्रहण का कार्य किया जाता है। इस तरीके में एक प्राकृतिक या कृत्रिम झील, ताज़े पानी वाले तालाब या समुद्र में, ख़ास तकनीक और यंत्रों की ज़रुरत पड़ती है….एक्वाकल्चर के ज़रिये एक प्रजाति के जंतुओं की बड़ी मात्रा, उनके मांस या उप-उत्पादों के उत्पादन में सक्षम बनाता है….मछली पालन इसका सबसे अच्छा उदाहरण है।
एक्वापोनिक्स प्रक्रिया के तहत तीन जैविक घटक होते हैं : मछलियां, पौधे और जीवाणु (अमोनिअ से नाइट्रेट बनाने के लिए) एक्वापोनिक्स की मदद से किसान एक्वाकल्चर को हाइड्रोपोनिक के ज़रिये उगने वाले सब्ज़ियों के साथ जोड़ देते हैं। इसका फायदा ये होता है की मछलियों के मल से पौधों को जैविक खाद मिल जाती है…पौधे पोषक तत्वों को सोखकर पानी छान देते हैं…ये छना हुआ पानी मछलियों के टैंक में साफ़ पानी के तौर पर काम आ जाता है। यह वातावरण के लिए बेहद ही लाभदायक तकनीक मानी जाती है…
5.
अशांत क्षेत्र कानून एक ऐसा विवादित कानून है जिसे साल 1991 में गुजरात के मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल के रहते लागू किया गया थ। इस कानून का असल नाम दरअसल में ‘Gujarat Prohibition of Transfer of Immovable Property and Provisions for Protection of Tenants from Eviction from Premises in Disturbed Areas Act’ है। सरल भाषा में इसे ‘अशांत क्षेत्र प्रावधान’ कहा जाता है...
गुजरात सरकार ने क्यों किया इस कानून में संशोधन
गुजरात सरकार के मुताबिक़ इस कानून में संशोधन के लिए विधेयक इसलिए लाया गया क्योंकि इस क़ानून के गलत इस्तेमाल की कई शिकायतें राज्य के विधायकों और अन्य व्यक्तियों द्वारा की गयी थी।
कानून के मूल रूप में ये प्रावधान था की जिलाधिकारी को संपत्ति के विक्रेता द्वारा दिए गए हलफनामे के आधार पर ये सुनिश्चित करना होता था की उसने ये संपत्ति अपनी मर्ज़ी से बेची है और इस संपत्ति की उसे बाजार में तय कीमत मिली है..
ऐसी सभी अनियमितताओं को ख़त्म करने और दोषियों के खिलाफ कड़े दंड का प्रावधान करने के लिए इस कानून में संशोधन किये जाने सम्बन्धी विधेयक पेश किया गया था।
संशोधित कानून में क्या है ख़ास बातें
संशोधित कानून में कलेक्टर की शक्तियों में विस्तार किया गया है। इन शक्तियों में उसे किसी इलाके में ध्रुवीकरण या किसी समुदाय विशेष के लोगों का अनियमित समूहन सम्बन्धी अनुमान लगाने की शक्तियां शामिल होंगी ताकि उस इलाके में जनसंख्या समूहन से कोई समस्या न खड़ी हो। इस संशोधन के तहत जिलाधिकारी द्वारा लिए गए फैसलों पर राज्य सरकार भी पुनरीक्षण कर सकती है।
संशोधन में इन मामलों की छानबीन के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम या विशेष जांच दल या समिति बनाने का प्रावधान किया गया है। नगर निगमों में इन विशेष जांच दलों में ज़िले का अधिकारी, नगर निगम का अध्यक्ष और पुलिस कमिश्नर इस जांच दल के सदस्य होंगे। नगर निगम को छोड़कर बाकी इलाकों में इस जांच दल में जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और क्षेत्रिया नगर पालिका के कमिश्नर इसके सदस्य होंगे।
संशोधित कानून के तहत अशांत क्षेत्रों में संपत्ति के हस्तांतरण के पंजीकरण की जांच के लिए पंजीकरण कानून में भी संशोधन किये गए हैं जिसमे संपत्ति के हस्तान्तरण के प्रावधानों का भी दायरा बढ़ाया गया है।
संपत्ति में किसी भी तरह का बदलाव तभी मुमकिन होगा जब ये संपत्ति के मालिक की ज़रुरत हो संपत्ति में किसी भी नए व्यक्ति को बसाने या लाने के लिए कलेक्टर की मंज़ूरी ज़रूरी होगी।
इस कानून के प्रावधान सरकार की पुनर्वास योजनाओं पर नहीं लागू होंगे जिसके तहत सरकार निर्वासित लोगों को बसाती है
संशोधित क़ानून के उल्लंघन पर पहले 6 महीने की जेल और 10,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान था। संशोधन के बाद कारावास की अवधि बढ़ाकर 3 से 5 साल कर दी गयी है जबकि जुर्माने की राशि बढ़ाकर 1 लाख तक कर दी गयी है।
अशांत क्षेत्र कानून गुजरात राज्य के अहमदाबाद,वड़ोदरा,सूरत हिम्मतनगर गोधरा कपडवंज और भरुच इलाकों में कायम है…
6.
ऑपरेशन ग्रीन का कार्यान्यवयन खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के तहत किया जाता है... खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय और रेलवे मंत्रालय के अंतर्गत किसानों को खेती के उत्पादों जैसे सब्ज़ियों और फलों की ज़्यादा मात्रा ट्रैन से ले जाने पर उनको सरकार की तरफ से भाड़े का 50 फीसदी अनुदान मिलेगा।
इसके अलावा मंत्रालय की और से कृषि उत्पादों को कोल्ड स्टोरेज में रखने के भाड़े पर भी 50 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी। इस अनुदान या सब्सिडी का फायदा लेने के लिए किसानों को सम्पदा पोर्टल पर स्व सत्यापित दस्तावेज़ जमा करने पड़ेंगे। इस पोर्टल का रख रखाव खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की देख रेख में किया जाता है।
ऑपरेशन ग्रीन की शुरुआत कीमतों को स्थिर रखने के उद्देश्य से की गयी थी। ये योजना किसानों को उनकी पैदावार के लिए सही दाम दिलाने का भरोसा देती है। गौर तलब है की देश भर में पूरे साल दामों में बिना किसी उतार-चढ़ाव के टमाटर, प्याज और आलू जैसी सब्ज़ियों की आपूर्ति और इसकी उपलब्धता को बनाये रखने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने इस योजना का एलान किया था।
इसके तहत 2018-19 के बजट भाषण में ऑपरेशन ग्रीन के लिए 500 करोड़ रुपये के आवंटन का एलान किया गया था। यह योजना ख़ास तौर पर टमाटर प्याज और आलू जैसी फसलों पर केंद्रित है जिन्हे संक्षेप में टॉप फसलें भी कहा जाता है।
इस योजना में कृषक उत्पादक संगठन या एफ पी ओ, राज्य स्तरीय और अन्य बाज़ार संस्थाओं को वित्तीय सहायता मुहैया कराई जाती है। इस योजना में कृषि बाजार समितियों का काम संस्थागत ढांचा और अवसंरचना निर्माण करना है। इन समितियों के द्वारा यह कार्य बाज़ारों को e NAM मंच से जोड़ कर किया जाएगा।
इस योजना में दो रणनीतियों पर काम किया जाता है जिसमे मूल्यों का स्थिरीकरण करना और मूल्य संवर्धन श्रृंखलाओं का निर्माण शामिल है...
यह कार्य राष्ट्रीय कृषि सहकारी बाज़ार संगठन या नफेड के ज़रिये किया जाता है। खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा इस कार्य के लिए टॉप फसलों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए यातयात के भाड़े का 50 फीसदी अनुदान दिया जाता है। साथ ही साथ इन फसलों को सुरक्षित रखने के लिए इन्हे उच्च स्तरीय संग्रहण की सुविधा भी मुहैया कराई जाती है।
यह परियोजनाएं दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा होती हैं। इसका ख़ास मकसद गुणवत्तापूर्ण उत्पादन, कृषि लोजिस्टिक्स का निर्माण, कृषि उत्पादन संगठन की क्षमता में बढ़ोत्तरी करना, फसल कटाई के बाद प्रसंसकरण सुविधाएं मुहैया कराना, विपणन और उपभोग केंद्रों की पहचान करना और मांग और आपूर्ति प्रबंधन के लिए मंच तैयार करना शामिल हैं...
बतादें की ऑपरेशन ग्रीन को ऑपरेशन फ्लड की तर्ज़ पर शुरू किया गया था। ऑपरेशन फ्लड की शुरआत साल 1970 में हुई थी। इसे राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड द्वारा शुरू किया गया था। ऑपरेशन फ्लड का मकसद देश में दूध का उत्पादन बढ़ाना था। ये ऑपरेशन फ्लड के प्रयासों का ही नतीजा था की भारत 2016 में दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन गया था।
ऑपरेशन ग्रीन को लागू करने का सबसे बड़ा फायदा ये है की इससे किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने में काफी मदद मिलेगी। ऑपरेशन ग्रीन की मदद से सब्ज़ियों और फलों की बर्बादी पर रोक लगाई जा सकेगी...इसके साथ ही इससे आधुनिक संग्रहण सुविधाओं और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं में भी विकास संभव हो सकेगा..
7.
कैबिनेट ने प्रोजेक्ट STARS यानी Strengthening Teaching Learning and Resources for States को लागू करने के लिए विश्व बैंक से 5,718 करोड़ रुपये की सहायता को मंजूरी दी है.... इस परियोजना को स्कूल शिक्षा विभाग और शिक्षा मंत्रालय के तहत संचालित साक्षरता विभाग द्वारा लागू किया जायेगा...बतादें यह परियोजना राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र, PRAKH की स्थापना और समर्थन भी करेगी...
1994 चौरानबे से STARS कार्यक्रम ने भारत और विश्व बैंक के बीच एक लंबी साझेदारी स्थापित करने में मदद की है...इस कार्यक्रम के माध्यम से, विश्व बैंक समूह ने भारत सरकार को ‘सभी के लिए शिक्षा’ प्रदान करने के दृष्टिकोण को अधिक लचीलापन प्रदान किया है...ऐसे में भारत सरकार ने अपने विज़न में पिछले कई सालों में महत्वपूर्ण प्रगति की है इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की स्कूल जाने वाले छात्रों की संख्या 2004-05 से 2018-19 की अवधि के बीच 219 मिलियन से बढ़कर 248 अड़तालीस मिलियन हो गई है...
इस कार्यक्रम के लाभ की बात करें तो इस कार्यक्रम से देश के 250 मिलियन से ज्यादा छात्रों को लाभ होगा...यह कार्यक्रम सभी के लिए शिक्षा प्रदान करने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में भारत की सहायता करेगा..गोरतलब हो की इस कार्यक्रम से पहले विश्व बैंक ने भारत के इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 3 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक की वित्तीय सहायता प्रदान की है...
8.
आईएमएफ की वर्ल्ड इकोनॉमी आउटलुक के मुताबिक़ इस साल सभी उभरते बाज़ारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट के आसार नज़र आ रहे हैं...वर्ल्ड इकनोमिक आउटलुक की सूची में खासतौर पर भारत और इंडोनेशिया जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं...अर्थव्यवस्थाएं लगातार कोरोना महामारी को काबू करने की ज़द्दोज़हद में परेशान हैं...
रिपोर्ट में भारत की अर्थव्यस्था के बारे में कहा गया है की ये साल 2020 में 10.3 फीसदी से संकुचित होगी। भारत की विकास दर ब्रिक्स देशों में सबसे कम रहने की उम्मीद लगाई जा रही है...
रिपोर्ट में पूरी दुनिया के आर्थिक विकास के आंकड़ों को जून 2020 के मुकाबले में 0 .8 फीसदी की कमी बतायी गयी है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है की साल 2021 के बाद वैश्विक विकास की दर 3.5 फीसदी रहेगी...इस रेपोर्ट में भारत में साल 2020 में उपभोक्ता मूल्यों में 4.9 फीसदी और साल 2021 में 3.7 फीसदी से बढ़त की बात कही गयी है...रिपोर्ट की माने तो साल 2020 में चालू खाता 0.3 फीसदी की दर से बढ़ने और साल 2021 में 0.9 फीसदी की दर से घटने के कयास लगाए गए हैं...
रिपोर्ट का कहना है की अमेरिकी अर्थव्यवस्था साल 2020 में 4.3 फीसदी की दर से घटेगी। इसका मतलब ये है अमेरिकी अर्थव्यवस्था में इस दौरान गिरावट देखी जाएगी...जबकि रिपोर्ट का कहना है की साल 2021 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 3.1 फीसदी की दर से बढ़ोत्तारी होगी....
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की माने तो दुनिया में ये मंदी का दौर साल 2025 तक जारी रहेगा और इसके पहले अर्थव्यवस्थाओं के इस हालात से उबरने की कोई संभावना फिलहाल नहीं है...साल 2025 के बाद ये हालात पूरी तरह से उलट जाएंगे और दुनिया 1990 के दौर में प्रवेश कर जाएगी। यह संभावना ख़ास तौर पर ग़रीबी और असमानता के लिहाज़ से जताई जा रही है जिसकी वजह से जीवन स्तर में खासा गिरावट देखी गयी है।
रिपोर्ट में ये भी आशंका जताई गयी है की लोग अत्यधिक ग़रीबी की रेखा से भी नीचे जा सकते हैं। रिपोर्ट में साफ़ कहा गया है की 90 मिलियन से भी ज़्यादा लोग गरीबी के स्तर से नीचे जा सकते हैं...गरीबी की रेखा की सबसे नीची सीमा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के हिसाब से 1.90 अमेरिकी डॉलर है...विश्व बैंक के आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2020 में 150 मिलियन लोग गरीबी की जद में आ जायेंगे...
वहीँ रिपोर्ट में सलाह दी गयी है की पूरी दुनिया में 12 ट्रिलियन डॉलर की राजकोषीय सहायता की दरकार है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सम्पत्तियों में निवेश, बाज़ार में तरलता लाना और केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में कटौती ज़रूरी है...देश की सरकारों द्वारा नीतियां इस तरह से बनायी जानी चाहिए जिससे अर्थव्यस्था में आये संकट को कम करने में मदद मिल सके....इसके अलावा ये नीतियां ऐसी भी होनी चाहिए जिससे काम काजी मज़दूरों को तेज़ी से विकास करने वाले आर्थिक क्षेत्रों में भेजा जा सके।
तो ये थी पिछली सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरें...आइये अब आपको लिए चलते हैं इस कार्यक्रम के बेहद ही ख़ास सेगमेंट यानी इंडिया राउंडअप में.... जहां आपको मिलेंगी हफ्ते भर की कुछ और ज़रूरी ख़बरें, वो भी फटाफट अंदाज़ में...
फटाफट न्यूज़ (India Roundup):
1. भारतीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन के बारे में जानकारी दी. यह समझौता जून 2020 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले भारतीय प्राणि विज्ञान सर्वेक्षण यानी ZSI और कनाडा के एक गैर लाभकारी संगठन ‘इंटरनेशनल बारकोड ऑफ लाइफ’ यानी iBOL के बीच हुआ था। यह दोनों संस्थाएं एक साथ मिलकर डीएनए बारकोडिंग पर काम करेंगी। डीएनए बारकोडिंग एक विशिष्ट जीन से डीएनए के एक छोटे खंड का इस्तेमाल करके प्रजातियों की सटीक पहचान करने की एक विधि है।
2. हाल ही में, नामदफा टाइगर रिज़र्व में मीठे जल वाली एक नई केकड़ा प्रजाति ‘अबाॅर्टेल्फुसा नामदफेंसिस’ (Abortelphusa Namdaphaensis) को खोजा गया है। बता दें कि पूर्वी हिमालयी जैव विविधता हॉटस्पॉट में अरुणाचल प्रदेश के नामदफा और अबोर हिल्स दो बड़े संरक्षित क्षेत्र मौजूद हैं। नामदफा अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिये प्रसिद्ध है। इसे साल 1983 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था.
3. RBI ने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा की। रिवर्स रेपो दर पहले की तरह 3.35 फ़ीसदी और रेपो रेट 4 फ़ीसदी पर बरकरार रहेगी। मौद्रिक नीति की घोषणा मौद्रिक नीति समिति द्वारा की जाती है. यह एक छह सदस्यीय समिति होती है जिसका गठन केंद्रीय सरकार द्वारा किया जाता है। इस समिति का गठन उर्जित पटेल कमिटी की सिफारिश के आधार किया गया था। समिति की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करता है। इसमें तीन सदस्य आरबीआई से होते हैं और तीन अन्य स्वतंत्र सदस्य भारत सरकार द्वारा चुने जाते हैं। आरबीआई के तीन अधिकारीयों में एक गवर्नर, एक डिप्टी गवर्नर तथा एक अन्य अधिकारी शामिल होता है। मौद्रिक नीति निर्धारण के लिए यह समिति साल में चार बार बैठक करती है और सर्वसम्मति से निर्णय लेती है।
4. हाल ही में 100% कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन यानी फंक्शनल हाउसहोल्ड टैप कनेक्शन उपलब्ध कराकर गोवा देश में ‘हर घर जल‘ वाला पहला राज्य बन गया। इस प्रयास के तहत 2.30 लाख ग्रामीण परिवारों को कवर करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में नल कनेक्शन मुहैया कराए गए हैं. यह कदम जल जीवन मिशन के तहत उठाया गया है। जल जीवन मिशन की घोषणा अगस्त 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी. इसका मकसद साल 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में पाइप जलापूर्ति यानी हर घर जल सुनिश्चित करना है।
5. बीते 12 अक्तूबर को भारत की पश्चिमी, उत्तरी और उत्तर-पूर्वी सीमाओं के पास संवेदनशील इलाकों में केंद्रीय रक्षा मंत्री ने 44 प्रमुख स्थायी पुलों को राष्ट्र को समर्पित किया। साथ ही, उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में नेचिफु सुरंग (Nechiphu Tunnel) की आधारशिला भी रखी। D-आकार वाली इस सुरंग की लंबाई 450 मीटर होगी और यह मौजूदा सड़क को बाईपास करेगी। इन सभी पुलों का निर्माण ‘सीमा सड़क संगठन’ यानी BRO द्वारा किया गया है।
6. श्रीकांत दातार (Srikant Datar) को हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल का नए डीन के रूप में नियुक्त किया गया है। श्री दातार भारतीय मूल के प्रसिद्ध शिक्षाविद और अर्थशास्त्री हैं. प्रतिष्ठित हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल के 112 साल के इतिहास में वे 11वें डीन हैं और वे 1 जनवरी, 2021 से पदभार ग्रहण करेंगे।
7. बीते 15 अक्तूबर को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने ‘थैलेसीमिया बाल सेवा योजना’ के दूसरे चरण का शुभारंभ किया। थैलेसीमिया बाल सेवा योजना की शुरुआत साल 2017 में की गई थी। इसका मकसद थैलेसीमिया (Thalassemia) बीमारी से ग्रस्त शोषित समाज के रोगियों के कल्याण के लिए काम करना है.
8. हाल ही में, ‘आगरकर अनुसंधान संस्थान’ के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एमएसीएस 6478 (MACS 6478) नामक गेहूँ की किस्म से महाराष्ट्र के किसानों की फसल पैदावार दोगुनी होने की बात सामने आई है। ‘अगरकर अनुसंधान संस्थान’ भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान है. गेहूँ की नई विकसित किस्म को उच्च उपज वाला एस्टिवम भी कहा जाता है।
9. राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने इस साल दीपावली त्योहार के अवसर पर ‘कामधेनु दीपावली अभियान’ मनाने के लिये एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करने की घोषणा की है। इस अभियान का मकसद गाय के गोबर से निर्मित उत्पादों को बढ़ावा देना है। गाय के गोबर से दीपक, मोमबत्तियाँ, अगरबत्ती, पेपरवेट, देवी-देवताओं की मूर्तियाँ आदि बनाए जा सकते हैं। बता दें कि राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की घोषणा केंद्रीय बजट 2019-20 में की गई थी।
10. बीते 15 अक्तूबर को मलयालम के प्रसिद्ध कवि और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता अक्कीतम अच्युतन नंबूदिरी का देहांत हो गया है। वे 94 वर्ष के थे. उनका जन्म 18 मार्च, 1926 को केरल में हुआ था. अच्युतन नंबूदिरी ने बचपन में ही संस्कृत, संगीत और ज्योतिष की शिक्षा हासिल कर ली थी। नंबूदिरी एकमात्र जीवित कवि थे जिन्हें मलयालम के महाकवि का दर्जा प्राप्त था।
तो इस सप्ताह के इण्डिया दिस वीक कर्यक्रम में इतना ही। परीक्षा के लिहाज़ से ज़रूरी और भी तमाम महत्वपूर्ण ख़बरों के लिए सब्सक्राइब कीजिए हमारे यूट्यूब चैनल ध्येय IAS को। नमस्कार।