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Blog / 23 Dec 2019

(India This Week) Weekly Current Affairs for UPSC, IAS, Civil Service, State PCS, SSC, IBPS, SBI, RRB & All Competitive Exams (14th - 20th December 2019)

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(India This Week) Weekly Current Affairs for UPSC, IAS, Civil Service, State PCS, SSC, IBPS, SBI, RRB & All Competitive Exams (14th - 20th December 2019)



इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम का मक़सद आपको हफ्ते भर की उन अहम ख़बरों से रूबरू करना हैं जो आपकी परीक्षा के लिहाज़ से बेहद ही ज़रूरी है। तो आइये इस सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरों के साथ शुरू करते हैं इस हफ़्ते का इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम...

न्यूज़ हाईलाइट (News Highlight):

  • नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को लेकर प्रदर्शन तेज़। कई राज्यों ने किया नए नागरिकता क़ानून को अपने यहां लागू करने से इंकार
  • सर्वोच्च न्यायालय ने ख़ारिज़ की किसी राज्य में जनसंख्या के आधार पर समुदायों को अल्पसंख्यक दर्जा दिए जाने की जनहित याचिका। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे के नेतृत्व वाले तीन जजों की पीठ ने कहा कि धर्म को माना जाना चाहिए अखिल भारतीय
  • वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने जारी किया ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2020। पिछले साल के मुकाबले भारत की रैंकिंग में आई है चार अंकों की गिरवाट
  • उत्तर प्रदेश के कानपुर में आयोजित हुई राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की इस बैठक की अध्यक्षता
  • अब उपभोक्ताओं के लिए चौबीस घंटे उपलब्ध होगा नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर NEFT । NEFT प्रणाली के ज़रिए अब ऑनलाइन पैसे भेजने के लिये बचत खाता धारकों से नहीं लिया जायेगा कोई शुल्क
  • संसदीय समिति ने प्रस्तुत की भारत में आर्गेनिक उपज संबंधी अपनी सिफारिश। आर्गेनिक खेती के मामले में है भारत दुनिया का 9वाँ सबसे बड़ा देश
  • संचार मंत्रालय ने शुरू किया राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड अभियान। 2022 तक देश के सभी गांवों में ब्रॉडबैंड पहुंचाकर मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना है इस योजना का मक़सद

खबरें विस्तार से:

1.

इन दिनों देश में नागरिकता को लेकर काफी बहस चल रही है। देश की राजधानी से लेकर भारत के कई अलग - अलग हिस्सों में हाल ही में आए नए नागरिकता क़ानून का विरोध हो रहा है। ऐसे में अब कई राज्यों ने इस क़ानून को अपने यहां लागू करने से भी इंकार कर दिया है। इन राज्यों में मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, पंजाब, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य शामिल हैं। दरअसल नागरिकता संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत संघ सूची का विषय है और इस पर सिर्फ संसद को ही क़ानून बनाने का अधिकार है। ऐसे में नागरिकता क़ानून में हुए बदलाव अब सभी राज्यों पर लागू होते हैं, क्यूंकि राज्य के पास ऐसा कोई भी अधिकार नहीं है कि वो केंद्र की सूची में आने वाले विषय यानी नागरिकता से जुड़े मामले पर कोई अपना फ़ैसला कर सकें। हालाँकि मौजूदा वक़्त में राज्य सरकारों द्वारा किए जा रहे इस क़ानून के विरोध के चलते एक बार फिर से केंद्र राज्य संबधों में तल्ख़ी देखने को मिल सकती हैं।

नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को लेकर विरोध कर रहीं राज्य सरकारें इस मसले पर ज़्यादा हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं। दरअसल राज्य सरकार, संस्था या कोई ट्रस्ट इस क़ानून पर सवाल नहीं उठा सकता। क्यूंकि नागरिकता का मसला किसी व्यक्ति विशेष से जुड़ा होता है। ऐसे में कोई व्यक्ति ही इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठा सकता है और इस न्यायालय में चुनौती दे सकता है। इस मामले में अब न्यायालय की शरण में जा रहे लोगों को ये साबित करना होगा कि आखिर कैसे ये क़ानून अनुच्छेद 14 के साथ - साथ संविधान के मूलभूत ढांचे को बदल सकता है।

देखा जाए तो भारतीय संविधान एक संघीय संविधान है। ऐसे में संविधान की सातवीं अनुसूची में केंद्र और राज्य की शक्तियों में बंटवारा किया गया है। केंद्र और राज्य की शक्तियों में बंटवारे के ज़िक्र के लिए तीन सूची का निर्माण किया गया है। इनमें राज्य सूची, समवर्ती सूची और संघ सूची में शामिल है। बता दें कि राष्ट्रीय महत्व से जुड़े विषयों को संघ सूची यानी Union Catalog में शामिल किया गया है। संघ सूची में शामिल विषयों से जुड़े मामलों पर कानून बनाने का अधिकार संसद को प्रदान किया गया है। इसके अलावा राज्य सूची यानी State list में क्षेत्रीय महत्व से जुड़े विषयों को अहमियत देते हुए संविधान द्वारा कानून बनाने का अधिकार राज्य विधानमंडल को प्रदान किया गया है। जबकि समवर्ती सूची यानी Concurrent List में उन विषयों को शामिल किया गया है, जिस पर राज्य और केंद्र दोनों ही कानून बना सकते हैं। समवर्ती सूची में यदि दोनों सरकारों द्वारा बनाये गए कानून में कोई गतिरोध उत्पन्न होता है तो ऐसी दशा में केंद्र सरकार के क़ानून को मान्यता प्रदान की गयी है। समवर्ती सूची में शामिल विषयों पर केंद्र सरकार द्वारा बनाये गए कानून को लागू करते ही राज्य सरकार का कानून स्वतः ही समाप्त मान लिया जाता है, इसके लिए किसी भी प्रकार की अधिसूचना जारी नहीं की जाती है।

बात अगर संघ सूची के विषयों की करें तो मौजूदा वक़्त में कुल 100 विषय शामिल हैं। इनमें मुख्य रूप से सेना, रक्षा , विदेशी मामले , रेल, डाक, बचत, परमाणु ऊर्जा ,नागरिकता ,संचार ,मुद्रा ,भारतीय रिजर्व बैंक ,बैंकिंग बीमा स्टॉक विनिमय और जनगणना जैसे कई और भी महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं। इसके अलावा राज्य सूची के विषयों में मौजूदा समय में 61 विषयों को सम्मिलित किया गया है। इनमें न्यायालय ,राज्य पुलिस ,जिला अस्पताल, सफाई, पशु , सिंचाई , कृषि, सड़क, वन, रेलवे पुलिस, और वन आदि जैसे विषय शामिल हैं। समवर्ती सूची के विषयों में भी मौजूदा वक़्त में कुल 52 विषय शामिल हैं। इनमें मुख्य रूप से शिक्षा, दीवानी एवं फौजदारी मुकदमे, श्रम कल्याण, कारखाने, समाचार पत्र, वन, आर्थिक एवं सामाजिक नियोजन, प्रदूषण नियंत्रण, और परिवार नियोजन जैसे कई अहम विषय शामिल हैं।

2.

सर्वोच्च न्यायालय ने किसी विशेष राज्य में जनसंख्या के आधार पर धार्मिक समुदाय को अल्पसंख्यक दर्जा दिए जाने की जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। जनहित याचिका को खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकान्त की पीठ ने कहा कि धर्म को अखिल भारतीय माना जाना चाहिए। इसके अलावा पीठ ने ये भी कहा कि धर्म राजनीतिक सीमाओं को नहीं मानता है। साथ ही लक्षद्वीप जैसी जगहों पर भी मुस्लिम हिंदू कानून का पालन करते हैं।

याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 की धारा 2(C) के अंतर्गत 23 अक्तूबर, 1993 को जारी एक अधिसूचना के विरोध में याचिका दायर की थी। दरअसल इस अधिसूचना में केंद्र सरकार ने मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध, पारसी को अल्पसंख्यक घोषित किया था। याचिकाकर्त्ता का कहना था कि सरकार ने ये अधिसूचना अल्पसंख्यक की परिभाषा तय किये बिना और इस संबंध में बिना कोई भी निर्देश जारी किए की थी। साथ ही याचिकाकर्त्ता ने टी.एम.ए. पाई फाउंडेशन मामले का उल्लेख़ करते हुए भी अल्पसंख्यक का दर्जा निर्धारित करने वाली इकाई में राज्य को भी आधार बनाया गया है।

याचिकाकर्ता का कहना ये भी रहा है कि देश के कई हिस्सों में हिन्दू अल्पसंख्यक बन कर रहे हैं। इनमें लक्षदीप में 2.5 फीसदी, मिजोरम में 2.75 फीसदी, नगालैंड में 8.75 फीसदी, मेघालय में 11 फीसदी के अलावा और केंद्र शासित राज्य जम्मू-कश्मीर में हिन्दुओं की आबादी सिर्फ 28 फीसदी है। इसके अलावा कुछ अन्य राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश में 29 फीसदी, मणिपुर में 31 फीसदी और पंजाब में 38.40 फीसदी हिन्दू ही रहते हैं। याचिकाकर्ता के मुताबिक़ देश के इन आठ राज्यों में रहने वाले हिंदू अल्पसंख्यक हैं। जबकि इन इलाकों में रहने वाले अल्पसंख्यक अधिकार वहां बहुसंख्यक लोग अनधिकृत तरीके से ले रहे हैं

संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के मुताबिक़ एक ऐसा समुदाय जिसका सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से कोई प्रभाव न हो और उसकी आबादी भी न के बराबर हो हो, उसे अल्पसंख्यक कहा जाएगा। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय कानून में इस बात का भी ज़िक्र है कि अल्पसंख्यक ऐसे समूह हैं जिनके पास विशिष्ट और स्थिर जातीय धार्मिक और भाषायी विशेषताएँ मौजूद हैं। देखा जाए तो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29, 30, 350A तथा 350B में ‘अल्पसंख्यक’शब्द का इस्तेमाल किया गया है लेकिन इसकी परिभाषा का कहीं कोई ज़िक्र नहीं है । 1992 के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम की धारा 2(c) के तहत 23 अक्तूबर, 1993 को सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर पाँच समुदायों को अल्पसंख्यक का दर्ज़ा दिया था। इनमें मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, पारसी और बौद्ध समुदाय के लोग शामिल हैं। बाद में 2014 में जैन समुदाय को भी अल्पसंख्यक की श्रेणी में शामिल किया गया।

3.

बीते दिनों वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट 2020 जारी कर दिया। 153 देशों की इस सूची में भारत को 112 वें पायदान पर रखा गया है। WEF द्वारा जारी इस रिपोर्ट में भारत में लिंगानुपात नाइंटी वन रेश्यो हंड्रेड का रहा है। देखा जाए तो साल 2018 के वैश्विक लैंगिक असमानता सूचकांक के मुकाबले भारत की रैंकिंग में इस साल चार अंकों की गिरवाट दर्ज़ की गई है। जबकि पिछले दो सालों से भारत इस सूची में 108वें स्थान पर रहा है। बता दें कि WEF द्वारा जारी होने वाले ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2019 में आइसलैंड को पहले पायदान पर रखा गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ आइसलैंड में लड़कियों और महिलाओं के प्रति किसी प्रकार का लिंगभेद या अन्य कोई भेदभाव नहीं होता है।

वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा जारी की जाती है। WEF कुल चार मानकों के आधार पर ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स मापता है। इनमें स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता राजनीतिक सशक्तीकरण शिक्षा का अवसर आर्थिक भागीदारी और अवसर जैसे मानक शामिल हैं। भारत की इस साल की इन आधारों पर रैंकिंग पर नज़र डाले तो भारत 112वें स्थान पर हैं। महिला स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता तथा आर्थिक भागीदारी के मामले में भारत इस सूची में नीचे के पाँच देशों में शामिल रहा है। इसके अलावा स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता के मामले में भी भारत का प्रदर्शन काफी ख़राब रहा है और भारत को 150वाँ स्थान मिला है। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ दुनिया के चार बड़े देशों भारत, विएतनाम, चीन और पाकिस्तान में अभी भी करोड़ों की संख्या में ऐसी महिलाएँ हैं जिन्हें पुरुषों के मुक़ाबले स्वास्थ्य सुविधाएँ नहीं मिल पा नहीं हैं। राजनीतिक सशक्तीकरण और भागीदारी के मामले में भारत का प्रदर्शन बेहतर रहा है और भारत को इसमें 18वाँ स्थान मिला है। हालाँकि रिपोर्ट में ये भी बताया गया है की भारतीय राजनीति में आज भी महिलाओं की सक्रिय भागीदारी की काफी कमी है। शिक्षा के अवसर के मामले में महिलाओं के लिये शैक्षिक अवसरों की मौजूदगी के मामले में भारत को दुनिया में 112वे स्थान पर रखा गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि महिला साक्षरता के मामले में भारत का प्रदर्शन बेहद ही निराशाजनक है। रिपोर्ट में ज़िक्र है कि दरअसल भारत में पुरुषों के मुकाबले केवल दो-तिहाई महिलाएँ ही साक्षर हो पाती है। आर्थिक भागीदारी और अवसर के मामले में भी भारत में महिलाओं के लिये सक्रिय भागीदारी के अवसरों में कमी आई है। भारत को इस मामले में दुनिया भर में144वाँ स्थान मिला है।

भारत के लिए दो महत्वपूर्ण बिंदु हैं, जिन पर हम न सिर्फ बहुत कमजोर हैं, बल्कि इसके ठीक होने की सूरत भी नजर नहीं आ रही है- एक है महिला सुरक्षा और दूसरा है अलग - अलग क्षेत्रों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व। इस सूची में दक्षिण एशियाई देशों में बांग्लादेश का प्रदर्शन बेहद अच्छा उभर कर सामने आया है। सूची में बांग्लादेश 50वें स्थान पर है। नेपाल 101वें, श्रीलंका 102वें, भारत 112वें, मालदीव 123वें और भूटान 131वें स्थान पर है। लैंगिक समानता के मामलों में 153 देशों की सूची में पाकिस्तान का स्थान 151वां है। इससे ख़राब हालत केवल क्रमशः इराक और यमन की है। इन सातों देशों में महिलाओं की संख्या कुल मिलाकर 86 करोड़ है जिनमें से तीन चौथाई भारतीय हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व में लैंगिक असमानता के मामले में मध्य पूर्व और उत्तर अफ्रीका के बाद दक्षिण एशिया तीसरे स्थान पर है। श्रीलंका को छोड़कर दक्षिण एशिया के बाकी 6 देशों की संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बीस फीसदी या इससे भी कम है। WEF की रिपोर्ट की मानें, तो कुछ आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में लिंगभेद घट तो रहा है, लेकिन आज भी हर जगह थोड़ा-बहुत ही सही, महिलाओं एवं पुरुषों के बीच कुछ प्रमुख़ क्षेत्रें मसलन शिक्षा, स्वास्थ्य, कार्यस्थल और राजनीति में भेदभाव मौजूद है। डब्ल्यूइएफ ने कहा है कि साल 2019 के आंकड़ों के मुताबिक, इस भेदभाव को दूर करने में 99.5 साल का वक़्त लगेगा, जबकि साल 2018 में यह समय 108 साल बताया गया था।

4.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों उत्तर प्रदेश के कानपुर में आयोजित राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में केंद्रीय मंत्रियों समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगा का कायाकल्प देश के लिये लम्बे वक़्त से एक बड़ी चुनौती का विषय रहा है। इसके अलावा इस बैठक में स्वच्छता, अविरलता और निर्मलता पर फोकस रखते हुए गंगा नदी की स्वच्छता से जुड़े अलग - अलग पहलुओं पर कामों की प्रगति की समीक्षा की गई है।

बैठक में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत किये गए कामों पर विशेष रूप से चर्चा की गई है। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने गंगा से जुड़े आर्थिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ नमामि गंगे को अर्थ गंगा जैसे एक सतत् विकास मॉडल में परिवर्तित करने का भी आग्रह किया है। बता दें कि सतत् विकास मॉडल अर्थ गंगा के तहत किसानों को टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा। इसमें शून्य बजट खेती, फलदार वृक्ष लगाना और गंगा के किनारों पर पौध नर्सरी का निर्माण करने जैसे काम शामिल होंगे। इसके अलावा जल से संबंधित खेलों के लिये बुनियादी ढाँचे का विकास, शिविर स्थलों का निर्माण और साइकिलिंग व टहलने के लिये ट्रैकों के बनाए जाने जैसे काम भी सतत् विकास मॉडल अर्थ गंगा में शुमार हैं। इन सभी के चीज़ों के विकास से नदी बेसिन क्षेत्रों में धार्मिक और साहसिक पर्यटन जैसी महत्त्वपूर्ण पर्यटन क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी। कहा जा रहा है कि पारिस्थितिक पर्यटन, गंगा वन्यजीव संरक्षण और क्रूज पर्यटन को बढ़ावा मिलने से अधिक धनराशि इकठ्ठा की जा सकेगी जो कि आर्थिक रूप से गंगा स्वच्छता में काफी मदद मिलेगी। नमामि गंगे और अर्थ गंगा के जैसी अलग - अलग योजनाओं और पहलों की काम का जायज़ा लेने के लिए प्रधानमंत्री ने एक डिजिटल डैशबोर्ड की स्थापना के भी निर्देश दिये। डिजिटल डैशबोर्ड के ज़रिए नीति आयोग और जल शक्ति मंत्रालय द्वारा प्रतिदिन गाँवों और शहरी निकायों के काम की प्रगति और गतिविधियों से जुड़े डेटा की निगरानी संभव हो सकेगी।

गंगा नदी को प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए सरकार द्वारा समय - समय पर कई क़दम उठाए गए हैं। इनमें 1985 में पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा लाई गई पहली नदी कार्ययोजना गंगा एक्शन प्लान। साल 2009 में बना राष्ट्रीय नदी गंगा बेसिन प्राधिकरण। 2014 में शुरू हुआ नमामि गंगे कार्यक्रम और साल 2016 में राष्ट्रीय गंगा परिषद की स्थापना की गई। दरअसल इस राष्ट्रीय गंगा परिषद का काम सम्पूर्ण गंगा बेसिन को विकसित, निर्देशित व नियंत्रित करना है। इसके अलावा इस परिषद का उदेदश्य गंगा नदी का संरक्षण करना है। इसके और पहलुओं से आपको रूबरू कराएं तो इस परिषद के चेयरमैन प्रधानमंत्री होते है और वो ही इसकी अध्यक्षता करते हैं।

5.

आंध्र प्रदेश सरकार ने बीते दिनों हैदराबाद में हुए सामूहिक दुष्कर्म के बाद एक बेहद ही अहम फैसला लिया है। आंध्र प्रदेश सरकार ने दुष्कर्म के बढ़ते मामलों को देखते हुए आंध्र प्रदेश अपराध कानून में संशोधन किया है। संशोधन के बाद आंध्र प्रदेश दिशा कानून 2019 के तहत राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े मामलों का निपटारा 21 दिन के भीतर करने का प्रावधान किया गया है। साथ ही जघन्य अपराध जैसे मामलों में दोषी को फांसी की सजा दिए जाने का भी प्रावधान किया गया है। बता दें कि इस प्रस्तावित नए कानून का नाम आंध्र प्रदेश दिशा अधिनियम आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 2019 रखा गया है।

इस क़ानून के तहत फैसला सुनाने की समयसीमा को मौजूदा चार महीने से घटाकर 21 दिन कर दिया है। इस क़ानून प्रावधान है कि मामले से संबंधित जाँच एक सप्ताह के भीतर और परीक्षण का काम दो सप्ताह के भीतर ही समाप्त हो जाना चाहिये। साथ ही 21 दिनों के ही भीतर दोषी को सज़ा मिलनी चाहिये। इसके अलावा इस कानून में बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण के आरोपियों की सजा को भी बढ़ाने का प्रावधान किया गया है। अब बच्चों के साथ दुष्कर्म के मामले में पाँच वर्ष की सज़ा को बढ़ाकर दस वर्ष से उम्रकैद में तब्दील करने का प्रस्ताव किया गया है। साथ ही सोशल या डिजिटल मीडिया के जरिए होने वाले शोषण के मामले में भी आरोपी को पहली मर्तवा दो साल और दूसरी बार ऐसे अपराध करने पर चार साल की सजा का प्रावधान इस क़ानून में किया गया है। इस कानून के तहत सभी ज़िलों में विशेष अदालतें गठित किए जाने का भी प्रावधान है। ये विशेष अदालतें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अत्याचार के मामलों में मुकदमा चलाएंगी।

6.

भारत सरकार महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर एक गांधी विश्वकोश यानी गांधी इनसाइक्लोपीडिया विकसित कर रही है। भारत सरकार गांधी विश्वकोश की समाज में जागरूकता फैलाने के मक़सद से विकसित कर रही है। दरअसल गांधी इनसाइक्लोपीडिया का मुख्य उद्देश्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के ज़रिए गांधीवादी दर्शन और विचारों को बढ़ावा देना है। संस्कृति मंत्रालय द्वारा मंज़ूरी मिलने के बाद ये इनसाइक्लोपीडिया राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद कोलकाता द्वारा विकसित किया जा रहा है।

भारत सरकार ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर 5.25 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता को मंज़ूरी दे दी है। गांधी विश्वकोश का मक़सद सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के ज़रिए से गांधीवादी दर्शन और विचारों को बढ़ावा देना है। आपको बता दें कि राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद एक स्वायत्त संगठन है जो संस्कृति मंत्रालय के तहत काम करता है। इस संगठन का मूल उद्देश्य विज्ञान संचार है। यह विज्ञान संचार के क्षेत्र में एक प्रमुख संस्थान है, जिसका मुख्यालय कोलकाता, पश्चिम बंगाल में है। मौजूदा वक़्त में देश में लगभग 24 ऐसे संग्रहालय मौजूद हैं। इन परिषदों की स्थापना का मक़सद देश में सभी अनौपचारिक विज्ञान संचार गतिविधियों का समन्वय करना है।

7.

भारतीय रिज़र्व बैंक RBI ने नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर NEFT को अब चौबीस घंटे संचालन के लिये उपलब्ध कर दिया है। RBI ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वो अब NEFT प्रणाली के ज़रिए ऑनलाइन पैसे भेजने के लिये बचत खाता धारकों से कोई शुल्क न लें । बता दें कि अगस्त, 2019 में मौद्रिक नीति समिति की बैठक के दौरान NEFT प्रणाली को लेकर ये ऐलानकिया गया था कि दिसंबर 2019 से NEFT की सुविधा सप्ताह के सभी दिन 24 घंटे उपलब्ध रहेगी। हमारी इस ख़ास रिपोर्ट में समझिए कि NEFT प्रणाली क्या है और इसके फायदे क्या हैं ?

NEFT का पूरा नाम नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर है । ये प्रणाली वर्ष 2005 में शुरू की गई थी । नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर देश के प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक धन हस्तांतरण प्रणालियों में से एक है। बीते कुछ सालों में NEFT प्रणाली की लोकप्रियता काफी बढी है और इसके ग्राहकों की संख्या में भी तेज़ी आई है। इसकी शुरुआत नवंबर 2005 में की गई थी। NEFT प्रणाली के तहत कोई व्यक्ति, फर्म और कॉरपोरेट दूसरी बैंक शाखा में खाता रखने वाले किसी भी व्यक्ति, फर्म या कॉरपोरेट के बैंक खाते में इलेक्ट्रॉनिक रूप से पैसे भेज सकता है। बता दें कि NEFT के ज़रिए ग्राहक अब किसी भी वक़्त NEFT प्रणाली के ज़रिए निःशुल्क के पैसे भेज सकते हैं, जबकि बैंक चेक और डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से धन स्थानांतरण के लिये शुल्क लिया जाता है। इसके अलावा RBI भुगतान प्रणाली वाले देशों के उस क्लब में शामिल हो गया है जो चौबीसों घंटे किसी भी मूल्य के धन हस्तांतरण और निपटान में सक्षम हैं।

8.

हाल ही में राज्यसभा सदस्य वी विजयदेसाई रेड्डी वाली 31 सदस्यीय संसदीय समिति ने भारत में आर्गेनिक उपज संबंधी अपनी सिफारिश सदन में प्रस्तुत की। समिति की सिफारिश का विषय ‘एक्सपोर्ट ऑफ आर्गेनिक प्रोडक्टस चैलेंज एंड अपरच्युनिटी विषय पर आधारित थी। समिति ने जैविक खेती की चुनौतियों पर चर्चा की, जिसके तहत छोटी जोत, अधिक लागत, बायो फर्टिलाइजर, बायो पेस्टिसाइड व अन्य खादों का महंगा होना शामिल है। आर्गेनिक खेती के मामले पर भारत दुनिया का 9वाँ सबसे बड़ा देश है जिसमें सर्वाधिक लघु व सीमांत किसान लगे हैं।

इस सिफारिश में समिति ने कॉमर्स, कृषि व किसान कल्याण, फूड प्रोसेसिंग इंडस्टंीज, टेक्सटाइल, राज्य सरकारें, जैविक किसान संगठनों और एजेंसियों के साथ रिसर्च, टेंड और निर्यात संगठनों पर चर्चा की। समिति ने पाया कि विश्व बाजार में जैविक उत्पादों की जबर्दस्त मांग है। मार्च 2019 तक जैविक खेती का रकबा 34 लाख हेक्टेयर है। वर्ष 2017-18 के दौरान 17 लाख टन जैविक उपज का उत्पादन हुआ। इसी परिप्रेक्ष्य में 6.40 लाख टन का निर्यात किया गया। जिससे भारत को 5,150 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई है। वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी मात्र 0.55 % है तथा भारत में कुल खेती में सिर्फ तीन प्रतिशत हिस्से पर जैविक खेती होती है।

आपको बता दें कि जैविक खेती एक ऐसी पद्धति है, जिसमें रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और खरपतवारनाशियों के स्थान पर जीवांश खाद पोषक तत्वों जैसे गोबर की कम्पोस्ट, हरी खाद, जीवाणु कल्चर, और जैविक खाद आदि के अलावा जैव नाशियों यानी बायो-पैस्टीसाइड व बायो एजेन्ट जैसे क्राईसोपा आदि का उपयोग किया जाता है। इनके इस्तेमाल से न सिर्फ ज़मीन की उर्वरा शक्ति लम्बे समय तक बनी रहती है, बल्कि पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होता इसके साथ ही कृषि लागत घटने व उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ने से कृषक को अधिक फायदा भी मिलता है।

9.

हरियाणा पुलिस ने बीते दिनों आपराधिक जाँच को छेड़छाड़ से बचाने के लिए एक ट्रेकिया नाम के सॉफ्टवेयर को अपनाया है। ट्रेकिया नाम का ये सॉफ्टवेयर एक फोरेंसिक साक्ष्य प्रबंधन प्रणाली है। ये सॉफ्टवेयर बारकोडिंग के ज़रिए फोरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा आपराधिक घटनास्थल से महत्त्वपूर्ण सैंपलों को जुटाते वक़्त ही आपराधिक जाँच से जुड़े सभी कामों में मदद करेगा। बता दें कि ये सॉफ्टवेयर जेल में बंद एक कैदी द्वारा विकसित किया गया है। दरअसल ये कैदी एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है जिस पर अपनी पत्नी की हत्या करने का आरोप लगा है।

देश में जब कहीं भी कोई अपराध होता है तो इस दौरान अपराध से जुड़े अलग - अलग दस्तावेजों को शामिल किया जाता है। इनमें मुख्य रूप से अपराध या उस अपराध के मामले की FIR संख्या और पुलिस थाना। इसके आलावा अपराध में पीड़ित व्यक्ति, आरोपी और चिकित्सा अधिकारी आदि का नाम व पते जैसे जानकारियों को शामिल किया जाता है। इसके अलावा इसमें DNA सैंपल, लिखित प्रमाण और प्राक्षेपिक यानी (Ballistics) परीक्षणों के अलावा सीरम विज्ञान यानी (Serology), जीव विज्ञान, विष विज्ञान और झूठ का पता लगाने से जुड़ी रिपोर्टें भी किसी आपराधिक घटना की जाँच के वक़्त शामिल हो सकती हैं। इन सभी महत्वपूर्ण साक्ष्यों के आधार किसी घटना की जाँच आसानी से की जाती है। लेकिन इन सभी सैंपलों को इकट्ठा करते वक़्त फोरेंसिक विशेषज्ञ कई चरणों से होकर गुज़रते है। ऐसे में इस अपराध को अंजाम देने वाला शख़्स अपने प्रभुत्व का इस्तेमाल कर सैंपलों और जानकारियों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है ताकि फोरेंसिक रिपोर्ट में उसे दोषी न क़रार दिया जाए।

जांच की इसी मौजूदा प्रणली को बदलने के लिए इस ट्रेकिया नाम के सॉफ्टवेयर को विकसित किया गया है। दरअसल फोरेंसिक रिपोर्ट की सुरक्षा के लिये इस सॉफ्टवेयर में में दो-चरणों वाली बार-कोडिंग की विशेषता को शामिल किया गया है जो कि सैंपल की गोपनीयता बनाए रखने में सक्षम है। इसके अलावा ये ऑटोमैटिक तरीके से ई-मेल और SMS सूचनाओं के ज़रिए रिपोर्ट की स्थिति के संदर्भ में वास्तविक समय (Real Time) की जानकारी देगा, जिससे वास्तविक साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ की संभावना लगभग ख़त्म हो जाएगी। साथ ही ये सॉफ्टवेयर के ज़रिए अपराध से जुड़े नमूनों, दस्तावेज़ों या पार्सल आदि पर किसी भी केस का ज़िक्र नहीं होगा। ये सब कुछ सिर्फ बार कोड के ही तहत सम्भव होगा जिसे केवल बायोमेट्रिक सिस्टम के ज़रिए ही पढ़ा जा सकता है। इसके अलावा इस सॉफ्टवेयर के ज़रिए न सिर्फ फोरेंसिक टीमों का चयन रैंडम तरीके से किया जाता है। बल्कि ये सॉफ्टवेयर अपराधिक घटना स्थल से जुटाए गए नमूनों और फोरेंसिक लैब द्वारा विश्लेषित रिपोर्ट की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है। इस सॉफ्टवेयर का हरियाणा पुलिस द्वारा अपनाए जाने का मक़सद फोरेंसिक रिपोर्टों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और इन रिपोर्टों की छेड़छाड़ मुक्त ट्रैकिंग प्रणाली विकसित करना है।

10.

संचार मंत्रालय ने बीते दिनों राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड अभियान की शुरुआत की। इस मौके पर केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस अभियान का मक़सद 2022 तक देश के सभी गांवों में ब्रॉडबैंड पहुंचाकर मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी को बेहतर करना है। साथ ही डेटा की स्पीड को बढ़ाना भी इस योजना के मकसदों में शुमार है। इस मिशन को कामयाब बनाने के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों का सहयोग भी मांगा है। आपको बता दें कि ये अभियान, राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति, 2018 का ही हिस्सा है। दरअसल अभी तक भारतनेट कार्यक्रम के ज़रिए ब्रॉडबैंड सेवाएँ सिर्फ 1 लाख 42 हज़ार गाँवों के ब्लॉकों तक ही पहुँच पाईं हैं।

राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड अभियान के मुख्य रूप से तीन मक़सद हैं। इनमें सभी के लिये ब्रॉडबैंड की उपलब्धता, बेहतर डेटा स्पीड और किफायती सेवा जैसे मक़सद शामिल हैं। देखा जाए तो इस मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों समेत देश के हर हिस्से में साल 2022 तक ब्रॉडबैंड सेवा को उपलब्ध कराना है। इसके अलावा राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड अभियान के तहत साल 2024 तक टावर घनत्व प्रति एक हजार की आबादी पर 0.42 से बढ़ाकर 1.0 करना, मोबाइल और इंटरनेट सेवा की गुणवता बेहतर करना और राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के साथ मिलकर काम करने के लिये राइट ऑफ वे मॉडल विकसित करना है।

बता दें कि इस अभियान के तहत पूरे देश के लिये डिजिटल फाइबर मानचित्र तैयार किया जाएगा। इसमें संचार नेटवर्क व अवसंरचना, आप्टिक फाइबर केबल, और टावर को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा इसमें हितधारकों द्वारा 100 बिलियन डॉलर का निवेश होगा जिसमें यूनिवर्सल सर्विस आब्लिगेशन फंड USOF का भी 70 हज़ार करोड़ रुपए का निवेश शामिल है। यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड के बारे में आपको बताएं तो इसका गठन साल 2002 में दूरसंचार विभाग के तहत किया गया था। USOF ग्रामीण और दूरदराज़ के इलाकों में लोगों तक सस्ती और गुणवत्तापूर्ण सूचना और संचार प्रौद्योगिकी सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करता है। इस फंड के लिये संसदीय अनुमोदन की ज़रूरत होती है जो इसे भारतीय टेलीग्राफ (संशोधन) अधिनियम, 2003 के तहत मिली हुई है।

तो ये थी पिछली सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरें...आइये अब आपको लिए चलते हैं इस कार्यक्रम के बेहद ही ख़ास सेगमेंट यानी इंडिया राउंडअप में.... जहां आपको मिलेंगी हफ्ते भर की कुछ और ज़रूरी ख़बरें, वो भी फटाफट अंदाज़ में...

फटाफट न्यूज़ (India Roundup):

1- लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान SSLV के लिए इसरो को मिली सरकार से 11.97 करोड़ रुपये के प्रस्ताव पर मंजूरी। लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान का छोटे वाणिज्यिक उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने के मकसद से किया जा रहा है विकास।

लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान SSLV के माध्यम से छोटे उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा जाना सुगम होगा। इसके माध्यम से प्रक्षेपण ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) की तुलना मे कम खर्चीला होगा। इसके माध्यम से 500 किलोग्राम भार तक के उपग्रह को निचली कक्षा में स्थापित किया जा सकेगा। इसरो की वेबसाइट से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने अब तक 33 देशों के 319 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेज चूका है।

2- जमैका के टोनी-एन सिंह को मिला मिस वर्ल्ड 2019 का ख़िताब। लंदन में आयोजित इस सौंदर्य स्पर्धा में भारत की सुमन राव रहीं तीसरे स्थान पर ।

16 दिसंबर को मनाया गया विजय दिवस। 16 दिसम्बर 1971 भारत-पाक युद्ध के दौरान भारत ने पाकिस्तान पर हासिल की थी विजय। तब से उसी जीत को पूरा हिन्दुस्तान 'विजय दिवस' के रूप में मनाता है।

3- सुरक्षित आंतरिक उपयोग के लिये भारत सरकार कर रही है एक सरकारी इंस्टेंट मैसेजिंग सिस्टम GIMS का परीक्षण। कई राज्यों में हो रहा है इस इंस्टेंट मैसेजिंग सिस्टम का पायलट प्रोजेक्ट के रूप में परीक्षण

इसे राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र NIC की केरल यूनिट द्वारा तैयार किया गया है। इसे केंद्र और राज्य सरकार के विभागों और संगठनों में काम करने वाले कर्मचारियों के बीच संचार के लिये विकसित किया गया है। इसके ज़रिए एकल और समूह संदेश के अलावा सरकारी तंत्र में हाई रेर्की को ध्यान में रखते हुए दस्तावेज़ और मीडिया साझाकरण का भी प्रावधान हैं।

4 - पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने की सतत् तटीय प्रबंधन के लिये राष्ट्रीय केंद्र NCSCM की स्थापना। चेन्नई में तटीय संसाधनों और पर्यावरण सहित तटीय प्रबंधन के क्षेत्र में अध्ययन और अनुसंधान के लिये की गई स्थापना

इसमें भू-स्थानिक विज्ञान, रिमोट सेंसिंग और भौगोलिक सूचना प्रणाली, तटीय पर्यावरण प्रभाव आकलन, तटीय एवं समुद्री संसाधनों का संरक्षण जैसे कई अलग -अलग अनुसंधान विभाग शामिल हैं। इस केंद्र का मक़सद पारंपरिक तटीय और द्वीपीय समुदायों के फायदे और बेहतरी के लिये भारत में तटीय और समुद्री क्षेत्रों के एकीकृत व स्थायी प्रबंधन को बढ़ावा देना है।साथ ही जनभागीदारी, संरक्षण प्रथाओं, वैज्ञानिक अनुसंधान और ज्ञान प्राप्ति के ज़रिए से स्थायी तटों को बढ़ावा देना और आने वाली पीडियों के साथ साथ मौजदा पीढ़ी का कल्याण करना है।

5 - कोयला मंत्रालय ने किया देश में कोयला खनन को पर्यावरण के दृष्टिकोण से सतत् बनाने के लिए सतत् विकास सेल स्थापित करने का फैसला। खनन कामों के बंद होने के बाद पर्यावरण को होने वाले नुकसान से निपटना है इस सेल का मक़सद

6- कर्नाटक में कावेरी वन्यजीव अभयारण्य के पास बिजली की चपेट में आने से कई हाथियों की मृत्यु। 1987 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1973 के तहत वन्यजीव और उसके पर्यावरण की रक्षा और प्रसार के लिए की गई थी कावेरी वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना

यहाँ की वनस्पति में पर्णपाती, जलीय व स्क्रब वन पाए जाते हैं। ये अभयारण्य चित्तीदार हिरण, जंगली सूअर, चीता, तेंदुआ, हाथी, सांभर, मालाबर की विशाल गिलहरी, चार सींगों वाले मृग आदि जैसे जानवरों का निवास स्थान है। कावेरी वन्यजीव अभयारण्य संकटापन्न महासिर मछली के लिये भी मशहूर है।

7 - दक्षिण एशियाई साहित्य के लिये लेखक अमिताभ बागची को मिला डीएससी पुरस्कार- 2019 । ‘हाफ द नाइट इज गॉन’ नॉवेल के लिये लेखक अमिताभ बागची को ये प्रुस्कार

ये पुरूस्कार दक्षिण एशिया की संस्कृति, राजनीति, इतिहास या लोगों के बारे में किसी भी जाति या राष्ट्रीयता पर लेखन के लिये लेखकों को हर साल दिया किया जाता है।

8 - वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय ने शुरू की राष्ट्रीय आउटरीच कार्यक्रम, जीईएम संवाद । 19 दिसंबर, से शुरु हुआ ये कार्यक्रम 17 फरवरी, 2020 तक रहेगा जारी।

गवर्नमेंट ई-मार्केटप्‍लेस यानी जीईएम की शुरुआत 9 अगस्‍त, 2016 को हुई थी। ये राष्‍ट्रीय सार्वजनिक खरीदारी पोर्टल है। इसके ज़रिए केंद्र व राज्‍य सरकार के विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, स्‍वायत्त संस्‍थानों और स्‍थानीय निकायों की सभी खरीदारी संबंधी ज़रूरतों का समाधान होता है।

9 - आंध्र प्रदेश सरकार ने दिया राज्य में तीन राजधानियाँ बनाने का संकेत। अमरावती, विशाखापत्तनम, और करनूल हो सकती हैं आंध्र प्रदेश की विधायी, कार्यकारी और न्यायिक राजधानियां

आंध्र प्रदेश सरकार का फैसला दक्षिण अफ्रीका की तीन राजधानियों से प्रेरित है। अगर ऐसा हुआ तो आंध्र प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य होगा, जहाँ पर तीन राजधानी क्षेत्र होंगे।

10 - मीडिया एवं मनोरंजन कौशल परिषद MESC ने आयोजित किया मंथन कार्यक्रम। मानव संसाधन और विकास मंत्रालय के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम का मक़सद मीडिया और मनोरंजन उद्योग में कौशल विकास को बढ़ावा देना और कुशल युवाओं वकार्यबल को करना है विकसित ।

11 - पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा ने की गांधी नागरिकता शिक्षा पुरस्कार की स्थापना की घोषणा। महात्मा गांधी के आदर्शों को शाश्वत बनाने के मक़सद से हर साल दिया जायेगा ये परुस्कार

महात्मा गांधी की 150 जयन्ती के मौके पर इस साल केंद्र सरकार ने दो समितियों का गठन किया था जिनमें राष्ट्रीय समिति और कार्यकारी समिति शमिल है। राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष जहां भारत के राष्ट्रपति हैं तो वहीं कार्यकारी समिति के अध्यक्ष भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी हैं।

12 - केंद्रीय जैव प्रौद्योगिकी विभाग के पुराने बायोटेक्नोलॉजिस्ट और टेक्नोक्रेटस ने शुरु की भारत जैव प्रौद्योगिकी संस्था SBPI। एक गैर-लाभकारी संगठन होगा भारत जैव प्रौद्योगिकी संस्था SBPI

इस संस्था का मक़सद आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी में मुख्य अनुसंधान में बदलाव को बढ़ावा देना है। इस नए तरीके से प्राप्त नतीजे न सिर्फ आर्थिक बल्कि सामाजिक कल्याण के लिये भी अधिक उत्पादों एवं प्रौद्योगिकियों को जन्म दे सकेंगे।

13 - भारत सरकार ने Inter-disciplinary नेतृत्व को बढ़ाने के लिये लांच किया ईको नेटवर्क। पारिस्थितिकी और पर्यावरण से जुड़े क्षेत्रों में अंतःविषयक तरीकों से शिक्षकों और छात्रों को प्रशिक्षित करने का एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है ईको नेटवर्क।

14 - भारतीय उद्योग परिसंघ CII के तहत आयोजित हुई स्टीलिंग इंडिया-2019 ड्राइविंग मैटल इन्‍टेंसिटी इन का आयोजन। केन्‍द्रीय इस्‍पात और पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने की इस बैठक में शिरकत। उद्धाटन भाषण में भारत के इस्‍पात क्षेत्र, इस्‍पात की बढ़ती मांग और भारतीय इस्‍पात क्षेत्र को अधिक आकर्षक बना सकने वाले प्रौद्योगिकी और नवोन्‍मेष की चर्चा की।

15 - लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने बनेंगे भारतीय सेना के नए प्रमुख । मौजूदा वक़्त में सेना के उप प्रमुख के रूप में सेवारत हैं लेफ्टिनेंट जनरल नरवाने वर्तमान में । बता दें कि आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

16 - फास्टैग के इस्तेमाल के बारे में लोगों को जागरुक बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार। सड़क और परिवहन मंत्रालय द्वारा लिया गया है ये फैसला

17 - भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सलामी बल्लेबाज स्मृति मंधाना को किया गया इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) की साल की वनडे और टी20 टीम में शामिल। वनडे टीम में मंधाना के साथ झूलन गोस्वामी, पूनम यादव और शिखा पांडे को भी मिली है जगह

18 - रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन DRDO ने किया ओडिशा के बालासोर जिले में एकीकृत परीक्षण रेंज ITR से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सफलतापूर्वक परीक्षण। ब्रह्मोस के इस वर्जन को DRDO और BrahMos Aerospace द्वारा किया गया है डिजाइन ।

यह मिसाइल 290 किमी तक हमला करने में सक्षम है और यह 300 किलो तक वजन को भी साथ ले उड़ सकती है।

तो इस सप्ताह के इण्डिया दिस वीक कर्यक्रम में इतना ही। परीक्षा के लिहाज़ से ज़रूरी और भी तमाम महत्वपूर्ण ख़बरों के लिए सब्सक्राइब कीजिए हमारे यूट्यूब चैनल ध्येय IAS को। नमस्कार।