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Blog / 17 Sep 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 17 September 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 17 September 2020



स्थगन प्रस्ताव चर्चा में क्यों है?

  • भारत की संसद विधि निर्माण का सर्वोच्च निकाय है। संसद के अंतर्गत राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा को शामिल किया जाता है।
  • राष्ट्रपति के पास संसद के दोनों में से किसी भी सदन को बुलाने या सत्रावसान (Prorogation) करने का अधिकार होता है तो साथ ही लोकसभा को भंग करने की शक्ति होती है।
  • आम बोलचाल की भाषा में राज्यसभा को उच्च सदन एवं लोकसभा को निम्न सदन कहा जाता है, हालांकि संविधान में कहीं भी इस प्रकार के विभाजन का उल्लेख नहीं किया गया है अर्थात निम्न सदन एवं उच्च सदन शब्द का प्रयोग संविधान में नहीं किया गया है।
  • एक वर्ष में तीन बार संसद का सत्र बुलाया जाता है। यह सत्र बजट सत्र, मानसून सत्र एवं शीतकालीन सत्र होते हैं।
  • प्रत्येक सत्र में संसद कुछ दिन बैठती है। यह बैठक सुबह और शाम के पाली के रूप में होती है।
  • सदन की चलती हुई बैठक जब एक दिन या कुछ घण्टे के लिए रोकी जाती है तो इसे बैठक को स्थागित (Adjourn) करना कहा जाता है। यह पीठासीन अधिकारी करता है।
  • जब चलती हुई बैठक अनिश्चित समय के लिए स्थगित कर दी जाती है, या सत्र के अंत में यह निर्णय लिया जाता है कि यह चल रही बैठक अंतिम बैठक होगी तो यह सत्रावसान कहलाता है। यहां यह ध्यान देना होगा कि सत्रावसान की घोषण राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है । दूसरे शब्दों में किसी चलते सदन को समाप्त करना, या अनिश्चित काल के लिए स्थागित करना सत्रावसान कहलाता है।
  • बैठक स्थगित करने व सत्रावसान करने से विधायी प्रस्ताव या संसद के समक्ष लाये गये प्रस्ताव पर कोई असर नहीं पड़ता है।दूसरे शब्दों में कोई विधेयक यदि सदन के समक्ष है तो उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • निलंबन (Suspension)- लोकसभा के लिए चुनाव 5 वर्ष के लिए होता है लेकिन किसी दल को पूर्ण बहुमत न मिलने या राजनीति दलों के बीच सरकार बनाने के लिए सहमति नहीं बन पाती है ऐसी स्थिति में सरकार का गठन नहीं हो पाता है । ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति के पास लोकसभा को भंग करने एवं निलंबित करने का अधिकार होता है। राष्ट्रपति चुनाव आयोग से दुबारा चुनाव कराने के लिए कह सकता है और लोकसभा को भंग कर सकता है।
  • इस स्थिति में राष्ट्रपति लोकसभा को भंग न करके कुछ समय के निलंबित कर सकता है, इस अवधि के बीच हो सकता है राजनीतिक दलों में कोई सहमती बन जाये, इसे ही निलंबन कहते है। इस दौर में गठबंधन की सरकारों के बनने की संभावना होती है।
  • अनु- 356 के तहत जब राज्यपाल राष्ट्रपति से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करता है तो उस स्थिति में भी निलंबन का विकल्प राष्ट्रपति के पास होता हैं। राष्ट्रपति शासन में विधायिका शक्ति राष्ट्रपति के पास चली जाती है और विधानसभा निलंबन की स्थिति में होती है।
  • राष्ट्रपति लोकसभा को भंग भी कर सकता है अर्थात उस लोकसभा का अंत भी कर सकता हैं इस स्थिति में लोकसभा में लाये गये अधिकांश विधेयक समाप्त हो जाते हैं।
  • यदि कोई विधेयक राज्यसभा में प्रस्तुत हुआ है और राज्यसभा में ही है तो उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • यदि कोई विधेयक दोनों संसद से पास होकर राष्ट्रपति के पास गया है तो उस पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • यदि किसी विधेयक पर राष्ट्रपति ने संयुक्त अधिवेशन बुलाने की घोषण कर दिया है तो उस पर भी कोई नकारात्मक प्रभाव विघटन का नहीं पडेगा।
  • सरकार अपने कार्यों को सही रूप से संचालित कर रही है कि नहीं यह बताने का कार्य विपक्ष करता है। विपक्ष प्रश्न पूछता है, कई प्रकार के प्रस्ताव को लेकर आता है ताकि सरकार पर नियंत्रण बना रहे।
  • हाल ही में संसद का मानसून सत्र प्रारंभ हुआ है जिसमें प्रश्नकाल के महत्व को कम करने का मुद्दा उठ रहा है तो साथ ही एक प्रस्ताव चर्चा में है, यह प्रस्ताव स्थगन प्रस्ताव (Adjournment Motion) है।
  • संसद में कांग्रेस के दो सदस्यों ने चीन द्वारा भारत के 10,000 से अधिक व्यक्तियों और संगठनों पर निगरानी के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है।
  • इन सांसदों ने कहा कि चीन की एक टेक्नोलॉजी कंपनी भारत के 10000 से अधिक लोगों एवं संगठनों की सक्रीय रूप से निगरानी कर रही है जो साइबर सुरक्षा और राष्ट्रीय हित के अनुकूल नहीं है, इसलिए स्थगन प्रस्ताव को उन्होंने आवश्यक बताया है।
  • स्थगन प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य हाल के किसी सार्वजनिक महत्व के मामले पर सदन का ध्यान आकर्षित करना होता है। जब स्थगन प्रस्ताव के तहत लाये गये मुद्दे पर चर्चा प्रारंभ हो जाती है तब बिना किसी रूकावट के प्रस्ताव के निष्कर्ष तक पहुँचना होता हैं दूसरे शब्दों में स्थगन प्रस्ताव में संसद की सामान्य कार्यवाही को स्थागित करने की शक्ति होती है।
  • इस प्रस्ताव के तहत जिस मामले पर चर्चा की जानी होती है वह निश्चित होना चाहिए, जब तक ऐसा नहीं होता है तब तक इस प्रस्ताव को स्वीकृत नहीं किया जाता है।
  • यह मुद्दा अविलंबित होना चाहिए अर्थात इस प्रस्ताव के तहत किसी ऐसी मामले पर चर्चा नहीं की जा सकती है जो सदन में पहले से चला आ रहा हो।
  • इस प्रस्ताव के तहत सदन की आम कार्यवाही रोक दी जाती है इसलिए यह मुद्दा लोक महत्व का होना चाहिए , जिससे संसद का कीमती समय बर्बाद न हो।
  • इस प्रस्ताव के तहत लाये जाने वाला मुद्दा हाल ही मे घटी किसी घटना से संबंधित होना चाहिए।
  • इस मुद्दे में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारत सरकार पर संबंध होना चाहिए।
  • इसके तहत न्यायालय में विचाराधीन किसी मामले पर चर्चा नहीं की जा सकती है।
  • इस प्रस्ताव को स्वीकार करने या अस्वीकार करने की पूरी शक्ति सदन के पीठासीन अधिकारी (Presiding Officer) के पास होती है। स्वीकृत करने या अस्वीकृत करने का कारण बताना भी पीठासीन अधिकारी के लिए अनिवार्य नहीं होता है।
  • नियमों के अनुसार सदन का कोई सदस्य एक बैठक में एक से अधिक स्थगन प्रस्ताव का नोटिस नहीं दे सकता है।
  • यदि किसी बैठक में स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा करना है तो प्रस्ताव की सूचना उस दिन 10 बजे से पहले देना होता है । यदि इस समय के बाद सूचना दी जाती है तो प्राप्त सूचना को अगली बैठक के लिए दी गई सूचना के रूप में माना जायेगा।
  • संसदीय परंपरा के तहत राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान स्थगन प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। यदि उस दिन कोई सूचना प्राप्त होती है तो उसे अगली बैठक के लिए सूचना माना जायेगा।  

लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट-2020

  • विश्व वन्यजीव कोष (World Wildlife Fund) एक अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन है, जिसे संक्षेप में WWF के नाम से जाना जाता है।
  • इसकी स्थापना 1961 में हुई थी, जिसका मुख्यालय स्विटजरलैंड के ग्लैंड में है।
  • इस संगठन का लक्ष्य वन्यजीवन का संरक्षण करना तथा पर्यावरण पर मानवीय प्रभाव को कम करना हैं इसे वन्यजीव संरक्षण का सबसे बड़ा संगठन माना जाता है।
  • WWF हर दो साल में लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट का प्रकाशन करती है, जिसमें जैविविधता, पारिस्थितिक तंत्र तथा प्राकृतिक जीवों (जंतुओं पर खासकर) पर पड़ने वाले प्रभाव की जानकारी होती है।
  • इसमें प्रजातियों के वितरण, विलुप्त होने का जोखिम ओर सामुदायिक संरचना में आने वाले बदलावों की भी चर्चा होती है।
  • सर्वाप्रथम वर्ष 1998 में इसे प्रकाशित किया गया था।
  • हाल ही में WWF द्वारा लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट 2020 का प्रकाशन किया गया। यह इस रिपोर्ट का 13वां संस्करण है।
  • वर्ष 2020 की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 50 वर्षो में कशेरूक (Vertebrate) प्रजातियों की आबादी में बड़े पैमाने पर गिरावट आई है।
  • इस रिपोर्ट में कशेरूक प्रजातियों में गिरावट की गणना करने के लिए लिविंग प्लैनेट इंडेक्स का उपयोग किया गया है, जिसे इंस्टीट्यूट ऑफ जूलॉजी (जूलॉजिकल सोसायटी ऑफ लंदन) द्वारा जारी किया जाता है।
  • रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1970 से वर्ष 2016 के बीच कशेरूक प्रजातियों की आबादी में 68 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। एश्यिा-प्रशांत क्षेत्र में गिरावट का प्रतिशत कम है जो लगभग 45 प्रतिशत है।
  • लिविंग प्लैनेट इंडेक्स के अनुसार 94 प्रतिशत सर्वाधिक गिरावट अमेरिका के उष्णकटिबंधीय उप भागों में हुई है।
  • मीठे जल की प्रजातियों में गिरावट और ज्यादा है। इसमें वर्ष 1970 के बाद से औसतन 84 प्रतिशत की कमी आई है।
  • इसके अलावा IUCN का भी मानना है कि मीठे जल की प्रजातियों में से लगभग एक तिहाई प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा हैं
  • वर्ष 1970 के बाद परिस्थितिकी पदचिन्ह (Ecological Footprint) में व्यापक बदलाव आया है और इस समय मानव की मांग पृथ्वी पारिस्थितिकी के पुनरूत्पादन की दर की तुलना में 1- 56 गुना अधिक है।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार बीते पांच दशकों की विकास की लड़ाई में करीब 10 में से 7 प्रजातियाँ खत्म हो चुकी है।
  • रिपोर्ट के अनुसार जंगली जानवरों की संख्या तेजी से घट रही है क्योंकि उनके अधिवास में मानवीय हस्तक्षेप बढ़ा है।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में 12 प्रतिशत स्तनधारी जव और 3 प्रतिशत पक्षियों की प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर है।
  • इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन परिवर्तनों के कारण ही Covid-19 जैसे वायरस पैदा हो रहे हैं।
  • रिपोर्ट कहती है कि भारत में 2030 तक पानी की मांग उसकी पूर्ति के हिसाब से दोगुनी हो जायेगी। भारत के एक तिहाई वेटलैंड (आर्द्र भूमि) पिछले 4 दशकों में समाप्त हो चुके है।