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Blog / 17 Oct 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 17 October 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 17 October 2020



मुदुमलाई राष्ट्रीय उद्यान और नीलगिरी हाथी कॉरिडोर चर्चा में हैं?

  • भारतीय हाथी, एलिफास मैक्सिमस इंडिकस एशियाई हाथी की चार उपजातियों में से एक है।
  • यह उपजाति सर्वाधिक मात्र में भारत में पाई जाती है लेकिन इसके अलावा यह बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, कंबोडिया, चीन, नेपाल, म्यांमार, लाओस, थाईलैण्ड, वियतनाम में भी पाये जाते हैं ।
  • एलिफास मैक्सिसम इंडिकस के अलावा एशियाई हाथी की तीन अन्य उपजातियाँ सुमात्राई हाथी, श्री लंकाई हाथी एवं बौर्नियो में मिलने वाली हाथी प्रजातियाँ हैं।
  • भारतीय हाथी अफ्रीकी हाथियों की तरह ही दिखते हैं पर इनके कान अफ्रीकी हाथियों से छोटे होते हैं। माथा भारतीय हाथियों का चौड़ा होता है। भारतीय हाथियों के सूँड अफ्रीकी हाथियों से बड़े होते हैं ।
  • बढ़ती जनसंख्या, घटते जंगल एवं अवैध शिकार से इनकी संख्या में कमी आ रही है। हाथियों के दांत की कीमत बहुत ज्यादा होती है, विदेशों में इनकी मांग की बहुत ज्यादा है। इसका प्रयोग साज- सज्जा का सामान बनाने के साथ-साथ शक्ति बर्धक दवाओं के निर्माण में किया जाता है।
  • हाथी की सामान्य आयु 70 वर्ष होती है और बुद्धिमान तथा भावनात्मक रूप से अति सक्रीय जीव माने जाते हैं ।
  • वर्ष 2017 की हाथी जनगणना संबंधी रिपोर्ट के अनुसार इनकी कुल संख्या 27312 दर्ज की गई है। कर्नाटक, असम एवं केरल में इनकी संख्या सर्वाधिक पाई जाती है।
  • हाथियों का संरक्षण करने, उनके प्राकृतिक आवास में हस्तक्षेप को रोकने के लिए हाथियों की अधिक संख्या वाले राज्यों में वर्ष 1992 में गजतमे नामक हाथी संरक्षण परियोजना चलाई गई। इसका प्रारंभ झारखंड के सिंहभूम जिले से किया गया था ।
  • वर्तमान समय में यह परियोजना 16 राज्यों में चलाई जा रही है, जिसके माध्यम से मानव-पशु संघर्ष को रोकने तथा हाथियों के मुक्त आवागमन को सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है।
  • इस परियोजना के अंतर्गत 32 हाथी संरक्षण क्षेत्र घोषित किये गये हैं, जो 60,000 वर्ग किमी- से अधिक क्षेत्रफल पर विस्तृत हैं ।
  • असम में- दिहिंग, सोनितपुर, पटकई, चिरांग रिपु, काजीरंगा कार्बी एंगलांग, धनसिरी लुंगडिंग ऐसे ही संरक्षित क्षेत्र है।
  • तमिलनाडु में- नीलगिरी, अन्नामलाई, श्रीविल्लिपुथुर, कोयम्बटूर एवं केरल में बायनाड, नीलाम्बुर, अन्नामुदी एवं पेरियार इसी प्रकार के संरक्षित क्षेत्र के उदाहरण हैं।
  • केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रलय द्वारा 22 अक्टूबर 2010 को भारत का राष्ट्रीय विरासत पशु (National Heritage Animal) घोषित किया गया है।
  • हाथियों के मुक्त आवामन को सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2005 मे 88 हाथी गलियारों को चिन्हित किया गया। जिनकी संख्या बढ़कर 101 हो गई है।
  • हाथी गलियारा वह संकरा स्थलीय क्षेत्र या मार्ग होता है जो हाथियों के आवागमन को सुनिश्चित करने के लिए निन्हित एवं संरक्षित किया जाता है।
  • हाथियों को चरने के लिए विस्तृत घास या जंगली क्षेत्र की आवश्यकता होती है लेकिन अधिकांश रिजर्व प्रत्येक समय इस आवश्यकता की पूर्ति नहीं कर पाते है, जिसके कारण हाथी एक रिजर्व से दूसरे रिजर्व की ओर प्रवास करते हैं। इसी के लिए हाथी गलियारा का निर्माण किया जाता है।
  • इस समय नीलगिरी हाथी कॉरिडोर (Nilgiri Elophant Corridor) चर्चा में है।
  • 14 अक्टूबर 2020 को उच्चतम न्यायालय ने नीलगिरी हाथी कोरिडोर पर हाथियों के लिए राइट ऑफ पैसेज (Right of Passage) का निर्णय देते हुए मद्रास उच्च न्यायालय के 2011 के उस आदेश को बरकरार रखा है जिसमें उच्च न्यायालय ने इस कोरिडोर में बने होटल और रिसार्टस को बंद करने का आदेश दिया था।
  • मद्रास उच्च न्यायालय ने वर्ष 2011 में अपने आदेश में कहा था कि तमिलनाडु सरकार को केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट एलिफेंट के साथ- साथ राज्य के नीलगिरि जिले में हाथी कोरिडोर को अधिसूचित करने का अधिकार है। यह अधिकार उसे संविधान के अनुच्छेद 51(A)(G) के तहत प्राप्त है।
  • संविधान के अनुच्छेछ 51(A)(G) में कहा गया है। कि भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह वनों, झीलों, नदियों और वन्य जीवन संहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार कार्य करेगा तथा जीवित प्राणियों के प्रति दयाभाव रखेगा।
  • मद्रास उच्च न्यायालय ने जिस हाथी कोरिडोर को संरक्षित करने आदेश दिया था मुदुमलाई राष्ट्रीय उद्यान (Mudumalai National Park) के पास मसिनागुड़ी (Masinagudi) क्षेत्र में अवस्थित है।
  • उच्चतम न्यायालय ने अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती सहित रिजॉर्ट मालिकों और अन्य निजी भू-स्वामियों को हाथी गलियारा में पड़ने वाली भूमि को खाली करने तथा उनकी भूमि का कब्जा नीलगिरी (तमिलनाडु) के जिलाधिकारी को सौंपे जाने संबंधी मद्रास उच्च न्यायालय के निर्णय को बरकरार रखा।
  • उच्चतम न्यायालय ने अगस्त 2018 में तमिलनाडु सरकार को 48 घंटे के मीटर नीलगिरी पहाड़ी क्षेत्र में हाथी कोरिडोर पर बने 11 होटलों एवं रिजॉर्ट को सील करने का आदेश दिया था।
  • बैध परमिट और रिजॉर्ट वाले मालिकों को 24 घंटे में के भीतर जिला कलेक्टर को दस्तावेज पेश करने का आदेश न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की पीठ ने दिया था।
  • उच्चतम न्यायालय ने जनवरी 2020 में नीलगिरी हाथी कोरिडोर संबंधित मामले की अपनी सुनवाई में कहा था कि नीलगिरी जिले का मसिनागुड़ी (Masinagudi) क्षेत्र एक संवेदनशील परिस्थितिकी क्षेत्र है।
  • 14 अक्टूबर 2020 को मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायभूर्ति अब्दुल नजीर तथा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा- ‘‘परंगपरागत सांस्कृतिक श्रृद्धा का जंतु होने के बावजूद आज भारत में हाथी गंभीर खतरे में हैं। इसलिए संरक्षण करना अनिवार्य है।
  • दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में नीलगिरि पहाड़ी क्षेत्र (नीलगिरी जिला) पर स्थित युद्धमलाई वन्यजीव अभयारण्य/नेशनल पार्क एवं टाइगर रिजर्व अपनी सुंदरता एवं जैविविधता के लिए प्रसिद्ध है।
  • केरल-कर्नाटक एवं तमिलनाडु के ट्राई जंक्शन पर अवस्थित इस अभ्यारण्य का क्षेत्रफल 321 वर्ग किलोमीटर है।
  • यह भारत के पहले बायोस्फीयर रिजर्व(नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व) का हिस्सा है, जिसके उत्तर में बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान (कर्नाटक), पश्चिम में वायनाड वन्यजीव अभयारण्य (केरल) दक्षिण में मुकुर्थी नेशनल पार्क एवं साइलेंट वैली अवस्थित है।
  • बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान एवं मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य को मोयार नदी अलग करती है।
  • मैसूर एवं ऊटी को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग इस उद्यान से होकर गुजरता है।
  • यहां हाथियों के अलावा लंगूर, बाघ, गौर, उड़ने वाली गिलहारियाँ अनेक प्रकार के पक्षी जैसे मालाबार ट्रॉगन, ग्रे हार्नविल आदि पाये जाते हैं।
  • यहां लंबी घास की मौजूदगी है जो हाथियों के साथ-साथ अन्य जीवों के विकास के अनुकूल परिस्थिति उत्पन्न करती है, इसे एलीफेंट घास (Elephant Grass) के नाम से जाना जाता है।
  • कर्नाटक और केरल राज्यों के साथ अपनी सीमाओं को साझा करके इस अभयारण्य को 5 श्रेणियों में विभाजित किया गया है। यह श्रेणियाँ मासिनागुडी, थेपाकाडु, मुदुमलाई, नेलाकोता एवं करगुडी हैं।
  • 1800-2300 हथियों की आबादी यहाँ के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। अभयारण्य में बना थेप्पाक्कडु हाथी कैंप बच्चों को बहुत लुभाता है।
  • भारत की लगभग 8 प्रतिशत पक्षी प्रजातियाँ मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य में देखी जा सकती है।
  • यहां मछलियों की 50 प्रजातियाँ, उभयचरों की 21 प्रजातियां, सरीस्रपों की 34 प्रजातियां तथा स्तनधारी जीवों की 55 प्रजातियां पाई जाती है।
  • यहां उष्णकटिबंधीय वर्षा वन, शुष्क वन, पर्वतीय वन, घास के मैदान एवं झाडियों का पारिस्थितिक तंत्र एक साथ विकसित हुआ है।
  • अप्रैल 2007 में तमिलनाडु राज्य सरकार ने मुदुमलाई को टाइगर रिजर्व के रूप में घोषित किया।
  • नीलगिरी पर्वतीय क्षेत्र में स्थित इस उद्यान/वन्यजीव अभ्यारण्य में ईको टूरिज्म की विशाल संभावना है।
  • यहां से लगभग 40 किमी- दूर स्थित पायकारा झील भी आकर्षण का महत्वपूर्ण केंद्र है।
  • आध्यात्मिक तथा प्राकृतिक कैंप के लिए यह भारत के सबसे अच्छे स्थानों में शामिल है।
  • वर्ष 2009 में एशियाई हाथी समझौता के तहत- वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इण्डिया, इंटरनेशनल फंड फॉर एनिमल वेलफेयर, IUCN नीदरलैंडस एवं वर्ल्ड लैंड ट्रस्ट ने मिलकर हाथियों के संरक्षण के लिए अंब्रेला पहल की शुरूआत की। इसके तहत मौजूदा हाथी गलियारों को संरक्षित करने का प्रयास किया जाता है।

6PM Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 17 October 2020


आंध्रप्रदेश सरकार और जज विवाद

  • 1773 के रेग्युलेटिंग एक्ट के प्रवर्तन से कलकत्ता में कोर्ट ऑफ रिकॉर्ड के रूप में सर्वोच्च न्यायाधिकरण (Supreme court of Judicature) की स्थापना की गई। यह बंगाल, बिहार और उड़ीसा में सभी मामलों की सुनवाई करने की शक्ति रखता था।
  • इसी प्रकार के सर्वोच्च न्यायालय मद्रास एवं बम्बई में क्रमशः वर्ष 1800 एवं 1823 में स्थापित किये गये थे।
  • भारत उच्च न्यायालय अधिनियम 1861 के तहत विभिन्न प्रांतों में उच्च-न्यायालयों की स्थापना की गई तथा कलकत्ता, मद्रास और बंबई के सर्वोच्च न्यायालय को समाप्त कर दिया गया।
  • 1861 के अधिनियम के तहत स्थापित उच्च न्यायालयों को भारत सरकार अधिनियम 1935 के तहत भारत के संघीय न्यायालय की स्थापना तक सभी मामलों/विवादों के लिए सर्वोच्च न्यायालय का गौरव प्राप्त था।
  • यह संघीय न्यायालय (Federal Court) प्रांतों एवं संघीय राज्यों के बीच विवादों को हल करने और उच्च न्यायालयों के निर्णय के खिलाफ अपील स्वीकार करने की शक्ति रखता था।
  • 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ और भारत का सर्वोच्च न्यायालय भी अस्तित्व में आया। इसकी पहली बैठक 28 जनवरी 1950 को हुई।
  • इसे संविधान का निर्वचन करने, मूल अधिकार की रक्षा करने, न्यायिक, समीक्षा करने, संघ एवं राज्यों के मध्य विवादों का निपटान करने की सर्वोच्च शक्ति प्राप्त है। इसके द्वारा बनाये गये कानून भारत के सभी न्यायालयों के लिए बाध्यकारी होते हैं।
  • संविधान के भाग 5 में अनुच्छेद 124 से 147 तक सर्वोच्च न्यायालय के संगठन, स्वतंत्रता, अधिकार क्षेत्र, शक्तियों एवं प्रक्रियाओं का उल्लेख है।
  • मूल रूप से सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या 8 थी जिसमें एक CJI तथा 7 अन्य न्यायाधीश थे।
  • संसद न्यायाधीशों की संख्या को बढ़ा सकती है। सर्वोच्च न्यायालय (न्यायाधीशों की संख्या) 2019 के विधेयक द्वारा न्यायधीशों की संख्या 31 से बढ़ाकर 34 कर दी गई।
  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सलाह ले सकता है।
  • वर्ष 1950 से वर्ष 1973 तक सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाता था। 1973 में तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों को छोड़कर ए एन रे को भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
  • वर्ष 1977 में भी वरिष्ठता के नियम का उल्लंघन किया गया जब 10 वरिष्ठतम न्यायाधीशों को छोड़कर एम.यू. वेग को CJI बनाया गया।
  • द्वितीय न्यायाधीश मामला (1993) मे सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश को ही भारत का CJI नियुक्त किया जाना चाहिए।
  • वर्तमान समय में जस्टिस एस ए बोबडे भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीश है। इनका कार्यकाल अप्रैल 2021 तक है। इनके बाद वरिष्ठता के क्रम में सबसे आगे जस्टिस एनवी रमन्ना है, अर्थात 48वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना हो सकते है।
  • 27 जून 2000 में वो आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट में स्थायी जज के तौर पर नियुक्त किये गये थे।
  • बाद में वह आंध्र प्रदेश हाइकोर्ट के कार्यकारी एक्टिंग चीफ जस्टिस रहे। इसके बाद वह दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिम नियुक्त किये गये।
  • 17 फरवरी, 2014 को उन्हें सुप्रीमकोर्ट का जज बनाया गया। वह 26 अगस्त 2022 में सेवानिव्रत्त होने वाले हैं। इस तरह उनका दो साल का कार्यकाल अभी बचा हुआ है।
  • आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगमोहन रेड्डी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस ए बोबडे को एक चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एन वी रमन्ना की शिकायत की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि जस्टिस एन वी रमन्ना आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की सुनवाई में दखल दे रहे हैं ।
  • रेड्डी ने न्यायाधीश पर आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के कामकाज में दखल देने, सुनवाई को प्रभावित करने तथा तेलुगूदेशम पार्टी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के साथ मिलकर उनकी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया।
  • जगनमोहन रेड्डी ने 8 पेज का एक पत्र लिखा है, जिसे 10 अक्टूबर को जगन रेड्डी के मुख्य सलाहकार अजेय कल्लम ने प्रेस कांफ्रेस कर चिट्ठी की बातों को सार्वजनिक किया। अजेय कल्लम चंद्रबाबू नायडू के मुख्य सचिव रह चुके हैं ।
  • अजेय कल्लम ने कहा कि जगन सरकार ने जांच से यह स्थापित कर दिया है कि चंद्रबाबू नायडू और उनके सहयोगियों ने 2014 से 2019 के बीच अवैध तरीके से अकूत संपत्ति दर्ज की है।
  • जगन रेड्डी का कहना है कि जस्टिस रमन्ना की दो बेटियों ने अमरावती में राजधानी बनने की घोषण से पहले जमीन खरीदा, जिसका ट्रांजिक्शन संदिग्ध है।
  • जगन सरकार ने चंद्रबाबू नायडू सरकार के दौरान अमरावती कैपिटल रीजन में हुई कथित अनियमितता और जमीन खरीद को लेकर 10 सदस्यीय SIT का गठन किया था। जगन सरकार का कहना है कि इसके बाद से जस्टिस रमन्ना राज्य में न्यायिक प्रशासन को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे है।
  • कल्लम ने जगन की तरफ से कहा है कि जस्टिस रमन्ना ने राज्य की अदालतों में न्यायिक नियुक्तियों को प्रभावित किया है। जगन का कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे TDP नेताओं के पक्ष में फैसला दिया जा सके।
  • जगन ने अपने रिपोर्ट में यह आरोप लगाया है कि जस्टिस रमन्ना ने सरकार को हाईकोर्ट बार के 11 सदस्यीय पैनल से 6 को चुनने में मदद की, जिन्हें बाद में जज के रूप में पदोन्नत किया गया है।
  • जगन ने कहा कि कि जस्टिस रमन्ना द्वारा हाईकोर्ट की पीठ को प्रभावित करने के साथ ही जजों के रोस्टर को भी प्रभावित किया है।
  • जगन ने कहा है कि बीते 18 महीनों में जगमोहन रेड्डी सरकार के महत्वपूर्ण फैसलों की अनदेखी करते हुए लगभग 100 आदेश पारित किए हैं।
  • जगन का आरोप है कि जमीन खरीद को लेकर राज्य के पूर्व एडवोकेट जनरल श्री निवास पर जांच बैठाई गई उस पर हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया, जबकि एंटी करप्शन ब्यूरो ने उनके खिलाफ FIR तक दर्ज किया था।
  • पूर्व की चंद्रबाबू नायडू सरकार ने अमरावती को आंध्र प्रदेश की राजधानी बनाने का फैसला किया था लेकिन जगन सरकार ने तीन राजधानी-विशाखापत्तनम, कुरनुल और अमरावती बनाने का फैसला लिया। इसके खिलाफ कई याचिकाएं हाईकोर्ट में लगायी गईं। हाईकोर्ट ने विकेंद्रीकरण के इस प्रस्ताव पर रोक लगा दिया।
  • जगन सरकार ने राज्य चुनाव आयुक्त एन- रमेश कुमार को पद से हटाने का निर्णय लिया। हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि एन- रमेश कुमार को फिर से राज्य चुनाव आयुक्त किया जाये।
  • जगन सरकार ने स्थानीय निकायों में पिछड़ी जाति का कोटा 27 प्रतिशत से बढ़ाकर 34 प्रतिशत करने का निर्णय लिया जिस पर कोर्ट ने रोक लगा दिया।
  • मार्च 2017 में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस चेमलेश्वर ने एक पत्र लिखकर कहा था कि जस्टिस एन-वी- रमन्ना एन चंद्रबाबू नायडू के बीच अच्छे रिश्ते हैं। उन्होंने कहा था कि- यह न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच गैर जरूरी नजदीकी का सबसे बड़ा उदाहरण है।
  • जगन ने जस्टिस रमन्ना पर आरोप लगाते हुए कहा कि- मै ये बयान पूरी जिम्मेदारी से दे रहा हूँ। मै बस नोटिस में ला रहा हूँ कि सुप्रीम कोर्ट के सम्मानित पूर्व न्यायाधीश जस्टिस चेमलेश्वर ने ये बात सबूत के साथ ऑन रिकॉर्ड दर्ज की है।
  • वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट में एक साचिका लगाई कि जिन नेताओं पर आरोप सिद्ध हो चुके हों, जो दोषी हों उन पर प्रतिबंध लगाया जाये और ऐसे मामलों को फास्ट ट्रैक किया जाये। पहले CJI रंजन गोगोई ने इसकी सुनवाई की। उनके रिटायर्टमेंट के बाद यह सुनवाई एसए बोबडे की बेंच के पास आई, जिन्होंने इसे जस्टिस रमन्ना को सौंप दिया।
  • 4 मार्च 2020 को जस्टिस रमन्ना ने इस पर सुनवाई की और लंबित मामलों की हाईकोर्ट से डिटेल मांगी। पता चला कि 4 हजार 442 केस विधायकों-सांसदों के खिलाफ है, उनमें से 2 हजार 556 मामले वर्तमान जन प्रतिनिधियों के है।
  • 16 सितंबर को जस्टिस रमन्ना की बेंच ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से एक स्पेशल बेंच गठित करने को कहा। इसी सिलसिले में CBI की विशेष अदालत से 9 अक्टूबर को जगन के मामले में फिर से सुनवाई करने को कहा। और 10 अक्टूबर को यह चिट्ठी सामने आई।
  • जगन मोहन रेड्डी भ्रष्टाचार और अनियमितता के कई आरोप हैं। CBI के साथ ED ने भी पांच केस जगन के खिलाफ दर्ज कर रखे है और वह 16 माह जेल में भी रह चुके है।
  • आजाद भारत के इतिहास में यह पहला अवसर है जब किसी मुख्यमंत्री ने भविष्य के CJI के लिखाफ इस प्रकार का मोर्चा खोला हो।
  • इस प्रकार के विवाद लोगों का न्यायालय पर भरोशे को प्रभावित करते है।
  • यह विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के शक्ति के प्रथक्करण के सिद्धांत के भी खिलाफ है।
  • न्यायपालिका की स्वतंत्रता लोकतंत्र का आधार स्तंभ है जो तीन बिंदुओं पर टिकी है।
  1. न्यायपालिका सरकार के विभागों के हस्तक्षेप से मुक्त होनी चाहिए।
  2. इसके निर्णय व आदेश कार्यपालिका के हस्तक्षेप से मुक्त होना चाहिए।
  3. न्यायधीशों को भय व पक्षपात से मुक्त होना चाहिए।