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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 17 July 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 17 July 2020



अशोक लवासा और चुनाव आयोग

  • भारत निर्वाचन आयोग, जिसे चुनाव आयोग के नाम से भी जाना जाता है, संघ और राज्य चुनाव प्रक्रियाओं का संचालन करने वाला एक स्वायत्त संवैधानिक निकाय है।
  • यह आयोग लोकसभा, राज्यसभा, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तथा राज्य विधानसभाओं के चुनावों का संचालन करता है।
  • संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 324 से 329 तक चुनाव आयोग तथा उसके सदस्यों की शक्तियों, कार्य, कार्यकाल तथा पात्रता से संबंधित नियमों का उल्लेख किया गया है।
  • संवैधानिक प्रावधानों के तहत इसकी स्थापना 25 जनवरी 1950 को की गई थी।
  • अनु. 324- निर्वाचनों के अधीक्षण, निर्देशन, और नियंत्रण की शक्ति निर्वाचन आयोग में निहित होना।
  • अयोग्य नहीं ठहराने का प्रावधान
  • अनु. 326- लोक सभा और राज्यों की विधानसभाओं के लिए निर्वाचनों का व्यस्क मताधिकार के आधार पर होना।
  • अनु. 327- विधानमंडलों के लिए निर्वाचनों के संबंध में उपबंध करने की संसद की शक्ति।
  • अनु. 328- किसी राज्य के विधानमंडल के लिए निर्वाचनों के संबंध में उपबंध करने की उस-विधानमंडल की शक्ति।
  • अनु. 329- निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन।
  • निर्वाचन आयोग के कार्यों के अधीक्षण की जिम्मेदारी चुनाव आयुक्त की होती हैं ।
  • प्रारंभ में संविधान में केवल एक चुनाव आयुक्त का प्रावधान था, लेकिन राष्ट्रपति की एक अधिसूचना के जरिए 16 अक्टूबर 1989 को तीन सदस्यीय बना दिया गया।
  • कुछ समय बाद इसे पुनः एक सदस्यीय बना दिया गया लेकिन 1 अक्टूवर, 1993 से इसे फिर से तीन सदस्यीय बना दिया गया। तब से निर्वाचन आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते है।
  • मुख्य निर्वाचन अधिकारी तथा अन्य आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।
  • इनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु (दोनों में से जो भी पहले हो) तक होता है।
  • मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश को हटाने की प्रक्रिया के समान ही पद से हटाया जा सकता है।
  • इन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीशों के समकक्षा दर्जा प्राप्त होता है और समान वेतन एवं भरते मिलते है।
  • निर्वाचन आयोग न सिर्फ अधिक से अधिक लोगों की मतदान की प्रक्रिया में जोड़ने का प्रयास करता है बल्कि चुनाव की विश्वसनीयता, निष्पक्षता, पारदर्शिता, अखंडता आदि मूल्यों को भी सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।
  • यह चुनाव में राजनीतिक दलों को अनुशासित कर चुनाव में समानता, निष्प्क्षता एवं स्वतंत्रता को स्थापित करता है।
  • 1950 से अब तक चुनाव आयोग ने बहुत ही दृढ़तापूर्वक अपने कर्तव्यो का निर्वहन किया है लेकिन आयोग के समक्ष इस बीच कई चुनौतियाँ भी आई हैं ।
  • चुनावों के समय नेताओं द्वारा सम्प्रदायिक एवं हेट स्पीच के वाक्यों का प्रयोग किया जाता है।
  • हाल के समय में राजनीति में कालेधन तथा अपराधिक तत्वों का बोलबाला बढ़ा है।
  • कई बार सरकारों द्वारा सरकारी मशीनरी के दरूपयोग की भी खबरें आती हैं जिसमें चुनाव से पहले सरकारी अधिकारियों का स्थानांतरण मुख्य है।
  • कई बार यह विश्लेषण भी सामने आता है कि चुनाव आयोग कार्यपालिका के दबाव में काम कर रहा है।
  • मुख्य चुनाव आयुक्त एवं दो अन्य चुनाव आयुक्तों का चयन सरकार द्वारा किया जाता है। जिसमें निर्णय बहुमत के आधार पर लिये जाते हैं जिससे निष्पक्षता प्रभावित होती है।
  • इस समय मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा हैं। इनके साथ दो चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्र हैं।
  • हाल ही में सूचना आई कि चुनाव आयुक्त अशोक लवासा को एशियाई विकास बैंक (ADB) ने उपाध्यक्ष बनाने की घोषण की है। हालांकि लवासा ने अभी अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है।
  • अशोक लवासा ने 23 जनवरी, 2018 को चुनाव आयुक्त का कार्यभार संभाला था और इनका कार्यकाल अक्टूबर 2022 तक था।
  • सुनील अरोड़ देश के 23वें मुख्य चुनाव आयुक्त हैं । इनका कार्य काल अगले साल समाप्त होगा।
  • सुनील अरोड़ा के बाद अगले साल अप्रैल माह में मुख्य चुनाव आयुक्त अशोक लवासा हो सकते थे। ऐसे में इनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर, और गोवा सहित कई राज्यों में चुनाव होते।
  • लवासा के बाद अब आयुक्त सुशील चंद्र मुख्य चुनाव आयुक्त के दावेदार होंगे।
  • चुनाव आयोग (चुनाव आयुक्तों की सेवा शर्तों कामकाज) अधिनियम 1991 के प्रावधानों के अनुसार कोई भी चुनाव आयुक्त अथवा मुख्य चुनाव आयुक्त अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेज सकता है।
  • कार्यकाल के बीच में आयोग छोड़ने वाले यह दूसरे आयुक्त होंगे। इससे पहले वर्ष 1973 में मुख्य आयुक्त नगेंद्र सिंह को इस्तीफा देना पड़ा था। उस समय उन्हें हेग अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में न्यायधीश नियुक्त किया गया था।
  • मनीला स्थित ADB मुख्यालय ने कहा ‘‘ADB ने अशोक लवासा केा निजी क्षेत्र, सार्वजनिक-निजी भागीदारी के कार्यभार के लिए उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। वह दिवाकर गुप्ता का स्थान लेंगे जो कि 31 अगस्त को सेवानिवृत्त हो रहे है।’’
  • कई समीक्षकों/सूत्रों का कहना है कि उपाध्यक्ष के तौर पर नियुक्ति भारत सरकार की सिफारिश पर हुई है।
  • जानकारों का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय संस्था तब तक किसी की नियुक्ति की घोषण नहीं करती है जब तक कि सरकार और उस व्यक्ति की सहमति/स्वीकृति न हो।
  • अशोक लवासा 1980 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के हरियाणा कैडर के अधिकारी है।
  • केंद्र और राज्य सरकार में रहते हुए उन्हें सुशासन एवं नीतिगत सुधार पहलों के लिया जाना जाता है।
  • केंद्र और राज्य सरकार में रहते हुए उन्हें सुशासन एवं नीतिगत सुधार पहलों के लिया जाना जाता है।
  • वर्ष 2015 में पेरिस समझौते के दौरान भारतीय टीम का इन्होंने नेतृत्व किया था।
  • इसके अलावा मांट्रियल प्रोटोकॉल और कन्वेंशन ऑन बायोडायवर्सिटी एंड डिजर्टीफिकेशन के दौरान भी उन्होंने भारतीय टीम को लीड किया था।
  • आर्थिक मामलों के संयुक्त सचिव रहते हुए ADB दर्जनों डेवलपमेंट संबंधित लोन की बात-चीत कर चुके है।
  • अशोक लवासा उस समय चर्चा में आये जब उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान पांच मौकों पर चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के आरोपों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को चुनाव आयोग द्वारा दी गई कलीनचिट का विरोध किया था।
  • लवासा चाहते थे कि उनकी अल्पमत राय को रिकॉर्ड किया जाये, जबकि ऐसा किया नहीं गया तो उनका कहना था कि उनकी अल्पमत की राय को नजरअंदाज किया जा रहा है।
  • खबरों के मुताबिक पिछले साल लवासा परिवार के तीन सदस्यों को आयकर विभाग का नोटिस दिया गया था।
  • बीते नवंबर में आई एक रिपोर्ट के अनुसार लवासा के बेटे की कथित तौर पर ED (प्रवर्तन निदेशालय) तथा फेमा (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) के तहत जांच की जा रही है।
  • कुछ समीक्षक और आलोचकों का मानना है कि लवासा को ADB इसलिए भेजा जा रहा है ताकि कार्यपालिका अपने पसंद के किसी आयुक्त की नियुक्ति कर सके।
  • हालांकि सरकार इसे एक प्रक्रियागत परिवर्तन मान रही है।

आजाद पट्टन जलविद्युत परियोजना

  • भारत का जो हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में है उसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (Pok) के नाम से जाना जाता है।
  • इस हिस्से से होकर चीन-पकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) गुजरता है।
  • मई 2020 में गिलगित बाल्तिस्तान के डायमर जिले के बीच पाकिस्तान एवं चीन ने डायमर-भाषा बांध (Diamer Btasha Dam) प्रोजेक्ट पर हस्तक्षर किया था।
  • हाल ही में पाकिस्तान एवं चीन के मध्य Pok क्षेत्र में 700 मेगावाट की आजाद पट्टन जल विद्युत (Azad Pattan Hydel Project) परियोजना पर हस्ताक्षर किया है।
  • झेलम नदी पर बनने वाले इस परियोजना परलगभग 2.4 अरब रूपये का खर्च आने का अनुमान है।
  • यह परियोजना चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के तहत विकसित होगी।
  • इस परियोजना को वर्ष 2024 तक पूरा करने का प्रस्ताव है।
  • इसके तहत 90 मीटर ऊँचे बांध का निर्माण किया जायेगा जिसमें 3-8 वर्ग किमी- का जलाशय होगा।
  • जून 2016 में Pok सरकार द्वारा ‘निजी पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर बोर्ड’ द्वारा मंजूरी प्रदान की गई थी।
  • चीन की तरफ से पावर यूनिवर्सल कंपनी लिमिटेड कार्य करेगी।
  • परियोजना विकसित होने के 30 साल बाद चीन द्वारा पाकिस्तान को हस्तांतरित कर दिया जायेगा।
  • यह एक रन-ऑफ द रिवर परियोजना है। यह ऐसी परियोजना होती है जिसमें नदी घाटी के जल प्रवाह में बिना बाधा डाले जल विद्युत का उत्पादन किया जाता है।
  • यह CPEC के तहत Pok में निर्मित की जाने वाली दूसरी परियोजना है। पहली परियोजना कोहाला परियोजना (Kohala Project) है। इस पर हस्ताक्षर जून 2020 में हुआ था, जिसमें 1100 मेगवाट बिजली उत्पादन किया जाना है।
  • कोहाला परियोजना भी झेलम नदी पर मुजफ्रफराबाद के पास बनाया जायेगा।
  • झेलम पर पांच जलविद्युत परियोजनाएं संपन्न होनी है।
  • झेलम नदी पर आजाद पट्टन से ऊपर की ओर माहल(Mahl), कोहाला (Kohala) और चकोथी हाट्टियन परियोजनाएं है जबकि करोट परियोजना नीचे की ओर है।

हांगकांग विशेष दर्जे समाप्ति

  • हांगकांग लगभग शताब्दी तक ब्रिटेन का उपनिवेश था।
  • वर्ष 1997 में हांगकांग चीन को सौंप दिया गया और एक देश दो व्यवस्था (One Nation Two System) की अवधारणा सामने आई।
  • इसके तहत हांगकांग को विशेष दर्जा दिया गया तथा यह माना गया कि हांगकांग की शासन व्यवस्था मुख्य चीन से अलग होगी।
  • अमेरिका ने अपनी नीतियों के संदर्भ में हांगकांग को विशेष दर्जा दिया, जिसके तहत हांगकांग को अमेरिका के साथ लेन-देन में चीन की तुलना में वरीयता दी जायेगी।
  • इसके तहत कम व्यापार शुल्क लगेगा और एक अलग आव्रजन नीति का निर्माण आदि शामिल थे।
  • हांगकांग में कुछ दिन पूर्व लाये गये राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का अमेरिका ने विरोध करते हुए कहा है कि इस कानून के माध्यम से हांगकांग वासियों की स्वतंत्रता छीनी जा रही है और मानवाधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है।
  • इसी प्रतिक्रिया में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हांगकांग का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया है। इसका मतलब है कि अमेरिका हांगकांग को चीन से अलग जो छूट देता था वह अब हांगकांग को नहीं मिलेगा।
  • ट्रंप ने यह भी कहा है कि हांगकांग को चीन का मुख्य हिस्सा माना जायेगा और किसी भी संवेदनशील प्रोद्योगिकी का निर्यात नहीं किया जायेगा।
  • इसके साथ ही डोनाल्ड ट्रंप ने हांगकांग स्वायत्तता अधिनियम (HongKong Autonomy Act) पर भी हस्ताक्षर कर दिये।
  • इसके तहत उन चीन अधिकारियों और हांगकांग पुलिस के अधिकारियों को अमेरिका प्रतिबंधित किया जायेगा जो हांगकांग की स्वायत्तता को कम करने और मानवाधिकारों के उल्लंघन में शामिल है।
  • इसके अलावा उन बैंकों पर भी प्रतिबंध लगाये जायेंगे तो प्रतिबंधित लोगों के साथ आर्थिक लेन-देन में शामिल होंगे।
  • चीन ने कहा है कि चीन अपने हितों की रक्षा के लिए आवश्यक प्रतिक्रिया देगा और आवश्यक पड़ने पर अमेरिका के अधिकारियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध की घोषणा करेगा।