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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 30 May 2020

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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 30 May 2020



One World One Sun One Grid

  • वर्ष 2015 में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे के समाधान के लिए पेरिस सम्मेलन हुआ जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन पर विश्व के देशों को एक साथ लाना था ! यह UNFCCC की 21 वीं बैठक थी इसी कारण इसे COP-21 के नाम से जाना जाता है !
  • जलवायु परिवर्तन में दो मुख्य बिंदु शामिल होते हैं -ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करना और दूसरा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का विकास करना !
  • भारत भी इस सम्मेलन का भागीदार था और अपनी वैश्विक जिम्मेदारी को देखते हुए भारत ने अप्रैल 2016 में औपचारिक रूप से इस पर हस्ताक्षर कर दिया !
  • भारत ने इसके लिए 2030 तक 2005 के स्तर से GDP कि उत्सर्जन तीव्रता में 33-35% की कमी करने तथा 2030 तक गैर जीवाश्म ईंधन (Non-Fossil Fuel) आधारित ऊर्जा स्रोतों से 40% ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा !
  • भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकता का सर्वाधिक भाग तापीय उर्जा से प्राप्त करता है जिसकी वजह से ग्रीन हाउस गैसें उत्सर्जित होती है ! इसलिए भारत ने अपनी भौगोलिक स्थिति तथा प्राकृतिक संसाधन के द्वारा ऊर्जा प्राप्ति का निर्णय लिया !
  • इसी क्रम में 30 नवंबर 2015 को पेरिस जलवायु सम्मेलनके दौरान अंतर्राष्ट्रीय सौर संगठन (International Solar Alliance-ISA) की स्थापना की गई !
  • 6 दिसंबर 2017 को इसकी शुरुआत की गई अर्थात इसे क्रियान्वित करना प्रारंभ किया गया !
  • National Institute For Solar Energy, Gurugramइसका मुख्यालय बनाया गया !
  • इसके माध्यम से सोलर एनर्जी के प्रयोग में आ रही बाधाओं को दूर करना, उन देशों को एक साथ लाना था जो सौर ऊर्जा का उपयोग करना चाहते हैं !
  • प्रारंभ में कर्क और मकर रेखा के बीच में आने वाले देशों को इसमें शामिल करने का प्रस्ताव था लेकिन बाद में अन्य देशों के लिए भी इसे खोल दिया गया !
  • इसी कारण इसके सदस्यों की संख्या बढ़कर 67 हो गई है ! अर्थात इन देशो ने हस्ताक्षर करने के साथ-साथ इसे रेटिफाई कर दिया है !
  • वही हस्ताक्षर देशों की संख्या 86 है !
  • 2 अक्टूबर से 5 अक्टूबर के बीच नई दिल्ली में ISA की पहली बैठक तथा Renewable Energy investment Meeting And Expo की बैठक आयोजित हुई थी !
  • यहां पर प्रधानमंत्री ने One World One Sun One Gridका विचार सामने रखा जिससे सभी प्रदेशों, क्षेत्रों तक बिजली की आपूर्ति की जा सके !
  • इससे उन क्षेत्रों तक भी सौर ऊर्जा ( हरित ऊर्जा) पहुंच सकेगी जहां पर इसका पर्याप्त उत्पादन नहीं हो पाता है !
  • भारत ने इस विचार को क्रियान्वित करने के लिए अब कंपनियों को आमंत्रित किया है जिससे इसके लिए एक व्यवहारिक Road Map और Institutional Frameworkविकसित किया जा सके और दीर्घकालिक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्लान का निर्माण और इंप्लीमेंटेशन किया जा सके !
  • Ministry Of New and Renewable Energy द्वारा इसके लिए आवेदन मांगे गए हैं !
  • इसके पहले फेज में Middle East- South Asia- South East Asiaको ग्रिड के माध्यम से कनेक्ट करने का प्रयास किया जाएगा !
  • इसके अंतर्गत भूमध्य सागर के पूर्व के देशों, सार्क समूह और आसियान समूह को जोड़ा जाएगा !
  • पहला फेज संपन्न होने पर ( जुड़ने के बाद) इस ग्रिड का विस्तार दूसरे फेज के रूप में अफ्रीका में किया जाएगा !
  • एशिया और अफ्रीका सौर ऊर्जा प्राप्त करने वाले सबसे बड़े महाद्वीप हैं एवं ऐसी भूमि का प्रतिशत भी ज्यादा है जहां पर सौर ऊर्जा का उत्पादन ज्यादा हो सकता है !
  • यहां पर यह भी समझना आवश्यक है कि यही वह क्षेत्र है जहां ऊर्जा की उपलब्धता सबसे कम है !
  • दूसरे चरण को संपन्न करने के बाद इसे वैश्विक रूप दिया जाएगा !
  • यह क्षेत्र कम आय वाले देश हैं फलस्वरूप इस के ( सौर ऊर्जा) विकास से औद्योगिकरण, जीवन स्तर, स्वास्थ्य स्तर सुधरेगा तथा ग्रीनहाउस उत्सर्जन में कमी आएगी !
  • विकासशील इन क्षेत्रों को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करने में सिर्फ विकास को गति मिलेगी बल्कि महंगी हरित तकनीकी और ऊर्जा के लिए इन्हें ऋण नहीं लेना पड़ेगा !
  • अनेक संभावनाएं होने के बावजूद बहुत-सी चुनौतियां हैं !
  • भारत इसके लिए World Solar Bank का निर्माण करना चाहता है जिसका कैपिटल 10 बिलियन डॉलर का हो, कठिन है और Covid के दौरान कम संभावना है !
  • प्रथम एवं द्वितीय फेज के अंतर्गत आने वाले देशों में सामंजस्य की कमी है !
  • ग्रिड का विकास कम व्यवहारिक प्रतीत होता है क्योंकि सभी देश इस को एक समान महत्व नहीं देते हैं !
  • प्रारंभिक लागत सौर ऊर्जा की कमी भी ज्यादा है जबकि अफ्रीकी देशों में पैसे का अभाव है !
  • चीन और पाकिस्तान द्वारा इसे रोकने या असफल करने का प्रयास किया जा रहा है !

Locust Attack

  • टिड्डी (Locust) एक उष्णकटिबंधीय कीड़ा है जो 1 दिन में 130 से 150 किलोमीटर की दूरी उड़कर तय करने की क्षमता रखते हैं !
  • इसका जीवन का लगभग 8-10 हफ्ते का होता है लेकिन प्रजनन क्षमता बहुत ज्यादा होती है ! एक अकेली मादा टिड्डी अपने जीवन चक्र में लगभग 60-80 अंडे देती है !
  • आर्द्र और उष्ण मौसम इनके लिए अनुकूल माना जाता है फलस्वरुप ऐसी स्थिति में यह मात्र 3 माह की अवधि में अपनी संख्या 20 गुना तक बढ़ा सकती है !
  • इनकी एक खास विशेषता इनका एक झुंड में चलना है और एक छोटे से झुंड में इनकी संख्या कई लाखों में होती है !
  • यह अपने आहार के रूप में फसलों पर हमला करते हैं और एक छोटा दल एक दिन में 30-35 हजार लोगों के बराबर के अनाज को खा सकता है !
  • बरसात और मानसून के समय इनका प्रभाव ज्यादा होता है लेकिन फरवरी 2020 में भी इनका हमला अफ्रीका, पश्चिमी एशिया के साथ-साथ भारत के पश्चिमी हिस्से की फसलों पर हुआ था !
  • फरवरी 2020 और इस समय जिन टिड्डीयों का हमला हुआ है इन्हें Desert Locust बताया जा रहा है !
  • यह दुनिया के सबसे खतरनाक कीट प्रजाति मानी जाती है जिसकी वजह से खाद्य असुरक्षा की स्थिति उत्पन्न हो सकती है !
  • इनकी तीन अन्य प्रजातियां Migratory Locust, Bombay Locust और Tree Locust भी हैं जिनका हमला भारत पर होता है !
  • Desert Locust के संदर्भ में यह देखा गया है कि इन्हें मारना या फिर रोकना सबसे ज्यादा कठिन होता है !
  • टिड्डीयों के संदर्भ में यह माना जाता है की प्रत्येक 10 वर्ष में 2 साल इनका घातक प्रभाव देखा जाता है !
  • जनवरी के अंत में और पुनः अभी कुछ दिन पूर्व एशिया और अफ्रीका के कई क्षेत्रों में टिड्डी दल (Locust Swarms) ने फसलों पर हमला किया है !
  • हॉर्न ऑफ अफ्रीका, लाल सागर, और दक्षिण पश्चिम एशिया में स्थिति बहुत चिंताजनक हो गई है क्योंकि कई क्षेत्र में पहले से ही खाद्य असुरक्षा की समस्या थी वहां अब भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है ! हॉर्न ऑफ अफ्रीका इसी स्थिति में पहुंच गया है !
  • यह इथियोपिया, सोमालिया, सऊदी अरब, ओमान, यमन, ईरान, पाकिस्तान होते हुए भारत तक पहुंच गए हैं !
  • इन्होंने राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों की पूरी फसल को ही बर्बाद कर दिया है अब यह उत्तर प्रदेश की तरफ बढ़ रहे हैं !
  • इससे बचने के लिए दमकल से कीटनाशकों का छिड़काव किया जा रहा है तथा उन तरीकों को अपनाया जा रहा है जिससे शोर उत्पन्न होता है !
  • जिन क्षेत्रों में फसल नहीं है वहां आर्गोफास्फेट रसायन (Organo- Phosphate Chemical) का भी छिड़काव किया जा सकता है ! यह विषाक्त रसायन माना जाता है !
  • 1950 के बाद यह टिड्डीयों का सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है !
  • इसे Locust Plague के रूप में देखा जा रहा है ! सामान्यत: जब टिड्डीयों का हमला लगातार दो वर्षो तक होता है तो इसे Locust Plague के रूप में चिन्हित किया जाता है !
  • वर्ष 2019 के मानसून पूर्व से इनका हमला होता आ रहा है !
  • पिछला मानसून प्रभावी के साथ दीर्घकालिक था जिसके कारण इनके विकास के लिए अनुकूल दिशाएं बनी रहीं !
  • इनका सामान्य क्षेत्र अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया है लेकिन जब अनुकूल दिशाएं होती है तो यह अपना विस्तार दूर-दूर के क्षेत्रों तक कर लेते हैं !
  • अधिकांश समीक्षाकइसे जलवायु परिवर्तन और हिंद महासागर के बढ़ते तापमान से जोड़कर देख रहे हैं !
  • इस तापमान वृद्धि ने आर्द्रता और घास तथा वनस्पतियों का विकास कर इनके प्रसार को आगे बढ़ाया है !
  • एक अन्य कारण सभी क्षेत्रों में लॉकडाउन होने का कारण कीटनाशकों का छिड़काव का ना हो पाना है !
  • कृषि विशेषज्ञ फसलों पर Chlorpyri Fox के छिड़काव की बात कह रहे हैं !
  • इस परिस्थिति में कृषि एवं किसान मंत्रालय के अधीन आने वाले LWO ( locust warning center )की जिम्मेदारी बढ़ गई है !
  • Covid-19 का सर्वाधिक घातक प्रभाव किसान और मजदूर वर्ग पर पड़ा है ऐसे में यह इनकी गंभीरता को बढ़ा सकती है !
  • आने वाले समय में भारत को PDS एवं अन्य खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए इन हमले को आगे बढ़ने से रोकना होगा !