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Blog / 03 Dec 2019

(Global मुद्दे) भारत-श्रीलंका संबंध (India-Srilanka Relations)

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(Global मुद्दे) भारत-श्रीलंका संबंध (India-Srilanka Relations)


एंकर (Anchor): कुर्बान अली (पूर्व एडिटर, राज्य सभा टीवी)

अतिथि (Guest): प्रो. एस. डी. मुनि (पूर्व राजदूत) के. वी. प्रसाद (वरिष्ठ पत्रकार)

चर्चा में क्यों?

पिछले दिनों 28 से 30 नवंबर के दौरान श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे भारत के दौरे पर थे। श्रीलंका के राष्ट्रपति के तौर पर गोटबाया राजपक्षे की ये पहली आधिकारिक विदेश यात्रा है। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर भारत आए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने श्री राजपक्षे के साथ हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय बैठक की। उसके बाद दोनों नेताओं का संयुक्त बयान भी जारी हुआ। इस दौरान पीएम मोदी ने बताया कि भारत की तरफ से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए इसे 2865 करोड़ रुपए की लाइन ऑफ क्रेडिट दी जाएगी। द्विपक्षीय वार्ता के बाद राजपक्षे ने दावा किया कि चर्चा "बहुत ही सौहार्दपूर्ण और आश्वासनपूर्ण” रही।

क्या कहा प्रधानमंत्री मोदी ने?

  • भारत सरकार ‘नेबरहुड फर्स्ट नीति’ नीति और सागर सिद्धांत के अनुरूप श्रीलंका के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता देती है।
  • पीएम मोदी ने बताया कि भारत की तरफ से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए इसे 2865 करोड़ रुपए की लाइन ऑफ क्रेडिट दी जाएगी। साथ ही 716 करोड़ रुपए का कर्ज सोलर परियोजना के लिए भी दिए जाएंगे।
  • मछुआरों की आजीविका को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर भी चर्चा हुई। राष्ट्रपति राजपक्षे ने भारतीय मछुआरों की नौकाओं को जल्दी छोड़ने और इस मुद्दे के बेहतर हल की बात कही।
  • भारतीय आवास परियोजना के तहत श्रीलंका में पहले ही 46 हजार घरों का निर्माण किया जा चुका है। तमिल मूल के लोगों के लिए 14 हजार घरों का निर्माण जारी है।
  • एक मजबूत श्रीलंका न सिर्फ भारत के हित में है बल्कि पूरे हिंद महासागर क्षेत्र के लिए अहम है।
  • आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए भारत की तरफ से श्रीलंका को 358 करोड़ रुपये की मदद दी जाएगी।
  • भारत और श्रीलंका बहुमुखी साझेदारी और सहयोग बढ़ाएंगे।
  • आगंतुक श्रीलंकाई नेता ने भारत को "अपना सबसे करीबी पड़ोसी और दीर्घकालिक मित्र" बताया।

‘लाइन ऑफ क्रेडिट’ क्या होता है?

लाइन ऑफ़ क्रेडिट एक प्रकार का सॉफ्ट लोन होता है। यह कर्ज आम तौर पर बैंको या वित्तीय संस्थानों द्वारा कंपनियों या सरकारी संस्थानों को दिया जाता है। इस कर्ज को वित्तीय संस्था द्वारा निर्धारित दरों और तय समय-सीमा में ही चुकाना होता है। लाइन ऑफ़ क्रेडिट खास गतिविधियों के लिए ही दिया जाता है।

कौन हैं गोताबया राजपक्षे?

हाल ही में श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव संपन्न हुए। इस चुनाव में पूर्व रक्षा सचिव और खुफिया अधिकारी गोताबया राजपक्षे को जीत हासिल हुई और उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी सत्तारूढ़ यूनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP) के सजीथ प्रेमदासा को हार का सामना करना पड़ा। गोताबया राजपक्षे ने 18 नवंबर को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। वे श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के भाई हैं। राजपक्षे की जीत के तुरंत बाद भारतीय विदेश मंत्री श्री एस जयशंकर ने उनसे मुलाकात की थी। और प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से उन्हें भारत आने का न्योता दिया।

यह राजपक्षे परिवार ही था, जिसके शासनकाल में श्रीलंका में गृह युद्ध की समाप्ति हुई थी लेकिन इस दौरान मानवाधिकार उल्लंघन और अल्पसंख्यकों के खिलाफ कई अपराध के मामले भी उभर कर सामने आए थे। इस पूरे घटनाक्रम में गोताबया राजपक्षे पर भी मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगे थे।

इन्हें अमूमन चीन के समर्थक के तौर पर देखा जाता है, लेकिन हाल ही में उन्होंने कहा था कि चीन को हम्बनटोटा बंदरगाह को 99 साल के लीज पर दिया जाना पूर्ववर्ती सरकार की गलती थी। इस समझौते पर फिर से बातचीत चल रही है।

क्यों जरूरी है भारत और श्रीलंका एक दूसरे के लिए?

हिंद महासागर में चीन की बढ़ती धमक भारत के लिए चिंता का विषय है। और श्रीलंका चीन की इस उपस्थिति का एक जरिया है। बीते सितंबर महीने सितंबर महीने में चीन के 7 जंगी जहाज जियान-32 हिंद महासागर में श्रीलंका के पास नजर आए थे। इन्हें भारतीय नौसेना के टोही विमानों पी-8आई ने ट्रैक किया था और तस्वीरें लीं थीं। ऐसे में, भारत के लिए जरूरी होगा कि वह श्रीलंका से अपनी नज़दीकियां बढ़ाएं और चीनी प्रभाव को संतुलित कर सके। साथ ही, व्यापारिक और सांस्कृतिक लिहाज से भी श्रीलंका भारत के लिए अहम है। विश्लेषकों का मानना है कि राजपक्षे का चीन के प्रति झुकाव देखते हुए ही भारत, श्रीलंका को अपने साथ लेना चाहता है।

वहीँ श्रीलंका की छवि एक ऐसे देश के तौर पर बनी है जो चीन के कर्ज के जाल में फंसता जा रहा है। ऐसे में, श्रीलंका अपने विदेशी कर्ज के भुगतान में उचित संतुलन नहीं बना पा रहा था और न ही वहां पर्याप्त मात्रा में विदेशी निवेश हो रहा था। इस कारण श्रीलंका कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं था। ऐसे में, उसने चीन की मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड कंपनी को बंदरगाह 99 साल के लीज पर देने का फैसला किया। अभी स्थिति ऐसी बन गई है कि श्रीलंका भी चीन के क़र्ज़ जाल से बाहर आना चाह रहा है। इस स्थिति में भारत उसके लिए सहायक साबित हो सकता है। व्यापारिक दृष्टि से भारत श्रीलंका में एक महत्वपूर्ण निवेशक देश है।

भारत-श्रीलंका के संबंधों के आयाम और इतिहास

भारत और श्रीलंका के बीच 2,500 वर्ष से भी अधिक पुराना संबंध है। दोनों देशों की बौद्धिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई बातचीत की साझा विरासत है। हाल के वर्षों में, सभी स्तरों पर संबंधों को चिह्नित किया गया है और उन्हें बेहतर बनाने की कई कोशिशें की गई हैं।

  • साल 2015 में श्रीलंका के राष्ट्रपति मैथ्रिपाला सिरीसेना भारत दौरे पर आए थे।
  • साल 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे।
  • दिसंबर 1998 में दोनों देशों के बीच पहला मुक्त व्यापार समझौता दस्तख़त किया गया था। ये समझौता 2005 में अस्तित्व में आया।
  • लिट्टे के ख़ात्मे के बाद भारत ने श्रीलंका में पुनर्निर्माण के काफी काम किए। दरअसल में श्रीलंका के नज़र में लिट्टे एक उग्रवादी संगठन था।
  • साल 2018 में श्रीलंका में भारत के सहयोग से आकस्मिक एंबुलेंस सेवा शुरू की गई।
  • साल 2017 में भारत और श्रीलंका का व्यापार 5 बिलियन डॉलर का था।
  • भारत श्रीलंका में दूसरा सबसे बड़ा निवेशक देश है।
  • 29 नवंबर, 1977 को नई दिल्ली में भारत सरकार और श्रीलंका सरकार द्वारा एक सांस्कृतिक सहयोग समझौते पर दस्तख़त किया गया था। ये समझौता दोनों देशों के बीच समय-समय पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों का आधार बनता है।
  • 21 जून 2015 को योग का पहला अंतरराष्ट्रीय दिवस प्रतिष्ठित महासागर के किनारे पर स्थित गाले फेस ग्रीन में मनाया गया था। इस कार्यक्रम में दो हजार योग प्रेमियों ने भाग लिया था।