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Blog / 05 Nov 2019

(Global मुद्दे) भारत-सऊदी रिश्ते (India-Saudi Relation)

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(Global मुद्दे) भारत-सऊदी रिश्ते (India-Saudi Relation)


एंकर (Anchor): कुर्बान अली (पूर्व एडिटर, राज्य सभा टीवी)

अतिथि (Guest): कमर आग़ा (कूटनीतिक मामलों के जानकार), अनिल त्रिगुणायत (पूर्व राजदूत)

चर्चा में क्यों?

बीते 28-29 अक्टूबर के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की अपनी दो दिवसीय यात्रा संपन्न की। अपनी इस यात्रा में प्रधानमंत्री ने सऊदी अरब के शाह सलमान बिन अब्दुल अजीज और वली अहद मोहम्मद बिन सलमान के साथ अनेक मुद्दों पर बातचीत की। साथ ही, दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण मुद्दों पर समन्वय के लिए एक ‘रणनीतिक साझेदारी परिषद’ का भी गठन किया गया। इसके अलावा, पीएम मोदी ने ‘दावोस इन डिज़र्ट’ कहे जाने वाले वैश्विक फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशिएटिव फोरम यानी FII सम्मेलन को भी संबोधित किया।

यात्रा की प्रमुख बातें

प्रधानमंत्री मोदी ने सऊदी अरब के शाह सलमान बिन अब्दुल अजीज और वली अहद मोहम्मद बिन सलमान के साथ अनेक मसलों पर चर्चा की।

  • इस दौरान महत्वपूर्ण मुद्दों पर समन्वय के लिए एक रणनीतिक साझेदारी परिषद का गठन किया गया।
  • दोनों देशों की ई-प्रवासन प्रणाली के बीच समन्वयन पर भी एक समझौता हुआ।
  • सऊदी अरब में रूपे कार्ड शुरू करने के संबंध में भी एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया गया। खाड़ी देशों में संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के बाद सऊदी अरब तीसरा ऐसा देश होगा, जहां रुपे कार्ड शुरू किया जाएगा।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने यहां 'फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशिएटिव' सम्मेलन को भी संबोधित किया। इस सम्मेलन को ‘मरुभूमि का दावोस’ कहा जा रहा है।
  • इस मौके पर अपने संबोधन में भारतीय प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार पर जोर दिया। पीएम ने कहा कि कुछ शक्तिशाली देश इस वैश्विक निकाय का उपयोग संघर्ष का खात्मा करने के लिए एक संस्था के बजाए इसे एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं।

संयुक्त बयान में क्या कहा गया?

दोनों राष्ट्रों ने जोर देकर कहा कि अतिवाद और आतंकवाद सभी देशों और समाजों के लिए एक खतरा है।

  • दोनों पक्षों ने अपने अंदरूनी मामलों में किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप को अनुचित बताया।
  • दोनों पक्षों ने आतंकवाद को किसी विशेष जाति, संस्कृति या धर्म से जोड़ने के किसी भी प्रयास को ग़लत बताया।
  • तमाम देशों के खिलाफ आतंकवादी हमलों के लिए मिसाइलों और ड्रोन सहित हथियारों तक पहुंच को रोकने की जरूरत पर जोर दिया।
  • भारत ने सऊदी अरब में नागरिक प्रतिष्ठानों के पर हुए आतंकवादी हमलों की निंदा की।
  • दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद-रोधी केंद्र के तहत घनिष्ठ सहयोग की अपील की।
  • आतंकवादी कार्रवाई, सूचनाओं के आदान-प्रदान, क्षमता निर्माण और साइबर अपराधों से निपटने में आपसी सहयोग को बेहतर बनाने पर सहमति जताई।

फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनीशिएटिव क्या है?

सऊदी अरब के रियाद शहर में आयोजित तीसरा फ्यूचर इनवेस्टमेंट इनिशिएटिव यानी FII भारत के लिए काफी अहम था। दरअसल इस सम्मेलन में सऊदी के नीति-निर्माताओं और दुनियाभर के व्यापारिक प्रतिनिधियों का सम्मलेन होता है।

‘व्हाट इज नेक्स्ट फॉर ग्लोबल बिजनेस’ की थीम पर आयोजित इस कार्यक्रम में सऊदी अरब दुनियाभर में निवेश सहित अपने यहां विकास में विदेशी निवेश की संभावनाएं टटोलता है। मंदी की आहट के बीच भारत के लिए यह कार्यक्रम बेहद अहम था।

भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है सऊदी अरब?

मौजूदा वक्त में, सऊदी अरब में भारतीय समुदाय के करीब 26 लाख लोग रहते हैं। गौरतलब है कि यह भारत का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है। पिछले कुछ सालों में सऊदी अरब के साथ भारत के संबंध काफी बेहतर हुए हैं। साल 2017-18 में सऊदी अरब के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार तकरीबन 27.48 अरब अमेरिकी डॉलर था। इस तरह सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है।
इसके अलावा, बीते महीने में सऊदी अरब ने कहा था कि वह भारत में ऊर्जा, तेलशोधन, पेट्रोकेमिकल, बुनियादी ढांचे, कृषि, खनिज और खनन आदि क्षेत्रों में लगभग 100 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना बना रहा है।

भारत-सऊदी संबंध की ऐतिहासिकता

भारत और सऊदी अरब के सम्बन्ध शुरुआत से ही काफी बेहतर रहे हैं। दोनों देशों के बीच 1947 के बाद से ही राजनयिक सम्बन्ध है। दोनों देशों ने एक दूसरे के बीच आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में साझा सहयोग किया है। सऊदी अरब की ओर से 1955 में शाह सौद (सउदी अरब के बादशाह) ने भारत का दौरा किया था। जिसके बाद से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ताएं होती रही हैं।

  • साल 1982 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, 2006 में शाह अब्दुल्लाह की ऐतिहासिक भारत यात्रा और 2010 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यात्रा के बाद द्विपक्षीय भागीदारी का स्तर और ऊपर उठा है, जिसके ज़रिए सामरिक साझेदारी में समझौता हुआ। रियाद में हुए इस समझौते में आर्थिक राजनीतिक, सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में सहयोग करने पर भी सहमति बनी।
  • साल 2016 में मोदी की पहली सऊदी यात्रा के दौरान सऊदी अरब के बादशाह सलमान ने उन्हें सऊदी अरब का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया था।
  • कुछ दिन पहले (29 नवंबर, 2018) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्जेंटीना में जी -20 शिखर सम्मेलन की साइड-लाइन्स पर भी सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की और द्विपक्षीय सहयोग के पहलुओं पर चर्चा की।
  • इस साल (2019) फरवरी में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस भारत के दौरे पर थे।

निष्कर्ष

भारत ने सऊदी अरब की कंपनियों को ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने और स्टार्टअप में पूंजी लगाने का आमंत्रण दिया है। यह कदम दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक और कूटनीतिक रिश्तों का संकेत है। दूसरी तरफ कश्मीर के मामले पर सऊदी अरब ने कभी भी पाकिस्तान का समर्थन नहीं किया। ऐसे में सऊदी अरब और भारत के बीच अगर कारोबारी रिश्तों को नई दिशा मिलती है तो यह दोनों देशों के लिए काफी बेहतर मौका होगा।