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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 22 June 2020

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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 22 June 2020



चीनी उद्योग एवं गन्ना किसान

  • भारत एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है !इस कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदान चीनी उद्योग एवं इस पर निर्भर गन्ना उत्पादकों का है !
  • चीनी उद्योग पर लगभग 50 मिलियन गन्ना किसान और ग्रामीण भारत की लगभग 7.5% जनसंख्या इसकी कृषि, कटाई, ढुलाई एवं सहायक गतिविधियों में शामिल है !
  • ब्राजील के बाद भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है तो साथ ही यह चीनीकासबसेबड़ा उपभोक्ता भी है !
  • आज भारतीय चीनी उद्योग का वार्षिक उत्पादन लगभग 80- 85 हजार करोड़ रुपए की कीमत काहै !
  • वर्ष 2018 के आंकड़ों के अनुसार चीनी कारखानों की संख्या 735 है जिसमें 327 सहकारी, 365 प्राइवेट, 43 सरकारी चीनी कारखाने हैं !
  • चीनी उत्पादन के लिए गन्ना की पर्याप्त उपलब्धता आवश्यक होती है !
  • गन्ने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की जगह उचित एवं लाभकारी मूल्यFRP-Fair and remunerative price की अवधारणा का प्रयोग किया जाता है !
  • FRP वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर चीनी मिलो को गन्ना किसानों का भुगतान करना होता है !
  • यह भुगतान किसानों को गन्ने की पेराइ के 14 दिनों के भीतर भुगतान करना होता है !
  • उचित एवं लाभकारी मूल्य का निर्धारण निम्न घटकों के अनुसार किया जाता है !
  • गन्ने की उत्पादन लागत, उचित मूल्य पर उपभोक्ताओं के लिए चीनी की उपलब्धता, गन्ने से चीनी की रिकवरी, सह उत्पाद जैसे शीरा, खोई आदि की प्राप्ति मूल्य, वैकल्पिक फसलों से किसानों को लाभ और अन्य कृषि जिसों के मूल्यों काआम रुझान, घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय कीमत आदि के आधार पर तय किया जाता है !
  • उचित एवं लाभकारी मूल्य (FRP) का निर्धारण कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की सिफारिश पर आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा अनुमोदित किया जाता है !
  • चीनी का FRP वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 275रुपए प्रति क्विंटल रखा गया है !
  • उत्पादित चीनी को MSP (न्यूनतम विक्रय मूल्य) पर बेचा जाता है !
  • MSP वह दर है जिसके नीचे चीनी मिलें खुले बाजार में चीनी को थोक व्यापारी एवं को-उपभोक्ताओं जैसे पेय और बिस्किट निर्माताओं को नहीं बेच सकते हैं !
  • चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य का निर्धारण FRP के घटकों और सबसे कुशल मिलो की न्यूनतम रूपांतरण लागत को ध्यान में रखते हुए किया जाता है !
  • सामान्यतः CACP द्वारा गन्ने के उचित और परिश्रमिक मूल्य में वृद्धि के बाद चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य में भी वृद्धि हो जाती है !
  • इस समय गन्ना किसानों का लगभग 22 हजार करोड रुपए का बकाया चीनी मिलों पर है !
  • इसका एक प्रमुख कारण वर्तमान MSP (न्यूनतम विक्रय मूल्य) का कम होना बताया जा रहा है !
  • इस समय चीनी की MSP 31 रुपए प्रति किलोग्राम है !
  • राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार से MSP बढ़ाने की अनुशंसा की थी ! इसके अलावा नीति आयोग द्वारा भी MSP में बढ़ोतरी की सिफारिश की गई है !
  • इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार MSP को बढ़ाने का विचार कर रही है !
  • चीनी उद्योग पर नीति आयोग द्वारा एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है इसने MSP मे 2 रुपए प्रति किलोग्राम की वृद्धि की सिफारिश की है !
  • सरकार ने अभी यह घोषित नहीं किया है की कितनी वृद्धि की जाएगी !
  • कुछ समय पहले ही CACP (कृषि लागत और मूल्य आयोग) ने FRP में 10 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ोतरी की बात कही थी और यह 275 से बढ़कर 285 रुपए प्रति क्विंटल हो जाएगा !इस कारण MSP में बढ़ोतरी आवश्यक हो जाती है !
  • यहां यह ध्यान देना आवश्यक है कि चीनी के विक्रय मूल्य में पिछले साल 2 रुपए प्रति किलो की वृद्धि की गई थी !
  • सरकार यदि MSP में बढ़ोतरी करती है तो चीनी मिलों को अधिक आय प्राप्त हो सकेगा और वह किसानों के बकाया भुगतान जल्दी कर सकेंगे !
  • समीक्षकों का मानना है कि FRP एवं MSP के अलावा चीनी उद्योग के विकास के लिए कुछ और मुद्दों पर भी कार्य करने की आवश्यकता है !
  • पहला मुद्दा आपूर्ति- बिक्री पक्ष (मासिक निर्गमन पद्धति, निर्यात और आयात तथा पैकिंग में जूट बैग की आवश्यकता) से संबंधित है !
  • गन्ना की उपलब्धता और मिलो के बीच मध्यम दूरी संबंधी मापदंड !
  • अधिकांश मिलो की पेराई क्षमता सीमित है जिसका कारण पुरानी मशीनरी एवं तकनीकी है !
  • गुड/खांडसारी उद्योग द्वारा एक तिहाई गन्ने का उपयोगकरलेतेहैं जिससे मिलों को गन्ना की कमी महसूस होती है !
  • गन्ने की पेराई की अवधि लगभग 4-5 माह होती है जो छोटी है !
  • गन्ना उत्पादनसे भूमिगत जल पर पड़ने वाला प्रभाव !
  • गन्ना एवं चीनी उत्पादन में क्षेत्रीय असंतुलन का होना !

कर्ज मुक्त रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड

  • 8 मई 1973 को धीरूभाई अंबानी द्वारा रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड की स्थापना की गई थी|
  • वर्तमान समय यह अनेक कंपनियों केएक ग्रुप के रूप में परिवर्तित हो गया है जिसमें रिलायंस JIO, रिलायंस रिटेल,रिलायंस पैट्रोलियम, JIO पेमेंट बैंक, डेन नेटवर्क, हेथवे, नेटवर्क 18 आदि कंपनियां शामिल हैं !
  • यह कंपनीभारत में सबसे तीव्र गति से बढ़ने और विस्तार करने वाली कंपनियों में शामिल है जिसके द्वारा लगभग दो लाख लोगों को रोजगार दिया जाता है !
  • मार्च 2020 की अपनी रिपोर्ट में रिलायंस इंडस्ट्री ने यह सूचनादीथी कि उसका Net debt 21 बिलियन डॉलर का है !जिसकी रुपए में कीमत लगभग 1.6 लाख करोड़ रुपए होता है !
  • अगस्त 2019 में रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड की वार्षिक जनरल मीटिंग में चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कहा था कि कंपनी ने एकक्लियर रोड मैप का निर्माण किया है जिससे आने वाले अगले 18 माहमे यह कंपनी Zero Net debt कंपनी के रूप में परिवर्तित हो जाएगी !
  • यह 18 माह की अवधि अगले साल 31 मार्च 2021 को पूरी होगी !
  • हाल ही में रिलायंस ने यह घोषणा की है कि वह कर्ज मुक्त हो गई है !
  • RIL ने पिछले 58 दिनों में 1.68 लाख करोड़ रुपए जुटाए हैं !
  • इसमें से 1.15 लाख करोड़ रूपए कंपनी ने अपनी 24.70% हिस्सेदारी बेचकर जुटाया है तो वही 53,125 करोड़ रुपए राइट इश्यू जारी करके कंपनी ने प्राप्त किया है !
  • पिछले साल बीपी को बेची गई हिस्सेदारी से लगभग 7000 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे !इस तरह कंपनी के पास लगभग 1.76 लाख करोड़ रुपए हो गए हैं !
  • हाल के समय में रिलायंस में हुए कुछ बड़े निवेश –
कंपनी निवेशकी तारीख निवेश (करोड़ रु. में) हिस्सेदारी
मुबाडला 5 जून 9093.60 1.85%
पीआईएफ 18 जून 11,367 2.32%
विस्टा इक्विटी पार्टनर्स 8 मई 11,367 2.32%
जनरल अटलांटिक 17 मई 6,598.38 1.34%
सिल्वर लेक पार्टनर्स 4 मई 5,655.75 1.15%
फेसबुक 22 अप्रैल 43,573.72 9.99%
आबूधाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी 7 जून 5683.50 1.16%
टीपीजी 13 जून 4546.80 0.93%
एल केटरटन 13 जून 1894.50 0.39%
केकेआर 22 मई 11,367 2.32%
कुल 1,15,693.95 24.70%
सिल्वर लेक अन्य निवेश 5 जून 4546.80 0.93%
राइट्स इश्यू 20 मई से 3 जून 53,124.20
कुल निवेश 168,818.15
  • Zero Net Debt के रूप में परिवर्तित होने के साथ ही यह 11 लाख करोड़ रुपए का मार्केट कैपिटलाईजेशन पार करने वाली देश की पहली कंपनी बन गई है !
  • मार्केट कैपिटलाइजेशन से तात्पर्य प्रति शेयर मूल्य की गणना कुल शेयरों की संख्या से करने से है !
  • Zero Net Debt कंपनी होने से कंपनी की साख बहुत मजबूत हो जाती है तथा देश के अंदर एवं बाहर से लोगों द्वारा निवेश तेजी से किया जाता है !
  • रिलायंस इंडस्ट्री और सऊदी अरब की कंपनी अरामको के बीचलगभग15 अरब( बिलियन) का समझौता यदि संपन्न हो जाता है तो यह कंपनी न सिर्फ हर तरह के ऋण से मुक्त हो जाएगी बल्कि मार्केट कैपिटलाइजेशन भी बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा !
  • RIL ने कंपनी को अपनी 20% हिस्सेदारी बेचने की घोषणा अगस्त 2019 में की थी लेकिन अभी यह डील पूरी नहीं हो पाई है !