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Blog / 30 Jul 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 30 July 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 30 July 2020



जैविक/जैव हथियार चर्चा में क्यों हैं?

  • कीटाणुओं, विषाणुओं तथा फफूंद जैसे संक्रमणकारी तत्वों का प्रयोग युद्ध में नरसंहार के लिए प्रयोग करना जैव युद्ध (Bio Warfare) कहलाता है।
  • यह युद्ध की वह परिस्थिति होती है जिसमें विरोधी देश या सेना को बिना आमने-सामने लड़ाई किये भारी क्षति पहुँचाई जा सकती है।
  • ग्लैण्डर, टूलेरीमिया, एंथ्रेक्स, प्लेग, बोटूलिज्म जैसे जीव इसके कुछ उदाहरण हैं जिनका उपयोग तकनीकी के माध्यम जैव युद्ध के लिए किया जा सकता है।
  • इन्हें द्रव अवस्था के रूप में विकसित किया जा सकता है, पाउडर के रूप में बनाया जा सकता है, खाद्य पदार्थ में मिश्रित किया जा सकता है। कुल मिलाकर यह हवा, पानी, मिट्टी, खाद्य सामग्री, व्यापार के अन्य में यह फैलाये जा सकते हैं।
  • तकनीकी का प्रयोग करके इन्हें ऐसे हथियार के रूप में बदल दिया जाता है कि मनुष्य के अंदर पहुँचने के 24 घंटे के अंदर यह उसकी जान ले लेते हैं।
  • वैज्ञानिक विकास ने सूक्ष्म जीवों के विषय में हमारी जानकारी को बढ़ा दिया है लेकिन जब इसी जानकारी का प्रयोग विध्वंसक कार्यों के लिए किया जाने लगता है तो यह दूनिया के सबसे खतरनाक युद्ध सामग्री के रूप में परिवर्तित कर दिये जाते हैं।
  • वर्तमान समय में बहुत से देश इस दिशा में कार्य कर रहे हैं जो चिंताजनक है।
  • इसका प्रयोग प्राचीन काल से होता आया है। ईसा पूर्व छठवीं शताब्दी में मेसोपोटामिया के अस्सूर साम्राज्य के लोगों ने दुश्मनों के कुओं में विषाक्त कवक डाल दिया था।
  • आधुनिक समय में इसका प्रयोग प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी के सैनिकों द्वारा एंथ्रेक्स तथा ग्लैंडर्स के जीवाणुओं के रूप में की गई थी।
  • जापान-चीन युद्ध (1937-1945) तथा द्वितीय विश्वयुद्ध (1939- 1945) में जापानी सेना द्वारा इसका उपयोग किया गया था।
  • पिछले दशक में कई ऐसी घटनायें हुई जिसमें लिफाफे के अंदर संक्रमित एंथ्रेक्स जीवों को कई देशों में भेजा गया जिसकी वजह से कई लोगों की मृत्यु हो गई।
  • वर्तमान समय में वैश्विक समुदाय इसकों लेकर इसीलिए चिंतित रहता है क्योंकि यह भारी तबाही का कारण बन सकते हैं।
  • हाल ही में यह सूचना आई है कि चीन एवं पाकिस्तान मिलिट्री के बीच एक सिक्रेट डील हुई है जिसमें दोनों देश मिलकर अपनी जैविक युद्ध क्षमता को बढ़ायेंगे।
  • टाइम्स ऑफ इण्डिया मे छपी रिपोर्ट के अनुसार इस क्षमता का प्रयोग भारत एवं पश्चिमी देशों के खिलाफ किया जायेगा।
  • यह दोनों देशों के बीच तीन साल का समझौता है जिसमें दोनों देश मिलकर जैविक क्षमता को बढ़ायेंगे जिसमें एंथ्रेक्स (Anthreax) का विकास सर्वप्रमुख है।
  • एंथ्रेक्स एक प्रकार का वैक्टिरिया है जो भेड़-बकरी और गाय जैसे मवेशियों के माध्यम से फैलता है।
  • यह जानवरों से मनुष्यों तक पहुँचता है और शरीर मे प्रवेश कर फेफडे में पहुँचता है और उसके बाद रक्त में फैल जाता है।
  • जैविक हथियार के रूप में इसके उपयोग की संभावना सबसे ज्यादा होती है क्योंकि यह मिट्टी में काफी लंबे समय तक निष्क्रिय पड़ा रहता है और आसानी से सक्रिय किया जा सकता है।
  • पानी के जहाज, हवाई जहाज और मांस, आदि के मध्यम से इसे फैलाया जा सकता है।
  • इस डील में चीन की तरफ वुहान लैब शामिल हुआ है तो पाकिस्तान की तरफ से डिफेंस साइंस एंड टेक्नोलजी आर्गनाइजेशन शामिल हुआ है।
  • इस डील में वित्तीय सहायता ,आवश्यक मैटेरियल एवं तकनीकी सहयोग वुहान लैब द्वारा उपलब्ध करायी जायेगी।
  • इसके अंतर्गत होने वाले परीक्षण चीन के बाहर होंगे जिससे वैश्विक समुदाय की नाराजगी न झेलना पड़े।
  • इस प्रोजेक्ट पर कार्य भी प्रारंभ हो चुका है जिसमें मिट्टी का परीक्षण शामिल है कि किस प्रकार संक्रमित जीवों का विकास मिट्टी में तीव्र गति से किया जा सकता है।
  • पाकिस्तान पहले से ही Bacillus Thuringiensis और Bacillus Anthracis के क्षेत्र कार्य कर रहा। इससे पाकिस्तान एवं चीन मिलकर तेजी से जैविक हथियार का विकास कर सकते हैं।
  • यहां जैविक हथियार के विकास के अलावा एक चुनौती लैब की स्थिति को लेकर है क्योंकि पाकिस्तान में इस प्रकार के लैब का अभाव है जो संक्रमण को बाहर न फैलने दे।
  • एक सूचना के अनुसार दोनों देशों ने Crimean-Congo Hemorhagic Fever Virus (CCHFV) पर परीक्षण प्रारंभ कर दिया है। यह इबोला वायरस की तरह का होता है।
  • जैविक हथियारों के निर्माण पर रोक लगाने के लिए 1925 में जिनेवा प्रोटोकाल पर कई देशों ने अपनी सहमति दी।
  • वर्ष 1972 में बायोलॉजिकल वेपन कन्वेंशन की स्थापना की गई जिस पर 183 देशों ने हस्ताक्षर कर दिया है।
  • भारत 1973 से इसका सदस्य है।
  • चीन एवं पाकिस्तान की उपरोक्त परियोजना इस कन्वेंशन के उल्लंघन को बताती है।
  • जैव आतंकवाद या चुनौतियों से निपटने के लिए भारत में ग्रह मंत्रालय को नोडल एजेंसी बनाया गया है। ग्रह मंत्रालय को रक्षा मंत्रालय, DRDO, पर्यावरण मंत्रालय एवं अन्य संगठनों का सहयोग प्राप्त होता है।
  • भारत में जैव हथियार से निपटने का आधारभूत संरचना अभी कमजोर है जिसे मजबूत करने एवं रिसर्च एवं डेवलपमेंट की गति को बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • जैविक हथियार का सामना करने के लिए वैश्विक सहयोग बहुत महत्त्वपूर्ण होता है इसलिए इस क्षेत्र में भारत को अपना प्रयास बढ़ाना होगा।

यूरोपीय संघ द्वारा अर्थव्यवस्था को संभालने का प्रयास

  • कोरोना वायरस से जन-धन की हानि बढ़ती जा रही है। कई विश्लेषकों का मानना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव द्वितीय विश्व युद्ध और 1929 वैश्विक महामंदी से भी ज्यादा होगा।
  • हाल ही में IMF, WB एवं UNCTAD की रिपोर्ट के आधार पर अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को देखें तो इनका अनुमान यह बताता है कि वर्ष 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था –5% तक सिकुड़ सकती है।
  • 24 जून को प्रस्तुत रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि 2020 में कंपनियों की आय में 40 से 60 प्रतिशत कमी आ सकती है।
  • यह रिपोर्ट यह भी बताती है कि कमजोर और उभरती अर्थव्यवस्था पर कोरोना का प्रभाव सबसे बुरा पड़ेगा।
  • कोरोना ने अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, लैटिन अमेरिका सबको प्रभावित किया किया है और सभी अपने प्रयास से इससे बाहर निकलने का प्रयास कर रहे है।
  • कोरोना से उत्पन्न चुनौती का सामना करने के लिए और अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए हाल ही में यूरोपीय यूनियन के 27 (सभी) सदस्यों ने एक समझौते पर सहमति व्यक्त की है।
  • इसके तहत कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित देशों के लिए 360 बिलियन यूरो का ऋण कम ब्याज पर दिया जायेगा।
  • इनसे कम प्रभावित देशों को 390 बिलियन यूरो का ट्टण दिया जायेगा।
  • अगले सात वर्षो में यूरोपीय संघ के लिए यूरो 1.1 ट्रिलियन का बजट आवंटन किया जायेगा।
  • इसके लिए यूरोपीय संघ लगभग 750 बिलियन यूरो बाजार से उधार लेगा और इसे ऋण और अनुदान के रूप में वितरित करेगा।
  • आने वाले समय में यूरोपीय संघ इस क्षेत्र में आंशिक रूप से कुछ कर लगा सकता है। साथ ही आने वाले समय में सदस्य देशों के बीच राजकोषीय समन्वय स्थापित किया जा सकता है।
  • राहत पैकेज का लगभग एक तिहाई राशि जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए निर्धारित की गई है।
  • इसका प्रयोग ऊर्जा दक्षता बढ़ाने एवं उत्सर्जन कम करने में किया जायेगा।
  • यूरोपीय संघ अपनी जीडीपी का लगभग 5 प्रतिशत अपने इस राहत पैकेज में खर्च करेगा।
  • समीक्षकों का मानना है कि यह इटली, स्पेन, पुर्तगाल जैसे देशों के लिए तो ठीक हो सकता है लेकिन सभी देशों के लिए नहीं।
  • बहुत से देश ऐसे है जहां कोरोना का प्रभाव कम हुआ है फलस्वरूप उन्हें इसका फायदा नहीं मिलेगा जिससे सहयोग में कमी आ सकती है।
  • वर्ष 2008-2009 की मंदी के दौरान इसी प्रकार की समस्या उत्पन्न हुई थी जिसके बाद ब्रिटेन ने बाहर होने का निर्णय लिया।

Air Quality Life Index

  • वायु गैसों का मिश्रण है। गैसों के मिश्रण का अनुपात जब तक सही रहता है यह हमारे लिए यह जीवनदायिनी गैस के रूप में उपयोगी होते है लेकिन जब मिश्रण में अशुद्धियाँ या प्रदूषण तत्व ज्यादा हो जाते है तो इनका घातक प्रभाव भी बढ़ जाता है।
  • वर्तमान समय में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतें अन्य आपदाओं से ज्यादा है।
  • भारत में वायु प्रदूषण बहुत ज्यादा है यही कारण है कि सर्वाधिक वायु प्रदूषित शहरों में से अधिकांश शहर भारत के होते है।
  • हाल ही में Energy Policy Institute at the University of Chicago द्वारा एक Air Quality Life Index जारी किया गया है।
  • इसका मुख्य उद्देश्य यह बताना होता है कि पार्टिकुलेट मैटर की वजह से हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है।
  • इस हाल में जारी इस इंडेक्स के अनुसार भारत में वायु प्रदूषण की वजह से जीवन प्रत्याशा में 5.2 साल की कमी आई है।
  • वर्ष 2019 में आई इंडेक्स के अनुसार यह कमी 4 साल, 3 माह, 13 दिन था जो अब बढ़कर 5 साल, 2 माह, 12 दिए हो गया है। अर्थात भारत में वायुप्रदूषण से क्षति में वृद्धि हुई है।
  • उत्तर भारत में यह हानि लगभग 8 साल है जबकि पिछले साल यह 7 साल ही था। यह वही क्षेत्र है जहां सर्वाधिक जनसंख्या निवास करती है।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश में वायु प्रदूषण भारत से ज्यादा है।
  • पूरे विश्व में वायु प्रदूषण से जीवन प्रत्याशा में होने वाली कमी मात्र 1 साल, 10 माह और 24 दिन है जो कि भारत के 5.2 साल से बहुत कम है इससे पता चलता है भारत में वायुप्रदूषण घातक स्तर पर पहुँच गया है।
  • इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वायु प्रदूषण से होने वाली क्षति मलेरिया, HIV/एड्स, रोड एक्सिडेंट, शराब एवं ड्रग्स का सेवन, स्मोकिंग आदि से भी अधिक है।
  • भारत, बांग्लादेश, नेपाल एवं पाकिस्तान में पिछले 20 सालों में पार्टीकुलेटमेंटर 44 प्रतिशत बढ़ा है। वहीं चीन ने इन वर्षों में अपनी जीवन प्रत्याशा की क्षति को 3 साल, 6 माह से कम कर के 2 साल, 3 माह तक कर लिया है अर्थात सुधार हुआ है।
  • भारत में नवंबर-दिसंबर वायु प्रदूषण इतना ज्यादा हो जाता है कि आसमान काला दिखने लगता है, विजिविलिटी बहुत कम हो जाती है और वायु प्रदूषण की वजह से मरीजों का प्रवास बढ़ जाता है।