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Blog / 17 Nov 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 17 November 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 17 November 2020



क्या BHEL कंपनी डूब रही है ?

  • 1947 में आजादी के समय भारत के सामने अनेक चुनौतीयाँ थी, जिसमें से एक प्रमुख चुनौती औद्योगिक और आर्थिक विकास के लिए बुनियादी ढ़ाचे और पूंजीगत वस्तुओं को मजबूत आधार प्रदान करता था।
  • प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का मानना था कि सतत् आर्थिक विकास के लिए एक बड़ा विनिर्माण आधार और तकनीकी आवष्यकता के लिए बड़े और भारी उद्योगों की स्थापना सरकार को ही करना होगा।
  • 29 अगस्त 1956 को उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत हैवी इलेक्ट्रिकल्स (इंडिया) लिमिटेड को पंजीकृत किया गया।
  • देष में बिजली की बढ़ती मांग और उसके लिए संयंत्रो की स्थापना के लिए भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड अस्तित्व में आया, इसे 13 नवंबर 1964 को निगमित किया गया।
  • BHEL भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की इंजीनियरिंग व विनिर्माण क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी है।
  • यह कंपनी गैस और भाप टर्बाइन, वाॅयलर, विद्युत मोटर्स, इलेक्ट्रिक इंजन, जनरेटर, ताप विनियामक, स्विचगियर्स और सेंसर,स्वचालन और नियंत्रण प्रणाली, पाॅवर इलेक्ट्रिकल्स एवं ट्रांसमिषन सिस्टम जैसे उत्पाद का निर्माण करती है।
  • यह कंपनी उत्कृश्टता के लिए प्रसिद्ध है। इसे गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली का ISO9001 प्रमाण पत्र प्राप्त है। इसे पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली का ISO 14001, व्यावसायिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली OHS 18001 का प्रमाण प्राप्त है।
  • यह कंपनी अपने उत्पादों का बड़ी मात्रा में निर्यात भी करती है। लगभग 64 देषों में इस कंपनी का निर्यात नेटवर्क विस्तृत है।
  • यह कंपनी रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट पर अपने वार्शिक कारोबार का लगभग 2.5% खर्च करती है जो भारी उद्योगों वाली अन्य कंपनियों से अधिक है, अर्थात यह इस क्षेत्र की अग्रणी कंपनी है।
  • भारत की जिन 10 सार्वजनिक कंपनियों को महारत्न का दर्जा दिया गया है, उसमें भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड भी षामिल है।
  • महारत्न कंपनियाँ अपने निवल मूल्य के 15% और 5000 करोड़ रूपये की पूर्ण सीमा के साथ घरेलू और विदेषी कंपनियों के साथ विलय और अधिग्रहण कर सकती है।
  • इस कंपनी में भारत सरकार की हिस्सेदारी 63.17% है। इसमें लगभग 40000 लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
  • यह कंपनी थर्मल पाॅवर प्लांट के क्षेत्र में अपने कई प्रकार के उत्पाद बेचती है जिनकी महत्ता इस समय कम हुई है और नये थर्मल पाॅवर प्लांट का निर्माण धीमा पड़ा है क्योंकि यह पर्यावरण प्रदुशण के मुख्य स्रोत हैं।
  • हाल के समय में सरकार नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा दे रही है, जिससे BHEL के उत्पाद मांग में गिरावट आई है। पिछले पांच साल में 80% राजस्व इस कंपनी को थर्मल पाॅवर क्षेत्र से प्राप्त हुआ है।
  • हाल ही में जुलाई सितम्बर के तिमाही के कंपनी के आंकड़ों से पता चलता है कि इस कंपनी को इसी तिमाही में 556 करोड़ रूपये का भारी नुकसान हुआ है। जबकि पिछले साल इसी तिमाही में कंपनी को 118 करोड़ रूपये का फायदा हुआ था।
  • इस गिरावट को छोड़ भी दे तो हमें पता चलेगा कि साल दर साल कंपनी का रिवेन्यू गिरता जा रहा है। दरअसल कंपनी को नवीकरणीय क्षेत्र में कार्य करने वाली निजी कंपनियों के साथ.साथ परंपरागत ऊर्जा के क्षेत्र में कार्य करने वाली निजी कंपनियों के साथ साथ परंपरागत ऊर्जा के क्षेत्र में कार्य करने वाले निजी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
  • कंपनी लम्बे समय से ऑपरेटिंग लाॅस का भी सामना कर रहीं है। किसी कंपनी को चलाने के लिए वर्तमान खर्च की आवष्यकता होती है यदि उसकी भी पूर्ति नहीं हो पाती है तो इसे ऑपरेटिंग लाॅस कहा जाता है।
  • कंपनी अपने खर्चों में कमी करने के लिए अपने कर्मचारियों की संख्या में कटौती कर रही है। वर्श 2010 में यहाँ लगभग 46000 कर्मचारी थे लेकिन अब इनकी संख्या घटकर 40000 से भी कम हो गई है।
  • कंपनी के कुल खर्च में मजदूरी का खर्च लगभग एक चैथाई है।
  • यह कंपनी डिफेंस, सैनिक टूक, नवीकरणीय ऊर्जा, आदि क्षेत्रों में अपना प्रसार करने का प्रयास कर रही है लेकिन यह इसमें अभी सफल नहीं हो पाई है।

अटलांटिक महासागर का सबसे बड़ा संरक्षित समुद्री रिज़र्व क्या है

चर्चा में क्यों

  • बीते शुक्रवार को ब्रिटैन का समुद्री पार के इलाके ट्रिस्टन डा कुन्हा को सबसे बड़ा और संरक्षित समुद्री रिज़र्व घोषित कर दिया गया। यह समुद्री रिज़र्व अटलांटिक महासागर के तकरीबन 687000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस समुद्री जैव संरक्षण क्षेत्र के बनने से यहां होने वाली लगभग 90 फीसदी हानिकारक गतिविधियों पर लगाम लग जाएगी। इन खतरनाक गतिविधियों में समुद्र की ताली से मछलियां पकड़ना , बालू का खनन और समुद्र के भीतर अवैध खनन शामिल है।
  • ब्रिटैन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का कहना है की उन्होंने दुनिया के बाकी देशों से भी दुनिया के समुद्र का ३0 फीसदी संरक्षित करने की मुहीम में शामिल होने की गुज़ारिश की है।

क्या है ट्रिस्टन डी कुन्हा

  • ट्रिस्टन डी कुन्हा कई छोटे छोटे द्वीपों की श्रृंखला है। इसमें तकरीबन 300 लोगों की आबादी रहती है। यह लंदन से 6000 मील की दूरी पर दक्षिण अटलांटिक महासागर में स्थित है। इसके द्वीपों के चारों ओर का पानी दुनिया में अपनी जैव विविधता के लिए काफी मशहूर है।
  • ट्रिस्टन डी कुन्हा एक पहाड़ों से घिरा द्वीप समूह है। यहां पर हज़ारों की तादाद में समुद्री पक्षी और ज़मीनी पक्षियों की कई इकलौती प्रजातियां पायी जाती हैं। कई मायने में यहां की पपक्षियों की प्रजातियां गलप्पागोस द्वी समूह के सामान ही है। हालांकि यहां पायी जाने वाली कई पक्षियों की प्रजातियों का वज़ूद आज खतरे में है जिसकी वजह यहां होने वाली बेतरतीब और बेरोकटोक मछली पकड़ने की गतिविधियां एप्लास्टिक प्रदूषण और जलवायु में होने वाले बदलाव हैं। नेशनल जियोग्राफिक के एक बयान पर गौर करें तो इन पक्षियों के मरने की एक वजह यह भी है की यहां से गुजरने वाले जहाज़ों के ज़रिये यहां बड़ी तादाद में चूहे लाये जाते हैं। इन चूहों से हर साल तकरीबन २ लाख पक्षी अपनी जान गवां देते हैं।
  • अगर मौजूदा वक़्त की बात करें तो यहां २ गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियां और तकरीबन 5 से ज़्यादा संकटापन्न प्रजातियां पायी गयीं हैं। यह द्वीप समूह वैश्विक विरासत स्थल गौघ और कई ऐसे द्वीपों का घर है जहां पहुंचना बेहद मुश्किल माना जाता है। ये सारे द्वीप दुनिया में अपनी समुद्री पक्षियों की वजह से जाने जाते हैं

इस एलान से इस द्वीप समूह पर क्या असर होगा

  • ब्रिटैन के ब्लू बेल्ट कार्यक्रम के तहत शामिल होने के बाद यह अटलांटिक महासागर में सबसे बड़ा ऐसा क्षेत्र बन जाएगा जहां इन चीज़ों पर पाबंदी है। इसके अलावा पूरे गृह पर यह ऐसा चौथा बड़ा क्षेत्र बन जाएगा जहां मछली पकड़ने ए खनन और ऐसी ही कई गतिविधियों पर बंदिशें हैं। तकरीबन ७ लाख वर्ग किलोमीटर का यह समुद्री सुरक्षा क्षेत्र ब्रिटैन के आकार का तकरीबन 3 गुना है। इस कार्यक्रम के तहत सेवेंगिल शार्क ,येलो नोज अल्बाट्रोस और रॉकहोप्पर पेंगुइन के भविष्य पर लगा सवालिया निशान हैट जाएगा। इसके अलावा इसे ब्लू बेल्ट कार्यक्रम के तहत भी मदद मिलेगी। ब्लू बेल्ट कार्यक्रम के तहत 27 मिलियन पाउंड्स की धनराशि 5 सालों के लिए दी जाती है। यह धनराशि ब्रिटैन की ओवरसीज टेरिटरीज और अंतरार्ष्ट्रीय संस्थाओं में समुद्री संरक्षण के लिए दी जाती है। समुद्री संरक्षण क्षेत्रों को बनाने का मकसद यहां पायी जाने वाली जैव विविधता और प्रजातियों के संरक्षण को बढ़ावा देना है। नेशनल जियोग्राफिक सोसाइटी द्वारा चलाये जा रहे एक सर्वेक्षण के मुताबिक़ दुनिया के 30 फीसदी समुद्री इलाके को संरक्षित करने की ज़रुरत है ताकि यहां का पारिस्थितिकी तंत्र सुरक्षित रखा जा सके और यहाँ मछलियों की तादाद को भी बढ़ाया जा सके।

भारत में दो नए रामसर स्थल की घोषणा

चर्चा में क्यों

  • हाल ही में महाराष्ट्रा के बुलढाणा ज़िले में उल्का पिंड से बनी लोनार झील और और उत्तर प्रदेश के आगरा ज़िले में मौजूद सूर सरोवर झील को रामसर स्थल घोषित किया गया है। रामसर आर्डर भूमि से जुड़ा एक समझौता है जो आर्द्र भूमियों के संरक्षण के लिए चलाया गया है। इस साल की शुरुआत में बिहार में स्थित काबरताल आर्द्रभूमि और उत्तरखंड में मौजूद आसान संरक्षण रिज़र्व को भी रामसर स्थल का दर्ज़ा दिया गया था। इन नए रामसर स्थलों के बाद भारत में कुल रामसर स्थलों की संख्या ४१ हो गयी है जो दक्षिण एशिया में सबसे ज़्यादा है।

मुख्य बिंदु

  • लोनार झील दक्कन पठार के बेसाल्ट से बनी चट्टानों में स्थित है। इसका निर्माण ३५ हज़ार से ५० हज़ार साल पहले एक उल्का पिंड के धरती से टकराने की वजह से हुआ था।
  • लोनार झील लोनार वन्यजीव अभ्यारण्य का हिस्सा है। यह मेलघाट बाघ अभ्यारण्य के नियंत्रण में आने वाला क्षेत्र है। इसे लोनार क्रेटर के नाम से भी जाना जाता है। इसे एक राष्ट्रीय भू विरासत स्मारक का दर्ज़ा मिला हुआ है। भू विरासत उन भूगर्भीय संरचनाओं को कहा जाता है जो सांस्कृतिक रूप से काफी अहम् होती हैं और जो पृथ्वी के क्रमिक विकास और उसके इतिहास से जुडी अहम् जानकारी मुहैया कराते है। इनसे मिली जानकारी से विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में काफी मदद मिलती है। महाराष्ट्र में लोनार झील दूसरी रामसर स्थल है। रामसर आर्द्रभूमि के तौर पर चिन्हित पहला स्थल नंदुर मधमेशवर पक्षी अभ्यारण्य है एयह महाराष्ट्र के नासिक ज़िले में स्थित है।
  • लोनार झील का पानी काफी खारा और लवणीय है। इसमें अतिसूक्ष्म जीव जैसे अनरोबेस ए साइनोबैक्टीरिया और फाइटो प्लैंकटन रहते हैं।
  • सूर सरोवर झील को कीठम झील के नाम से भी जाना जाता है। यह सूर सरोवर पक्षी अभ्यारण्य में स्थित है। इसे साल १९९१ में पक्षी अभ्यारण्य घोषित किया गया था। सूर सरोवर झील उत्तर प्रदेश के आगरा ज़िले में यमुना नदी के किनारे स्थित है। यह झील तकरीबन ८ वर्गकिलोमीटर इलाके में फ़ैली हुई है। इस झील पर प्रवासी पक्षियों की १६५ प्रजातियां पायी जाती हैं। यहां एक भालू बचाव केंद्र भी बनाया गया है।

क्या है रामसर स्थल दर्ज़े के फायदे

  • किसी आर्द्र भूमि को रामसर स्थल का दर्ज़ा मिलने से अंतरार्ष्ट्रीय स्तर पर यह आर्द्रभूमि चर्चित हो जाता है। इन आर्द्रभूमियों को रामसर समझौते के तहत आर्थिक अनुदान भी दिया जाता है। इसके अलावा इस स्थल पर जानकारों का सुझाव और इससे जुडी दिक्कतों का भी निदान होता रहता है।

रामसर स्थल (RAMSAR SITE)

  • रामसर समझौता आर्द्रभूमि पर किया गया एक अंतरसरकारी समझौता था जिसे साल १९७१ में अमल में लाया गया था। यह समझौता ईरान के शहर रामसर में संपन्न हुआ था। रामसर शहर कैस्पियन सागर के दक्षिणी किनारे पर मौजूद है।
  • भारत में इस समझौते को १ फरवरी १९८२ में अपनाया गया था। वो आर्द्रभूमियाँ जो दुनिया में काफी अहमियत रखती है उन्हें रामसर स्थल का दर्ज़ा दिया जाता है।
  • रामसर समझौते का मकसद आर्द्रभूमियों का संरक्षण और उनका सही ढंग से इस्तेमाल करना है। इसके लिए स्थानीय राष्ट्रिया और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मदद मुहैया कराई जाती है।

मोट्रेक्स रिकॉर्ड

  • यह सभी आर्द्र भूमियों का एक रिकॉर्ड होता है जिसे अंतररष्ट्रीया महत्त्व की आर्द्रभूमियों की सूची में रखा जाता है। ये ऐसी आर्द्र भूमि होती हैं जिनमे तकनीकी विकास या प्रदूषण या अन्य मानवीय हस्तक्षेप की वजह से पारिस्थितिक तौर पर बदलाव दर्ज़ किये गए हों या बदलाव हो रहे हों। इसे रामसर सूची के एक भाग के तौर पर रखा जाता है।
  • मौजूदा वक़्त में भारत की २ आर्द्रभूमि मोंट्रेक्स रिकॉर्ड में दर्ज़ हैं जिनमे राजस्थान में स्थित केओलादेव राष्ट्रिय पार्क और मणिपुर राज्य में स्थित लोकटक झील है। ओडिषा में स्थित चिल्का झील को भी इस रिकॉर्ड में रखा गया था लेकिन अब इसे हटा दिया गया है।