Home > Daily-current-affair

Blog / 24 Jul 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 24 July 2020

image


(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 24 July 2020



QUAD चर्चा में क्यों है?

  • विश्व के कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जिनका सामरिकक महत्व बहुत ज्यादा होता है, इसमें सबसे प्रमुख नाम हिंद-प्रशांत क्षेत्र है।
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में न सिर्फ विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थायें - अमेरिका, चीन, जापान, भारत है बल्कि व्यापार, परिवहन और शक्ति संतुलन स्थापित करने के लिए वैश्विक ताकतें अपना पूरा जोर लगा रही हैं।
  • हाल के वर्षों में इस क्षेत्र को शांत क्षेत्र से अशांत क्षेत्र में बदलने में सबसे बड़ी भूमिका चीन की रही है।
  • चीन की अर्थव्यवस्था का जैसे-जैसे आकार बढ़ रहा है वह अपनी शक्ति को अनेक माध्यमों से प्रदर्शित कर अपने आप को वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करना चाहता है।
  • दक्षिणी चीन सागर, पूर्वी चीन सागर में चीन का बढ़ता हस्तक्षेप इसी शक्ति प्रदर्शन का एक रूप है।
  • जिस हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन अपना हस्तक्षेप बढ़ा रहा है यहां कुछ और देश है जो लोकतांत्रिक मूल्यों में भरोशा रखते हैं, मुक्त-आवागमन एवं व्यापार का समर्थन करते है तथा अहस्तक्षेप की नीति का पालन करते है, इसमें भारत, जापान ,ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका प्रमुख नाम है।
  • भारत-जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका एक ग्रुप का हिस्सा है, जो इस समय फिर चर्चा के केंद्र में है। इसका नाम क्वाड (QUAD) है।
  • QUAD (क्वाड) अर्थात क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग का उद्देश्य प्राकृतिक आपदा के समय सहयोग करना, समुद्री लुटेरो पर नियंत्रण रखना, स्वतंत्र एवं खुली परिवहन व्यवस्था को बनाये रखना है।
  • क्वाड की प्रष्ठभूमि
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र वह क्षेत्र है जहां चक्रवात, सुनामी, तुफान जैसी आपदायें अपना सबसे विनाशकारी रूप दिखाती हैं।
  • इन आपदाओं में इस क्षेत्र के देशों में जितना अधिक सहयोग हो जन-धन की हानि उतनी ही कम हो सकती है।
  • 26 दिसंबर 2004 को आई सुनामी ने 13 देशों को प्रभावित किया और 2 लाख से अधिक लोगों की जान ले ली।
  • इस समय कई देशों ने सहयोग किया और एक ऐसे संगठन की आवश्यकता महसूस की गई जो ऐसी विपदा से निपट सके।
  • इसके बाद भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया औरा अमेरिका द्वारा समुद्री आपदा के समय राहत एवं पुनर्वास संबंधी कार्यो के लिए क्वाड की अवधारणा विकसित होने लगी।
  • वर्ष 2007 में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने चीन द्वारा उत्पन्न की जा रही भू-राजनैतिक चिंताओं को देखते हुए वर्ष 2007 में क्वाड की शुरूआत की थी।
  • प्रारंभ में इस ग्रुप में सहमति बहुत मजबूत नहीं थी फलस्वरूप 2008 में ऑस्ट्रेलिया इससे बाहर हो गया।
  • वर्ष 2017 में इस ग्रुप में फिर से जान आई और इसे सभी 4 देशों को एक साथ लाकर इसे पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया।
  • भारतीय प्रधानमंत्री एवं अमेरिकी राष्ट्रपति ने वर्ष 2018 एवं 2019 में इसे मजबूत बनाने के साथ-साथ आक्रामक रूख और चीनी प्रसार की नीतियों को रोकने वाले प्रमुख मंच के रूप में इसे स्थापित कर दिया।
  • वर्ष 2002 से मालाबार सैनिक अभ्यास में भारत, जापान एवं अमेरिका शामिल होते आये हैं अब इसमें ऑस्ट्रेलिया को भी शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है।
  • वर्ष 2007 पहला वर्ष था जब मालाबार अभ्यास को हिंद- महासागर क्षेत्र के बाहर जापान के ओकिनावा द्वीप के पास आयोजित किया गया जिसमें अमेरिका, जापान एवं भारत के अलावा सिंगापुर ने भाग लिया। यही वह समय था जिसके बाद शिंजो अबे ने क्वाड की स्थापना की।
  • क्वाड़ की स्थापना के बाद से इन देशों के बीच आपसी समझदारी बढ़ी है, चीनी आव्रमकता को रोकने का प्रयास बढ़ा है।
  • चीन जिस तरह भारतीय सीमा पर आगे-पीछे हटने का खेल खेल रहा है ऐसे में कई समीक्षक क्वाड के प्रसार और सैन्य गठबंधन को और मजबूत करने की बात कह रहे है।
  • इस बात की प्रबल संभावना है कि इसकी मजबूती चीनी आक्रमकता को रोकने में तुरंत प्रभावी हो सकती हैं
  • कई समीक्षक क्वाड को आपसी सुरक्षा के समझौते के रूप में परिवर्तित करने की बात कह रहे हैं।
  • ऑस्ट्रेलिया लंबे समय से पापुआ-न्यू गिनी में एक नौसैनिक बेस बनाने की बात कह रहा है इस पर सहमती बनाकर इसे क्रियान्वित किया जा सकता है।
  • भारत क्वैड/क्वाड के सैन्यीकरण के हमेशा खिलाफ रहा है और अपने को असैनिक/नागरिक मुद्दों पर केंद्रित करता आया है, इस पर पुनर्विचार कर सकता है।
  • इसमें उन देशों को शामिल किया जा सकता है जिनसे चीन का द्विपीय विवाद है या चीन की आक्रमकता से दुःखी है और जिनके साथ चीन अंतर्राष्ट्रीय नियमों की अवहेलना कर उलझा हुआ है।
  • भारत और जापान बांग्लादेश में यमुना रेलवे ब्रिज एवं उत्तर-पूर्वी राज्यों में अन्य प्रकार की अवसंस्थानाओं का निर्माण कर रहे है, रोहिंग्या समुदाय के लिए आवास, स्कूल का निर्माण कर रहे है, श्रीलंका में LNG प्लांट आदि प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं इस प्रकार के प्रयासों को बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • क्वाड के लिए यह भी आवश्यक है कि वह आसियान के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर उन्हें चीन के प्रभाव से बाहर निकाले।

Houston कांसुलेट विवाद क्या है?

  • ‘राज्य’ व ‘राष्ट्र’ के उदय होने के बाद प्रश्न यह आया कि आधुनिक राज्यों मे संबंध किस प्रकार स्थापित किये जायें।
  • दो राज्यों के बीच संबंधों को स्थापित करने के लिए राजनायिक कार्यालय व व्यक्तियों की आवश्यकता होती है।
  • इसी कार्य को मूर्त रूप आधुनिक समय की एम्बेसी (Embassy) के के द्वारा दिया जाता है। एम्बेसी के प्रमुख को एंम्बेसडर (Ambassador) कहा जाता है।
  • वर्तमान समय में अधिकांश देशों ने एक दूसरे के यहां अपनी एम्बेसी स्थापित कर रखा है।
  • एम्बेसी जिस देश की होती है, कानून उस एंम्बेसी में उसी देश लागू होता है।
  • भारत में पाकिस्तान और चीन की एम्बेसी में भारतीय कानून लागू नहीं होते, भारतीय पुलिस अधिकारी बिना अनुमति के प्रवेश नहीं कर सकते हैं, यहां तक की भारत के सर्वोच्च पदों पर आसीन व्यक्ति को भी बिना अनुमति प्रवेश की अनुमति नहीं होती है।
  • ठीक यही नियम भारत की एम्बेसी जिन देशों में है वहां भारत को भी इसी प्रकार के अधिकार मिले है।
  • राजनायिक के कार्य:
  1. अपने देश का मेजबान देश में प्रतिनिधित्व करना।
  2. मेजबान देश में अपने नागरिकों की रक्षा करना।,
  3. मेजबान देश के साथ संधिवार्ता (Negotiation) करना।
  4. मेजबान देश के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देना।
  5. मेजबान देश के साथ वाणिज्यिक, आर्थिक सांस्कृतिक,वैज्ञानिक संबंधों का विकास करना।
  6. पासपोर्ट, वीजा या अन्य यात्रा संबंधी प्रपत्र जारी रखना।
  • एम्बेसी सामान्यतः देश की राजधानी में स्थापित किये जाते है। इनके पास कार्य व जिम्मेदारियां ज्यादा होती है, इसके कारण एम्बेसी के कुछ काम कांसुलेट (Consulate) को सौंप दिये जाते है।
  • कांसुलेट (वाणिज्यिक दुतावास) वीजा, पासपोर्ट एवं व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने वाले कार्य करते है और इन्हें भी राजनायिक क्षेत्र के रूप में देखा जाता है। अर्थात जिस देश का कांसुलेट होगा उस पर अधिकार भी उसी का होगा न कि मेजबान देश का। इसे एम्बेसी का छोटा रूप माना जाता है।
  • सामान्यतः प्रमुख देशों में का अन्य देशों (मेजबान) में एम्बेसी तो एक ही होती है लेकिन कांसुलेट की संख्या ज्यादा होती है।
  • चीन का अमेरिका में वाशिंगटन DC की एम्बेसी के अलावा कुल 5 वाणिज्यिक दुतावास (कांसुलेट) हैं।
  • 22 जुलाई को अमेरिका ने चीन के ह्यूसटन (Houston) कांसुलेट को 72 घंटे के अंदर बंद करने का आदेश दिया।
  • इसके बाद इस कांसुलेट में कागजात जलाये जाने का एक वीडियों वायरल हुआ।
  • टेक्सास राज्य के अंतर्गत आने वाला यह कांसुलेट चीन के सबसे महत्वपूर्ण कांसुलेट में से एक है।
  • अमेरिकी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट माइक पोंपियो ने कहा कि चीन अमेरिका की बौद्धिक संपदा की चोरी कर रहा है, जिससे हजारो लोगों की नोकरियों जा रही है इसलिए हमने इसे बंद करने का निर्णय लिया है।
  • अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि- चीन अवैध और गैरकानूनी तरीकों से अमेरिका की जासूसी कर रहा है, हमारे कामकाज को प्रभावित करने का प्रयास कर रहा है।
  • एक अमेरिकी सांसद ने कहा है कि अमेरिका में फैले कम्यूनिस्ट पार्टी के विशाल जाूससी का केंद्र ह्यूसटन कांसुलेट है।
  • ह्यूसटन वाणिज्यिक दुतावास के बाद सैनफ्रांसिस्को वाणिज्यिक दुतवास को भी बंद किये जाने की भी बात उठने लगे हैं।
  • FBI इस कांसुलेट में रह रहे एक चीनी वैज्ञानिक को गिरफ्रतार करना चाहती है क्योंकि यह व्यक्ति PLA एवं चीन सरकार से जुड़ा रहा है लेकिन वीजा लेते समय उस व्यक्ति ने अपनी पहचान छुपाई थी।
  • अमेरिका ने चीन पर आरोप लगाया है कि उसकी सरकार और आर्मी झूठी जानकारी के आधार लोगों को प्रवेश करवाकर अमेरिका में जासूसी करवाता है।
  • ह्यूसटन कांसुलेट पर प्रतिबंध लगाने से एक दिन पहले अर्थात 21 जुलाई को दो लोगों पर आरोप लगाया कि यह साइबर हैक कर के COVID-19 की दवा संबंधी जानकारी चुरा रहे थे।
  • चीन ने इन सभी आरोपों को निराधार बताते हुए अमेरिका के चीन स्थित कांसुलेट बंद करने की धमकी दी है।
  • यदि यह विवाद बढ़ता है तो राजनायिक संबंध बहुत तनावपूर्ण हो सकते है।
  • हालिया सूचना में चीन ने अपनी प्रतिक्रिया दिखा दिया है और उसने चीन के सिचुआन प्रांत में स्थित चेंगदू अमेरिकी वाणिज्यिक-दूतावास को बंद करने का आदेश दिया है।
  • चेंगदू समेत चीन में अमेरिका के 5 स्थानों पर कांसुलेत हैं तथा एक कांसुलेट हांगकांग में भी है।
  • वियन कन्वेंशन
  • स्वतंत्र और संप्रभु देशों के बीच राजनायिक संबंधों की मजबूती के लिए वर्ष 1961 में वियना अभिसमय/कन्वेंशन हुआ। इसके माध्यम से राजनायिकों को विशेष अधिकार दिया गया है तथा इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का प्रावधान किया गया है।
  • वर्ष 1964 में लागू हुई यह संधि राजनायिकों को खास दर्जा देता है।
  • वर्ष 2017 तक 191 देशों ने इस पर हस्ताक्षर कर दिये थे।
  • इस संधि के अनुसार कोई भी देश दूसरे देश के राजनायिकों को किसी भी कानूनी मामले में गिरफ्रतार नहीं कर सकता है।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1963 में इस संधि के समान ही एक संधि का प्रावधान किया जिसे वियना कन्वेंशन ऑन कॉन्सुलर रिलेशंस के नाम से जाना जाता है।
  • वियना संधि के अनुच्छेद 31 के तहत मेजबान देश किसी दुतावास में घुस नहीं सकता है तथा उसकी सुरक्षा की भी जिम्मेदारी उस पर है।
  • विवाद की पृष्ठभूमि
  • अमेरिका-चीन के बीच लंबे समय से चल रहा ट्रेड वॉर।
  • कारोना वॉयरस की जिम्मेदारी और उत्पत्ति स्थल का विवाद।
  • दक्षिणी चीन सागर संबंधी विवाद।
  • एक दूसरे के पत्रकारों को बाहर निकालना।
  • हुआवे/हुवेई कम्पनी पर प्रतिबंध एवं दूसरे देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करना।
  • उइगुर मुस्लिम समुदाय एवं हांगकांक के मानवाधिकार का मुद्दा।
  • अमेरिका का ताइवान के हथियार समझौता करना।