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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 18 December 2019

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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 18 December 2019



BrahMos सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफलता पूर्वक परीक्षण

  • मिसाइल से तात्पर्य एक Intelligent Unmanned Rockets से है।
  • DRDO ने मंगलवार 17 दिसम्बर को ओड़िसा के बालासोर जिले के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) से परिक्षण किया।
  • परिक्षण सुबह 8:30 बजे ITR के लॉन्च कॉम्प्लेक्स-3 में एक मोबाइल स्वायत्त लौंचर (Mobile Autonomous Launcher) से किया गया।
  • क्रूज मिसाइल पृथ्वी की सतह के समानांतर चलते है और उनका निशाना बिल्कुल सटीक होता है।
  • वैलिस्टिक मिसाइल की तहर ही क्रूज मिसाइल अपना ईंधन लेकर जाते हैं लेकिन ऑक्सीज़न हवा से लेते हैं।
  • विश्व में रॉकेट का पहला प्रयोग टिपू सुल्तान द्वारा 1792 में किया गया था।
  • आधुनिक समय की मिसाइल तकनीकी का निर्माण जर्मनी द्वारा किया गया था। यहाँ की पहली गाइडेड मिसाइल V1 एवं V2 थी।
  • इसका निर्माण वाल्टर डोर्नबरगर एवं वार्नर वॉन ब्रोन द्वारा किया गया था, एवं प्रथम प्रयोग 1944 में लंदन अटैक के रूप में हुआ।
  • भारत में 1983 में रक्षा के क्षेत्र में एक नई ऊँचाई लाने के लिए मिसाइल तकनीकी की और कदम बढ़ाया गया।
  • 26 जुलाई 1983 को DRDL ( Defense Research And Development Laboratory) की स्थापना की गई। जिसका प्रमुख श्री APJ अब्दुल कलाम को बनाया गया। और Integrate Guided Missile Development Program (IGMDP) को प्रारम्भ किया।
  • धीरे-धीरे हमने अग्नि, पृथ्वी, आकाश, त्रिशूल, आग आदि मिसाइलों का निर्माण किया जिसमें सबकी विशेषताएं अलग-अलग हैं।
  • विश्व में बढ़ते भय और हथियारों के प्रयोग से निपटने के लिए भारत ने अपनी रक्षा प्रणाली को और भी मजबूत करने का प्रयास किया और इसी क्रम में 12 फरवरी 1998 को भारत एवं रूस के बीच एक Inter Governmental Agreement हुआ।
  • इसमें भारतीय संस्था DRDO एवं रूस की NPO Mashinostroyenia (NPOM) मिलकर कार्य करना था। बनने वाली मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र एवं रूस की Moskva नदी के नाम पर BrahMos रखा गया।
  • इसमें भारत की हिस्सेदारी 50.5% है तो वहीं 49.5% की हिस्सेदारी रूस के पास है।
  • BrahMos सर्वप्रथम सफल लॉन्च 12 जून 2001 को किया गया।
  • 2006 में ब्रह्मोस को नेवी में शामिल किया गया।
  • 2007 में इसे आर्मी में शामिल किया गया।
  • 2013 में इसी से सर्वप्रथम (विश्व) Vertical लॉन्च किया गया।
  • 2017 में इसे एयर फोर्स में शामिल किया गया।
  • प्रारंभ में इसकी रेंज 290 KM रखी गई थी, बाद में हम 2016 में MTCR में शामिल हुए, हमने इसके रेंज को बढ़ा दिया और इसे 450 किमी. कर दिया गया। भविष्य में इसकी रेंज 600 किमी. तक की जा सकती है।
  • इसका वजन 2.5 टन है।
  • यह एक सुपरसोनिक मिसाइल है जिसकी गति 2.8 मैक (3430KM/H) है जिसे बढ़ाकर 5.7 मैक करने का प्रयास किया जा रहा है।
  • यह रूस की P.800 आंकिस क्रूज मिसाइल की प्रोद्योगिकी पर आधारित है।
  • इसे जमीन से, हवा से, पनडुब्बी से, युद्धपोत से अर्थात कहीं से दागा जा सकता है।
  • इसे पारंपरिक प्रक्षेपक के अलावा ऊर्द्वगामी (वर्टिकल) प्रक्षेपक से दागा जा सकता है।

Personal Data Protection Bill 2019

  • यह बिल पर्सनल डाटा के संरक्षण के लिए लाया गया है।
  • प्राइवेसी का अधिकार एक मूल अधिकार है इसलिए हमारे डाटा का संरक्षण जरूरी है जैसे हम क्या खरीद रहे हैं ? कौन सी फिल्में देख रहे हैं ? कहाँ जा रहे हैं ? सेक्सुअल ओरियंटेशन, जाति एवं धार्मिक विश्वास इत्यादि से संबंधित सूचनाएं सुरक्षित हो तभी यह प्राइवेसी संरक्षित रह सकती है।
  • इस बिल में कई देशों के डाटा कानूनों की अच्छी बातें गई है तो साथ सभी भारतीय कानूनों की समीक्षा भी की गई है।
  • सर्वाधिक जोर डाटा के शेयर से संबंधित है। इसको लेकर काफी सख्त नियम बनाये गये हैं।
  • अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि बिना स्वीकृति के डाटा प्राप्त करना या शेयर करना गैरकानूनी है।
  • हर पर्सनल डाटा को सिर्फ भारत में स्टोर किया जा सकता है।
  • बिल का ड्राफ्ट सुप्रीम कोर्ट के जज BN श्री कृष्णा की अध्यक्षता में तैयार किया गया है।
  • डाटा के अंतर्गत वह सभी जानकारियाँ शामिल हैं जिससे किसी व्यक्ति की पहचान की जानकारी मिलती हो। इसमें नाम, पता, फोटो, सरकारी पहचानपत्र, वोटर कार्ड, आधार कार्ड, पैनकार्ड आदि शामिल है।
  • जब हम कोई डाटा किसी कंपनी के साथ शेयर करते हैं तो उसका उपयोग संबंधित काम के लिए ही किया जा सकता है। जरूरत पड़ने पर ही इसे शेयर किया जा सकता है।
  • पर्सनल डाटा की एक सर्विंग काँपी संबंधित राज्य में स्टोर की जायेगी कुछ महत्वपूर्ण का संग्रहण केन्द्र स्तर पर किया जायेगा।
  • बिल में डाटा को कुछ श्रेणियों में विभाजित किया गया है।
  • Personal Data- Individual की जिससे पहचान हो सके।
  • Sensitive Personal Data- Finance, Health, Biometric, Genetic, Transgender Status, Religious, Belief etc.
  • Critical Personal Data- Military or National Security Data.
  • Sensitive Personal Data को दूसरे देश में नहीं ले जाया जा सकता है। ऐसा यदि आवश्यक भी है तो इसके लिए Date Protection Agency (DPA) की अनुमति आवश्यक होगी। वहीं क्रिटिकल पर्सनल डेटा को किसी भी कंडिशन में बाहर नहीं लाया जा सकता है। पर्सनल डाटा को बाहर ले जाने के लिए व्यक्ति की अनुमति पर्याप्त होगी।
  • डाटा की एक श्रेणी Non Personal Data की है जिसे प्राइवेट कंपनियों से आवश्यकता होने पर मांगा जा सकता है।
  • सोशल साइट्स कंपनियों को स्वयं का यूजर वेरिफिकेशन मैकेनिज्म विकसित करने के लिए कहा गया है। बिना स्पष्ट जानकारी के एकाउंट न हो। इनसे ट्रोलिंग एवं गलत सूचनाओं का प्रसार रूकेगा।
  • कुछ अपवादजनक परिस्थितियों में व्यक्ति की अनुमति के बिना भी डेटा का प्रयोग किया जा सकता है।
  • राज्य की सुरक्षा
  • गैरविधिक या गैरकानूनी गातिविधियों की रोकथाम
  • मेडिकल इमरजेंसी
  • क्रेडिट स्कोरिंग आदि
  • एक स्वायत्त Data Protection Authority के निर्माण की बात की गई है।
  • सभी कंपनियों को डाटा प्रोटेक्शन ऑफिसर की नियुक्ति करना होगा।
  • कंपनियाँ एवं संस्थाए उतने ही डाटा का संग्रहण करे जितना आवश्यक हो।
  • Right to be Forgotten का प्रावधान किया गया है। इसमें व्यक्ति अपनी अनुमति वापस ले सकता है। यह प्रावधान यूरोपीय यूनियन के जनरल डाटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) से लिया गया है।
  • Data Portability का अधिकार व्यक्ति को दिया गया है।
  • जुर्माना को सरल रखा गया है। सामानय अपराध ( जिन्हें बिल में अपराध माना गया हो) में 5 करोड़ या उस कंपनी के वैश्विक टर्नओवर का 2% जुर्माना लगाया जायेगा। वहीं अगर अपराध गंभीर श्रेणी का है तो 15 करोड़ या वैश्विक नेटवर्क का 4% जुर्माना लगाया जा सकता है तो साथ ही कंपनी के एक्जक्यूटिव इन चार्ज को तीन साल तक के लिए जेल भेजा जा सकता है।

आवश्यकता क्यों थी?

  • अभी तक विदेशी कम्पनियाँ डेटा का संग्रहण अपने मुख्य कार्यालय सेंटर में करती थी इसके वजी से सुरक्षा कंपनियों को यह डाटा प्रदान करना काफी कठिन होता था और बहुत लंबा समय लगता था।
  • हैकिंग एवं साइबर क्राइम की घटनाओं को रोका जा सकेगा।
  • सोशल साइट्स से बढ़ते अफवाह और फेक न्यूज को कंट्रोल किया जा सकेगा।
  • व्यक्ति का अपने डाटा प्रवाह पर नियंत्रण रहेगा।
  • सरकार इसका प्रयोग कर प्राप्त करने एवं अपनी योजनाओं के लाभ को आसानी से पहुँचा सकेगी।

अन्य पहलू

  • कंपनियाँ डाटा भण्डारण भले ही कर दे लेकिन वह इनक्रिप्टेड होता है जिससे डाटा तक पहुँच अभी भी विलंब करने वाला होगा।
  • Reasonable Purpose का प्रावधान प्राइवेसी में सेंध का कारण बन सकता है।
  • फेसबुक एवं व्हाट्सएप जैसी कंपनिया इसके प्रावधानों पर आपत्ति दर्ज की है।
  • Bill अभी standing कमेटी के पास है। उम्मीद की जा सकती है कि इसकी खामियों को दुरूस्त किया जायेगा।