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Blog / 11 Feb 2020

(Global मुद्दे) ट्रंप मध्य-पूर्व शांति योजना (Donald Trump Middle East Peace Plan)

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(Global मुद्दे) ट्रंप मध्य-पूर्व शांति योजना (Donald Trump Middle East Peace Plan)


एंकर (Anchor): कुर्बान अली (पूर्व एडिटर, राज्य सभा टीवी)

अतिथि (Guest): नीरज श्रीवास्तव (पूर्व राजदूत), क़मर आग़ा (मध्य पूर्व मामलों के जानकार)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने मध्य-पूर्व में शांति स्थापित करने के लिए अपनी बहुप्रतीक्षित योजना का एलान किया। व्हाइट हाउस में इसरायली प्रधानमंत्री बिन्यमिन नेतन्याहू के साथ खड़े होकर इस शांति योजना की घोषणा करते हुए ट्रंप ने इसे 'फ़लस्तीनियों के लिए आख़िरी अवसर' बताया है। इसराइल ने इस समझौते का स्वागत किया है जबकि फ़लस्तीनी पक्ष ने इस प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया।

ट्रंप ने क्या कहा?

शांति प्रस्ताव को लेकर ट्रंप ने कहा कि यह दो देशों को लेकर एक ऐसा समाधान है जिसे अमल में लाया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा है कि इसके तहत किसी भी इसरायली या फ़लस्तीनी को उनके घरों से उजाड़ा नहीं जाएगा।

  • व्हाइट हाउस में अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि आज इसरायल ने शांति की ओर एक बड़ा कदम उठाया है। फ़लस्तीनी लोग ग़रीबी और हिंसा के शिकार हैं। कुछ तत्व चरमपंथ और उग्रवाद को बढ़ाने में इन लोगों का इस्तेमाल प्यादों की तरह करके इनका शोषण कर रहे हैं। इन्हें इससे कहीं बेहतर ज़िंदगी मिलनी चाहिए।"
  • "ये पहला मौका है जब इसरायल ने उस प्रस्तावित नक्शे को जारी किया है जो कि ये बताता है कि इसरायल शांति के लिए किस तरह के क्षेत्रीय समझौते करने के लिए तैयार हुआ है।"

शांति की ये योजना क्या है?

ट्रंप ने बताया है कि इस योजना के तहत पूर्वी येरूशलम में एक फ़लस्तीनी राजधानी बनने की जगह मिलेगी जहां पर अमरीका गर्व के साथ अपना दूतावास खोलेगा।

लेकिन अमरीकी राष्ट्रपति ने ये भी स्पष्ट किया है कि इस योजना के तहत इसरायल के कब्ज़े वाले वेस्ट बैंक के क्षेत्र में कटौती नहीं की जाएगी। यानी यरूशलम इजरायल की अविभाजित राजधानी बनी रहेगी। ट्रंप ने प्रस्ताव रखा है कि चार साल तक क्षेत्र में इजरायल सेटलमेंट रोक दिया जाएगा और फिलिस्तीन के क्षेत्र को दोगुना किया जाएगा।

फ़लस्तीनी पक्ष ने क्या कहा?

फ़लस्तीनी क्षेत्र के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की ओर से जारी शांति योजना को ख़ारिज कर दिया है।

  • अब्बास ने कहा है, "मैं ट्रंप और नेतन्याहू से कहना चाहता हूं कि येरूशलम बिकाऊ नहीं है। हमारे सभी अधिकार बिकाऊ नहीं हैं। और उन्हें लेकर किसी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता है। आपकी डील, आपकी साज़िश कभी सफल नहीं हो सकती है।"
  • उन्होंने कहा, "कोई भी फ़लस्तीनी कभी भी एक ऐसे देश को स्वीकार नहीं कर सकता जिसकी राजधानी येरूशलम न हो।"
  • इससे पहले मंगलवार को ग़जा पट्टी में हज़ारों फ़लस्तीनियों ने इस योजना के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया।

इस प्रस्ताव पर भारत की क्या प्रतिक्रिया रही?

भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्रम्प के ‘दो राष्ट्र सिद्धांत’ के आधार पर इज़राइल और फ़िलिस्तीन को यह सलाह दी है कि बातचीत से मौजूदा समस्याओं का निदान करें।

इजरायल और फिलिस्तीन के बीच विवाद के प्रमुख मुद्दे

जेरूसलम: इसको दोनों ही अपनी राजधानी बताते हैं। पहले ये ईस्ट और वेस्ट जेरूसलम में बंटा हुआ था। पर 1967 में इजराइल ने जेरूसलम के काफी हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया। धीरे-धीरे इजराइल का विस्तार होता ही जा रहा है।

शरणार्थी: इजराइल के बनने के बाद सात लाख फिलिस्तीनी शरणार्थी हो गए। जैसे जैसे समय बीत रहा है इन शरणार्थियों की तादाद बढ़ती जा रही है। फिलिस्तीन का मानना है कि किसी भी समझौते में इन शरणार्थियों को वापस उनके घर दिलाए जाने की बात जरूर होनी चाहिए। पर दिक्कत ये है कि अगर ये लोग वापस आ जायें तो यहूदी अपने देश में ही अल्पसंख्यक हो जायेंगे।