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Blog / 21 Jul 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 21 July 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 21 July 2020



संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता

  • बीसवीं सदी का दूसरा दशक साम्राज्यवाद, गुटबंदी, उग्र राष्ट्रीयता, अस्त्र-शास्त्रों की होड़, समाचार पत्रें के माध्यम से झूठा प्रचार-प्रसार, अविश्वास आदि के लिए जाना जाता है।
  • इन परिस्थितियों ने प्रथम विश्वयुद्ध की प्रष्ठभूमि तैयार की और युद्ध प्रारंभ भी हो गया।
  • क्रूरता, अमानवीयता, पाश्विकता इस युद्ध की पहचान बने और इन प्रव्रप्तियों ने लाखों लोगों को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया।
  • मानवता जर्जर होने लगी, संस्थाओं की भूमिका सीमित होने लगी, विश्व व्यवस्था कमजोर होने लगी और मानवता पर संकट उत्पन्न होने लगा। ऐसे में विश्व के उस समय प्रमुख राष्ट्रों ने इस युद्ध को तुरंत रोकने तथा फिर से ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो इसके लिए प्रयास करने लगे।
  • आवश्यकता ऐसे संगठन की थी जो इतना सक्षम हो कि वह न तो युद्ध की परिस्थिति तैयार होने दे और न ही युद्ध होने दे।
  • 28 अप्रैल 1919 को एक संगठन का जन्म हुआ जो 10 जनवरी 1920 से कार्य करने लगा। इस संगठन का नाम राष्ट्र संघ (League of Nations) था।
  • इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित थे:
  1. आपसी विवादों को सुलझाना व सुरक्षा की व्यवस्था करना।
  2. सभी राष्ट्रों के मध्य भौतिक व मानसिक सहयोग को प्रोत्साहन देना।
  3. पेरिस शांति समझौते द्वारा सौंपे गये कर्तव्यों को पूरा करना।
  • राष्ट्र संघ की स्थापना के बाद भी द्वितीय विश्वयुद्ध का होना यह बताता है कि यह संगठन इतना प्रभावी नहीं था तथा अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाया।
  • इसमें प्रमुख कारण इसके संविधान का कमजोर तथा कम प्रभावी होना, अमेरिका का सदस्य देश में शामिल न रहना, यह तानाशाहि प्रवृत्ति (मुसोलिनी एवं हिटलर) को रोक नहीं पाया, जर्मनी एवं यूएसएसआर का पूर्ण सहयोग न मिलना अविश्वास कम न होना, वित्त और सैन्य पहुंच नगण्य होना आदि थे।
  • द्वितीय विश्वयुद्ध फिर से विभिन्न देशों के एक दूसरे के सामने लाकर खड़ा कर दिया।
  • इस युद्ध में अधिकांश शक्तिशाली देश दो गुटों मे बटे हुये थे। एक तरफ मित्र राष्ट्र (ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, रूस आदि) थे तो दूसरी तरफ धुरी राष्ट्र थे।
  • इस युद्ध के दौरान ही मित्र राष्ट्रों ने राष्ट्र संघ (League of Nations) को पुनर्जीवित करने की जगह एक नये अंतर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना महसूस की। इसके लिए पहले युद्ध को रोकना अनिवार्य था इसलिए अमेरिका के सैनफ्रांसिस्को में वर्ष 1942 में 26 मित्र राष्ट्रों ने मिलकर यह फैसला लिया कि वह एकजुट होकर धुरी राष्ट्रों का मुकाबला करेंगे।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति रूजबेल्ट ने नए संगठन का नाम संयुक्त राष्ट्र (United Nations) प्रस्तावित किया।
  • आगे चलकर 50 देशों ने इसके अधिकार पत्र पर हस्ताक्षर कर दिया और और 24 अक्टूबर 1945 को इसकी स्थापना हुई।
  • इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय कानून को सुविधाजनक बनाना और उसमें सहयोग करना, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, मानवाधिकार और विश्व शांति स्थापित करना था।
  • इसका मुख्यालय न्यूयार्क में है तथा कुछ अहम संस्थाएं जिनेवा, कोपनहेगन से अपना कार्य संचालित करती है।
  • यह संगठन 6 भाषाओं को राजभाषा के रूप में अपनी मान्यता देता हैं यह भाषाएं अरबी, चीनी, अंग्रेजी, फ्रांसीसी एवं स्पेनी है।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ के 6 अंग है- 1. महासभा (General Assembly), 2. सुरक्षा परिषद (Security Council), 3. सामाजिक आर्थिक परिषद (Economic and Social Counil), 4. न्यायसिता परिषद (Trusteeship Council, 5. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice), 6. सचिवालय (Secretariat)।
  • महासभा UN का सबसे बड़ा अंग है। जो भी देश UN का सदस्य होता है वह महासभा का सदस्य होता है। वर्तमान में सदस्य देशों की संख्या 193 है।
  • यह महासभा ही किसी सदस्य को UN में शामिल होने तथा किसी की सदस्यता समाप्त करने का फैसला करती है।
  • दूसरा प्रमुख संगठन सुरक्षा परिषद है। यह UN की सबसे महत्वपूर्ण इकाई है।
  • इसका पहला काम अंतर्राष्ट्रीय शांति बनाये रखना है। इसके लिए यह सदस्य देशों की सुरक्षा करता है, मतभेदों को समाप्त करता है, आक्रमणकारी और साम्राज्यवादी देश पर सैनिक और आर्थिक प्रतिबंध लगाता है तथा वैश्विक व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करता है।
  • सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी सदस्य (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रुस और चीन) एवं 10 अस्थायी सदस्य होते है। अस्थायी सदस्य 2 साल के लिए चुने जाते है।
  • अस्थायी तथा स्थायी सदस्य बारी-बारी से एक-एक महीने के लिए परिषद के अध्यक्ष बनाये जाते हैं।
  • स्थायी सदस्यों के पास वीटो का अधिकार है।
  • अस्थायी सदस्य इसलिए चुने जाते है ताकि सुरक्षा परिषद में क्षेत्रीय संतुलन कायम रहे। अस्थायी सदस्यों का चुनाव होता है।
  • 10 सदस्यों में से 5 सदस्य एशिया या अफ्रीका से, दो दक्षिणी अमेरिकी देशों से, एक पूर्वी यूरोप तथा दो पश्चिमी यूरोप एवं अन्य क्षेत्रें से चुने जाते हैं।
  • सुरक्षा पारिषद ही एकमात्र निकाय है जो कोई बाध्यकारी प्रस्ताव जारी कर सकता है। लेकिन वीटो पॉवर (मैं अनुमती नहीं देता हूँ) के कारण कई बार बाध्यकारी प्रस्ताव लगाये नहीं जा पाये है।
  • मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किये जाने के पक्ष में 4 सदस्य थे लेकिन चीन नहीं इसी कारण वह इस पर अपना वीटो पॉवर का प्रयोग करता है।
  • सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता क्यों?
  1. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जो वैश्विक स्थिति वह अब बदल चुकी है तथा नई चुनौतियों और शक्तियों उभर कर सामने आई है जबकि सुरक्षा परिषद द्वितीय विश्वयुद्ध के समय की भू- राजनीतिक संरचना को दर्शाती है।
  2. परिषद के 5 स्थायी सदस्यों के स्थायी होने एवं वीटो पॉवर धारित करने का आधार सिर्फ यह है कि लगभग 7 सात दशक पहले उन्होंने युद्ध जीता था।
  3. प्रारंभ सदस्यों की संख्या कम थी लेकिन आज इनकी संख्या 193 हो गई है।
  4. यह जनमत की समानता के खिलाफ हैं ब्रिटेन, फ्रांस तथा रुस जहां यूरोप का प्रतिनिधित्व करते है जहां वैश्विक जनसंख्या का 5-8% लोग निवास करते है जबकि अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका का तो स्थायी सदस्य के रूप में प्रतिनिधित्व ही नहीं है।
  5. पीसकीपिंग अभियानों तथा शांति स्थापना में जिन देशों ने सर्वाधिक योगदान दिया है उनका स्थायी प्रतिनिधित्व न के बराबर है। भारत इसका सबसे अच्छा उदाहरण है।
  6. USSR का अब विघटन हो चुका है, NATO तथा SETO शिथिल पड़ चुके है फलस्वरूप शाक्ति संतुलन वर्तमान समय में बहुत बदल चुका है।
  7. नाभिकीय हथियार, तकनीकी वॉर, स्पेस वॉर, मुद्रा वॉर तथा आतंकवाद इस समय की हकीकत हैं जिनका समाधान करने के लिए नये प्रकार के संगठन की आवश्यकता है।
  8. चीन एक नये साम्राज्यवादी शक्ति के रूप में सामने आया है जिस पर नियंत्रण रखने के लिए भारत की उपस्थिति महत्वपूर्ण है।
  9. COVID-19 की महामारी का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव किसी भी मायने में किसी विश्वयुद्ध से कम नहीं है इसीकारण UN में सुधार अब जरूरी हो गया है।
  • वर्ष 2020 संयुक्त राष्ट्र स्थापना का 75वाँ वर्षगांठ है।
  • इस वर्षगांठ के उपलक्षय में हाल ही में आयोजित संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद की एक उच्चस्तरीय आभासी बैठक में भारतीय प्रधानमंत्री ने यूनाइटेड नेशंस के पुनर्जन्म (Re-brith) की बात कहा।
  • इस आभासी बैठक की थीम COVID-19 के बाद बहुपक्षवादः 75वीं वर्षगांठ पर हमें किस तरह के संयुक्त राष्ट्र की जकरत है? थी। अर्थात थीम इसमें सुधार की आवश्यकता को समझकर रख गया था।
  • इस 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र यूएन ड्राफ्रट डिक्लरेशन (UN Draft Declaration) के पूरा होने की उम्मीद है।
  • इस डिक्लेशन में 12 प्रतिबद्धताओं को शामिल किया जायेगा।
  • इसमें कहा गया है कि- हम अपने ग्रह की रक्षा करेंगे, हम किसी को पीछे नहीं छोडेंगे, शांति एवं सुरक्षा स्थापित करेंगे, अंतर्राष्ट्रीय नियमों एवं कानूनों का चालन करेंगे, विश्वास पैदा करेंगे, महिलाओं एवं लड़कियों को केंद्र में रखेंगे, युवाओं को सुनेंगे एवं उनके साथ कार्य करेंगे, साझेदारी को बढ़ावा देंगे, हम भविष्य में अधिक तैयार रहेंगे, वित्तपोषण बढ़ायेंगे, और हम संयुक्त राष्ट्र में आवश्यक सुधार करेंगे।
  • भारत को संयुक्त राष्ट्र है तथा लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था रखता है और वैश्विक शांति का समर्थक है।
  1. भारत इसका संस्थापक सदस्य है तथा लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था रखता है और वैश्विक शांति का समर्थक है।
  2. यूनाइटेड नेसंश के शांति मिशन में सर्वाधिक योगदान देने वाला देश है।
  3. यहां विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी निवास करती है तथा सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश में शामिल है तो साथ ही परमाणु संपन्न राष्ट्र है।
  4. भारत मानवाधिकार का सम्मान करने वाला देश है। जिसकी स्थायी सदस्यता का समर्थन पाकिस्तान, चीन जैसे कुछ देशों को छोड़कर अधिकांश देशों द्वारा किया जाता है।
  5. हिंद-प्रशांत क्षेत्र क्षेत्र में शांति स्थापित करने, सांस्कृतिक- सामाजिक विविधता को UN में शामिल करने तथा बदलती समयानुकूल आवश्यकता को देखते हुए भारत को इसमें शामिल किया जाना आवश्यक है।
  • भारत के स्थायी सदस्य बनने से भारत को वीटो पॉवर मिल सकता है जिससे वह ऐसी नीतियों पर मजबूत तरीके से अपनी शक्ति का प्रयोग कर सकता है जिससे वैश्विक शांति या व्यवस्था को चोट पहुँच सकती है।
  • इसके भारत का कद बढ़ेगा, प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या की आवाज सुरक्षा परिषद में गुंजेगी।
  • भारत के खिलाफ राज्य प्रायोजित आतंकवाद पर रोकथाम लगेगी।
  • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के फैसलों को लागू करने और किसी प्रकार प्रतिबंध लगाने जैसे निर्णय पर भारत का सहयोग ओर समर्थन मिल पायेगा।
  • इस सुधार के लिए 5 स्थायी सदस्यों को अपनी शक्ति में कमी लानी होगी और दूसरे देशों को शक्ति हस्तांतरित करना होगा जिसके लिए यह सदस्य देश तैयार नहीं दिखते है। दरअसल चीन एवं अमेरिका तो परिषद में किसी बड़े बदलाव के समर्थन में ही नहीं है।
  • इसके लिए UN के चार्टर में संशोधन करने की आवश्यकता होगी तथा महासभा के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन चाहिए होगा। यदि यह समर्थन मिल भी जाता है और कोई स्थायी सदस्य अपने वीटो पॉवर का प्रयोग कर लेता है तो भारत इसमें शामिल नहीं हो पायेगा।