(India This Week) Weekly Current Affairs for UPSC, IAS, Civil Service, State PCS, SSC, IBPS, SBI, RRB & All Competitive Exams (12th - 18th June 2020)
इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम का मक़सद आपको हफ्ते भर की उन अहम ख़बरों से रूबरू करना हैं जो आपकी परीक्षा के लिहाज़ से बेहद ही ज़रूरी है। तो आइये इस सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरों के साथ शुरू करते हैं इस हफ़्ते का इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम...
न्यूज़ हाईलाइट (News Highlight):
- खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग ने ताड़ से बने गुड़ और नीरा के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए एक अनूठी योजना परियोजना की शुरू...सैकड़ों लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा...
- 17 जून को मनाया गया मरुस्थलीकरण दिवस....भारत के लिए है बेहद ही चिंता का विषय... Food, Feed, Fibre - the links between consumption and land रही इस साल की थीम...
- नेपाल से चल रहे विवाद के बावजूद भारत ने बढाया मदद का हाथ....नेपाल के साथ 1एक समझौता ज्ञापन पर किय हस्ताक्षर..पशुपतिनाथ मंदिर परिसर के बुनियादी ढांचे में सुधार करने में मदद करेगा भारत...
- स्वीडिश थिंक-टैंक ने SIPRI ईयरबुक, 2020 की लॉन्च...रिपोर्ट मुताबिक भारत और चीन ने 2019 की तुलना में अपने परमाणु शस्त्रागार में की वृद्धि ..
- आरक्षण को लेकर एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का जवाब...आरक्षण मौलिक अधिकार नही बल्कि है कानून...तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेजों में ओबीसी उम्मीदवारों के लिए कोटा को लेकर दाखिल की गयी थी याचिका....
- देश का पहला राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन डिलीवरी पर आधारित गैस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, इंडियन गैस एक्सचेंज लांच.....भारत में शुरू हुई गैस की ट्रेडिंग.....
- कोविड-19 महामारी की चुनौती से लड़ने के लिए...भारत सरकार का अहम कदम...पीएम वन धन कवरेज को बढ़ाया...ट्राइफेड का कवरेज भी 3 गुना बढाने का रखा गया प्रस्ताव...
खबरें विस्तार से:
1.
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ने नीरा और पामगुर (गुड़) के उत्पादन के लिए एक अनूठी परियोजना शुरू की है, जिसमें देश में रोजगार पैदा करने की बहुत बड़ी संभावना है।
50 लाख से अधिक ताड़ के पेड़ वाले राज्य, महाराष्ट्र के पालघर जिले के दहानू में आदिवासियों को स्व-रोजगार के लिए नीरा के रूप में बढ़ावा देने और पारंपरिक ट्रैपर्स के रूप में नीरा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से परियोजना शुरू की गई थी।
KVIC ने नीरा के निष्कर्षण और 200 स्थानीय कारीगरों को पामगुर बनाने के लिए टूल किट वितरित किए, जिन्हें KVIC द्वारा 7 दिनों का प्रशिक्षण दिया गया था। इस पहल से 400 स्थानीय पारंपरिक प्रशिक्षकों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।
नीरा और पामगुर (गुड़) के बारे में :-
नीरा, सूर्योदय से पहले ताड़ के पेड़ों से निकाला गया, कई भारतीय राज्यों में खाया जाने वाला पोषक तत्वों से भरपूर स्वास्थ्यवर्धक पेय है। इसके अलावा ताड़ से पामगुर का उत्पादन भी किया जाता है।
यह आदिवासियों वालो इलाकों में एक महत्वपूर्ण उत्पाद है जिसको प्रोत्साहन देने से इनकी आय और आजीवका में संवर्धन किया जा सकता है।
नीरा और पामगुर (गुड़) का उत्पादन और सम्भावनाये
वर्तमान में देश में 500 करोड़ रुपये के पामगुर नीरा का कारोबार होता है। कारोबार नीरा के व्यावसायिक उत्पादन के साथ कई गुना बढ़ने की संभावना है।
हालांकि, संस्थागत बाजार तकनीक की कमी के कारण, नीरा का वाणिज्यिक उत्पादन और बड़े पैमाने पर विपणन अभी तक संभव नहीं हो सका था।
देश भर में लगभग 10 करोड़ ताड़ के पेड़ हैं। इसके अलावा,उचित विपड़न द्वारा कैंडी, दूध चॉकलेट, पाम कोला, आइसक्रीम और पारंपरिक मिठाई जैसे उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला नीरा से उत्पादित की जा सकती है ।
खादी और ग्रामोद्याग आयोग के बारे में
खादी और ग्रामोद्याग आयोग संसद के एक अधिनियम द्वारा सृजित विधिविहित संगठन हैं| अप्रैल 1957 सत्तावन में स्थापित इसने अखिल भारत खादी और ग्रामोद्योग मंडल से कार्यभार हाथ में लिया | यह संगठन सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम मंत्रालय ,भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्यरत हैं|
2.
मरुस्थलीकरण की चुनौती से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से इस दिवस को 25 साल पहले शुरू किया गया था जो हर साल 17 जून को मनाया जाता है... मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र संधि क़ानूनी रूप से बाध्यकारी एकमात्र अंतरराष्ट्रीय समझौता है जो पर्यावरण और विकास को स्थायी भूमि प्रबंधन से जोड़ता है...2019 में इस दिवस की थीम ‘लेट्स ग्रो द फ़्यूचर टुगेदर’ थी....वहीँ साल 2020 की थीम: भोजन, चारा एवं रेशों के लिए उपभोग और भूमि के बीच अंतर्संबंध यानी Food, Feed, Fibre - the links between consumption and land रही....
इस दिवस को मनाने की शुरुवात कैसे हुई....
संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में 1994 चौरानवे में मरुस्थलीकरण रोकथाम का प्रस्ताव रखा गया जिसका अनुमोदन दिसम्बर 1996 छियानवे में किया गया....14 अक्टूबर 1994चौरानवे को भारत ने मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (United Nations Convention to Combat Desertification- UNCCD) पर हस्ताक्षर किए...
जिसके पश्चात् वर्ष 1995 पीचानवे से मरुस्थलीकरण का मुकाबला करने के लिए 17 जून को प्रतिवर्ष यह दिवस मनाया जाने लगा...
मरुस्थलीकरण क्या है?
मरुस्थलीकरण जमीन के अनुपजाऊ हो जाने की ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जलवायु परिवर्तन तथा मानवीय गतिवधियों समेत अन्य कई कारणों से शुष्क, अर्द्ध-शुष्क और निर्जल अर्ध-नम इलाकों की जमीन रेगिस्तान में बदल जाती है....इससे जमीन की उत्पादन क्षमता में कमी होती है...
मरुस्थलीकरण एक तरह से भूमि क्षरण का वह प्रकार है, जब शुष्क भूमि क्षेत्र निरंतर बंजर होता है और नम भूमि भी कम हो जाती है....साथ ही साथ, वन्यजीव और वनस्पति भी खत्म होती जाती है। इसकी कई वजह होती है, इसमें जलवायु परिवर्तन और इंसानी गतिविधियां प्रमुख हैं...
शुष्क भूमि पारिस्थितिकी, जो विश्व के एक-तिहाई क्षेत्र में विस्तृत है, अति-शोषण तथा अनुपयुक्त भूमि उपयोग के लिए बेहद संवेदनशील होती है...गरीबी, राजनीतिक अस्थिरता, वनों की कटाई, अतिवृष्टि तथा खराब सिंचाई प्रथाएं, यह सभी भूमि की उत्पादकता को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं..
मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCCD) के बारे में:
UNCCD की स्थापना वर्ष 1994 चौरानवे में की गयी थी...मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र संधि (UNCCD) क़ानूनी रूप से बाध्यकारी एकमात्र अंतरराष्ट्रीय समझौता है जो पर्यावरण और विकास को स्थायी भूमि प्रबंधन से जोड़ता है...
रियो पृथ्वी सम्मेलन के बाद इस अभिसमय के लिये वार्ताएं शुरू हुईं...UNCCD की स्थापना रियो पृथ्वी सम्मेलन के एजेंडा 21 के अंतर्गत की गयी थी....अभिसमय को सार्वजनिक करने में के लिए वर्ष 2006 को “अंतर्राष्ट्रीय रेगिस्तान और मरुस्थलीकरण वर्ष” घोषित किया गया था...UNCCD विशेष रूप से शुष्क, अर्ध-शुष्क और शुष्क उप-आर्द्र क्षेत्रों को संबोधित करता है, जिसे शुष्क भूमि के रूप में जाना जाता है.....
अभिसमय का प्रमुख उद्देश्य है-सभी स्तरों पर प्रभावशाली कार्यवाहियों (अंतरराष्ट्रीय सहयोग और साझेदारी व्यवस्थाओं द्वारा) के माध्यम से सूखे और मरुस्थलीकरण की गंभीर समस्याओं से जूझ रहे देशों में इन समस्याओं के प्रभाव को कम करना...
भारत में ‘पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय’ इस अभिसमय के कार्यान्वयन के लिए नोडल मंत्रालय है....
भारत के लिए चिंता
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) द्वारा जारी “स्टेट ऑफ एनवायरमेंट इन फिगर्स 2019” की रिपोर्ट के मुताबिक 2003-05 से 2011-13 के बीच भारत में मरुस्थलीकरण 18.7 हेक्टेयर तक बढ़ चुका है.....वहीं सूखा प्रभावित 78 अठाह्त्र में से 21 जिले ऐसे हैं, जिनका 50 फीसदी से अधिक क्षेत्र मरुस्थलीकरण में बदल चुका है....देश की 80 प्रतिशत से अधिक निम्न भूमि सिर्फ नौ राज्यों में है: राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश और तेलंगाना.....
आईये जानते है...मरुस्थलीकरण के कारण भारत के कोन कोन से क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित है...सलमेर, राजस्थान (2011-13 के दौरान 92 ब्यानवे.96 प्रतिशत और 2003-05 के दौरान 98 अठानवे .13 प्रतिशत), लाहौल और स्पीति, हिमाचल प्रदेश (2011-13 में 80.54 प्रतिशत) और (2003-05 के दौरान 80.57 प्रतिशत),कारगिल, जम्मू और कश्मीर (2011-13 के दौरान 78आठहत्र .23 प्रतिशत और 2003-05 के दौरान 78 अठहत्र .22 प्रतिशत)....
भारत में मरुस्थलीकरण के मुख्य कारण
पानी का क्षरण (10.98 प्रतिशत), पवन द्वारा कटाव (5.55 प्रतिशत), मानव निर्मित / बस्तियाँ (0.69 प्रतिशत), वनस्पति का क्षय (8.91 प्रतिशत), लवणता (1.12 प्रतिशत), अन्य (2.07 प्रतिशत)…..मरुस्थलीकरण व सूखा से मुकाबला करने के लिए विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम दिवस, वैश्विक स्तर पर जन-जागरूकता फैलाने का ऐसा प्रयास है जिसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग की अपेक्षा की जाती है...
3.
भारत और नेपाल ने 15 जून 2020 को पशुपतिनाथ मंदिर परिसर के बुनियादी ढांचे में सुधार हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए...नेपाल को संघीय मामलों के मंत्रालय और भारतीय दूतावास के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये है...
भारतीय दूतावास की ओर से जारी बयान के अनुसार, इसे नेपाल-भारत मैत्री विकास साझेदारी के तहत उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजना (एचआइसीडीपी) के तौर पर वित्तीय मदद दी जाएगी. पशुपति क्षेत्र विकास ट्रस्ट (पीएडीटी) ने अक्टूबर 2019 में परियोजना प्रस्ताव दूतावास को भेजा था...
नेपाल से चल रहे तनाव के बावजूद भारत ने यहां विश्व प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में 2.33 करोड़ रुपये की लागत से स्वच्छता केंद्र के निर्माण की प्रतिबद्धता जताई है. भारत ने स्वच्छता केंद्र के लिए 3.72 करोड़ नेपाली रुपये (2.33 करोड़ भारतीय रुपये) की आर्थिक सहायता देने की प्रतिबद्धता जताई है. इसका क्रियान्वयन काठमांडू महानगरीय शहर नेपाल सरकार के निर्धारित नियमों के अनुरूप 15 माह में करेगा.
परियोजना का उद्देश्य
आधिकारिक बयान के अनुसार श्रद्धालुओं के लिए इस पवित्रस्थल पर इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करने के उद्देश्य से स्वच्छता केंद्र का निर्माण होगा...इस परियोजना का निर्माण ‘नेपाल-भारत मैत्री: विकास साझेदारी’ के तहत भारत के उच्च प्रभाव वाले सामुदायिक विकास योजना के तौर पर होगा...
समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
पशुपतिनाथ मंदिर में स्वच्छता केंद्र के निर्माण के लिए भारतीय दूतावास, नेपाल का संघीय मामला मंत्रालय, सामान्य प्रशासन और काठमांडू महानगरीय शहर के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए. यह मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के तहत भी सूचीबद्ध है. यह जानकारी भारतीय दूतावास की ओर से जारी बयान में दी गई...
पशुपतिनाथ मंदिर के बारे में
पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल का सबसे बड़ा मंदिर परिसर है और बागमती नदी के दोनों तरफ फैला हुआ है जहां हर दिन नेपाल और भारत से हजारों श्रद्धालु आते हैं...नेपाल के एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनने से पहले यह मंदिर राष्ट्रीय देवता, भगवान पशुपतिनाथ का मुख्य निवास माना जाता था...
यह मंदिर यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल की सूची में सूचीबद्ध है..पशुपतिनाथ में आस्था रखने वालों को मंदिर परिसर में प्रवेश करने की अनुमति है. यह मंदिर नेपाल में शिव का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है. पशुपतिनाथ में शिवरात्रि का पर्व विशेष महत्व के साथ मनाया जाता है.
4.
15 जून, 2020 को स्वीडिश थिंक-टैंक ने SIPRI ईयरबुक, 2020 लॉन्च की....इसके मुताबिक भारत और चीन ने 2019 की तुलना में अपने परमाणु शस्त्रागार में वृद्धि की है...
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अपने परमाणु हथियार स्टॉक और परमाणु बुनियादी ढांचे का विस्तार कर रहा है। विमान भारत की परमाणु स्ट्राइक क्षमता का सबसे परिपक्व घटक है। भारत ने अपने विमानों को 48 अड़तालीस परमाणु बम सौंपे हैं। भारत अपने परमाणु परीक्षण का नौसेना घटक भी विकसित कर रहा है।
थिंक टैंक का कहना है कि चीन पहली बार परमाणु त्रिकोण परीक्षण कर रहा है..इसने नई सी-बेस्ड मिसाइलें और परमाणु सक्षम विमान तैयार किए हैं। चीन ने अपनी जमीन और समुद्र आधारित बैलिस्टिक मिसाइलों को संचालित करने के लिए 240 से अधिक वॉर हेड को सौंपा है। साथ ही, चीन ने अपनी आत्मरक्षा के लिए परमाणु रणनीति अपनाई है...
भारत और उसके पड़ोसी
परमाणु हथियार रखने वाले सभी देशों ने अपने परमाणु शस्त्रागार का आधुनिकीकरण जारी रखा है। पिछले एक वर्ष की अवधि में भारत और चीन ने अपने परमाणु हथियारों में वृद्धि की है।
चीन अपने परमाणु शस्त्रागार का आधुनिकीकरण कर रहा है, तथा इसके परमाणु शस्त्रागार में वर्ष 2019 में 290 वारहेड थे जिनकी संख्या वर्ष 2020 में बढ़कर 320 हो चुकी है।
चीन पहली बार एक तथाकथित न्यूक्लियर ट्रायड (Nuclear Triad) विकसित कर रहा है, जो जल, थल और वायु तीनों जगहों से परमाणु हमला करने में सक्षम होगी।
भारत के परमाणु शस्त्रागार में वर्ष 2019 में 130-140 वारहेड थे, जिनकी संख्या वर्ष 2020 में 150 हो गयी है।
पाकिस्तान भी अपने परमाणु अस्त्रों के आकार तथा विविधता में वृद्धि कर रहा है। इसके परमाणु अस्त्रों की संख्या वर्ष 2020 में 160 हो चुकी है...भारत की तुलना में, चीन तथा पाकिस्तान, दोनों देशों के पास बड़े परमाणु शस्त्रागार हैं..
SIPRI के अनुसार, दुनिया के नौ प्रमुख परमाणु सशस्त्र युक्त देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, भारत, पाकिस्तान, चीन, उत्तर कोरिया और इजरायल शामिल हैं...2020 की शुरुआत में इन देशों के पास 13,400 परमाणु हथियार थे। इनमें से 3,720 परमाणु हथियारों को वर्तमान में तैनात किया गया है और 1,800 को उच्च परिचालन चेतावनी में रखा गया है....
2019 की तुलना में परमाणु हथियारों की संख्या में कमी मुख्य रूप से रूस और अमेरिका द्वारा सेवानिवृत्त परमाणु हथियारों के विघटन के कारण हुई है। अकेले अमेरिका और रूस के पास दुनिया के 90% परमाणु हथियार हैं।
SIPRI क्या है
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) 1966 छियासठ में स्थापित एक स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है, जो युद्ध तथा संघर्ष, युद्धक सामग्रियों, हथियार नियंत्रण तथा निरस्त्रीकरण के क्षेत्र में शोध- कार्य करती है...
स्टॉकहोम स्थित आय संस्था नीति निर्माताओं, शोधकर्त्ताओं, मीडिया और इच्छुक लोगों को आँकड़ों का विश्लेषण और सुझाव उपलब्ध कराती है।
5.
तमिलनाडु के कई राजनीतिक पार्टियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. याचिका में केंद्र सरकार के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें सरकार ने मेडिकल पाठ्यक्रमों में अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को 50 फ़ीसदी आरक्षण न देने का फैसला लिया था. इसके अलावा, इस याचिका में अभ्यर्थियों के लिए आरक्षण की भी मांग की गई थी. ...
याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 32 का उपयोग केवल मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के दशा में ही किया जाना चाहिए और इस याचिका में पक्षकार यह बताएं कि किसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है, क्योंकि आरक्षण तो कोई मौलिक अधिकार है नहीं. अदालत के इस फैसले के बाद से ही आरक्षण संबंधी प्रावधानों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग जोर पकड़ने लगी है. आपको बता दें कि नौवीं अनुसूची में डालने से आरक्षण संबंधी कानूनों को न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर रखने में मदद मिलेगी.
नौवीं अनुसूची में केंद्र और राज्य कानूनों की एक ऐसी सूची शामिल होती है जिन्हें न्यायपालिका में चुनौती नहीं दी जा सकती. मौजूदा वक्त में, संविधान की इस अनुसूची में कुल 284 चौरासी कानून शामिल हैं. न्यायपालिका इन कानूनों की न्यायिक समीक्षा नहीं कर सकती यानी इन्हें अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती. नौवीं अनुसूची को साल 1951 इक्यावन में पहले संविधान संशोधन के जरिए शामिल किया गया था. गौरतलब है कि संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल तमाम कानूनों को संविधान के ही अनुच्छेद 31B के तहत संरक्षण प्राप्त है. इस अनुसूची की एक खास बात और है कि अगर किसी कानून को न्यायपालिका द्वारा असंवैधानिक करार दे दिया गया हो और अगर उसके बाद उस कानून को नौवीं अनुसूची में डाल दिया गया तो वह कानून संवैधानिक माना जाने लगता है.
शुरुआत में, पहले संविधान संशोधन के जरिए नौवीं अनुसूची में कुल 13 कानून शामिल किए गए थे. उसके बाद, संविधान में कई संशोधन हुए और अब तक कुल कानूनों की संख्या 284 चौरासी हो गई. शुरुआत में, नवीं अनुसूची लाने का मकसद भारत में भूमि सुधार कानूनों को लागू करवाना था. लेकिन जब भारत में भूमि सुधार शुरू हुए तो इससे जुड़े कानूनों को मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार के अदालतों में चुनौती दी गई और बिहार में एक अदालत ने इसे अवैध घोषित कर दिया. ऐसे में, सरकार के सामने बड़ी मुश्किल पैदा हो गई और सरकार ने भूमि सुधार कानूनों को लागू करवाने के लिए पहला संविधान संशोधन करने का फैसला लिया. इस तरह संविधान संशोधन के जरिए नौवीं अनुसूची बनाई गई. 8 मई 1951इक्यावन को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने संसद में प्रथम संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था. उसके बाद 18 जून 1951 इक्यावन को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक पूरी तरह कानून बन गया.
अप्रैल 1973 तिहत्तर में, नौवीं अनुसूची को लेकर अदालत का एक काफी ऐतिहासिक फैसला आया. दरअसल 24 अप्रैल 1973 तिहत्तर को सर्वोच्च न्यायालय के केशवानन्द भारती मामले में आए फैसले के बाद यह साफ हो गया कि नवीं अनुसूची में शामिल कानूनों की भी न्यायिक समीक्षा हो सकती है. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि नौवीं अनुसूची के तहत कोई भी कानून अगर मौलिक अधिकारों या संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता है तो उसकी न्यायिक समीक्षा की जा सकती है. न्यायपालिका ने स्पष्ट कर दिया कि किसी भी कानून को बनाने और इसकी वैधानिकता तय करने की शक्ति केवल विधायिका या कार्यपालिका पर नहीं छोड़ी जा सकती. अगर संसद कानून बनाता है तो उस कानून की व्याख्या करने और उसकी समीक्षा करने की शक्ति न्यायालय के ही पास रहेगी. लेकिन किसी भी कानून की समीक्षा तभी की जा सकती है जब वह कानून मूल अधिकारों या फिर संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन होता हो.
6.
हाल ही में बीते सोमवार को देश का पहला राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन डिलीवरी पर आधारित गैस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, इंडियन गैस एक्सचेंज (आईजीएक्स) लांच होने के साथ भारत में गैस की ट्रेडिंग शुरू हो गई...पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इलेक्ट्रॉनिक माध्यम इस प्लेटफार्म को लांच करने के साथ इसपर कारोबार का शुभारंभ किया....
इंडियन गैस एक्सचेंज (IGX)
IGX प्राकृतिक गैस के वितरण के लिए एक डिलीवरी- आधारित ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म होगा….इंडियन गैस एक्सचेंज को भारत के ऊर्जा बाजार प्लेटफॉर्म के पूर्ण स्वामित्व वाले IEX की अनुषंगी के तौर पर शामिल किया गया है…यह प्लेटफ़ॉर्म ग्राहकों को निर्बाध ट्रेडिंग अनुभव प्रदान करने के लिए पूरी तरह से वेब-आधारित इंटरफ़ेस के साथ स्वचालित है…
IGX की कार्यविधि
IGX एक डिजिटल ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म है जिस पर प्राकृतिक गैस के खरीदारों और विक्रेताओं को स्पॉट मार्केट (spot market) तथा फॉरवर्ड मार्केट (forward market) में व्यापार की अनुमति दी जायेगी…आरम्भ में प्राकृतिक गैस के तीन मुख्य केन्द्रों- गुजरात के हजीरा तथा दाहेज एवं आंध्र प्रदेश के काकीनाडा को IGX डिजिटल ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म से जोड़ा जायेगा…आयातित तरलीकृत प्राकृतिक गैस (Liquified Natural Gas- LNG) का पुनः गैसीकरण (Regassified) किया जायेगा और IGX के माध्यम से बेंचा जायेगा….प्राकृतिक रूप से उत्पादित प्राकृतिक गैस की कीमत सरकार द्वारा तय की जाती है। इसे गैस एक्सचेंज पर नहीं बेचा जाएगा…..
पिछले दो वित्तीय वर्षों से प्राकृतिक गैस का घरेलू उत्पादन कम हो रहा है…इसका कारण प्राकृतिक गैस के वर्तमान स्रोतों की उत्पादकता में कमी होना बताया गया है….वर्तमान में घरेलू रूप से उत्पादित प्राकृतिक गैस का उत्पादन देश की प्राकृतिक गैस की खपत के आधे से भी कम है…देश में प्राकृतिक गैस की खपत को तरलीकृत प्राकृतिक गैस (Liquified Natural Gas- LNG) के आयात से पूरा किया जाएगा। इस संदर्भ में भारत सरकार द्वारा ऊर्जा की टोकरी में प्राकृतिक गैस के अनुपात को वर्ष 2018 के 6.2% से बढ़ाकर वर्ष 2030 तक 15% करने का निर्णय लिया है…
इससे होने वाले फायेदे
इससे राष्ट्र को प्राकृतिक गैस के मुक्त बाजार मूल्य निर्धारण की दिशा में कदम बढ़ाने में मदद मिलेगी...बाजार संचालित मूल्य निर्धारण प्रणाली होने से इंडिया गैस एक्सचेंज (IGX) गैस के लिए मुक्त बाजार साकार करने की दिशा में बड़ी भूमिका निभाएगा...यह विविध स्रोतों से गैस के उत्पादन और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से एलएनजी के आयात से लेकर पारदर्शी मूल्य व्यवस्था तक पूरी ऊर्जा मूल्य श्रृंखला को पूर्ण करेगा...
प्राकृतिक गैस
प्राकृतिक गैस उपलब्ध जीवाश्म इधनों में सबसे स्वच्छ जीवाश्म ईंधनयानी FOSSIL FUELS होती है।
इसका उपयोग उर्वरक, प्लास्टिक और अन्य व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण कार्बनिक रसायनों के निर्माण में फीडस्टॉक के रूप में किया जाता है,साथ ही बिजली उत्पादन के लिए ईंधन के रूप में, औद्योगिक और वाणिज्यिक इकाइयों में हीटिंग के लिए उपयोग किया जाता है...प्राकृतिक गैस का उपयोग घरों में खाना पकाने तथा परिवहन ईंधन के लिए भी किया जाता है...
7.
प्रकृति के अभूतपूर्व संकट और कोविड-19 महामारी से पैदा हुई चुनौतियों से निपटने के लिए पीएम वन धन कवरेज को बढ़ाकर 50,000 वन धन एसएचजीएस कर दिया गया है....आदिवासी संग्रहकर्ताओं का कवरेज तीन गुना बढ़ाकर 10 लाख करने का प्रस्ताव है. ट्राइफेड (आदिवासी सहकारी विपणन विकास फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड), जनजातीय कार्य मंत्रालय ने वन धन स्टार्टअप के लिए आज वेबिनार के माध्यम से मीडिया ब्रीफिंग आयोजित की.....
इस वेबिनार का शीर्षक “वन धन: ट्राइबल स्टार्टअप्स ब्लूम इन इंडिया” था। इस वेबिनार के दौरान यह बताया गया कि वन धन योजना की कवरेज को 18,000 एसएचजी से बढ़ाकर 50,000 एसएचजी किया जायेगा। इसे वन धन स्टार्ट-अप कार्यक्रम के माध्यम से प्राप्त किया जायेगा...
इस योजना में वन धन स्वयं सहायता समूहों का विस्तार किया जाएगा और इसमें 10 लाख आदिवासी लोगों को कवर करने की योजना है। इसका उद्देश्य लघु वनोपज के संदर्भ में जनजातीय पारिस्थितिकी तंत्र को अगली अमूल क्रांति के रूप में बदलना है...
अनुच्छेद 275 पचहतर (1) के तहत जनजातीय कार्य मंत्रालय के कोविड-19 राहत योजना के माध्यम से आदिवासी संग्रहकर्ताओं के कवरेज को तिगुना 10 लाख करना है. राज्यवार ब्योरा भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें दिखाया गया कि कैसे राज्य इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. 2019 में शुरू होकर स्टार्टअप्स तेजी से सभी 22 राज्यों में फैल गया...
भारत सरकार ने प्रत्येक वन धन विकास कार्यकम केंद्र को 15 लाख रुपये आवंटित किए हैं। इन केंद्रों पर अब तक 25% से 30% अनुदान खर्च किया जा चुका है।
वन धन योजना के तहत, अब तक 1205 जनजातीय उद्यम स्थापित किए गए हैं। शुरू की गई स्टार्ट अप योजना में 10 लाख आदिवासी लोग कवर किये गये हैं।
तो ये थी पिछली सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरें...आइये अब आपको लिए चलते हैं इस कार्यक्रम के बेहद ही ख़ास सेगमेंट यानी इंडिया राउंडअप में.... जहां आपको मिलेंगी हफ्ते भर की कुछ और ज़रूरी ख़बरें, वो भी फटाफट अंदाज़ में...
फटाफट न्यूज़ (India Roundup):
1. गरीब कल्याण रोज़गार अभियान' होगी लॉन्च
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्रामीण भारत में आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देने हेतु 20 जून 2020 को 'गरीब कल्याण रोज़गार अभियान' करेंगे लॉन्च..प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि 6 राज्यों में 116 जिलों में 125 दिनों का ये अभियान प्रवासी श्रमिकों की सहायता के लिए मिशन मोड में काम करने के लिए है...इस अभियान के तहत 50,000 करोड़ रुपये के सार्वजनिक कार्य कराए जाएंगे. बता दें, कोरोना महामारी के समय लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर महनगरों से वापस लौटकर अपने गृह राज्य/जिले में आए हैं. ऐसे में उनके लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण चुनौती है.... यह अभियान 12 विभिन्न मंत्रालयों/विभागों- ग्रामीण विकास, पंचायती राज, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, खान, पेयजल और स्वच्छता, पर्यावरण, रेलवे, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, नई और नवीकरणीय ऊर्जा, सीमा सड़क, दूरसंचार और कृषि का एक समन्वित प्रयास होगा.
2. कोयला ब्लॉक की नीलामी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेन्स के जरिए 18 जून 2020 को 41 इकतालीस कोयला ब्लॉक की नीलामी के लिए प्रक्रिया की शुरुआत हुई... सरकार के इस कदम से देश का कोयला क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए खुल जाएगा. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में खनन क्षेत्र में आत्म-निर्भरता हासिल करने के अपने दृष्टिकोण को रखा. साथ ही उन्होंने कहा कि 130 करोड़ भारतवासियों का संकल्प है कि हमें आत्मनिर्भर भारत बनाना ही है.प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक साल 2030 तक लगभग 100 मिलियन टन कोयले को गैसीफाई करने का लक्ष्य रखा गया है. केंद्र ने पहले ही चार परियोजनाओं की पहचान कर ली है और उनमें लगभग 20,000 करोड़ रुपये का निवेश किये जायेंगे.... कोयला मंत्रालय के अनुसार इन कोयला ब्लाक की वाणज्यिक खनन में अगले पांच से सात साल में लगभग 33,000 करोड़ रुपये का निवेश अनुमानित है. ये ब्लाक राज्य सरकारों को सालाना 20,000 करोड़ रुपये का राजस्व देंगे. खनन क्षेत्र बिजली, इस्पात, एल्युमीनियम, स्पांजी आयर जैसे कई बुनियादी उद्योगों के लिये कच्चे माल का मुख्य स्रोत है.
3. भारत GPAI में शामिल
भारत ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में हुआ शामिल भारत ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI या Gee-Pay) में बतौर संस्थापक सदस्य के शामिल हो गया है। GPAI को अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य, सिंगापुर सहित भारत जैसे प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के समूह द्वारा लॉन्च किया गया है। ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को पेरिस में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organization for Economic Cooperation and Development) में स्थित सचिवालय तथा मॉन्ट्रियल और पेरिस में एक-एक विशेषज्ञता-केंद्र सहित दो विशेषज्ञता केंद्रों द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी।
4. 5OO वर्ष पूरा मंदिर
इंटैक के मुताबिक ओडिशा की महानदी में 500 वर्ष पुराना 60 फ़ीट का डूबा हुआ मंदिर मिला महानदी घाटी में मौजूद ऐतिहासिक विरासत का दस्तावेजीकरण कर रहे विशेषज्ञों ने यह जानकारी दी. ओडिशा में इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट ऐंड कल्चर हेरिटेज (इंटैक) के परियोजना समन्वयक अनिल धीर ने बताया कि 60 फीट ऊंचा मंदिर माना जा रहा है कि करीब 500 साल पुराना है और हाल में परियोजना के तहत इसका पता लगाया गया. अब तक इंटैक ने दस्तावेजीकरण परियोजना के तहत महानदी में मौजूद 65 प्राचीन मंदिरों का पता लगाया है.
5.विश्व प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक (डब्ल्यूसीआई) 2020 में भारत का 43 रैंक
इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट डेवलपमेंट ने हाल ही में विश्व प्रतिस्पर्धी सूचकांक जारी किया है। भारत ने इस सूचकांक में 43वां स्थान हासिल किया है। 2019 में, भारत 43वें स्थान पर था। 2017 में भारत 45वें रैंक तक फिसल गया था और 2018 में 44वें स्थान पर पहुंच गया था। भारत की निरंतर निम्न रैंकिंग मुख्य रूप से खराब बुनियादी ढांचे और अपर्याप्त शिक्षा निवेश के कारण है।
6. आरोग्य पथ
हाल ही में केंद्र सरकार ने आरोग्य पथ नाम से हेल्थकेयर सप्लाई चेन पोर्टल लॉन्च किया है CSIR ने नेशनल हेल्थकेयर सप्लाई चेन पोर्टल लॉन्च किया है, जिसे "आरोग्यपथ" नाम दिया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य वास्तविक समय पर महत्वपूर्ण स्वास्थ्य आपूर्ति की उपलब्धता प्रदान करना है. यह आरोग्यपथ निर्माताओं, आपूर्तिकर्ताओं और ग्राहकों की मदद करेगा. स्वास्थ्य देखभाल संबंधी सामानों की एक ही जगह उपलब्धता प्रदान कराने वाला यह एकीकृत सार्वजनिक मंच ग्राहकों को रोज महसूस किए जाने वाले कई मुद्दों से निपटने में मददगार साबित हो सकता है.
7. ऑटिस्टिक प्राइड डे
प्रतिवर्ष 18 जून को ऑटिस्टिक प्राइड डे मनाया जाता है, इसके द्वारा आटिज्म को एक रोग नहीं बल्कि एक भिन्नता (विविधता) के रूप में स्वीकार करना है...आटिज्म अथवा आटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक किस्म का विकासात्मक विकार है। इससे सम्बंधित चिन्ह अभिभावकों को बच्चे के जीवन के शुरूआती तीन-चार वर्ष के भीतर पता चल जाते हैं। आटिज्म से प्रभावित बच्चे सामाजिक व्यवहार तथा संचार में कुछ कठिनायाँ अनुभव करते हैं तथा वे अक्सर बार-बार दोहराने वाले कार्य करते हैं
8. रोबोट कैप्टन अर्जुन
पुणे के रेलवे स्टेशन ने रोबोट कैप्टन अर्जुन लॉन्च किया रेलवे सुरक्षा बल ने हाल ही में “कैप्टन अर्जुन” नामक एक रोबोट लॉन्च किया है. रोबोट ‘कैप्टन अर्जुन’ को रेलवे स्टेशनों पर स्क्रीनिंग और निगरानी तेज करने के लिए लॉन्च किया गया है. इसे सेंट्रल रेलवे के तहत संचालित रेलवे सुरक्षा बल द्वारा लॉन्च किया गया है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि अगर यात्री के शरीर सामान्य से अधिक है तो यह रोबोट अलार्म बजा देता है. यह ध्वनि और वीडियो के जरिये संवाद करता है
9. साइबर-फिजिकल प्रणाली
खड़गपुर आईआईटी संस्थान के शोधकर्ताओं ने सार्वजनिक स्थानों पर सामाजिक दूरियों की निगरानी हेतु एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित साइबर-फिजिकल प्रणाली विकसित किया आईआईटी शोधकर्ताओं द्वारा विकसित डिवाइस सामाजिक दूरी मानदंडों का उल्लंघन होने पर अलर्ट करेगी. संस्थान के शोधकर्ताओं ने सस्ती और आसानी से सुलभ हार्डवेयर सामग्री का उपयोग करके डिवाइस को डिज़ाइन किया है
10. स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने के लिए नोटिस जारी
16 जून, 2020 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण (IRDA) और केंद्र सरकार को मानसिक बीमारी के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने के लिए नोटिस जारी किया... 2018 में, IRDA ने एक सर्कुलर जारी कर सभी बीमा कंपनियों को मेंटल हेल्थकेयर एक्ट का पालन करने को कहा था। इस अधिनियम के अनुसार, मानसिक बीमारी स्वास्थ्य बीमा के तहत शामिल है। साथ ही, बीमा कंपनियों को अपनी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के तहत मानसिक बीमारी को शामिल करना अनिवार्य है। अधिनियम ने सभी बीमा कंपनियों के लिए अपने कानून प्रावधानों का पालन करना अनिवार्य कर दिया था। इसे मेंटल हेल्थकेयर एक्ट की धारा 21 के तहत शामिल किया गया है। हालाँकि, यह अभी भी व्यापक रूप से लागू नहीं किया गया है...अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद मानसिक बीमारी पर विस्तृत चर्चा की जा रही है।
11. आरबीआई ने रखा प्रस्ताव
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा बैंकों के पूर्णकालिक निदेशकों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के लिए प्रस्तावित ऊपरी आयु सीमा 70 वर्ष भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों के प्रवर्तक समूह से संबंध रखने वाले मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) और पूर्णकालिक निदेशकों की ऊपरी आयु सीमा 70 वर्ष तय करने का प्रस्ताव रखा है. आरबीआई ने उन व्यक्तियों के लिए अधिकतम 10 वर्षों का कार्यकाल भी प्रस्तावित किया है जो बैंकिंग क्षेत्र में शासन को बढ़ाने के लिए प्रवर्तक समूह से संबंधित हैं. केंद्रीय बैंक ने सीईओ/ डब्ल्यूटीडी के लिए आंतरिक नीति के रूप में कम आयु सीमा निर्धारित करने के लिए व्यक्तिगत बैंकों के लिए एक खंड प्रदान किया है.
12. "Schizothorax sikusirumensis" मछली
अरुणाचल प्रदेश में मछली की एक नई प्रजाति पता चला है जिसका नाम सिज़ो-थोरैक्स "Schizothorax sikus-irum-ensis " रखा गया है। इस नई मछली प्रजातियों की खोज डॉ, केशव कुमार झा ने की है। वह पासीघाट के जवाहरलाल नेहरू कॉलेज में प्रोफेसर, प्राध्यापक और प्राणि विज्ञान विभाग प्रमुख हैं। उन्होंने जीनस स्किज़ोथोरैक्स से एक नई मछली प्रजाति की खोज की… सिज़ो-थोरैक्स ."Schizothorax sikus-irum-ensis" मछली प्रजाति की खोज पूर्वी सियांग जिले के मीबो सर्कल में गाकंग क्षेत्र के पास, सिकु नदी और सिरुम नदी के संगम पर की गई। इसका नाम सिकु और सिरुम नदियों के नाम पर रखा गया है।
13. World Wind Day
WORLD WIND DAY हर साल 15 जून को मनाया जाता है... यह दिन दुनियां भर में पवन ऊर्जा का उपयोग और उसकी शक्ति के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता, जो ऊर्जा का एक प्राकृतिक रूप है और यह उन सभी तरीकों पर भी प्रकाश डालता है जो पवन ऊर्जा ऊर्जा प्रणालियों को आकार देने में मदद करता है, और यह किस प्रकार से समाज में आर्थिक और अन्य विकास को प्रोत्साहित करता है....ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल के अध्यक्ष: मोर्टन डायरहोम है....ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल के सीईओ: बेन बैकवेल है...ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल का मुख्यालय: ब्रुसेल्स, बेल्जियम. वर्ल्ड विंड डे, जिसे ग्लोबल विंड डे के रूप में भी जाना जाता है
तो इस सप्ताह के इण्डिया दिस वीक कर्यक्रम में इतना ही। परीक्षा के लिहाज़ से ज़रूरी और भी तमाम महत्वपूर्ण ख़बरों के लिए सब्सक्राइब कीजिए हमारे यूट्यूब चैनल ध्येय IAS को। नमस्कार।