Home > India-this-week

Blog / 16 Aug 2020

(India This Week) Weekly Current Affairs for UPSC, IAS, Civil Service, State PCS, SSC, IBPS, SBI, RRB & All Competitive Exams (7th August - 13th August 2020)

image


इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम का मक़सद आपको हफ्ते भर की उन अहम ख़बरों से रूबरू करना हैं जो आपकी परीक्षा के लिहाज़ से बेहद ही ज़रूरी है। तो आइये इस सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरों के साथ शुरू करते हैं इस हफ़्ते का इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम...

न्यूज़ हाईलाइट (News Highlight):

  • हिंदू उत्तराधिकार क़ानून पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फ़ैसला...अब बेटियों को भी बेटों की तरह पैतृक संपत्ति में मिलेगा समान हिस्सेदार ...
  • चीन के खिलाफ जबरदस्त प्रहार के लिए भारत ने उठाया कदम...फिर से शुरू किया प्रोजेक्ट चिता ... बनाया जाएगा चीन सीमा पर तैनात हेरोन ड्रोन्स को अब और भी ज्यादा घातक.
  • वित्त मंत्री ने किया नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के ऑनलाइन डैशबोर्ड का शुभारंभ....यह परियोजना डाटाबेस बुनियादी परियोजनाओं में घरेलू और विदेशी निवेशकों के लिए वास्तविक समय अपडेट प्रदान करने में करेगा मदद.
  • गुजरात में किसानों के लिए नई योजना, फसल के नुकसान पर बिना प्रीमियम दिए मिलेगा 1 लाख रु तक का मुआवजा....केवल इस वर्ष के लिए 'मुख्‍यमंत्री किसान सहाय योजना' लेगी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की जगह..
  • अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में इंटरनेट के नये युग की हुई शुरुवात.... प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से चेन्नई से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को जोड़ने वाली Optical Fibre Cable की हुई शुरुआत....इससे पूरे द्वीप में फोन-इंटरनेट की कनेक्टविटी हो सकेगी बेहतर.
  • असम समझौते के खंड 6 को लागू करने के लिए गठित कमिटी की सिफारिशें हुई सार्वजनिक...रखा गया कटऑफ 1951...असम समझौते की यह प्रमुख प्रावधान दशकों से रही है विवादास्पद...अभी तक नही हो सका है लागू.
  • वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी ने हिमालय के स्प्रिंग्स में गैस उत्सर्जन की जांच की... अध्यन के अनुसार हिमालय क्षेत्र में पाए जाने वाले गर्म पानी के सोने वायुमंडल में बड़ी मात्रा में वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्‍साइड का उत्‍सर्जन करते हैं.
  • स्‍पेस के क्षेत्र में भारत की एक और छलांग, स्टार्टअप स्काईरूट ने देश के पहले निजी रॉकेट इंजन का सफल परीक्षण किया ....रॉकेट इंजन का नाम रमण रखा गया.

खबरें विस्तार से:

1.

हाल ही में, सुप्रीमकोर्ट द्वारा हिंदू महिला के अधिकार को पुरुष उत्तराधिकारी के बराबर करने का निर्णय सुनाया गया। न्यायालय के अनुसार, हिंदू महिला, पैतृक संपत्ति में पुरुष उत्तराधिकारी के बराबर की हकदार होगी तथा संयुक्त रूप से कानूनी वारिस होगी…..

न्यायालय का निर्णय:

हिंदू महिला का पैतृक संपत्ति में संयुक्त उत्तराधिकारी होने का अधिकार जन्म से है...यह इस तथ्य पर निर्भर नहीं करता है, कि वर्ष 2005 में कानून लागू होने के समय उसके पिता जीवित थे अथवा नहीं….न्यायालय के इस निर्णय ने वर्ष 2015 तथा अप्रैल 2018 में दिए गए फैसलों को पलट दिया है….

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 में वर्ष 2005 में संशोधन किया गया था। इसके अंतर्गत पैतृक संपत्ति में महिलाओं को बराबरी का हिस्सा दिए जाने संबंधी प्रावधान किये गए थे...किंतु, इस क़ानून में यह स्पष्ट नहीं किया गया था, कि क्या यह कानून पूर्वव्यापी रूप से लागू किया जाएगा? तथा क्या महिलाओं का पैतृक संपत्ति संबंधी अधिकार पिता के जीवित होने पर निर्भर करता है?

हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के बारे में

इस अधिनियम के द्वारा हिंदू महिलाओं को पुरुष उत्तराधिकारी के समान सह समांशभागी (Coparcener) अथवा संयुक्त कानूनी वारिस होने का अधिकार प्रदान किया गया…संशोधित अधिनियम में बेटी को पुत्र की भांति जन्म से सह-समांशभागी (Coparcener)/ सहदायिक अधिकार प्रदान किये गए…

इस अधिनियम में बेटी को पैतृक संपति में समान अधिकारों के साथ समान देनदारियों की जिम्मेवारी भी प्रदान की गयी….

कानून की प्रयोज्यता: यह क़ानून पैतृक संपत्ति तथा बिना वसीयत की गयी व्यक्तिगत संपत्ति- जहाँ उत्तराधिकार क़ानून के अनुसार तय होता है, वसीयत के अनुसार नहीं- के उत्तराधिकार के संदर्भ में लागू होता है…

सर्वोच्च न्यायालय की विभिन्न पीठों और विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा इस मुद्दे पर परस्पर विरोधी विचार प्रकट किये गए हैं...प्रकाश बनाम फूलवती मामला (2015) में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संशोधित अधिनियम के तहत दिए गए अधिकार 9 सितंबर, 2005 को जीवित पिताओं की जीवित बेटियों पर लागू होते हैं। अर्थात यदि 9 सितंबर, 2005 से पहले पिता की मौत हो गई है तो बेटी को संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलेगा..

फरवरी 2018 में, 2015 के फैसले के विपरीत, न्यायालय ने कहा कि 2001 में पिता की मृत्यु हो जाने के बाद भी पैतृक संपत्ति का हिस्सा वर्ष 2005 के कानून के अनुसार बेटियों को सहदायिक के रूप में दिया जायेगा…..उसी वर्ष अप्रैल में, अदालत ने पुनः वर्ष 2015 में दिए गए निर्णय को दोहराया….समान शक्ति प्राप्त पीठों द्वारा दिए गए परस्पर विरोधी विचारों के कारण वर्तमान मामले को तीन-न्यायाधीशों की पीठ में भेजा गया है….

2.

सीमा पर चीन के साथ बढ़ती तनातनी के बीच प्रोजेक्ट चीता को शुरू करने का फैसला लिया गया है। इसके तहत हेरॉन ड्रोन्स को लेज़र निर्देशित बमों , सटीक निर्देशित बम और टैंक रोधी मिसाइलों से लैस किया जायेगा। गौर तलब है की प्रोजेक्ट चीता काफी लम्बे वक़्त से आधार में लटका हुआ है। अब सेना के तीनों अंगों ने इस प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने का फैसला लिया है। गौर तलब है की इस पूरे प्रोजेक्ट में सरकार को 3500 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

बतातें चलें की प्रोजेक्ट चीता को वापस शुरू करने के सम्बन्ध में मसौदा एक उच्च स्तरीय रक्षा मंत्रालय समिति को भेजी गयी थी। इस समिति की अध्यक्षता अजय कुमार कर रहे थे। अजय कुमार वर्तमान में रक्षा सचिव हैं। भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए की जाने वाली खरीद फरोख्त उन्ही के निर्देशन ,में की जाती है।

क्या है हेरोन ड्रोन्स

हेरोन ड्रोन्स का इस्तेमाल हमारे देश की सेनाएं लद्दाख में चीन से जारी तनाव में कर रही हैं. यह ड्रोन्स बेहद शानदार तरीके से चीनी सैनिकों की निगरानी का काम कर रहे हैं. इन ड्रोन्स को घातक मिसाइलों और लेज़र बमों से लैस किया जाएगा.

प्रोजेक्ट चीता के तहत क्या होगा?

प्रोजेक्ट चीता में टोही हेरोन ड्रोन को हथियार से लैस करना है. इसमें हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलें लगायी जाएंगी. इसके साथ ही इसमें हवा से छोड़ी जाने वाली एंटी टैंक मिसाइलें लगायी जाएंगी. इन्हें लेजर गाइडेड बमों से लैस किया जाएगा.

ड्रोन्स के अपडेट होने के क्या फायदा होगा?

इस बदलाव का फायदा ये होगा कि अब तक टोही ड्रोन्स के रूप में इस्तेमाल हो रहे हेरॉन अब डेस्ट्रॉयर यानी दुश्मनों को नष्ट करने वाले ड्रोन में तब्दील हो जाएंगे. फिलहाल पूर्वी लद्दाख में चीन सीमा के पास फॉरवर्ड बेस पर इनकी तैनाती की गयी है. आर्मी और एयरफोर्स लगातार इनकी मदद से देख रहे हैं कि चीनी सैनिक पीछे हट रहे हैं या नहीं, या फिर सीमा के करीब उनकी संख्या कितनी है.

निगरानी होगी और सख्त, टैंक को भी कर सकते हैं बर्बाद

अपग्रेड होने से बड़ा फायदा ये होगा कि बिना किसी नुकसान के दुश्मन के ठिकाने नष्ट किए जा सकेंगे. इनके जरिए टैंक और दूसरी बख्तरबंद गाड़ियों को तबाह किया जा सकता है. 10 किमी की ऊंचाई से दुश्मन की एक-एक हरकत देख सकता है.

आतंक के खिलाफ भी इस्तेमाल होंगे 'घातक ड्रोन्स'

अपग्रेड होने के बाद सैन्य ऑपरेशन के अलावा आंतकरोधी ऑपरेशन में भी इस्तेमाल होंगे. सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक इस प्रॉजेक्ट पर जल्द ही रक्षा मंत्रालय की हाई लेवल कमिटी विचार करेगी.

चूंकि हेरोन ड्रोन इजरायल से लिए गए हैं इसलिए हो सकता है कि इन्हें अपग्रेड भी इज़रायल के द्वारा ही किया जाए. इसमें तीनों सेनाओं के 90 हेरोन ड्रोन को अपग्रेड किया जाएगा. प्रोजेक्ट चीता में करीब 35 पैतीस 00 करोड़ रूपए का अनुमानित खर्च है.

अपग्रेड होने के बाद सैन्य ऑपरेशन के अलावा हेरॉन ड्रोन का इस्तेमाल आंतकवाद निरोधी ऑपरेशन में भी किया जा सकेगा, तीनों ही सेनाएं पिछले कुछ सालों से हेरोन ड्रोन का इस्तेमाल कर रही हैं.

3.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन ऑनलाइन डैशबोर्ड लॉन्च किया। यह डैशबोर्ड उन सभी हितधारकों के लिए वन-स्टॉप समाधान के रूप में कार्य करने के लिए है जो बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के बारे में जानकारी की तलाश कर रहे हैं...

वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण 2019-20 में अगले 5 वर्षों के लिए देश में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए 100 लाख करोड़ रुपये की घोषणा की थी। डैशबोर्ड को इंडिया इन्वेस्टमेंट ग्रिड (IIG) द्वारा होस्ट किया जायेगा। आईआईजी एक गतिशील ऑनलाइन मंच है जो देश में वास्तविक समय के निवेश के अवसरों को प्रदर्शित करता है।

राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन, आत्म निर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देगा। अवसंरचना परियोजना सूचना की उपलब्धता से अद्यतन परियोजना जानकारी की आसान पहुँच सुनिश्चित होगी और पीपीपी परियोजनाओं के लिए निवेशकों को आकर्षित किया जाएगा। एनआईपी अपनी तरह की पहली पहल है। एनआईपी बुनियादी ढांचे में निवेश को आकर्षित करने में मदद करेगा और साथ ही भारत को 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।

राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (National Infrastructure Pipeline)

नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन को 2019-25 के लिए लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य ‘इज़ ऑफ़ लिविंग’ सुनिश्चित करना है। यह सुरक्षित पेयजल, स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा तक पहुंच, आधुनिक रेलवे स्टेशन, सभी के लिए स्वास्थ्य देखभाल, बस टर्मिनलों, हवाई अड्डों और विश्व स्तर के शैक्षणिक संस्थानों के द्वारा प्राप्त किया जा सकेगा।

एनआईपी को एक दृष्टिकोण के साथ लॉन्च किया जा रहा है कि यह नौकरियों का सृजन करेगा, सभी को बुनियादी ढांचे तक समान पहुंच प्रदान करेगा और जीवन की सुगमता में सुधार करेगा। इससे विकास को और अधिक समावेशी बनाने में मदद मिलेगी।

2024-25 तक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर 102 लाख रुपये से अधिक का निवेश किया जाएगा....

4.

10 अगस्त, 2020 को, गुजरात सरकार ने एक नई योजना शुरू की, जिसे मुख्‍यमंत्री किसान सहाय योजना कहा जा रहा है। यह योजना राज्य में वर्तमान वर्ष में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की जगह लेगी….

इस योजना को प्रतिस्थापित किया जा रहा है क्योंकि बीमा कंपनियों ने इस बार सरकार से उच्च प्रीमियम की मांग की है। मंजूरी मिलने पर राज्य सरकार को 4,500 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। यह राशि 1,800 करोड़ रुपये के औसत वार्षिक प्रीमियम से बहुत अधिक है। अधिक बारिश या सूखा या बेमौसम बारिश के कारण फसल का नुकसान 33 तैंतीस % से अधिक होने पर मुआवजा प्रदान किया जायेगा….इस योजना के तहत, एक किसान को अधिकतम चार हेक्टेयर भूमि का मुआवजा मिल सकता है….

योजना की मुख्य विशेषताएं

अगर किसान की फसल का नुकसान 33तैतीस % से 66 छियासठ % के बीच है, तो किसान को अधिकतम चार हेक्टेयर के लिए प्रति हेक्टेयर 20,000 रुपये का मुआवजा मिलेगा....अगर फसल का नुकसान 60% से अधिक है, तो किसान को अधिकतम चार हेक्टेयर के लिए प्रति हेक्टेयर 25,000 रुपये का मुआवजा मिलेगा। किसानों को राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष के तहत अतिरिक्त मुआवजा भी मिलेगा....

नई योजना से राज्य के 56 छपपन लाख किसानों को लाभ मिलेगा। इसके अलावा, यह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की तुलना में सरल है। किसानों के ऑनलाइन पंजीकरण करने की योजना के तहत एक समर्पित पोर्टल शुरू किया जायेगा। साथ ही, वन अधिकार अधिनियम के तहत पंजीकृत आदिवासी किसान भी योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के पात्र हैं..

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

यह योजना वन नेशन-वन स्कीम थीम के अनुरूप शुरू की गई थी। यह योजना दो मौजूदा योजनाओं राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना और संशोधित एनएआईएस की जगह लेगी। यह योजना किसानों को खरीफ फसलों के लिए 2% और सभी रबी फसलों के लिए 1.5% प्रीमियम प्रदान करेगी। बागवानी फसलों के लिए 5% का प्रीमियम देना होता है।

5.

हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा चेन्नई से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को जोड़ने वाली अंतःसमुद्रीय ऑप्टिकल फाइबर केबल (Optical Fibre Cable– OFC) की शुरुआत की गयी…इस परियोजना की आधारशिला पोर्ट ब्लेयर में दिसंबर 2018 को रखी गयी थी।

केंद्र शासित प्रदेश में बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए लगभग 2,300 किलोमीटर की अंतःसागरीय ऑप्टिकल फाइबर केबल (OFC) विछाने में लगभग 1,224 करोड़ रुपये की लागत आयी है।

इस परियोजना के तहत चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर और सात अन्य द्वीपों – स्वराज दीप (हैवलॉक), लॉन्ग आईलैंड, रंगत, हटबे (लिटिल अंडमान), कामोर्ता, कार निकोबार और कैंपबेल बे (ग्रेट निकोबार) के लिए बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान की जायेगी।

इस परियोजना को सरकार द्वारा संचार मंत्रालय के अधीन यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (Universal Service Obligation Fund) के माध्यम से वित्त पोषित किया गया है।

इस परियोजना से लाभ

इस क्षेत्र में बेहतर कनेक्टिविटी से टेलीमेडिसिन और टेली-एजुकेशन जैसी ई-गवर्नेंस सेवाएं मिलने में भी आसानी होगी....ई-कॉमर्स में अवसरों से छोटे उद्यमों को फायदा होगा, जबकि शिक्षण संस्थान ई-लर्निंग और ज्ञान को साझा करने में बैंडविड्थ की बढ़ी हुई उपलब्धता का उपयोग करेंगे....

बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग सेवाएं और अन्य मध्यम एवं बड़े उद्यम भी बेहतर कनेक्टिविटी से लाभान्वित होंगे...परियोजना के शुरू होने के बाद, अंडमान और निकोबार में इंटरनेट बिल में भी काफी कमी आएगी...

अंतःसागरीय संचार केबल क्या होती है?

यह समुद्र तल पर विछाई गयी ऑप्टिकल फाइबर केबल होती है, जिसके माध्यम से मुख्य भूमि तथा सागरों तथा महासागरों में स्थित स्थलीय भागों के मध्य दूरसंचार संकेतों को भेजा जाता है....ऑप्टिकल फाइबर के तत्वों को विशिष्ट प्रकार से प्लास्टिक की परतों का लेप चढ़ाया जाता है तथा पर्यावरण के लिए उपयुक्त एक सुरक्षात्मक ट्यूब में अंतर्विष्‍ट किया जाता है।

अंतःसागरीय फाइबर केबल के प्रकार:

अंतःसागरीय फाइबर केबल दो प्रकार के होते हैं: गैर-आवर्तक (unrepeatered) तथा आवर्तक (repeatered)....छोटे केबल मार्गों में गैर-आवर्तक केबल को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि इसमें आवर्तकों की आवश्यकता नहीं होती है, जिसे लागत कम हो जाती है; हालाँकि, इस प्रकार की केबल में अधिकतम संचरण दूरी सीमित होती है।

अंतःसागरीय केबलों का महत्व:

वर्तमान में पार-महासागरीय 99 प्रतिशत डेटा ट्रैफ़िक, अंतःसागरीय केबलों के द्वारा होता है...अंतःसागरीय केबलों की विश्वसनीयता काफी अधिक होती है, तथा कभी केबल टूटने की स्थिति होने पर डेटा संचार के अन्य कई रास्ते उपलब्ध हो जाते हैं...अंतःसागरीय केबलों की डेटा संचरण क्षमता प्रति सेकंड टेराबाइट्स में होती है, जबकि उपग्रहों द्वारा आमतौर पर प्रति सेकंड केवल 1,000 मेगाबाइट्स की गति से डेटा का संचरण करते हैं और इनमे विलंबता-दर अधिक होती है....

6.

बीते फरवरी महीने में, असम समझौते के परिच्छेद-6 के कार्यान्वयन के लिए गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गयी थी। परिच्छेद-6 असम समझौते का एक प्रमुख प्रावधान है, तथा यह दशकों से विवादास्पद है। हाल ही में, सरकार द्वारा समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया है।

बतातें चले की उच्च स्तरीय समिति का गठन वर्ष 2019 में गृह मंत्रालय द्वारा किया गया था।

इसकी अध्यक्षता उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बिप्लब कुमार सरमा ने की थी।

इसका कार्य ‘असमिया लोगों’ (Assamese people) को परिभाषित करना तथा उनके अधिकारों हेतु सुरक्षात्‍मक उपायों से संबंधित उपाय सुझाना था।

असम समझौते का परिच्छेद-6 क्या है?

1979 उनासी -1985 पचासी के दौरान हुए असम आंदोलन के बाद , 1985 पचासी को असम समझौते पर हस्‍ताक्षर हुए...इसमें, असमिया लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषायी पहचान और धरोहर का संरक्षण करने तथा उसे बढ़ावा देने के लिये उचित संवैधानिक, विधायी तथा प्रशासनिक उपाय करने का प्रावधान किया गया है।

इस परिच्छेद को ‘असम के मूल निवासियों’ के सामाजिक-राजनीतिक अधिकारों तथा संस्कृति की सुरक्षा के लिए सम्मिलित किया गया था।

असम समझौता क्या है?

यह भारत सरकार तथा असम आंदोलन के नेताओं के मध्य नई दिल्ली में 15 अगस्त 1985 पचासी को हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (Memorandum of Settlement- MoS) था।

समझौते के अंतर्गत, असम में विस्थापित हुए सभी लोगों को पूर्ण नागरिकता देने के लिए 24 मार्च 1971 को कटऑफ तारीख के रूप में तय किया गया था। अर्थात, निर्धारित तिथि के पश्चात असम में आए सभी बांग्लादेशी नागरिकों को यहाँ से जाना होगा।

गोरतलब हो की परिच्छेद- 6 की उद्देश्य पूर्ति के लिए समिति ने असमिया लोगों के रूप में मान्यता दिए जाने के लिए निम्नलिखित सिफारिशें की है:

भारत के सभी नागरिक, जो 1 जनवरी, 1951इक्यावन को या उससे पहले असम राज्य क्षेत्र में बसने वाले असमिया समुदाय का भाग हो

1 जनवरी, 1951 को या उससे पहले असम राज्य क्षेत्र में बसने वाले असमिया जनजातीय समुदाय का भाग हो;

1 जनवरी, 1951 को या उससे पहले असम राज्य क्षेत्र में बसने वाले किसी अन्य असमिया मूल समुदाय का भाग हो;

1 जनवरी, 1951 को या उससे पहले असम राज्य क्षेत्र में बसने वाले भारत के अन्य सभी नागरिक; तथा उपरोक्त श्रेणियों के वंशज.....

परिच्छेद-6 का उद्देश्य असमिया लोगों के लिए कुछ संरक्षोपाय (safeguards) प्रदान करना है, तथा इसमें वर्ष 1951–1971 के मध्य असम में आए प्रवासियों को सम्मिलित नहीं किया गया था....

समिति की सिफारिशें स्वीकार किये जाने पर, वर्ष 1951-1971 के मध्य असम में आए प्रवासियों को ‘असम समझौते’ तथा राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (National Register of Citizens- NRC) के तहत भारतीय नागरिकता प्रदान की जायेगी, किंतु इन्हें ‘असमिया लोगों’ के लिए प्राप्त संरक्षोपाय अधिकार नहीं दिए जायेंगे।

संरक्षोपायों के अंतर्गत प्राप्त लाभ

असम की संसदीय सीटों, विधानसभा सीटों, तथा स्थानीय निकाय चुनावों में ‘असमिया लोगों’ के लिए 80 से 100% तक आरक्षण प्रदान किया जायेगा....

केंद्र सरकार और अर्ध-केंद्र सरकार / केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों / निजी क्षेत्र के अधीन असम राज्य के भीतर ग्रुप सी और डी स्तर के पदों में 80 से 100% तक आरक्षण प्रदान किया जायेगा।

असम सरकार तथा राज्य सरकार के उपक्रमों की नौकरियों में 80 से 100% तक आरक्षण; तथा निजी भागीदारी वाले उपक्रमों में 70 से 100% तक आरक्षण प्रदान किया जायेगा।

असमिया लोगों के लिए भूमि अधिकार प्राप्त होंगे, जिसके अंतर्गत ‘असमिया लोगों’ के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को भूमि हस्तांतरित करने पर प्रतिबंध होगा।

समिति की कई अन्य सिफारिशें भाषा, सांस्कृतिक और सामाजिक अधिकारों से संबंधित हैं।

7.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत काम करने वाले वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी ने हिमालय के स्प्रिंग्स में गैस उत्सर्जन की जांच की। अध्ययन के अनुसार, हिमालय क्षेत्र में स्प्रिंग्स कार्बन डाइऑक्साइड का एक महत्वपूर्ण निर्वहन दिखाते हैं।

हिमालय क्षेत्र में 600 से अधिक भूतापीय क्षेत्र हैं। वे क्षेत्रीय और वैश्विक जलवायु में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। ये 10,000 वर्ग किलो मीटर में फैले हुए हैं।

अध्ययन की मुख्य बातें

थर्मल स्प्रिंग्स से निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड को कार्बोनेट चट्टानों के मेटामार्फ़िक डीकार्बोनेशन, मैग्माटिज़्म और ग्रेफ़ाइट के ऑक्सीकरण से प्राप्त किया जाता है। ये चट्टानें गहरे हिमालयी कोर में मौजूद हैं। क्षेत्र में जियोथर्मल चट्टानों का वाष्पीकरण और अपक्षय के साथ सिलिकेट चट्टानों का प्रभुत्व है....वैज्ञानिकों ने गढ़वाल हिमालय के प्रमुख क्षेत्रों में 20 भू-तापीय झरनों से नमूने एकत्र किए। नमूनों में ऑक्सीजन और अकार्बनिक कार्बन जैसे समस्थानिक माप शामिल थे...

कार्बन चक्र

यह पृथ्वी के दीर्घकालिक और अल्पकालिक जलवायु को प्रभावित करता है। कार्बन चक्र में उन प्रक्रियाओं की श्रृंखला शामिल होती है जहां कार्बन यौगिक पर्यावरण में परस्पर जुड़े होते हैं। इसमें प्रकाश संश्लेषण द्वारा जीवित ऊतक में कार्बन डाइऑक्साइड को शामिल करना और श्वसन द्वारा वायुमंडल में वापस आना, जीवाश्म ईंधन का जलना और मृत जीवों का क्षय होना शामिल है....कार्बन चक्र के चार मुख्य चरण प्रकाश संश्लेषण, अपघटन, श्वसन और दहन हैं

8.

एयरोस्पेस स्टार्ट अप स्काईरुट एयरोस्पेस ने एक ऊपरी चरण के रॉकेट इंजन का परीक्षण किया है और यह स्वदेशी रॉकेट इंजन की क्षमता प्रदर्शित करने वाली पहली भारतीय निजी कंपनी बन गई है।

3 डी प्रिंटेड रॉकेट इंजन का नाम नोबेल विजेता सर सी.वी. रमन के नाम पर रखा गया था। रॉकेट में हलचल करने वाले पुर्ज़ कम हैँ और इसका वज़नपारंपरिक रॉकेट इंजनों से आधा है। रॉकेट विकसित करने वाले मास्टर माइंड के अनुसार, यह कई रीस्टार्ट करने में सक्षम है। इसके अलावा, यह एक ही मिशन में कई उपग्रहों को कई कक्षाओं में स्थापित करने में सक्षम है।

स्काईरुट एयरोस्पेस

इस रॉकेट का विकास स्कायरुट फर्म द्वारा किया गया था जिसका मुख्यालय हैदराबाद में है। फर्म को Curefit के संस्थापकों मुकेश बंसल और अंकित नागोरी का समर्थन प्राप्त है। स्काईरुट एयरोस्पेस की स्थापना इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के पूर्व वैज्ञानिकों ने की थी।

फर्म ने पहले 100% 3डी प्रिंटेड बाई-प्रोपेलेंट तरल रॉकेट इंजन इंजेक्टर का प्रदर्शन किया।

मिशन के बारे में

पहला रॉकेट जिसे निचली पृथ्वी की कक्षा में लॉन्च किया जाना है उसका वजन लगभग 250-700 किलोग्राम है। इसके 2021 तक लॉन्च होने की उम्मीद है...

भारत में एयरोस्पेस स्टार्ट-अप

भारत ने हाल ही में अपने स्पेस सेक्टर को निजी कंपनियों जैसे स्काईरुट, बेलाट्रिक्स और अग्निकुल के लिए खोला था। वे 3-डी प्रिंटेड इंजन के साथ छोटे लांचर का निर्माण कर रहे हैं। यह उपग्रह प्रक्षेपण की लागत को नीचे ला रहा है।

रिसर्च फर्म फ्रॉस्ट एंड सुलिवन अगले दशक में वैश्विक स्तर पर 10,000 से अधिक छोटे उपग्रहों को लॉन्च करने की है।

इसरो में निजी क्षेत्र

जून 2020 में, भारत सरकार ने निजी क्षेत्रों के लिए दरवाजे खोलकर अंतरिक्ष क्षेत्र में एक बड़ा सुधार पेश किया। यह अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को विकास गतिविधियों, अन्वेषण, नई प्रौद्योगिकियों, अन्वेषण मिशन और मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रमों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देगा...

निजी कंपनियों के लिए अंतरिक्ष के बुनियादी ढांचे का उपयोग करने के लिए सामान अवसर प्रदान करने के लिए Indian National Space Promotion and Authorisation Centre (IN-SPACe) बनाया गया था....

तो ये थी पिछली सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरें...आइये अब आपको लिए चलते हैं इस कार्यक्रम के बेहद ही ख़ास सेगमेंट यानी इंडिया राउंडअप में.... जहां आपको मिलेंगी हफ्ते भर की कुछ और ज़रूरी ख़बरें, वो भी फटाफट अंदाज़ में...

फटाफट न्यूज़ (India Roundup):

1. AMRUT योजना रैंकिंग में ओडिशा शीर्ष पर बरकरार

आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने हाल ही में AMRUT योजना के तहत राज्यों की रैंकिंग जारी की है। ओडिशा ने 85 पचासी .67% स्कोर करके पहला स्थान हासिल किया है। AMRUT का पूर्ण स्वरुप ‘Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation Scheme’ है। इस योजना का उद्देश्य राज्य के शहरी क्षेत्रों में घरों में पाइप से जलापूर्ति प्रदान करना है। इसका उद्देश्य शहरों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों का निर्माण और हरित स्थानों में सुधार करना है। अब तक, इस योजना के तहत, 191 इक्यानवे परियोजनाओं में से 148 अड़तालीस परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। बाकी को मार्च 2021 के मिशन अवधि के भीतर पूरा किया जायेगा। इस वर्ष, ओडिशा ने योजना के कार्यान्वयन में शीर्ष स्थान हासिल किया है, इसके बाद चंडीगढ़, तेलंगाना, गुजरात और कर्नाटक का स्थान है।ओडिशा के नौ शहरों अर्थात् भुवनेश्वर, संबलपुर, कटक, राउरकेला, भद्रक, बालासोर, बारीपदा, बेरहामपुर और पुरी को इस योजना के तहत शामिल किया गया था। राज्य में अब तक लगभग 2,400 किलो मीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई जा चुकी है।

2. भारत की मालदीप को मदद

भारत ने दी मालदीव को 500 मिलियन अमरीकी डालर की सहायता

13 अगस्त, 2020 को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने घोषणा की कि भारत सरकार मालदीव को 100 मिलियन अमरीकी डालर का अनुदान और 400 मिलियन अमरीकी डालर का ऋण प्रदान करेगी। इस धनराशी का उपयोग कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए किया जायेगा।

भारत की वित्तीय सहायता से मालदीव में लागू की जाने वाली यह परियोजना मालदीव में सबसे बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजना होगी। यह 6.7 किलो मीटर की पुल निर्माण परियोजना है जो माले को मालदीव में तीन अन्य पड़ोसी द्वीपों विलिंगिली, गुलिफाहु और थिलाफुशी से जोड़ेगी।साथ ही, देशों के बीच व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने के लिए भारत और मालदीव के बीच एक नियमित कार्गो फेरी सेवा शुरू की जाएगी। साथ ही, भारत को गुलिफाहु में बंदरगाह के निर्माण के लिए समर्थन प्रदान करेगा। इसके अलावा, भारत ने वर्ष 2020-21 के लिए मालदीव के लिए आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के अपने कोटा को नवीनीकृत किया है। इसमें आलू, चावल, चीनी, गेहूं, दाल जैसे खाद्य पदार्थ शामिल हैं। यह खाद्य सुरक्षा को आश्वस्त करेगा जो बदले में देश में मूल्य स्थिरता प्राप्त करने में मदद करेगा।

3. दो लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर लद्दाख में तैनात

HAL के दो लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टरों को लद्दाख में तैनात किया गया

12 अगस्त, 2020 को भारतीय वायु सेना ने लद्दाख क्षेत्र में एचएएल द्वारा निर्मित दो लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टरों (एलसीएच) को तैनात किया। वे भारत-चीन सीमा तनाव के बीच उच्च ऊंचाई पर परिचालन के लिए तैनात हैं।

LCH में दो इंजन हैं और यह दुनिया का सबसे हल्का अटैक हेलीकॉप्टर है। यह एचएएल द्वारा विकसित किया गया था और इस प्रकार यह देश की रक्षा की आवश्यकताओं को आत्म निर्भर भारत अभियान के तहत पूरा करता है।

4.“प्रोजेक्ट एलीफेंट” पोर्टल

SURAKHSYA: “प्रोजेक्ट एलीफेंट” का राष्ट्रीय पोर्टल लॉन्च किया गया

10 अगस्त, 2020 को, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मानव हाथी संघर्ष पर राष्ट्रीय पोर्टल लॉन्च किया, जिसे “सुरक्ष्य” नाम दिया गया। इस पोर्टल का लक्ष्य वास्तविक समय की जानकारी एकत्र करना है और यह वास्तविक समय के आधार पर संघर्षों का प्रबंधन भी करेगा।

इस राष्ट्रीय पोर्टल को विश्व हाथी दिवस के उत्सव के दौरान लॉन्च किया गया। हाथी संरक्षण और जंगली बंदी हाथियों के बेहतर संरक्षण के लिए ज्ञान साझा करने के लिए हर साल 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है। यह पोर्टल डेटा संग्रह प्रोटोकॉल, डेटा विज़ुअलाइज़ेशन उपकरण और डेटा ट्रांसमिशन पाइपलाइनों को सेट करने में मदद करेगा।

5. ‘इंदिरा वन मितान योजना’

छत्तीसगढ़ ‘इंदिरा वन मितान योजना’ लांच करेगा

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वदेशी लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस की पूर्व संध्या पर “इंदिरा वन मितान योजना” के शुभारंभ की घोषणा की। यह छत्तीसगढ़ के वनवासियों का समर्थन करने और आत्मनिर्भरता हासिल करने की पहल है...इस योजना का उद्देश्य छत्तीसगढ़ के अनुसूचित क्षेत्रों के 19 लाख परिवारों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है।

योजना के तहत, छत्तीसगढ़ के 10,000 गांवों में 10 से 15 युवाओं का एक समूह बनाया जायेगा। गांवों को राज्य के आदिवासी क्षेत्रों से चुना जायेगा। यह समूह वन आधारित आर्थिक गतिविधियों का प्रबंधन करेंगे। वे नए रास्ते स्थापित करेंगे जो वनवासियों के लिए स्वरोजगार बनाने में मदद करेंगे। साथ ही, टीम वन उपज की खरीद, विपणन और प्रसंस्करण का प्रबंधन करेगी।

6. रेशम प्रशिक्षण व उत्पादन केंद्र

अरुणाचल प्रदेश में पहला रेशम प्रशिक्षण व उत्पादन केंद्र स्थापित किया जाएगा

खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने अरुणाचल प्रदेश राज्य में रेशम के प्रशिक्षण व उत्पादन केंद्र की स्थापना का निर्णय लिया है। इस केंद्र को सितंबर, 2020 के पहले सप्ताह में लॉन्च किया जायेगा।

केवीआईसी हथकरघा और रेशम रीलिंग मशीन जैसी मशीनरी भी प्रदान करेगा। यह केंद्र 25 स्थानीय कारीगरों को प्रशिक्षण प्रदान करेगा और इस क्षेत्र में बुनाई गतिविधियों को बढ़ावा देगा। अरुणाचल प्रदेश उत्तर पूर्व का सबसे बड़ा राज्य है जिसमें सेरीकल्चर की व्यापक संभावनाएँ हैं। राज्य रेशम की सभी चार किस्मों जैसे मल्बेरी, ओक तसर, एरी और मुगा का उत्पादन करता है। ओक तसर का उत्पादन ऊंचाई वाले क्षेत्रों में किया जाता है। एरी और मुगा को तलहटी क्षेत्रों में उत्पादित किया जाता है।

7. जंक फूड की बिक्री पर रोक

FSSAI: स्कूलों के 50 मीटर के दायरे में जंक फूड की बिक्री नहीं की जा सकेगी

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने हाल ही में घोषणा की कि स्कूलों और शिक्षण संस्थानों के 50 मीटर के दायरे के भीतर जंक फ़ूड और अस्वास्थ्यकर भोजन की बिक्री प्रतिबंधित होनी चाहिए। एफएसएसएआई ने स्कूलों में बच्चों को सुरक्षित खाद्य पदार्थ और संतुलित आहार देने की घोषणा की है। HFSS (High in Fat, Salt and Sugar) के रूप में संदर्भित खाद्य पदार्थ मेस परिसर और स्कूल कैंटीन में नहीं बेचे जा सकते हैं। एफएसएसएआई स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत काम करता है। यह खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत वैधानिक निकाय के रूप में स्थापित किया गया था।

8. पर्युषण पर्व पर जैन मंदिरों को खोलने की मांग

मुंबई उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में पर्युषण पर्व के दौरान जैन मंदिरों को खोलने की अनुमति मांगी गई

जैन धर्म के श्वेतांबर और दिगंबर संप्रदाय द्वारा भाद्रपद मास में पर्युषण पर्व मनाता है। इसे 'पर्यूषण पर्व' के अलावा 'क्षमावाणी पर्व', 'दशलक्षण पर्व' और 'सम्वत्सरी' के नाम से भी जाना जाता है। दस दिवसीय इस पर्व की शुरुआत 15 अगस्त से हो रही है। यह पर्व महावीर स्वामी के मूल सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म, जिओ और जीने दो की राह पर चलना सिखाता है तथा मोक्ष प्राप्ति के द्वार खोलता है। श्वेतांबर समाज 8 दिन तक पर्युषण पर्व मनाते हैं जबकि दिगंबर 10 दिन तक मनाते हैं जिसे वे 'दसलक्षण' कहते हैं। ये दसलक्षण हैं- क्षमा, मार्दव, आर्नव, सत्य, संयम, शौच, तप, त्याग, आकिंचन्य एवं ब्रह्मचर्य।

9. हार्नबिल का वज़ूद खतरे में

हाल ही में उपग्रह डेटा पर आधारित एक अध्ययन से पता चला है कि अरुणाचल प्रदेश में उन वनों की कटाई अधिक हुई है जहां सुप्रसिद्ध हॉर्नबिल पक्षी का निवास स्थान है। उपर्युक्त अध्ययन में कुछ पारिस्थितिकीविदों ने उपग्रह आधारित डेटा के द्वारा यह निष्कर्ष निकाला है कि पापुम आरक्षित वन (Papum Reserve Forest), पक्के टाइगर रिजर्व(Pakke Tiger Reserve) आदि में वनों की कटाई की दर उच्च रही है। इसका प्रमुख कारण वनों की अवैध कटाई और नृजातीय संघर्ष रहा है। पापुम आरक्षित वन (आरएफ), अरुणाचल प्रदेश में एक महत्वपूर्ण पक्षी और जैव विविधता क्षेत्र (Important Bird and Biodiversity Area-IBA) है। इसके पूर्व दिशा में ईटानगर वन्यजीव अभयारण्य और पश्चिम में पक्के वन्यजीव अभयारण्य स्थित ह। पक्के टाइगर रिजर्व को पखुई(Pakhui) टाइगर रिज़र्व के नाम से भी जाना जाता है।यह पूर्वोत्तर भारत में अरुणाचल प्रदेश के पक्के-केसांग(Pakke-Kessang) जिले में स्थित है। हॉर्नबिल (Hornbill) उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय अफ्रीका, एशिया और मेलनेशिया (Melanesia) में पाए जाने वाला एक पक्षी है। इसे भारत में धनेश के नाम से भी जाना जाता है।

10.कृषि मेघ का शुभारम्भ

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि मेघ का शुभारम्भ किया

हाल ही में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि मेघ का शुभारम्भ किया है। यह भारत सरकार के प्रमुख अनुसंधान निकाय आईसीएसआर के महत्वपूर्ण आंकड़ों की जानकारी की सुरक्षा के लिए हैदराबाद में स्थापित एक डाटा रिकवरी सेंटर है....कृषि मेघ की स्थापना राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (एनएएचएचईपी) के तहत भारत सरकार और विश्व बैंक के वित्तपोषण से की गयी है।

इस डाटा केंद्र को भारत में कृषि के क्षेत्र में ई-गवर्नेंस, अनुसंधान, और शिक्षा की गुणवत्ता, उपलब्धता एवं पहुँच को बढ़ाने के उद्देश्य से बनाया गया है। यह डिजिटल कृषि की सेवाओं और बुनियादी ढांचा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वर्तमान डाटा सेंटर (आईसीएआर-डीसी) को क्लाउड कम्प्यूटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ मजबूत बनाया जाएगा।

11. एनजीटी ने लगाई कड़ी फटकार

सरिस्का टाइगर रिजर्व में अवैध खनन पर एनजीटी ने लगाई कड़ी फटकार

एनजीटी ने 10 अगस्त को राजस्थान के अलवर जिले के सरिस्का टाइगर रिजर्व में अवैध खनन के मामले की जांच के लिए एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया। इस समिति में राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जिला मजिस्ट्रेट अलवर और राजस्थान के प्रधान मुख्य संरक्षक (वन बल के प्रमुख) अधिकारी शामिल होंगे। एनजीटी ने अवैध खनन के अनुमान, क्षेत्र में स्वीकृत खानों की संख्या और पर्यावरणीय आधार पर संवेदनशील क्षेत्रों में अवैध खनन की जांच के लिए नियम बनाने और दो महीने के अंदर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। यह आदेश 27 जुलाई की एक अखबार की रिपोर्ट के मद्देनजर आया, जिसमें सरिस्का रिजर्व के अंदर संदिग्ध खनन माफिया से संबंधित एक ट्रैक्टर द्वारा वन होमगार्ड को नीचे गिराने की सूचना मिली थी। यह घटना उस समय घटी जब होमगार्ड ने अपने सहयोगी के साथ मिलकर खनन माफियाओं को रोकने का प्रयास किया था...

12. भारतीय मूल की महिला अमेरिका की उपराष्ट्रपति उम्मीदवार

अमेरिकी डेमोक्रेट्स पार्टी ने भारतीय मूल की महिला कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार के लिए चुना

अमेरिका में इस साल नवंबर माह में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के चुनाव होने हैं. कमला हैरिस भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक हैं. कमला हैरिस दो बार कैलीफोर्निया की अटार्नी जनरल रह चुकी है. कमला हैरिस ऑकलैंड में पली-बढ़ी हैं. उन्होंने हावर्ड यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री ली है. इसके बाद कमला ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की है. वे साल 2003 में सैन फ्रांसिस्को की जिला वकील बनी थीं. हैरिस ने साल 2017 में कैलिफोर्निया से संयुक्त राज्य सीनेटर के रूप में शपथ ली थीं....

13.वाईएसआर चेयुता स्कीम की होगी शुरुवात

अंदर प्रदेश सरकार ने महिलाओं के कल्याण के लिए वाईएसआर चेयुता स्कीम को शुरू करने की घोषणा की है...

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने राज्य में महिलाओं के कल्याण के लिए एक नई स्कीम लॉन्च की है. मुख्यमंत्री रेड्डी ने वाईएसआर चेयुता स्कीम 2020 के नाम से एक नई स्कीम की शुरुआत की. इस योजना के तहत 45-60 साल की उम्र की करीब 23 लाख महिलाओं को लाभ दिया जाएगा. राज्य की एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदाय ताल्लुक रखने वाली महिलाओं को इस योजना का फायदा मिलेगा. इस योजना के तहत महिलाओं को हर साल 18,750 रुपये का इंसेंटिव मिलेगा. इस स्कीम के जरिए महिलाओं को बैंक से 75,000 रुपये तक का ऋण दिया जाएगा.

तो इस सप्ताह के इण्डिया दिस वीक कर्यक्रम में इतना ही। परीक्षा के लिहाज़ से ज़रूरी और भी तमाम महत्वपूर्ण ख़बरों के लिए सब्सक्राइब कीजिए हमारे यूट्यूब चैनल ध्येय IAS को। नमस्कार।