Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 17 June 2020
भारत चीन का बढ़ता तनाव
- दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DSDBO )लद्दाख में भारतीय क्षेत्र का सबसे उत्तरी इलाका है ! इसे सेना के बीच सब सेक्टर- नॉर्थ (Sub-Sector-North) के नाम से जाना जाता है !
- DSDBO में भारत लंबे समय से एक सड़क का निर्माण करने का प्रयास कर रहा है जिसे इस साल पूरा हो जाने की उम्मीद है !
- यह सड़क लगभग 255 किलोमीटर लंबी है और LAC के समानांतर 13000 फुट से 16000 फुट की ऊंचाई पर निर्मित की जा रही है !
- यह सड़क लेह को कराकोरम दर्रे से जोड़ती है तथा चीन के शिनजियांग प्रांत से लद्दाख को अलग करती है !
- DBO (दौलत बेग ओल्डी) दुनिया की सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित हवाई पट्टी है जिसे मूल रूप से 1962 के दौरान बनाया गया था ! बीच के समय में इसका बहुत ख्याल नहीं रखा गया लेकिन वर्ष 2008 में भारतीय वायुसेना द्वारा इसे पुनः प्रारंभ किया गया ! यहां वर्ष 2008 में एंटोनोव एन-32 सेना विमान तथा अगस्त 2013 में परिवहन विमान C-130J की लैंडिंग कराई गई थी !
- DBO चीन के साथ LAC से केवल 9 किलोमीटर दूर है !
- गलवान घाटी क्षेत्र भारत का हिस्सा है जो इस समय अक्साई चीन में है ! यह घाटी लद्दाख अक्साई चीन के बीच सीमा के नजदीक है ! इसी के समीप से होकर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) गुजरती है !
- सीमा के पास होने के कारण दोनों देश इस पर अपना नियंत्रण चाहते हैं और 1962 के युद्ध के समय भी यह घाटी एक युद्ध स्थल के रूप में परिवर्तित हो चुकी है !
- DSDBO नामक सड़क के पूर्ण होने से यह घाटी भी सड़क मार्ग से जुड़ जाएगा फल स्वरुप किसी भी समय भारतीय सेना यहां पहुंचने में सक्षम होगी !
- इस तरह अभी जो भारतीय सेना सिर्फ हवाई मार्ग से DBO तक पहुंच कर और फिर पैदल रास्ता तय करती थी वह आसानी से अब सड़क माध्यम से यहाँ पहुंच सकेगी !
- चीन ने पहले से ही गलवान घाटी क्षेत्र के साथ लगने वाले अपने कब्जे के हिस्से में निर्माण कार्य किया है ।
- DSDBO के बन जाने से चीन खतरा महसूस कर रहा है कि कभी भी भारतीय सेना इस निर्माण को हटा सकती है ।
- गलवान घाटी के साथ साथ एक विवाद पेगोंग झील के सीमा निर्धारण को लेकर भी है !
- लगभग पूर्व- पश्चिम में 135 किलोमीटर लंबी झील का 45 किलोमीटर का क्षेत्र भारत में पड़ता है तो 90 किलोमीटर का क्षेत्र चीन के हिस्से में !
- जल क्षेत्र में सीमांकन कठिन होता है और अस्पष्ट भी इसी कारण यहां विवाद है !
- इसके अलावा झील के उत्तर में कुछ पहाड़ियां हैं जिन्हें फिंगर्स के नाम से जाना जाता है ! इन फिंगर्स के नियंत्रण को लेकर भी विवाद है !
- फिंगर 1 से 4 तक का इलाका भारतीय सेना के कब्जे में है जबकि फिंगर 4 से 8 तक के क्षेत्र में भारतीय सेना फिंगर 8 तक पैदल गश्त करती है !
- फिंगर 4 से 8 तक का क्षेत्र में अब भारतीय सेना का आवागमन नहीं हो पा रहा है और चीन की सेना ने जब फिंगर 4 से अंदर की ओर बढ़ने का प्रयास किया तब से लेकर अभी तक विवाद बना हुआ है !
- कुल मिलाकर DBO, DSDBO गलवान घाटी क्षेत्र और फिंगर्स पर नियंत्रण को लेकर चीन की सेना ने लगभग डेढ़ माह से भारतीय सेना के साथ संघर्ष की स्थिति उत्पन्न कर दिया है !
- 15 जून की देर शाम और रात को गलवान घाटी क्षेत्र में हिंसक झड़प के 20 भारतीय सेना के जवान शहीद हुए एवं चीन के 43 जवानों के हताहत की भी खबर सामने आई है !
- भारत-चीन बॉर्डर पर किसी सैनिक की शहादत की घटना 45 साल बाद हुई है !
- 1975 में अंतिम बार भारतीय सैनिक शहीद हुए थे !
- यहां 6 जून से वार्ता प्रारंभ कर तनाव को कम करने का प्रयास किया जा रहा था लेकिन सोमवार को इसी प्रकार की सीमा वार्ता हिंसा में तब्दील हो गई है !
- यहां 20 सैनिकों का शहीद होना एक गंभीर मुद्दा है !
- भारत-चीन के बीच किस प्रकार की सहमति है की LAC पर हथियारों का प्रयोग नहीं किया जाएगा !
- इसलिए सैनिकों के बीच लात-घूसा और कभी-कभी पत्थरों से मारपीट हो जाती है ! इस बार भी ऐसा ही हुआ ! लेकिन भी सैनिकों के शहीद होने और कई जवानों के घायल होने से यह स्पष्ट हो गया है कि चीन तनाव को कम करने की अपनी पूर्ण इच्छाशक्ति का प्रदर्शन नहीं कर रहा है !
- चीन की इस हरकत को दोनों देशों के बीच हुए 1993, 1996 और 2013 के एग्रीमेंट का उल्लंघन माना जा रहा है !
- इन तीनों की एग्रीमेंट के केंद्र में यह निहित है कि LAC पर किसी भी प्रकार की हिंसा से बचते हुए मुद्दों का बातचीत के माध्यम से समाधान किया जाएगा !
- भारत चीन के व्यवहार को अब समझ चुका है ! इसलिए वह DSDBO सड़क निर्माण को रोकने के लिए तैयार नहीं है तो साथ ही इसे अब और तीव्र गति से निपटाना चाहता है ! इसी क्रम में सड़क निर्माण के लिए 1300 मजदूरों को झारखंड से ले जाया जा रहा है !
- भारत-चीन तनाव पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चिंता जताया है और दोनों पक्षों से अधिकतम संयम बरतने को कहा है !
- इसके साथ स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स (मोतियों की माला) के माध्यम से हिंद महासागर में भारत को चीन द्वारा घेरने का प्रयास किया जा रहा है !
- इसी रणनीति के तहत भारत के सभी सागरीय पड़ोसी देशों में चीन की उपस्थिति है !
- मलेशिया, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान एवं अफ्रीकी देशों में चीन की उपस्थिति भारत के लिए चिंताजनक है !
- चीन द्वारा जिबूती में एक बंदरगाह का निर्माण किया जा रहा था जिसे चीन द्वारा अब पूर्ण रूप से NAVAL BASE में कन्वर्ट कर दिया गया है ! जहां पर चीन का सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट रुक सकता है !
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और भारत
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है एक मशीन में सोचने समझने और निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना !
- यह कंप्यूटर साइंस का सबसे उन्नत रूप माना जाता है जिसमें इंसानी दिमाग का नकल करने का प्रयास किया जाता है !
- AI अर्थात कृत्रिम तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी ! इसके जनक जॉन मैकार्थी को माना जाता है !
- वर्तमान समय में रोबोट का चलन और इनका बढ़ता दायरा इसी AI का परिणाम है !
- AI के क्षेत्र में सर्वप्रथम कार्य 1981 में जापान द्वारा फिफ्थ जनरेशन नामक योजना के माध्यम से प्रारंभ किया गया था !
- ब्रिटेन ने इसके लिए "एल्वी" नामक प्रोजेक्ट प्रारंभ किया तो यूरोपीय संघ के देशों ने "एस्प्रीट" नामक कार्यक्रम प्रारंभ किया था !
- देशों के साथ-साथ बड़ी-बड़ी कंपनियां भी अब रोबोट और AI पर कार्य कर रही है !
- हैनसन रोबोटिस्क के संस्थापक डेविड हैनसन द्वारा सोफिया नामक रोबोट का निर्माण किया गया !
- अक्टूबर 2017 में सऊदी अरब ने इसे अपने पूर्व नागरिकता प्रदान कर दीजो कि विश्व इतिहास में पहली बार हुआ !
- सोफिया अपनी इंटेलिजेंस के माध्यम से किसी से भी बात कर सकती है और अपने विचार रख सकते हैं !
- 2 दिन पहले आए सूचना के अनुसार भारत"ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस" (GPAI) के एक संस्थापक सदस्य के तौर पर शामिल हो गया है !
- GPAI एक अंतरराष्ट्रीय और बहु-हितधारक पहल है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जिम्मेदारी पूर्ण विकास, नवाचार, विकास के साथ तकनीकी का समन्वय, तकनीकी और AIकीविविधता पर देशों का मार्गदर्शन करता है !
- GPAI के माध्यम से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी के सिद्धांत और व्यवहार के बीच मौजूद अंतर को समाप्त करने की कोशिश की जाएगी !
- यह सभी प्रतिभागी देशों के अनुरूप और विविधता को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा !
- GPAI में भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन,यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, इटली, जापान, मेक्सिको एवं न्यूजीलैंड जैसे देश है !
- भारत का GPAI में शामिल होना एक सुखद समाचार है ! इससे भारत में AI का वातावरण तेजी से विकसित होगा तथा बढ़ते भारत के संदर्भ में तकनीकी उपयोगको बढ़ाया जा सकेगा !
- वर्तमान समय में शिक्षा, स्वास्थ्य, ई-कॉमर्स, वित्त, दूरसंचार, कृषि, विनिर्माण आदि क्षेत्रों में हम AI के मामले में पिछड़े हैं, जिससे हमारी स्थिति सुदृढ़ हो सकती हैं !
- स्वयं नीति आयोग का मानना है कि यदि भारत में AI का उपयोग सही तरीके से किया गया तो 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था के GVA में 15% तक की वृद्धि हो सकती है !
इंडियन गैस एक्सचेंज
- पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 15 जनवरी को देश के पहले गैस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म को प्रारंभ कर दिया है !
- इसका नाम इंडियन गैस एक्सचेंज (IGX) रखा गया है !
- अन्य एक्सचेंजों की तरह ही यह भी एक डिजिटल ट्रेंनिंग प्लेटफार्म है जिसके माध्यम से विक्रेता प्राधिकृत केंद्रों के माध्यम से स्पॉट मार्केट और फॉरवर्ड मार्केट (Forward Market) के रूप में आयातित प्राकृतिक गैस का कारोबार कर सकेंगे !
- यहां ध्यान देना आवश्यक है कि इस एक्सचेंज पर अभी सिर्फ आयातित तेल का ही व्यापार हो सकेगा !
- देश में उत्पादित प्राकृतिक गैस की कीमत सरकार द्वारा तय की जाती है ! इसलिए इसका व्यापार यहां नहीं होगा !
- अभी IGX के लिए तीन स्थानों गुजरात के दाहेज, हजीरा और आंध्र प्रदेश के ओडुरु-काकीनाडा का चयन किया गया है !
- इस एक्सचेंज के माध्यम से विक्रेता और क्रेता दोनों को लाभ मिलेगा और मध्यस्थों की आवश्यकता समाप्त होगी !
- IGX पर एक दिन से लेकर एक महीने तक की डिलीवरी के लिए अनुबंध की अनुमति दी गई है !
- यह एक्सचेंज ऑनलाइन गैस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (Indian Energy Exchange-IEX) की सहायक / अनुषंगी कंपनी के रूप में कार्य करेगा !
- सरकार 2030 तक अपने समग्र ऊर्जा खपत में प्राकृतिक गैस के अनुपात को 15% करना चाहती है !IGX इसमें सहायक सिद्ध हो सकता है !
- IGX द्वारा भविष्य में प्राकृतिक पाइप लाइनों के उपयोग के लिए एक स्वतंत्र तथा पारदर्शी ऑपरेटिंग सिस्टम को विकसित किया जा सकेगा !
- वर्तमान समय में गेल भारत की सबसे बड़ी गैस पाइपलाइन ( 12000 KM) का संचालन करती है !
- यदि भविष्य में गैस पाइपलाइन का प्रयोग परिवर्तित होता है और इसका दायरा बढ़ाया जाता है तो यह सभी स्थानों तक ऊर्जा की पहुंच सुनिश्चित करेगी !
- इससे प्राकृतिक गैस के न सिर्फ मुक्त बाजार का लक्ष्य प्राप्त होगा बल्कि स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा तक अधिक भागीदारों तक पहुंच बढ़ेगी !
- वर्तमान समय में खरीद-बिक्री और आपूर्ति प्रक्रिया को दुरुस्त होगी ही इसी के साथ प्राकृतिक गैस आधारित उद्योगों का विकास भी सुनिश्चित हो सकेगा !