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Blog / 16 Oct 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 16 October 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 16 October 2020



UNHRC की सदस्यता पर उठते सवाल

  • संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र अधिकार पत्र पर 50 देशों के हस्ताक्षर होने के साथ हुई।
  • यह संस्था अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, मानवाधिकार और विश्व शांति स्थापित करने का प्रयास करती है।
  • इसके प्रमुख अंग- महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक व सामाजिक परिषद, सचिवालय और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र आर्थिक तथा सामाजिक परिषद संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंगों में से एक है। यह महासभा को अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एवं सामाजिक सहयोग एवं विकास कार्यक्रमों में सहायता करता है।
  • UN आर्थिक एवं सामाजिक परिषद सामाजिक समस्याओं के समाधान के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय शांति को प्रभावी बनाने का प्रयास करता है।
  • इस परिषद की एक कार्यात्मक समिति के तौर पर मानव अधिकार आयोग की स्थापना 1946-47 में की गई थी, जिसका मुख्य कार्य मानवाधिकार के संदर्भ में प्रतिवेदन तैयार करना, अधिकारों के अंतर्राष्ट्रीय बिल, नागरिक स्वतंत्रता, स्त्री दशा एवं मानवाधिकार संबंधी मुद्दों पर अनुशंसाएं प्रकट करना था।
  • वर्ष 1993 में महासभा ने मानवाधिकार गतिविधियों के प्रति जिम्मेदारी निश्चित करने के लिए मानवाधिकार उच्चायुक्त का पद सृजित किया।
  • 15 मार्च 2006 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक नई मानवाधिकार परिषद के गठन का प्रस्ताव पारित किया | यह प्रस्ताव संख्या 60/251 के नाम से जाना जाता है। इस 47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद ने 53 सदस्यीय मानवाधिकार आयोग का स्थान लिया। मानवाधिकार आयोग को 16 जून 2006 को समाप्त कर दिया गया तथा 19 जून, 2006 को परिषद की प्रथम बैठक आयोजित की गई। इस परिषद का पूरा नाम संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (United Nations Human Rights Council- UNHRC) है। यह स्थायी परिषद है और प्रत्यक्ष रूप से महासभा के अधीनस्थ है।
  • यह संस्था कहीं भी एवं किसी भी देश में मानवाधिकार के उल्लंघन का विश्लेषण कर सकता है। यह बराबरी और मुलभूत मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने का प्रयास करता है, अधिकरों को बढ़ाने का प्रयास करता है।
  • इसके 47 सदस्य होते हैं- इसमें से 13 सदस्य देश अफ्रीका महाद्वीप से, 13 सदस्य देश एशियाई क्षेत्र से, 8 सदस्य देश लैटिन अमेरिका और कैरीबियन क्षेत्र से, 6 सदस्य देश पूर्वी यूरोपियन क्षेत्र से तथा 7 सदस्य देश पश्चिमी यूरोप एवं अन्य क्षेत्रें से होंगे।
  • संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की संख्या 193 है, जिसमें से 47 को ही UNHRC में चुना जाता है। इसके लिए चुनाव की व्यवस्था की गई है।
  • UN का कोई देश UNHRC में सीट खाली होने पर अपनी सदस्यता के लिए आवेदन कर सकता है। यह सदस्यता 3 साल के लिए होती है । सदस्यता के लिए सभी देश वोटिंग करते हैं।
  • कोई देश लगातार दो बार इसका सदस्य बन सकता है। इसके बाद एक साल का अंतराल रखना होता है या इस बीच होने वाले चुनाव को छोड़ना होता है ।
  • भारत जनवरी 2019 से इसका सदस्य है और 31 दिसंबर 2021 तक इसका सदस्य रहेगा। भारत इसके पहले 2011- 2014 और 2014 से 2017 तक इसका सदस्य था। यह मतदान गुप्त होते हैं और परिषद का सदस्य बनने के लिए कम से कम 97 वोटों की जरूरत होती है।
  • 2019 में भारत को सदस्य चुनने में बड़ी संख्या में देशों ने अपनी रूची प्रकट की और 193 देशों में से 188 वोट भारत को मिले।
  • चीन भी लगातार दो बार चुना गया था और वह 2019 के बाद से UNHRC का सदस्य नहीं था।
  • 13 अक्टूबर को 5 क्षेत्रें के लिए 15 सीटों के लिए चुनाव हुआ। एशिया पैसेफिक क्षेत्र के लिए 4 सीटों पर चुनाव होना था। इसमें 5 देश भागीदार थे। यह देश पाकिस्तान, चीन, सऊदी अरब, उज्बेकिस्तान और नेपाल थे। इनमें से किसी एक देश को बाहर होना था।
  • चीन और सऊदी अरब के बीच मुकाबला था, जिसमें चीन केा जीत हांसिल हुई।
  • 193 देशों द्वारा किये गये मतदान में पाकिस्तान को 169 वोट, उज्वेकिस्तान को 164 वोट, नेपाल को 150 वोट, चीन को 139 वोट और सऊदी अरब को केवल 90 वोट मिले।
  • नये सदस्य 1 जनवरी, 2021 से अपना कार्यकाल शुरू करेंगें।
  • ह्यूमन राइट वॉच और अन्य अधिकार संगठनों ने सऊदी अरब की उम्मीदवारी का विरोध करते हुए कहा कि मध्य पूर्व का यह राष्ट्र मानवाधिकार रक्षकों, आलोचको, असंतुष्टों, और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना बनाता है। इसके पीछे पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या को भी एक कारण माना जा रहा है।
  • चीन के समर्थन में गिरावट जरूर देखी गई लेकिन उसका जीतना चिंताजनक है। वर्ष 2016 में उसे 152 मिले थे, जबकि इस बार उसे सिर्फ 139 वोट मिले हैं।
  • चीन के ऊपर उइगर मुस्लिम समुदाय के मानवाधिकार के हनन का आरोप लंबे समय से लगता है। कई रिपोर्ट्स में इसकी पुष्टि भी हुई है। तिब्बती समुदाय के मानवाधिकार और धार्मिक अधिकार हनन का मामला, हांगकांग में मानवाधिकार हनन का मुद्दा भी व्यापक रूप से सामने आता रहता है।
  • वहीं पाकिस्तान गिलगित बाल्टिस्तान, Pok एवं खैबर पख्तूनवा क्षेत्र में मानवाधिकार का हनन करता रहा है। धार्मिक अल्पसंख्यक भी पाकिस्तान में सुरक्षित नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान का भी इसका सदस्य बनना कम चिंताजनक नहीं है।
  • मानवाधिकार निगरानी एजेंसी यूएन वॉच के कार्यकारी निदेशक हिलेल न्यूर के मुताबिक ‘‘संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकारों के लिए इन तानाशाहों का चयन करना आगजनी करने वालों के गिरोह को जोड़ने जैसा है।’’
  • पिछले हफ्रते यूरोप, अमेरिका एवं कनाड़ा के मानवाधिकार समूहों के एक गठबंधन ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों से चीन, रूस, सऊदी अरब, क्यूबा, पाकिस्तान एवं उज्बेकिस्तान के निर्वाचन का विरोध करने का आहवान किया था और कहा था कि इन देशों के मानवाधिकार रिकार्ड उन्हें इसके लिए अयोग्य ठहराते है।
  • पाकिस्तान फिलहाल एक जनवरी 2018 से इस परिषद का सदस्य है। फिर से निर्वाचित होने से उसे एक और कार्यकाल मिल गया है जो जनवरी 2021 से शुरू होगा। यह पांचवा अवसर है जब पाकिस्तान इस परिषद के लिए निर्वाधित हुआ है।
  • अमेरिकी विदेशमंत्री माइक पोंपियो ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सबसे खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड वाले देशों को फिर से चुना है।
  • वर्ष 2018 में UNHRC पर इजराइल के खिलाफ भेदभव करने का आरोप लगाते हुए अमेरिका ने अपने आप को इससे अलग कर लिया।
  • इस समय अमेरिका की ओर से यह कहा गया था कि UNHRC मानवाधिकारों के उल्लंघनकर्ताओं का संरक्षक बन गया है और इजराइल के खिलाफ भेदभाव करते हुए कठोर कदम उठाया जाता है।
  • अमेरिका ने कहा था कि इसमें सुधार की आवश्यकता है जिसके लिए UNHRC तैयार नहीं है।
  • इससाल जेनेवा में आयोजित मानवाधिकार परिषद के 43वें सत्र में पाकिस्तान ने UNHRC की बैठक में जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार का उठाया था जिसका मजबूत जवाब भारत की तरह से दिया गया।
  • निर्भया बलात्कार मामले के चार अपराधियों को मृत्युदंड सुनाने के 4 दिन बाद UNHRC ने भारत से मृत्युदंड को समाप्त करने की सिफारिश की थी।

6PM Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 16 October 2020


आग की लपटों में किलिमंजारो

  • उत्तर-पूर्वी तंजानिया स्थित किलिमंजारों पर्वत अफ्रीका का सबसे ऊँचा पर्वत होने के साथ-साथ विश्व का सबसे ऊँचा एकल पर्वत (Free Standing Mauntain) है, अर्थात् यह ऐसा पर्वत नहीं है जो किसी पर्वत श्रृंखला का भाग हो।
  • सामान्यः सबसे ऊँचे पर्वत किसी श्रृंखला (रेंज) का हिस्सा होते हैं , जिनका निर्माण वलन की क्रिया से होता हैं। उदाहरण स्वरूप-हिमालयी चोटियाँ एवं एण्डीज रॉकीज की चोटियां।
  • भूमध्यरेखा पर अवस्थित इस पर्वत पर बर्फ (ग्लेशियर) भी देखे जाते हैं, जिसका कारण इसका 5895 मीटर ऊँचा होना है अन्यथा भूमध्य रेखा के समीप स्थित पर्वतों पर उच्च ताप के कारण बर्फ नहीं मिलती है।
  • यहां की बर्फ तेजी से पिघल रही है, जिसका प्रमुख कारण ग्लोबल वार्मिग है। 1912 की तुलना में यहां 85-90 प्रतिशत बर्फ पिघल चुकी है और आने वाले कुछ वर्षों में यह समाप्त हो जायेगी।
  • जोहानस रेबमेन नामक एक जर्मन मिशनरी ने 1848 में रॉयल जियोग्राफी सोसायटी को बर्फ पहाड़ की खोज करने के विषय में बताया लेकिन इस पर भरोशा नहीं किया गया क्योंकि उस समय भूमध्यरेखा पर स्थित किसी पर्वत पर बर्फ होने का भरोशा नहीं किया जा सकता था।
  • यह पर्वत अपनी खूबसूरती के साथ-साथ पर्वतारोहियों के बीच काफी लोकप्रीय हैं क्योंकि इस पर चढ़ाई करना विश्व के सबसे ऊँचे सात पर्वतों में सबसे आसान है।
  • यहां 6 ट्रेंकिंग (चढ़ाई) मार्ग हैं, जिनके माध्यम से चढ़ाई की जाती है। यह हैं- रोंगाई, लेमोशो, शिरा, उम्ब्वे, मरान्गु और मचाये।
  • यहां चढ़ाई करने में 6-7 दिन का समय लगता है।
  • किलमंजारो पर्वत 756 गर्व किमी- में फैले किलिमंजारो राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है, जिसे यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया है।
  • विश्व विरासत स्थल घोषित करने के पीछे का कारण यह है कि यह पृथ्वी के उन गिने-चुने स्थानों में से एक है, जहां लगभग हर तरह का ईकोलॉजिकल सिस्टम मौजूद है अर्थात् खेती लायक जमीन से लेकर वर्षावन (विषुवत रेखीय) अल्पाइन वनस्पति और बर्फ तक मौजूद है।
  • किलिमंजारो एक ज्वालामुखी पर्वत है, जो केंद्रीय प्रकार की ज्वालामुखी क्रिया से निर्मित हुआ है। भूवैज्ञानिकों का मानना है कि इसका निर्माण लगभग 460000 वर्ष पूर्व ज्वालामुखी क्रिया के कारण हुआ।
  • यह तीन अलग-अलग ज्वालामुखियों-शिरा, कीबो और मावेंजी से मिलकर बना हुआ एक संयुक्त ज्वालामुखी या स्ट्रेटावोल्केनो है।
  • स्ट्रेटा का अर्थ होता है परत। दरअसल लावा एक बार में ही पूरा नहीं निकलता है, यह कई चरणों में होता है जिससे कई बार परतें बन जाती है। हालांकि यह बहुत स्पष्ट नहीं होती हैं।
  • कीबो, मावेंजी और शिरा ज्वालामुखी शंकु के उदाहरण है। लावा जिस केंद्र/मुख से होकर निकलता है वहां पर लावा एवं उसके साथ निकले पदार्थों के संकेंद्रण से ज्वालामुखी शंकु (Volcanic Cone) का निर्माण हो जाता हैं शंकु के मध्य गड्ढेनुमा भाग को क्रेटर कहते हैं, जिसमें जल भर जाने से क्रेटर झील का निर्माण होता है। क्रेटर के बड़े स्वरूप को कॉलडेरा कहते हैं।
  • किलीमंजारों की चोटियों/शंकुओं माबेंजी एवं शिरा अब विस्फोट नहीं होता है अर्थात यह निष्क्रिय हो चुके हैं, अर्थात अब इनके अंदर से लावा निकलने की उम्मीद नहीं है।
  • तीसरी चोटी कीबो सुप्त अवस्था में हैं और इसमें कमी भी विस्फोट हो सकता है। इसमें पीछला बड़ा विस्फोट साढ़े तीन लाख वर्ष पूर्व हुआ था, जबकि लगभग 200 वर्ष पहले इसमें कुद हलचल हुई थी, लेकिन विस्फोट नहीं हुआ था।
  • कुछ शोधकर्ताओं ने इस बात की ओर भी इशारा किया है कि अफ्रीकी रिफ्रट घाटी में होने वाली हलचल और उसके अंदर की भू-गर्भिक प्रक्रिया का प्रभाव इस पर्वत पर भी पड़ सकता है और भविष्य में यह पर्वत भूकंप एवं ज्वालामुखी के दृष्टिकोण से संवेदनशील हो सकता है।
  • किलीमंजारों की भोगोलिक अवस्थिति और इसकी ऊँचाई का प्रभाव यहां की वनस्पतियों पर साफ तौर देखा जा सकता है। यहां 1200 मीटर की ऊँचाई तक विषुवत रेखा के समीप मिलने वाली वनस्पतियां विकसित हुई है।
  • 3000 मीटर की ऊँचाई पर एक विशिष्ट प्रकार की जंगली वनस्पति का विकास हुआ है। वहीं 4000 मीटर की ऊँचाई पर सबअल्पाइन एरिका वन का यहां विकास हुआ है, जो अफ्रीका में सर्वोच्च ऊँचाई वाले वन का प्रतिनिधित्व करते है।
  • कैसिपोरिया और जुनिपेरस वन शुष्क उत्तरी ढ़लान पर विकसित हुए है वहीं दक्षिणी ढ़ाल पर ओसोटी जंगल दक्षिणी ढ़ाल पर विकसित हुए हैं।
  • इस समय पर्वत आग की चपेट में है अर्थात किलीमंजारो पर्वतों की वनस्पतियों, घासों में आग लगी हुई है।
  • यहां की आग मीलों दूर से देखी जा सकती है, इससे इसकी भयावहता का पता लगाया जा सकता है। इसे बुझाने के लिए 500 से अधिक वालंटियर लगे है।
  • इस आग से तंजानिया नेशनल पार्क की 28 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की वनस्पतियां जल चुकी है। यह आग यदि फैलती है तो और भी वनस्पतियाँ नष्ट हो सकती है, जैवविविधता को क्षति पहुँच सकती है।

BRO चर्चा में क्यों है?

  • भारत की सीमायें पाकिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान से लगती है।
  • बांग्लादेश (4096.7 किमी-), चीन (3488 किमी-), पाकिसतान (3323 किमी-), नेपाल (1751 किमी-), म्यांमार (1643 किमी-), भूटान (699 किमी-) एवं अफगानिस्तान (106 किमी-) से भारत की सीमायें लगती हैं ।
  • सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है कि सीमा क्षेत्रों की कनेक्टिविटी अच्छी रहे। इनकी जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय के अधीन एक एजेंसी को दी गई है, जिसका नाम सीमा सड़क संगठन (Border Road Organization-BRO) है।
  • इसकी स्थापना 7 मई 1960 को हुई थी। 7 मई 2020 को इसने अपनी स्थापना के 60वाँ स्थापना दिवस मनाया है।
  • यह पूर्वी एवं पश्चिमी सीमा क्षेत्रों में सड़क निर्माण और इसके रख-रखाव का कार्य करता है ताकि सेना की जरूरतें पूरी हो सकें।
  • इस संगठन पर 53000 किलोमीटर सड़कों की जिम्मेदारी है।
  • यह शांति काल में सीमावर्ती इलाकों ऑपरेशनल सड़कों का विकास अैर रख-रखाव करता है तथा सीमावर्ती क्षेत्रों को जोड़कर आर्थिक विकास में अपना योगदान देता है।
  • युद्धकाल में यह सेना की तैनाती वाले इलाके की कनेक्टविटी को बनाये रखने, सड़क बनाने एवं देखभाल की जिम्मेदारी निभाता है।
  • BRO अपनी स्थापना से अब तक सैड़कों सड़कों, पुलों एवं आवश्यक अवसंरचनाओं का निर्माण कर चुका है। * BRO की परियोजनाओं के नाम और उनके राज्यों की सूची निम्न प्रकार है ।
  • हाल ही में BRO ने 7 राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों में 44 पुलों का निर्माण किया है। इनका उद्घाटन रक्षा मंत्री द्वारा 12 अक्टूबर 2020 को किया गया है।
  • BRO ने यह भी घोषण किया है कि वह वर्ष 2020-21 में 102 पुलों का निर्माण करेंगे।
  • 44 पुलों (Bridges) निम्न राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों में विकसित की गई है।
  1. जम्मू- कश्मीर - 10 पुल
  2. लद्दाख - 8 पुल
  3. अरूणाचल प्रदेश - 8 पुल
  4. उत्तराखंड - 8 पुल
  5. सिक्किम - 4 पुल
  6. पंजाब - 4 पुल
  7. हिमाचल प्रदेश - 2 पुल
  • वर्तमान समय में चीन एवं पाकिस्तान के साथ भारत के जिस प्रकार के तनाव बढ़े हैं, ऐसे में इस प्रकार के निर्माणों से न सिर्फ सीमा तक जवानों का आवागमन सहज और सुचारू होगा बल्कि विकासात्मक कार्यों को भी गति मिलती है।
  • कुछ माह पहले पूर्वी लद्दाख में दारबुक और दौलत बेग ओल्डी को जोड़ने वाले कर्नल चेवांग रिनचेन सेतु का उद्घाटन किया गया था। श्योक नदी पर निर्मित इस पुल का निर्माण भी BRO द्वारा किया गया था।
  • इसी तरह कुछ माह पूर्व ही लिपुलेख सड़क का निर्माण भी BRO द्वारा किया गया था। जिससे चीन को नेपाल सीमा के समीपवर्ती क्षेत्रों में रोका जा सकता है।
  • BRO स्ट्रेटजिक सड़कों का निर्माण तेजी से कर रहा है। यह वह सड़के हैं, जिनका महत्व सीमा के दृष्टिकोण से सर्वाधिक है।
  • हाल ही में 9.02 किलोमीटर लंबे अटल टनल का उद्घाटन किया गया उसका भी निर्माण BRO ने ही किया था।