(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 23 October 2020


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भारत में FDI क्यों बढ़ रहा है?

  • एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) से आशय किसी विदेशी कंपनी/संस्था/व्यक्ति द्वारा भारत की किसी कंपनी में पैसा लगाने या निवेश करने से है।
  • यदि कोई विदेशी निवेशक अपने निवेश के माध्यम से कंपनी का 10 प्रतिशत या इससे अधिक का हिस्सेदारी खरीद लेता है जिससे वह कंपनी के निदेशक मंडल में प्रत्यक्ष भागीदारी कर सके तो इस निवेश को एफडीआई कहते हैं।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) तीन शब्दों से मिलकर बना है।
  1. प्रत्यक्ष का आशय पैसा/वित्त/पूंजी लगाने वाला व्यक्ति उसकी देखरेख एवं प्रबंधन में शामिल हो पायेगा।
  2. विदेशी से तात्पर्य निवेश करने वाला व्यक्ति किसी दूसरे देश का है।
  3. निवेश से तात्पर्य उस व्यक्ति द्वारा लगाये गये पैसे को ऋण के रूप में नहीं दिया गया है बल्कि हिस्सेदारी के रूप में लगाया गया है, जिससे उस व्यक्ति को लाभ और हानि दोनों परिस्थितियों में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करनी होगी।
  • जब कोई कंपनी/संस्था/देश विकासात्मक कार्यों के लिए अपने घरेलू स्रोत से संसाधनों को नहीं जुटा पाती है तो उसे शेष विश्व से वित्त या संसाधनों को जुटाना पड़ता है। यह या तो ऋण के रूप में हो सकता है या निवेश के रूप में। कर्ज देनदारी बढ़ती है और ब्याज का भुगतान करना होता है।
  • निवेश से किसी प्रकार की देनदारी नहीं बढ़ती है और विकासात्मक कार्यों के लिए वित्त भी उपलब्ध हो जाता है।
  • यदि किसी विदेशी निवेशक द्वारा कंपनी के 10 प्रतिशत से कम शेयर खरीदे जायें तो उसे विदेशी फोर्टफोलियो निवेश (Foreign Portfolio Investment - FPI) कहते हैं।
  • FPI निवेश व्यक्ति और संस्था दोनों के द्वारा किया जा सकता है। FPI के अंतर्गत विदेशी संस्थाओं द्वारा खरीदे गये शेयर को विदेशी संस्थागत निवेश जबकि विदेशी व्यक्तियों द्वारा खरीदे गये शेयर को अर्हता प्राप्त विदेशी निवेश कहते हैं।
  • देश- FDI से होने वाला निवेश किसी देश में तकनीकी, नवाचार, प्रबंधन लेकर आता है जिससे आधारभूत संरचना विकसित होती है, कंपनियों एवं उनकी सेवाओं का विस्तार होता है या नई कंपनी स्थापित होती है। फलस्वरूप रोजगार बढ़ता है और स्थायी विकास सुनिश्चित होता है।
  • FPI अस्थिर प्रवृत्ति का होता है। इसका अंतर्प्रवाह और बर्हिप्रवाह अचानक होता है, जिससे इसमें स्थायित्व नहीं रहता हैं इस तरह किसी देश के लिए FDI ज्यादा अच्छा माना जाता है।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से उद्योग, सेवा का विस्तार होता है, क्षेत्रीयता और असमानता में कमी आती है, संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित हो पाता है तथा उत्पादन संरचना में रेडिकल (आमूल चूल परिवर्तन) परिवर्तन आता है।
  • वर्तमान समय में FDI के व्यापक उपयोग और महत्व को देखते हुए इसे विकास का पैमाना माना जाता है। इसी कारण उपरोक्त सभी लाभों को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक देश यह प्रयास करता है कि उसके यहां विदेशी निवेश अधिक आये।
  • प्रत्यक्ष विदेशी भी दो प्रकार के होते हैं।
  1. ग्रीनफील्ड प्रत्यक्ष विदेशी निवेश- जब एक विदेशी कंपनी भारत में कोई नई फेक्टरी/प्लांट लगाती है, कोई डिस्ट्रिब्यूशन फैसिलिटी स्थापित करती है तो इसे ग्रीनफील्ड FDI के अंतर्गत रख जाता है। इसमें नई संरचनाएं विकसित होती है।
  2. जब कोई विदेशी निवेशक पहले से स्थापित कंपनी में ही निवेश करता है तो यह ब्राउनफील्ड विदेशी निवेश कहलाता है। इसमें किसी नई संरचना का निर्माण नहीं होता है।
  • देश में प्रत्यक्ष निवेश कितना होगा, किस सेक्टर में होगा यह निर्धारित करने की जिम्मेदारी सरकार की होती है। भारत सरकार ने भारत में FDI के दो मार्ग बनाये है।
  1. पहला- स्वचालित मार्ग- इसमें विदेशी संस्था को सरकार या RBI की पूर्व स्वीकृति लेने की आवश्यकता नहीं होती है।
  2. दूसरा- सरकारी मार्ग- इस इस प्रकार के निवेश के लिए सरकार की स्वीकृति आवश्यक होती है।
  • विदेशी निवेश सुविधा पोर्टल आवेदनों को एकल खिड़की निकासी अर्थात सिंगल विंडो क्लीयरेंस की सुविधा प्रदान करता है जो एप्रुवल मार्ग से प्राप्त होता है।
  • ऑटोमेटिक रूट के तहत होने वाले निवेश पर 30 दिन के अंदर RBI को सूचना देनी होती है जबकि सरकार से अनुमति वाले विकल्प में विभाग या मंत्रालय विदेशी निवेश की अनुमति प्रदान करते हैं। निवेश यदि किसी संवेदनशील क्षेत्र संबंधित होता है तो इसी अनुमति गृह मंत्रालय देता है।
  • वर्ष 1991 में प्रधानमंत्री बीपी नरसिम्हा राव थे और उस समय वित्त मंत्री थे मनमोहन सिंहा। यह वह समय था जब सरकार के पास वित्त का बहुत अभाव था और अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब होते जा रही थी। इससे उबरने के लिए मनमोहन सिंह ने LPG का मॉडल अपनाया।
  • उदारीकरण की प्रक्रिया के तहत ही विदेशी निवेशकों को कुछ शर्तो के साथ निवेश की अनुमति दी गई। इसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नाम दिया गया तब से भारत का FDI बढ़ता जा रहा है।
  • इस समय विश्व की अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं पर कोरोना वायरस का नकारात्मक देखा जा सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी व्यापक नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, इसीकारण इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में GDP -23.9 प्रतिशत रही है।
  • इस बीच एक अच्छी खबर FDI के संदर्भ में आई है कि भारत को वर्ष 2020 में अप्रैल से अगस्त माह के दौरान 35.73 बिलियन डॉलर का FDI प्राप्त हुआ है जो किसी वित्तीय वर्ष के पहले 5 माह में प्राप्त प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की उच्चतम मात्रा है।
  • यह पिछले साल के इन्हीं पांच माह के 31.60 बिलियन डॉलर से 13 प्रतिशत ज्यादा है।
  • सरकार लगातार FDI नीति में सुधार करने, विदेश नीति को सुगम बनाने आदि मोर्चो पर किये गये उपायों की वजह से यह संभव हो पाया है।
  • अंकटाड (UNCTAD) द्वारा जारी विश्व निवेश रिपोर्ट 2020 के अनुसार भारत 2019 में सर्वाधिक FDI प्राप्त करने वाले देशों में 9 वें स्थान पर रहा है।
  • FDI बढ़ने के कारण-
  1. चीन से कंपनियों का बाहर जाना तथा एशिया में नया स्थापना स्थल की खोज
  2. भारत के श्रमकानूनों में बदलाव एवं सस्ता और कुशल मदजूर वर्ग की उपस्थिति
  3. वर्ष 2019 में केंद्र सरकार द्वारा कोयला खनन गतिविधियों में स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत FDI की अनुमाति
  4. सरकार द्वारा डिजिटल क्षेत्र में 26 प्रतिशत FDI की अनुमति प्रदान की गई है। डिजिटल क्षेत्र वह क्षेत्र है, जिसमें विकास की संभावना सर्वाधिक है, इस कारण निवेश बढ़ा है।
  5. विनिर्माण क्षेत्र में स्वचालित मार्ग से 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति
  6. FDI को सहज और सरल बनाने का प्रयास और विदेशी निवेश सुविधा पोर्टल की सहज-सरल प्रक्रिया।
  7. आत्मनिर्भर भारत के माध्यम से उत्पादन बढ़ाने की रणनीति
  8. चीन के साथ होने वाले व्यापार पर सरकार की सख्ती
  9. वर्ष 2020 में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्षेत्र के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन जैसी योजनाओं को अधिसूचित करना।
  10. भारत का बड़ा बाजार तथा विकासशील अर्थव्यवस्था का दर्जा प्राप्त होना तथा कई क्षेत्रों के लिए बड़े व्यापार की उपस्थिति
  11. मार्च 2020 में सरकार द्वारा अनिवासी भारतीयों को एयर इण्डिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी प्राप्त करने की अनुमति प्रदान करना।
  • ट्रेन और हवाई अड्डों के निजी संचालन और हवाई अड्डों के निर्माण के लिए बोली लगाने की अनुमति की घोषण।
  • रक्षा विनिर्माण में सरकार द्वारा मई 2020 में स्वचालित मार्ग के तहत FDI की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करना।
  • वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान निम्नलिखित क्षेत्रों में अधिकतम प्राप्त हुआ।
  • सेवा क्षेत्र, कंप्यूटर सॉफ्रटवेयर और हार्डवेयर, दूरसंचार, व्यापार ऑटोमोबाइल निर्माण, रसायन क्षेत्रों में सर्वाधिक FDI प्राप्त हुई थी।
  • सर्वाधिक निवेश सिंगापुर, मॉरीशस, नीदरलैंड एवं अमेरिका से प्राप्त हुआ था।
  • अप्रैल 2020 में FDI के संदर्भ नियमों को सख्त किया गया था। जिसमें कहा गया था कि ऐसे सभी विदेशी निवेश के लिए सरकार की अनुमति आवश्यक होगी जो भारत के साथ थल सीमा साझा करने वाले देश के व्यक्ति/संस्था/कंपनी द्वारा की जायेगी।