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Blog / 07 Nov 2020

(India This Week) Weekly Current Affair (24th October - 30th October 2020)

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इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम का मक़सद आपको हफ्ते भर की उन अहम ख़बरों से रूबरू करना हैं जो आपकी परीक्षा के लिहाज़ से बेहद ही ज़रूरी है। तो आइये इस सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरों के साथ शुरू करते हैं इस हफ़्ते का इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम...

न्यूज़ हाईलाइट (News Highlight):

  • सिंधु घाटी सभ्यता की खोज को हुए 100 साल पूरे....नए अध्ययन में हुआ खुलासा... 2500 ईसा पूर्व हड़प्पा संस्कृति के लोग डेरी उत्पादों के इस्तेमाल से थे वाकिफ....मिट्टी के बर्तनों के तकरीबन टुकड़ों पर किये गए अध्ययन से सामने आई बात..
  • तीसरी '2+2' मंत्री स्तरीय बैठक भारत और अमेरिका के बीच लगी BECA डील पर मुहर...वार्ता का लक्ष्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संपूर्ण रक्षा और सुरक्षा संबंधों को और मजबूत करना ..
  • केंद्र सरकार का बड़ा फैसला....केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पुनर्गठित होने की पहली सालगिरह पर... जम्मू कश्मीर के लिए नए ज़मीनी कानूनों के सम्बन्ध में अधिसूचना की जारी...अब कोई भी बना सकेगा यहाँ अपना घर.
  • 1650 शहरों में से दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक..दिल्ली में बढ़ते प्रदुषण को देखते हुए सरकार का कदम....जल्द ही वायु प्रदूषण की समस्याओं से निपटने के लिए एक स्थायी निकाय का होगा गठन.
  • गुजरात के अन्नदाताओं के लिए स्सर्कार की सौगात... अब किसानों को सिंचाई के लिए मिलेगी सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक बिजली....बिजली की आपूर्ति के लिए गुजरात सरकार ने किसान सूर्योदय योजना की घोषणा की.
  • 27 अक्टूबर से 2 नवंबर तक मनाया जायेगा सतर्कता जागरूकता सप्ताह....सप्ताह के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने किया सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित... इस सम्मेलन की गतिविधियों में सतर्कता संबंधी विषयों पर ध्यान दिया गया.
  • आईआईटी गुवाहटी के शोधकर्ताओं ने एक नई कम लागत वाली तकनीक का किया विकास... बिना केमिकल के मेंब्रेन तकनीक का विकास.
  • इसरो के MOM और अमेरिका के MAVEN ऑर्बिटर के नए अध्ययन पर सामने आई चौकाने वाली बात....पृथ्वी की तुलना में मंगल ग्रह तेजी से खो रहा है अपना वातावरण......एक धूल के तूफान ने मंगल ग्रह को घेरना किया शुरू.

खबरें विस्तार से:

1.

साल 2020 में सिंधु घाटी सभ्यता की खोज के 100 साल पूरे हो गए हैं...वहीँ हाल ही में एक नए अध्ययन के मुताबिक़ आज से काफी पहले 2500 ईसा पूर्व हड़प्पा संस्कृति के लोग डेरी उत्पादों के इस्तेमाल से वाक़िफ़ थे...

हड़प्पा की खुदाई से मिले बर्तनों के अवशेषों पर दूध के उत्पादों के निशान मिले है। शोधकर्ताओं की ये खोज दिखाती है की आज से कई साल पहले हड़पा संस्कृति के लोग डेरी उत्पादों के प्रसंस्करण और रख रखाव से वाक़िफ़ थे। इससे ये पता चलता है कीततकालीन हड़प्पा सभ्यता की ग्रामीण अर्थवयवस्था कितनी समृद्ध थी। गौर तलब है की ये खोज वर्तमान गुजरात में मौजूद पुरातत्व स्थल कोटड़ा भादली में मिट्टी के बर्तनों के तकरीबन टुकड़ों पर किये गए अध्ययन से सामने निकलकर आयी है।

जब भी हम हड़प्पा संस्कृति के बारे में बात करते हैं तो हम आम तौर पर हड़प्पाकालीन शहरों और बड़े नगरों की बात करते हैं लेकिन इन सब में हम आम तौर पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को दरकिनार कर देते हैं। हमें हड़प्पा कालीन नगरों की उत्तम योजनाव्यापार आभूषणों के बारे में तो पता है लेकिन यहाँ के किसानों पशुपालकों और प्राथमिक अर्थव्यवस्था पर हमेशा मौन साध लेते है...

पुरातत्वविदों के एक दल ने प्राचीन काल के बर्तनों को आणविक विश्लेषण तकनीक के ज़रिये अध्ययन किया। जांच में पता चला की यहां के बर्तन ज़्यादातर मिट्टी है जिससे इसमें रखा गया कोई भी द्रव पदार्थ आसानी से इसके द्वारा सोख लिया जाता है। इन बर्तनों में खाने में या पीने वाले पदार्थों में मौजूद वसा और प्रोटीन के कण संरक्षित हैं।

कार्बन 16 और कार्बन 18 तकनीकों के ज़रिये विश्लेषण करने पर पता चला है की इन पदार्थों में मौजूद लिपिड इन बर्तनों में संरक्षित है.... कुछ ऐसे बर्तनों के अवशेष भी मिले हैं जो छिद्रदार थे। इन छिद्रदार बर्तनों के प्रमाण यूरोपीय सभ्यताओं से भी मिले हैं जहाँ इसका इस्तेमाल चीज़ बनाने के लिए किया जाता था। इससे ये निष्कर्ष निकलता है की हड़प्पा संस्कृति के लोग भी दूध से बनी चीज़ों का इस्तेमाल करते थे।

इस दल ने इस बात की भी जानकारी दी है की डेरी उत्पादन के लिए किस तरह के जानवरों का इस्तेमाल किया जाता रहा होगा। जानकर्ताओं के समूह ने जानवरों के जीवाश्मों से मिले दांत की परतों से ये पता लगाया है की इस इलाके में भैंस बकरी और भेड़ों कोपाला जाता रहा होगा...

हड़प्पा संस्कृति के लोग डेयरी उत्पादों का इस्तेमाल सिर्फ घर में नहीं करते थे। मवेशियों का बड़े झुण्ड के प्रमाण ये साबित करते हैं की इनसे मिलने वाले दूध की तादाद काफी ज़्यादा होती थी। इस ज़्यादा तादाद से यहां के लोग दूध के बदले में और सामान की अदलाबदली करते रहे होंगे। इससे पता चलता है की डेरी उद्योग काफी विक्सित अवस्था में रहा होगा।

हङप्पा कालीन सभ्यता में मिली जानवरों की हड्डीयों में मवेशियों, भेङ, बकरी, भैंस तथा सूअर की हड्डीयाँ शामिल हैं। ज़्यादातर ये जानवर पालतू थे ... जंगली जानवर जैसे सूअर, हिरण तथा घङियाल की हड्डीयाँ भी मिली हैं। हालांकि इसकी जानकारी काफी कम है की हङप्पा-निवासी स्वयं इन जानवरों का शिकार करते थे या फिर अन्य शिकारियों से इनका मांस प्राप्त करते थे....मछली तथा पक्षियों की हड्डीयाँ भी मिली हैं। इस सभ्यता के लोग गाय, घोङा, कुत्ता, खचर आदि जानवरों के बारे में भी जानते थे..कई और महत्वपूर्ण साक्ष्य इस बात की और इशारा करते हैं जैसे कालीबंगा से ऊँट की अस्थियाँ मिली हैं। इसके अलावा कूबङ वाला बैल सबसे प्रिय पशु था।

2.

आखिरकार भारत और अमेरिका के बीच उस बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट यानी बेका पर समझौता हो गया जिस पर बरसों से काम चल रहा था...यह दोनों देशों के बीच सामरिक सहयोग बढ़ाने की समझ के तहत किया जाने वाला चौथा समझौता है.....

तीसरी '2+2' मंत्री स्तरीय बैठक केलिए भारत आए अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ और रक्षा मंत्री मार्क टी एस्पर की भारतीय समकक्षों एस जयशंकर और राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस अहम कदम की घोषणा की गई....

माना जा रहा है कि बेका समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा और भू-राजनीति के क्षेत्र में सहयोग और तालमेल को पूर्णता प्रदान करने वाला है।

भारत और चीन के बीच लाइन ऑफक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर महीनों से जारी तनाव के बीच अमेरिका के साथ हुए इस समझौते को भारत के लिए काफी अहम माना जा रहा है। द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और बढ़ावा देने के लिए लंबे समय से लंबित BECA समझौते को अंतिम रूप मिलने से दोनों देश अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी, साजोसामान औरभू-स्थानिक मानचित्र (जियोस्पेशल मैप) साझा कर सकेंगे।

BECA भारत और अमेरिका के बीच चार मूलभूत समझौतों में से अंतिम है, जिससे दोनों देशों के बीच लॉजिस्टिक्स और सैन्य सहयोग बढ़ेगा। इनमें से पहला समझौता 2002 में हुआ था जो सैन्य सूचना की सुरक्षा से संबंधित था। दो अन्य समझौते 2016 और 2018 में हुए जो लॉजिस्टिक्स और सुरक्षित संचार को लेकर थे।

BECA समझौता भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में मील का पत्थर माना जा रहा है। इस समझौते की वजह से अब भारत अमेरिका के जियोस्पेशल मैप्स का इस्तेमाल कर सकेगा, जिससे ऑटोमेटेड हार्डवेयर सिस्टम्स और क्रूज-बैलिस्टिक मिसाइलों सहित हथियारों की सटीकता बढ़ जाएगी। यह भारत द्वारा अमेरिका से हथियारों से लैस मानव रहित विमानों (UAVs) की खरीद के लिए भी आधार का काम करेगा...

ये UAVs दुश्मनों पर आसमान सेहमले के लिए अमेरिका के जियोस्पेशल डेटा पर निर्भर करते हैं। यह समझौता ऐसे समय पर हुआ है जब भारत अमेरिका से 30 जनरल एटॉमिक्स एमक्यू -9 गार्जियन ड्रोन खरीदने पर विचार कर रहा है। अमेरिका और भारत के बीच पहले भी खुफिया जानकारियों का आदान-प्रदान हो चुका है। 2017 में डोकलाम में चीन के साथ तनातनी के दौरान अमेरिका ने कथित तौर पर भारतीय सेना को चाइनीज सैनिकों के मूवमेंट की खुफिया जानकारी मुहैया कराई थी।

3.

संविधान के अनुच्छेद 370 में वर्णित कुछ प्रावधानों के तहत जम्मू कश्मीर के निवासियों को ये हक़ मिला हुआ था की वो ही वहां की ज़मीन खारीद सकते है.....सरकार द्वारा पिछले साल अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को ख़त्म कर दिया गया था...जम्मू एवं कश्मीर विकास अधिनियम के तहत राज्य के स्थायी निवासी होने सम्बन्धी शर्त को हटा दिया गया है और इसके बाद जम्मू और कश्मीर राज्य से बाहर के निवेशकर्ता भी संघ राज्य क्षेत्र में निवेश कर पाएंगे....

केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में ज़मीन के मालिकाना हक़ से जुड़े अधिनियम संबंधी कानूनों में संशोधन कर दिया है...देश का कोई भी नागरिक अब जम्मू कश्मीर में अपने मकान, दुकान और कारोबार के लिए जमीन खरीद सकता है। उस पर किसी तरह की कोई बंदिश नहीं होगी....इन नए नियमों में हालाँकि खेती से जुडी जमीन को लेकर रोक जारी रहेगी.... ऐसा शख्स सिर्फ कुछ कानूनी औपचारिकताओं को पूरा कर पट्टे के आधार पर जमीन प्राप्त कर सकता था या किराए पर ले सकता था...नए कानून के मुताबिक़ अब बाहर से जाने वाले लोग भी जमीन खरीदकर वहां पर अपना काम शुरू कर सकते हैं.. इसके लिए किसी तरह के स्थानीय निवासी होने का सबूत देने की भी जरूरत नहीं होगी।

केंद्र सरकार का यह निर्णय जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य के केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पुनर्गठित होने की पहली सालगिरह से करीब चार दिन पहले आया है...

गौर तलब है की पांच अगस्त 2019 से पूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य की अपनी एक अलग संवैधानिक व्यवस्था थी...इस व्यवस्था के मद्देनज़र सिर्फ जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिक जिनके पास राज्य का स्थायी नागरिकता प्रमाण पत्र जिसे स्टेट सब्जेक्ट कहा जाता है, हो, वहीं जमीन खरीद सकते थे.....

नए प्रावधानों में कोर कमानडर से नीचे की रैंक का कोई भी सैन्य अधिकारी किसी स्थानीय क्षेत्र के अंतर्गत इलाके को रणनीतिक क्षेत्र नहीं घोषित कर पायेगा। रणनीतिक क्षेत्र यानि की ऐसा इलाका जहां सैन्य बलों की सीधी कार्रवाई या प्रशिक्षण इत्यादि होता हो

नए प्रावधानों के चलते हालांकि जम्मू और कश्मीर इलाके में न सिर्फ समृद्धता और विकास आएगा बल्कि सदियों से चली आ रही दकियानूसी परम्पराएं भी ख़त्म हो पाएंगी। इसके अलावा यहाँ निवेश के नए अवसर खुलने से इलाके के लोगों में रोज़गार के मौके भी बढ़ेंगे। हालांकि केंद्र दवारा उठाये गए इस कदम की विपक्षी दलों द्वारा आलोचना की गयी है। विपक्षी दलों का कहना है की सरकार के इस कदम से कश्मीर बिकाऊ बन जाएगा। इसके अलावा बाहरी लोगों के यहां आने से यहाँ के स्थानीय लोगों की ज़मीन हड़प ली जाएगी और उनका रोज़गार भी चीन जाएगा। इस इलाके में ज़मीनी कानून में बदलाव की वजह से भीड़ भाड़ बढ़ेगी जिससे यहां की पारिस्थिकी पर भी बुरा असर पडेगा। ऐसे में सरकार को इन सारी बातों पर भी गौर करके ऐसी योजना बनाने की ओर बढ़ना चाहिए जिससे यहां के सतत विकास पर बुरा असर न पड़े।

4.

26 अक्टूबर, 2020 को, भारत सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया कि वह जल्द ही दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्याओं से निपटने के लिए एक स्थायी निकाय का गठन करेगी...यह निकाय मुख्य रूप से फसल अवशेष के जलने के कारण होने वाले प्रदूषण पर केंद्रित है...

मालूम हो की 16 अक्टूबर, 2020 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आस-पास के राज्यों में फसल अवशेष को जलाने से रोकने के लिए राज्य सरकारों द्वारा किए गए उपायों की निगरानी के लिए न्यायमूर्ति मदन लोकुर के नेतृत्व में एक सदस्यीय समिति नियुक्त की थी...

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, दिल्ली के कई क्षेत्रों का वायु गुणवत्ता सूचकांक 405 था जो उन्हें “गंभीर श्रेणी” क्षेत्रों के रूप में चिह्नित है।

वहीँ अगर वायु गुणवत्ता सूचकांक 0 और 50 के बीच है तो इसे अच्छे के रूप में चिह्नित किया गया है...दूसरी तरफ अगर यह 51 से 100 के बीच है तो इसे संतोषजनक के रूप में चिह्नित किया गया है..वहीँ अगर वायु गुणवत्ता सूचकांक 101 और 200 के बीच है, तो इसे मध्यम के रूप में चिह्नित किया गया है....

अगर यह 201 और 300 के बीच है तो इसे ‘ख़राब’ के रूप में चिह्नित किया जाता है और वहीँ अगर यह 301 और 400 के बीच ‘बहुत ख़राब’ के रूप में चिह्नित किया जाता है... 401 और 500 के बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक को ‘गंभीर’ श्रेणी के रूप में चिह्नित किया गया है...

बताते चलें दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति यह समिति वर्तमान में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्रदूषण स्तर की निगरानी करने के लिए जिम्मेदार है। हालांकि, समिति राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण सहित समग्र प्रदूषण का ध्यान रखती है। इसलिए, भारत सरकार को एक स्थायी निकाय की स्थापना करनी है जो केवल दिल्ली के वायु प्रदूषण की देखभाल करेगी।

5.

किसानों को दिन में सिंचाई के लिए बिजली की आपूर्ति के लिए मुख्यमंत्री विजय रूपानी के नेतृत्व में गुजरात सरकार ने किसान सूर्योदय योजना की घोषणा की थी….वहीँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने गृह राज्य गुजरात में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये किसान सूर्योदय योजना, पीडियाट्रिक हार्ट अस्पताल (Paediatric Heart Hospital) और गिरनार रोपवे का उद्घाटन किया.....

बतातें चलें इस योजना के तहत, किसानों को सुबह 5 बजे से 9 बजे के बीच बिजली की आपूर्ति का लाभ दिया जाएगा...वहीँ इस योजना को लागू करने के लिए, गुजरात सरकार ने 3,500 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है....ये फंड 2023 तक ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने में मदद करेंगे....इस योजना के तहत लगभग 234 चौतीस ट्रांसमिशन लाइनें स्थापित की जाएँगी....हर लाइन 66 छियासठ किलोवाट की बिजली ले जाने में सक्षम है....इनकी कुल लंबाई 3,490 किलोमीटर होगी....इसके अलावा, अतिरिक्त 220 केवी सबस्टेशन स्थापित किए जायेंगे.....

भारतीय अर्थव्यवस्था का अधिकांश भाग कृषि पर निर्भर है। 1990 और 2000 के बीच, कृषि की विकास दर स्थिर थी। बाद में नवीन कृषि तकनीकों के एकत्रीकरण और प्रसार से कृषि की विकास दर में भी सुधार हुआ। यह मुख्य रूप से बिजली की आपूर्ति के कारण था। वर्तमान में भूजल सिंचाई पूरी तरह से बिजली पर निर्भर है...

वहीँ आज भी कई जगहों पर फ्लड इरीगेशन का उपयोग करते हैं क्योंकि ड्रिप इरीगेशन के लिए बिजली की आवश्यकता होती है। दूसरी ओर, ड्रिप इरीगेशन से बिजली की खपत में 45% की बचत होती है। आज ड्रिप सिंचाई महाराष्ट्र और तमिलनाडु राज्य में व्यापक रूप से लागू है...

आज गुजरात को किसान सर्योदय योजना, यूएन मेहता इंस्टीट्यूट ऑफ़ कार्डियोलॉजी एंड रिसर्च के साथ संबद्ध पीडियाट्रिक हार्ट अस्पताल और गिरनार रोपवे मिल रहा है...ये तीनों एक प्रकार से गुजरात की शक्ति, भक्ति और स्वास्थ्य के प्रतीक हैं...

वहीँ गिरनार रोप-वे परियोजना में शुरू में 25-30 केबिन होंगे, प्रति केबिन 8 लोगों की क्षमता होगी..... 2.3 किलोमीटर की दूरी तय करने में रोपवे से 7.5 मिनट का समय लगेगा....गोरतलब हो की इस परियोजना की परिकल्पना दो दशक पूर्व की गई थी लेकिन हाल ही में 130करोड़ रुपये की लागत से यह पूरी हुई है...

6.

हाल ही में 27 अक्टूबर से शुरू हुए सतर्कता या विजिलेंस जागरूकता सप्ताह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 अक्टूबर 2020 को सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया...इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ भी उपस्थित रहे...

इस सम्मेलन की गतिविधियों में सतर्कता संबंधी विषयों पर ध्यान दिया गया..इसमें लोगों को जागरूक करना और नागरिकों की सहभागिता से सार्वजनिक जीवन में अस्मिता तथा सत्यनिष्ठा के भारत के संकल्प को पुष्ट करना है. इस तीन दिवसीय सम्मेलन में विदेशों में विधि शास्त्र संबंधी जांच की चुनौतियों, भ्रष्टाचार के खिलाफ एहतियाती सतर्कता को प्रक्रियागत अंकुश के तौर पर लेना और वित्तीय समावेशन में चरणबद्ध सुधार और बैंकों में धोखाधड़ी को रोकना शामिल है.

गोरतलब हो की केंद्रीय सतर्कता आयोग 27 अक्टूबर से 2 नवंबर 2020 तक सतर्कता जागरूकता सप्ताह मनाता है. यह सतर्कता जागरूकता सप्ताह हर साल मनाया जाता है इस बीच सरदार वल्लभभाई पटेल का का जन्मदिन पड़ता है यानि 31 अक्टूबर यह जागरूकता सप्ताह अभियान नागरिक भागीदारी के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी को बढ़ावा देने हेतु सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है...

2020 में सतर्कता जागरूकता सप्ताह 27 अक्टूबर से 2 नवंबर तक ‘सतर्क भारत, समृद्धि भारत’ थीम के साथ मनाया जा रहा है. कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने कहा कि आयोग का मानना है कि भ्रष्टाचार राष्ट्र की प्रगति में बड़ी बाधा है. हमारे राष्ट्रीय जीवन के सभी पहलुओं में इमानदारी बनाए रखने हेतु समाज के सभी वर्गों को सतर्क रहने की आवश्यकता है.

बताते चले इस सम्मेलन में क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण, त्वरित एवं अधिक प्रभावी जांच के लिए एजेंसी का बहु आयामी समन्वयन, आर्थिक अपराधों की उभरती प्रवृत्तियां, साइबर अपराध और आपराधिक जांच एजेंसियों के बीच जांच एवं अपराध को रोकने हेतु अपनाई जाने वाली विधियों को साझा करना जैसे विषय चर्चा का केंद्र रहे...

7.

भारतीय प्रद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने कम कीमत की एक ऐसी मेम्ब्रेन तकनीक इज़ाद की है जिससे कृषि संसाधनों का इस्तेमाल कर उम्र कम करने वाले पदार्थों और ऐसी दवाओं को तैयार करने में मदद मिलेगी जिनका सीधा असरदिमाग पर होता है। इस तकनीक की सबसे ख़ास बात ये है की इसमें किसी भी तरह के कार्बनिकविलायकों का इस्तेमाल नहीं होता है। इस तकनीक को संस्थान के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग केअध्यक्ष प्रोफेसर मिहिर कुमार पुरकैत और पर्यावरण केंद्र के अध्यक्ष वी एल धगड़े ने विक्सित किया है। इस तकनीक का पेटेंट भी इन्ही वैज्ञानिक द्वय के नाम पर है...

वैज्ञानिकों का कहना है की इस तकनीक की मदद से ऐसे पदार्थों को पैदा किया जाता है जिनका सीधा असर दिमाग पर होता है। इन पदार्थों में कैफीन और फ्लावनोईड मुख्य हैं...जहां कैफीन को साइकोएक्टिव ड्रग माना जाता है तो वहीं फ्लावनोईड ऐसे पदार्थ होते हैं जो उम्र को कम करने में असरदार होते है...

इन दोनों पदार्थों को तैयार करने में रसीले फलों और उनके छिलकों, बेर, पार्सले, दालें, चाय, सी बकथॉर्न, प्याज और कई खेत में पैदा होने वाले संसाधनों का इस्तेमाल किया जाता है...बाज़ार में उपलब्ध तकनीकों में ज़्यादातर ऐसे कार्बनिक पदार्थों का इस्तेमाल होता है जो सेहत के लिए खतरनाक होते हैं जैसे क्लोरोफॉर्म और एसीटोन। इन पदार्थों का इस्तेमाल करने से ऐसी एंटी एजिंग दवाओं की कीमत भी काफी बढ़ जाती है।

वैज्ञानिकों द्वारा विक्सित मेम्ब्रेन तकनीक में सिर्फ पानी का इस्तेमाल होता है जिससे एंटी एजिंग दवाओं की भी कीमत भी काफी कम रहने की उम्मीद है...आई आई टी गुवाहटी के शोधकर्ताओं का कहना है की दुनिया में ऐसे बहुत कम निर्माता हैं जो महंगे फ्लेवेनॉयड्स बनाने के लिए साल्वेंट बेस्ड तकनीक का इस्तेमाल करते है...

लेकिन इनकी भी शुद्धता 80 फीसदी ही होती है। वाणिज्य मंत्रालय से मिले आंकड़ों की माने तो फ्लेवनॉइड्स का वैश्विक बाज़ार 2014 में 347 मीट्रिक टन से बढ़कर 2022 में 412 मीट्रिक टन होने की उम्मीद की जा रही है....वैज्ञानिकों ने दावा किया है कीनयी मेम्ब्रेन तकनीक की मदद से भारत में फ्लावनोईड का आयात काफी कम हो जाएगा क्यूंकि भारत चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। इस नयी तकनीक में चाय का इस्तेमाल फ्लावनोईड के तौर पर किया जाता है...

क्या है फ्लेवोनॉयड्स

फ्लेवोनॉयड्स ऐसे प्राकृतिक पदार्थ है, जो पौधों जैसे फलों और सब्जियों में पाए जाते है। नाशपाती, सेब, बेरीज, प्याज, प्लांट आधारित पेय जैसे चाय और वाइन में भी फ्लैवोनॉएड्स होता है। फ्लेवोनॉयड्स सेहत को कई तरह से फायदे पहुंचाते है। फ्लेवनॉइड्स सूजन को भी कम करने में भी मददगार होते हैं । फ्लेवोनॉयड्स का एक मुख्य स्त्रोत डार्क चॉकलेट भी होता है।

फ्लैवोनॉयड्स से भरपूर खाद्य पदार्थों में प्याज, केले, अंगूर और रेड वाइन, चाय, आड़ू, बेरीज जैसे ब्लूबेरीज, स्ट्रॉबेरीज, टमाटर, ब्रोकली, और ब्लैक टी, सेब, बैंगनी और लाल अंगूर, कोकोआ और चॉकलेट्स

Flavonoids फ्लैवोनॉयड्स के फायदे

फ्लैवोनॉयड्स कई तरह के होते हैं। ये सभी शरीर पर अपने-अपने तरीके से असर डालते हैं। ऐसे पदार्थ जिनमे फ्लावनोईड भरपूर होता है उन्हें अपने खाने में शामिल करने से आप उच्च रक्तचाप की तकलीफ से बचाव होता है। चाय, कॉफी और सोया में पाए जाने वाले फ्लैवोनॉयड्स दिल के दौरे और स्ट्रोक के खतरे को कम करते हैं। जरनल ऑफ ट्रांसलेशनलमेडिसिन में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, जो लोग अपने खाने में फ्लैवोनॉयड्स से भरपूर चीजों को शामिल करते हैं, उनमें कार्डियोवैस्कुलर डिजीज होने का खतरा काफी कम होता है।

8.

इसरो के मार्स ऑर्बिटर मिशनयानी MOM ने पाया है कि पृथ्वी की तुलना में मंगल ग्रह तेजी से अपना वातावरण खो रहा है...यह रिपोर्ट MOM और अमेरिका के MAVEN ऑर्बिटर द्वारा किए गए अध्ययन पर आधारित है...

गोरतलब हो की जून 2018 में एक धूल के तूफान में मंगल ग्रह को घेरना शुरू किया....जिसे “planet-encircling dust event” कहा जाता है...इस तूफान ने मंगल ग्रह के ऊपरी वायुमंडल को गर्म और विस्तारित किया..

जहाँ MOM ने मंगल की सतह से 155 किमी की ऊँचाई तक गोता लगाकर मंगल ग्रह वातावरण का अवलोकन किया....वहीं ऑर्बिटर के MENCA ने तब मंगल थर्मोस्फीयर के तटस्थ घनत्व को मापा...इस अवलोकन के साथ, यह निष्कर्ष निकाला गया है कि मंगल ग्रह का वातावरण गर्म हो रहा और यह विस्तार से गुजर रहा है....बतादें MENCA यानी Mars Exospheric Neutral Composition Analyser ...

एक नज़र में समझते है इन दोनों मिशन्स को...MOM जिसका मुख्य उद्देश्य मंगल ग्रह के वातावरण का अध्ययन करना, मंगल ग्रह की आकारिकी और खनिज विज्ञान का अध्ययन करना, मंगल ग्रह की सतह की विशेषताओं का अध्ययन करना शामिल है....आपको बतादें MOM को 24 सितंबर 2014 को लॉन्च किया गया था....जिससे भारत अपने पहले प्रयास में मार्स मिशन को लॉन्च करने वाला पहला देश है...

वहीँ दूसरी ओर MAVEN..यह मंगल ग्रह का अध्ययन करने के लिए लॉन्च किया गया एक अमेरिकी स्पेसक्राफ्ट है...MAVEN यानी Mars Atmosphere and Volatile Evolution ...फरवरी 2020 में, MAVEN ने मंगल के आयनोस्फीयर के ऊपरी हिस्सों में विभाजन की खोज की थी... यह पृथ्वी के आयनमंडल के समान है..वहीं मई 2020 में, MAVEN ने मंगल के चारों ओर विद्युत धाराओं की मैपिंग की थी...

तो ये थी पिछली सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरें...आइये अब आपको लिए चलते हैं इस कार्यक्रम के बेहद ही ख़ास सेगमेंट यानी इंडिया राउंडअप में.... जहां आपको मिलेंगी हफ्ते भर की कुछ और ज़रूरी ख़बरें, वो भी फटाफट अंदाज़ में...

फटाफट न्यूज़ (India Roundup):

1. भारतीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन के बारे में जानकारी दी. यह समझौता जून 2020 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले भारतीय प्राणि विज्ञान सर्वेक्षण यानी ZSI और कनाडा के एक गैर लाभकारी संगठन ‘इंटरनेशनल बारकोड ऑफ लाइफ’ यानी iBOL के बीच हुआ था। यह दोनों संस्थाएं एक साथ मिलकर डीएनए बारकोडिंग पर काम करेंगी। डीएनए बारकोडिंग एक विशिष्ट जीन से डीएनए के एक छोटे खंड का इस्तेमाल करके प्रजातियों की सटीक पहचान करने की एक विधि है।

2. हाल ही में, नामदफा टाइगर रिज़र्व में मीठे जल वाली एक नई केकड़ा प्रजाति ‘अबाॅर्टेल्फुसा नामदफेंसिस’ (Abortelphusa Namdaphaensis) को खोजा गया है। बता दें कि पूर्वी हिमालयी जैव विविधता हॉटस्पॉट में अरुणाचल प्रदेश के नामदफा और अबोर हिल्स दो बड़े संरक्षित क्षेत्र मौजूद हैं। नामदफा अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिये प्रसिद्ध है। इसे साल 1983 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था.

3. RBI ने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा की। रिवर्स रेपो दर पहले की तरह 3.35 फ़ीसदी और रेपो रेट 4 फ़ीसदी पर बरकरार रहेगी। मौद्रिक नीति की घोषणा मौद्रिक नीति समिति द्वारा की जाती है. यह एक छह सदस्यीय समिति होती है जिसका गठन केंद्रीय सरकार द्वारा किया जाता है। इस समिति का गठन उर्जित पटेल कमिटी की सिफारिश के आधार किया गया था। समिति की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करता है। इसमें तीन सदस्य आरबीआई से होते हैं और तीन अन्य स्वतंत्र सदस्य भारत सरकार द्वारा चुने जाते हैं। आरबीआई के तीन अधिकारीयों में एक गवर्नर, एक डिप्टी गवर्नर तथा एक अन्य अधिकारी शामिल होता है। मौद्रिक नीति निर्धारण के लिए यह समिति साल में चार बार बैठक करती है और सर्वसम्मति से निर्णय लेती है।

4. हाल ही में 100% कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन यानी फंक्शनल हाउसहोल्ड टैप कनेक्शन उपलब्ध कराकर गोवा देश में ‘हर घर जल‘ वाला पहला राज्य बन गया। इस प्रयास के तहत 2.30 लाख ग्रामीण परिवारों को कवर करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में नल कनेक्शन मुहैया कराए गए हैं. यह कदम जल जीवन मिशन के तहत उठाया गया है। जल जीवन मिशन की घोषणा अगस्त 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी. इसका मकसद साल 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में पाइप जलापूर्ति यानी हर घर जल सुनिश्चित करना है।

5. बीते 12 अक्तूबर को भारत की पश्चिमी, उत्तरी और उत्तर-पूर्वी सीमाओं के पास संवेदनशील इलाकों में केंद्रीय रक्षा मंत्री ने 44 प्रमुख स्थायी पुलों को राष्ट्र को समर्पित किया। साथ ही, उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में नेचिफु सुरंग (Nechiphu Tunnel) की आधारशिला भी रखी। D-आकार वाली इस सुरंग की लंबाई 450 मीटर होगी और यह मौजूदा सड़क को बाईपास करेगी। इन सभी पुलों का निर्माण ‘सीमा सड़क संगठन’ यानी BRO द्वारा किया गया है।

6. श्रीकांत दातार (Srikant Datar) को हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल का नए डीन के रूप में नियुक्त किया गया है। श्री दातार भारतीय मूल के प्रसिद्ध शिक्षाविद और अर्थशास्त्री हैं. प्रतिष्ठित हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल के 112 साल के इतिहास में वे 11वें डीन हैं और वे 1 जनवरी, 2021 से पदभार ग्रहण करेंगे।

7. बीते 15 अक्तूबर को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने ‘थैलेसीमिया बाल सेवा योजना’ के दूसरे चरण का शुभारंभ किया। थैलेसीमिया बाल सेवा योजना की शुरुआत साल 2017 में की गई थी। इसका मकसद थैलेसीमिया (Thalassemia) बीमारी से ग्रस्त शोषित समाज के रोगियों के कल्याण के लिए काम करना है.

8. हाल ही में, ‘आगरकर अनुसंधान संस्‍थान’ के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एमएसीएस 6478 (MACS 6478) नामक गेहूँ की किस्‍म से महाराष्ट्र के किसानों की फसल पैदावार दोगुनी होने की बात सामने आई है। ‘अगरकर अनुसंधान संस्थान’ भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान है. गेहूँ की नई विकसित किस्म को उच्च उपज वाला एस्टिवम भी कहा जाता है।

9. राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने इस साल दीपावली त्योहार के अवसर पर ‘कामधेनु दीपावली अभियान’ मनाने के लिये एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करने की घोषणा की है। इस अभियान का मकसद गाय के गोबर से निर्मित उत्पादों को बढ़ावा देना है। गाय के गोबर से दीपक, मोमबत्तियाँ, अगरबत्ती, पेपरवेट, देवी-देवताओं की मूर्तियाँ आदि बनाए जा सकते हैं। बता दें कि राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की घोषणा केंद्रीय बजट 2019-20 में की गई थी।

10. बीते 15 अक्तूबर को मलयालम के प्रसिद्ध कवि और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता अक्कीतम अच्युतन नंबूदिरी का देहांत हो गया है। वे 94 वर्ष के थे. उनका जन्म 18 मार्च, 1926 को केरल में हुआ था. अच्युतन नंबूदिरी ने बचपन में ही संस्कृत, संगीत और ज्योतिष की शिक्षा हासिल कर ली थी। नंबूदिरी एकमात्र जीवित कवि थे जिन्हें मलयालम के महाकवि का दर्जा प्राप्त था।

तो इस सप्ताह के इण्डिया दिस वीक कर्यक्रम में इतना ही। परीक्षा के लिहाज़ से ज़रूरी और भी तमाम महत्वपूर्ण ख़बरों के लिए सब्सक्राइब कीजिए हमारे यूट्यूब चैनल ध्येय IAS को। नमस्कार।