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Blog / 08 May 2019

(Global मुद्दे) BRI सम्मेलन 2019 (Belt and Road Initiative (BRI) Summit)

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(Global मुद्दे) BRI सम्मेलन 2019 (Belt and Road Initiative (BRI) Summit)


एंकर (Anchor): कुर्बान अली (पूर्व एडिटर, राज्य सभा टीवी)

अतिथि (Guest): अशोक सज्जनहार (पूर्व राजदूत), प्रो. बी. आर. दीपक (चीन अध्ययन केंद्र, JNU)

चर्चा में क्यों?

25 - 27 अप्रैल के बीच चीन की राजधानी बीजिंग में 'BRI सम्मेलन' आयोजित हुआ। दो दिन चले इस सम्मेलन में क़रीब 120 देशों के प्रतिनिधित और राजनेता मौजूद रहे। सम्मेलन में 'BRI परियोजना' के तहत लगभग 64 बिलियन डॉलर के अलग अलग देशों के साथ समझौते हुए। पाकिस्तान और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों के अलावा रूस इस सम्मेलन का हिस्सा रहा। चीन का ये दूसरा BRI सम्मेलन था। साल 2017 में हुए BRI सम्मेलन में क़रीब 130 देशों के राजनेता शरीक हुए थे।

BRI से चीन क्या चाहत है?

दरअसल अमेरिका इस समय सबसे ताकतवर देश है। अमेरिकी मुद्रा डॉलर को ही ग्लोबल करेंसी माना जा रहा है और विश्व व्यापार भी डॉलर के ज़रिए ही होता है। चीन अमेरिका के इस प्रभाव को कम करना चाहता है ताकि 2050 तो वो विश्व शक्ति बन कर उभरे। चीन अपने यहां पैदा हो रहे माल की खपत के लिए बाज़ारों की तलाश कर रहा है जोकि BRI परियोजना के ज़रिए मिल सकता है।

BRI परियोजना का मक़सद

1. दरअसल चीन ने दुनिया को ये समझाने में कामयाबी हासिल कर ली है कि आर्थिक भूमंडलीकरण के अगले चरण के लिए बुनियादी ढांचा विकास और कनेक्टिविटी की सख़्त ज़रूरत है। 2. जानकारों के मुताबिक़ चीन की इस परियोजना के राजनीतिक और रणनीतिक दोनों तरह के मक़सद हैं। 3. चीन इस परियोजना में अब तक कुल क़रीब 90 अरब डॉलर का निवेश कर चुका है। इसके अलावा बैंकों ने भी 200 -300 अरब डॉलर के ऋण उपलब्ध कराए हैं। 4. BRI परियोजना के ज़रिए चीन अधिक से अधिक देशों को अपने साथ लाने की कोशिश कर रहा है। 5. चीन का इरादा एशिया, अफ्रीका और यूरोप के देशो में ज़्यादा से ज़्यादा क़र्ज़ देकर अपना पैसा निवेश करने का है ताकि ये देश एक तरीके से चीन के क़र्ज़ तले दब जाए। 6. विशेषज्ञों के मुताबिक़ चीन की ये परियोजना उसकी महाशक्ति बनने की महत्वाकांक्षी को पूरा करने की बुनियादी योजना है। 7. जानकारों का मानना ये भी है कि चीन के इस जाल में बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देश फंसते जा रहे हैं। 8. मालदीव और श्रीलंका से लेकर मलेशिया और थाईलैंड तक तमाम देशों में चीन की कई परियोजनाओं के भविष्य को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। पिछले साल ही श्रीलंका ने अपना हम्बनटोटा बंदरगाह चीन की एक फ़र्म को 99 साल के लिए सौंप दिया था। क्यूंकि श्रीलंका चीन की तरफ से मिले 140 करोड़ डॉलर के कर्ज़ को चुका पाने में नाकाम था।

क्या है BRI परियोजना?

  • BRI - बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव परियोजना चीन की सालों पुरानी 'सिल्क रोड' से जुड़ा हुआ है। इसी कारण इसे 'न्यू सिल्क रोड' और One Belt One Road (OBOR) नाम से भी जाना जाता है। BRI परियोजना की शुरुआत चीन ने साल 2013 में की थी। BRI परियोजना चीन की विदेश नीति की एक परियोजना है। इस परियोजना में एशिया, अफ्रीका और यूरोप के कई देश बड़े देश शामिल हैं।
  • चीन की इस परियोजना का उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, गल्फ कंट्रीज़, अफ्रीका और यूरोप के देशों को सड़क और समुद्री रास्ते से जोड़ना है।
  • चीन की ये योजना क़रीब दुनिया के 60 से अधिक देशों को सड़क, रेल और समुद्री रास्ते से जोड़ने का काम करेगी। चीन के मुताबिक़ उनकी इस परियोजना से दुनिया के अलग - अलग देश एक दूसरे के नज़दीक आएंगे जिससे आर्थिक सहयोग के साथ आपसी संपर्क को भी बढ़ाने में मदद मिलेगी। चीन के मुताबिक़ BRI परियोजना का मकसद आर्थिक है जिसके पूरा होने से विश्व का परिदृश्य बदल सकता है।

BRI परियोजना ऐतिहासिकता

दरअसल सैंकड़ों सालों पहले 'सिल्क रोड' का निर्माण हुआ था। सिल्क रोड प्राचीनकाल और मध्यकाल में ऐतिहासिक व्यापारिक-सांस्कृतिक रास्तों का एक समूह था जिसके ज़रिए एशिया, यूरोप और अफ्रीका महाद्वीप के देश जुड़े हुए थे। इस कॉरिडोर के ज़रिए जल और थल दोनों ही रास्तों से व्यापार होता था। इसका सबसे जाना-माना हिस्सा उत्तरी रेशम मार्ग था जो चीन से होकर पश्चिम की ओर पहले मध्य एशिया में और फिर यूरोप में जाता था। सिल्क रोड का हिस्सा रहा 'नार्थ सिल्क रोड' भारत को भी जोड़ता था। चीन जहां इस रास्ते का इस्तिमाल रेशम, चाय और चीनी मिटटी के बर्तन भेजने के लिए करता था, तो वहीं इस रास्ते का इस्तेमाल मसाले, कपड़े, काली मिर्च और कीमती पत्थर भेजने के लिए किया करता था।

कैसे काम कर रही है BRI परियोजना

BRI परियोजना मौजूदा समय में तीन तरीके से काम कर रही है

  1. सिल्क रोड परियोजना - (चीन के जियान प्रान्त से शुरू होकर रूस, उजबेकिस्तान कज़ाकस्तान, ईरान और तुर्की से होते हुए यूरोप के देश पोलैंड, यूक्रेन बेल्जियम और फ्रांस को सड़क मार्ग से जोड़ेगा )
  2. समुद्री सिल्क परियोजना - पूर्वी एशिया से दक्षिण एशिया और अफ्रीका के स्वेज़ नहर होते हुए यूरोप को जोड़ने की योजना है। ( एथेंस केन्या श्रीलंका म्यांमार जकार्ता कुआलालंपुर से होते हुए चीन के झींगझियांग से जुड़ जायेगा।
  3. चीन के सहयोग से बन रहे बंदरगाह ( बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका)

BRI परियोजना के अहम हिस्से

1. पश्चिमी चीन से पश्चिमी रूस तक जाने वाला नई यूरेशिया लैंड ब्रिज़ 2. उत्तरी चीन से पूर्वी रूस तक जाने वाला चीन- मंगोलिया - रूस गलियारा 3. पश्चिमी चीन से तुर्की जाने वाला चीन - मध्य एशिया गलियारा 4. दक्षिण चीन से सिंगापुर तक जाने वाला चीन - इंडोचाइना प्रायद्वीप गलियारा 5. दक्षिणी पश्चिमी चीन से पाकिस्तान जाने वाला चीन - पकिस्तान गलियारा 6. दक्षिण चीन से भारत जाने वाला बांग्लादेश - चीन - भारत - म्यांमार गलियारा (हालाँकि ये अब खारिज़ हो चुका है) और सिंगापुर - भारत से भूमध्यसागर तक जाने वाला समुद्री रास्ता

भारत करता है BRI परियोजना का विरोध

भारत चीन की इस परियोजना का शुरू से ही विरोध करता है। साल 2017 में हुए पहले 'BRI सम्मेलन' में भी भारत ने भाग नहीं लिया था। भारत के BRI परियोजना का विरोध के चलते चीन ने 2019 के 'BRI सम्मेलन’ में BCIM यानी बांग्लादेश - चीन - भारत - म्यांमार गलियारे को अपनी अहम परियोजनाओं से हटा दिया है। चीन अब दक्षिण एशिया में CMEC - चीन - म्यांमार आर्थिक गलियारे, नेपाल - चीन गलियारे (Nepal-China Trans Himalayan Multi-Dimensional Connectivity) और चीन पकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर पर ही काम करेगा।

अमेरिका भी है चीन की इस परियोजना के ख़िलाफ़

ग़ौरतलब है कि अमेरिका ने भी इस बार सम्मेलन में अपने किसी उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल को सम्मेलन में भाग लेने नहीं भेजा। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियों ने कहा है कि - चीन की ये परियोजना देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा साबित हो सकती है।

BRI से भारत की मुश्किलें

1. China–Pakistan Economic Corridor

चीन अपनी BRI परियोजना के ज़रिए अन्य देशों की तरह भारत को भी घेरने की कोशिश कर रहा है। बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव का हिस्सा CPEC (China–Pakistan Economic Corridor) भारत के लिए मुश्किल का सबब बना हुआ है। साल 2014 में चीन ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की आधिकारिक रूप से घोषणा की थी। जिसके बाद साल 2017 में चीन और पाकिस्तान नें इस आर्थिक गलियारे की योजना को 2023 तक की अवधि के लिए मंजूरी दे दी।

दरअसल चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर भारत के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है, जोकि संवैधानिक रूप से भारत का हिस्सा है। ग़ौरतलब है कि चीन ने इस गलियारे के लिए भारत से इजाज़त नहीं ली थी।

चीन का CPEC (China–Pakistan Economic Corridor) चीन के पश्चिमी शिनजियांग को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ता है। इस गलियारे के बाद भारत पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा का विषय रहे कश्मीर में एक तरीके से चीन भी शामिल हो गया है जोकि भारत की सम्प्रभुता ,के साथ देश की अखंडता के लिए भी ख़तरा है।

2. BRI के विरोध से भारत को होगा नुक्सान : चीन

इसके अलावा चीन ने कहा है कि भारत यदि BRI परियोजना में शामिल नहीं होता है तो वो कई बड़ी विकास परियोजनाओं से हाथ धो बैठेगा। साथ ही कई दक्षिण एशियाई देशों के साथ ही BRI परियोजना में शामिल देशों के साथ भी भारत के व्यापारिक हित प्रभावित होंगे। साल 2017 में नए सिल्क रूट में चीन का हमसफ़र बना नेपाल भी भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। कुछ दिन पहले हुए पुलवामा आतंकी हमले में आतंकी मसूद अज़हर को दोषी क़रार दिए जाने के बावजूद भी चीन ने संयुक्त राष्ट्र में मसूद अज़हर के प्रतिबन्ध पर तकनीकि रोक लगा दी थी। हालाँकि चीन ने अब वो तकनीकि रोक हटा ली है

3. हिंदमहासागर में बढ़ता चीन का प्रभाव

इसके अलावा चीन हिंदमहासागर के देशों में बंदरगाह, नौसेनाबेस, और निगरानी पोस्ट बनाना चाहता है जिसके ज़रिए चीन बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में अपना प्रभाव मज़बूत कर लेगा। भारत कैसे कर रहा है BRI परियोजना का विरोध

1. भारत शुरू से ही BRI परियोजना का विरोध कर रहा है। भारत चीन को रोकने के लिए क्वाड ग्रुपिंग और टू-प्लस-टू सिक्यॉरिटी टॉक का इस्तेमाल का रहा है।

  • टू-प्लस-टू वार्ता - जब दो देशों के बीच दो मंत्रिस्तरीय पर वार्ता होती है तो इसे विदेश नीति के संबंध में 2+2 वार्ता कहा जाता है। सामान्य तौर पर 2+2 वार्ता में दोनों देशों की तरफ से उनके विदेश और रक्षा मंत्री हिस्सा लेते हैं ।
  • क्वाड - भारत - जापान - ऑस्ट्रेलिया - अमेरिका देशों का एक अनौपचारिक समूह है। जिसका उद्देश्य चीन की विस्तार वादी नीतियों पर अंकुश लगाना है।
  • भारत के साथ ये सभी देश भी हिन्द और प्रशांत महासागर में व्यापारिक गतिविधियों को बिना किसी रूकावट के बढ़ावा देना चाहते हैं। इसके साथ ही भारत द्विपक्षीय साझेदारियों पर भी ज़्यादा ध्यान दे रहा है जिसके लिए भारत दक्षिण एशिया में जापान के साथ काम कर रहा है।

2. इसके अलावा भारत Asia-Africa Growth Corridor जैसी परियोजनाओं वाले मॉडल पर काम कर रहा है जिसमें भारत जापान के अलावा कई अफ्रीकी देश शामिल हैं।

  • Asia-Africa Growth Corridor - भारत - जापान का इस परियोजना में मॉडल बॉटम-अप मॉडल है। इस मॉडल के ज़रिए अफ्रीकी देशों से पूछा जाएगा कि उनकी क्या ज़रूरतें हैं। Asia-Africa Growth Corridor में सिर्फ़ अपना फ़ायदा नहीं देखा जा रहा बल्कि अफ्रीकी देशों की क्षमता भी बढ़ाई जाएगी और वहां पर आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जाएगा।

3. जानकारों के मुताबिक़ भारत का BRI परियोजना में शामिल नहीं होना आर्थिक तौर पे समझदारी भरा कदम है। भारत चीन की इस परियोजना में पारदर्शिता चाहता है। भारत चाहता है कि चीन की इस परियोजना में अंतराष्ट्रीय क़ानूनों का पालन हो जबकि चीन इन सभी बातों को अनदेखा कर रहा है।

कौन कौन देश हैं BRI परियोजना के ख़िलाफ़

भारत, भूटान, अमेरिका, जापान यूरोपियन यूनियन जैसे देश की परियोजना के सख़्त ख़िलाफ़ हैं। BRI परियोजना में शामिल रहे मलेशिया ने हाल ही में चीन की इस परियोजना से ख़ुद को बाहर कर लिया। मलेशिया के मुताबिक चीन की ये परियोजना उनके देश के हित में नहीं है। मलेशिया ने क़रीब 22 बिलियन डॉलर के चीन के प्रोजेक्ट से अपना हाथ खींच लिया है। हालांकि G -7 देशों में शुमार इटली भी चीन की इस परियोजना में शामिल है।

BRI सम्मेलन 2017

  • इससे पहले साल 2017 में 14 -15 मई को चीन ने पहला BRI सम्मेलन आयोजित किया था। 2017 के BRI सम्मेलन में करीब 130 से अधिक देशों के राजनेता और प्रतिनिधि आए थे। इस दौरान क़रीब 70 से अधिक देशों ने बेल्ट एंड रोड परियोजना से जुड़े समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
  • चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2017 के BRI सम्मेलन को दुनिया में खुशहाली के लिए मील का पत्थर बताया। चीन के मुताबिक ये परियोजना दुनिया की तस्वीर बदल देगी।
  • चीन के मुताबिक़ इस परयोजना के ज़रिए वित्तीय, सामाजिक और सांस्कृतिक दूरी मिटेगी। चीन ने इस दौरान पांच सूत्रीय फॉर्मूला भी देश पेश किया था।
  • 2017 के सम्मेलन में अमेरिका, रूस, जापान, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस जैसे देश शामिल थे। जबकि भारत ने इस सम्मेलन का बहिष्कार किया था।

BRI सम्मेलन 2019

  • चीन के बीजिंग में बेल्ट एंड रोड परियोजना (बीआरआई) का दूसरा सम्मेलन हुआ।
  • इस बार इसमें 37 देश शामिल हो रहे हैं।