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Blog / 15 Nov 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 15 November 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 15 November 2020



क्या है यूरोप का एरियल अंतरिक्ष मिशन

चर्चा में क्यों?

  • यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी ने औपचारिकतौर पर एरियल एक्स्प्लोरर को लांच कर दिया है। इस एक्स्प्लोरर के ज़रिये वाह्य ग्रहों की प्रकृति उनके बनाने और उनके विकास के बारे में जानकारी प्राप्त की जाएगी। अभी तक ४००० से ज़्यादा वाह्य ग्रहों के वज़ूद के बारे में पुष्टि की गयी है एहालांकि ऐसे हज़ारों गृह अभी भी मौजूद हैं जिनके बारे में अभी यह कहना संभव नहीं है की उन्हें एक्सोप्लेनेट कहा जाये या नहीं। प्रोक्सिमा सेन्टौरी बी धरती के सबसे करीबी वाह्य गृह है। इसकी दूरी पृथ्वी से ४ प्रकाश वर्ष है। इसकी सतह पर जीवन के अनुमान लगाए जा रहे हैं क्यूंकि इस की सतह पर पानी की संभावना व्यक्त की गयी है।

क्या होते हैं एक्सोप्लेनेट या वाह्य ग्रह

  • ऐसे ग्रह जो हमारे सौर मंडल के बाहर हैं और जो सूर्य के अलावा किसी और तारे की परिक्रमा करते है उन्हें वाह्य गृह कहा जाता है। वाह्य गृह आम तौर पर जल्दी नज़र में नहीं आते हैं क्यूंकि इनकी रोशनी तारों के मुकाबले काफी कम होती है और इसी वजह से इन्हे टेलेस्कोप से देखना काफी मुश्किल होता है।
  • नासा के हिसाब से केवल कुछ ही ऐसे वाह्य गृह हैं जिन्हे टेलिस्कोप के ज़रिये खोजा गया है बाकी वाह्य ग्रहों को अप्रत्यक्ष तरीकों से ढूंढा गया है। इन अप्रत्यक्ष तरीकों में से एक तरीके में ऐसे तारे को ट्रैक करना है जिसकी रोशनी धीरे धीरे कम हो रही हो और ऐसा तब होता है जब इसके सामने से कोई गृह गुज़रता है। नासा का केप्लर अंतरिक्ष टेलिस्कोप ऐसे हज़ारों ग्रहों को ढूढ़ने के लिए इसी तरीके का इस्तेमाल करता है। दुसरे बाकी तरीकों में जिसके ज़रिये वाह्य ग्रहों का पता लगाया जाता है उसमे ग्रेविटेशनल लेंसिंग और वोब्ब्लिंग मेथड शामिल हैं। इन तरीकों में ये परिकल्पना शामिल है की कोई भी घूमता हुआ गृह अपने मूल तारे केंद्र से थोड़ी दूर हटकर परिक्रमा करता है।

वैज्ञानिक क्यों अध्ययन कर रहे हैं वाह्य ग्रहों का

  • इन वाह्य ग्रहों को खोजने के पीछे सबसे बड़ी वजह है की धरती के अलावा बाकी ग्रहों पर भी जीवन की संभावनाएं तलाशना। नासा के TESS मिशन में मुख्य वैज्ञानिक पैडी बोयड का मानना है की अंतरिक्ष के सबसे ज़्यादा दिलचस सवालों में ये सवाल है की क्या हम अंतरिक्ष में अकेले हैं। हर एक नए गृह या अंतरिक्ष में मौजूद पिंडों की खोज से अंतरिक्ष के और कई रहस्यों के बारे में जानकारी हासिल होती है। इसके अलावा हमारे सौर मंडल और पृथ्वी के बारे में कई और जानकारियां भी पता चलती है।

क्या है एरियल अंतरिक्ष मिशन

  • एरियल का पूरा नाम है एटमोस्फियरिक रिमोट सेंसिंग इंफ्रारेड एक्सोप्लेनेट लार्ज सर्वे। एरियल मिशन को वैज्ञानिक 2029 में प्रक्षेपित करने की योजना बना रहे हैं। ४ सालों तक चलने वाला ये मिशन इस दौरान हज़ारों वाह्य ग्रहों का बड़े स्तर पर सर्वेक्षण करेगा। इन वाह्य ग्रहों में कुछ ऐसे हैं जहां गैस है जबकि कुछ पथरीली चट्टानों से मिलकर बने हैं। इन सबकी जानकारी से हमें अंतरिक्ष के कई ऐसे रहस्यों का पता चलेगा जिन पर अभी वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। एरियल अपनी तरह का पहला मिशन है जिसके ज़रिये सैकड़ों वाह्य ग्रहों की रासायनिक संघटन और तापीय संरचना के बारे में पता चलेगा। इसके अलावा यूरोपियन स्पेस एजेंसी के सबसे बुनियादी सवाल जैसे की ग्रहों के बनाने में कैसी परिस्थियाँ ज़िम्मेदार होती हैं और यहां जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई।
  • यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार जबकि कई सारे वाह्य गृह पहले ही खोजे जा चुके हैं फिर भी इनकी मौजूदगी अकार और इनकी कक्षा के बारे में कोई जानकारी हासिल नहीं हो पायी है। इसके अलावा ये किन तारों के चारों तरफ घुमते हैं इसकी भी कोई जानकारी नहीं मिल पायी है। इस सबको देखते हुए एरियल मिशन वाह्य ग्रहों की जानकारी जुटाने में काफी अहम् साबित हो सकेगा।

क्या है तकनीकी मंदी

चर्चा में क्यों?

  • नवंबर में जारी अपने बुलेटिन में भररत के केंद्रीय बैंक रिज़र्व बैंक ने भारत की अर्थव्यवस्था पर पूरा एक अध्याय दिया है। इसका मकसद भारत्त की आर्थिक सेहट को तय करने वाले कुछ ख़ास सूचकों का मासिक खाका पेश करना है। केंद्रीय बैंक ने ऐसा करके उस परम्परा को फिर से शुरू कर दिया है जिसे जनवरी १९४७ में शुरू किया गया था लेकिन साल १९९५ के बाद इसे बंद कर दिया गया था। भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय अर्थव्यस्था के ब्बारे में अपनी भविष्यवाणी करना शुरू कर दिया है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने अनुमान लगाया है की भारत की अर्थव्यस्था अपने दुसरे तिमाही में तकरीबन आठ फीसदी से सिकुड़ जाएगी। ग्गौर तलब है की मौजूदा वित्त वर्ष में दूसरी तिमाही के तहत जुलाई अगस्त और सितम्बर महीने शामिल हैं।हालांकि पहली तिमाही के मुकाबले यह कमी काफी कम है लेकिन दूसरी तिमाही में अर्थव्यस्था में संकुचन इस लिए अहम् है क्यूंकि इससे ये पता चलत्ता है की भारत्त २०२०-२१ के पहले छमाही में तकनीकी रूप से मंदी के दौर में पहुँच गया है। अभी तक के इतिहास पर नज़र डालें तो ऐसा पहली बार हुआ है की भारत तकनीकी मंदी में पहुंचा हो।

क्या होता है मंदी का दौर

  • किसी भी अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर तब आता है जब अर्थव्यस्था सिकुड़ रही होती है। दुसरे लफ़्ज़ों में जब वस्तु एवं सेवाओं के पूरे उत्पादन या तकनीकी रूप से कहें की जी डी पी एक तिमाही से दूसरी तिमाही में सिकुड़ती है तो अर्थव्यस्था को मंदी के दौर से गुज़रता हुआ कहा जाता है। इसके उलट जब एक तिमाही से दूसरी तिमाही में जी डी पी में बढ़त होती है तो अर्थ्वय्स्था अपने फैलाव में होती है। ये दोनों चरण किसी भी अर्थव्यस्था में व्यापार चक्र का निर्माण करते हैं। एक पूरा व्यापार चक्र १ साल से लेकर एक दशक के बीच रह सकता है।

मंदी कैसे अलग है

  • जब किसी अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर काफी लम्बे आरसे तक रहता है तो इसे मंदी कहा जाता है। आसान भाषा में समझें तो जब जी डी पी काफी लम्बे समय तक सिकुड़ी रहती है तो अर्थव्यवस्था को मंदी में कहा जाता है। हालांकि मंदी की ऐसी कोई परिभाषा नहीं है जिसे सर्वमान्य कहा जाए लेकिन ज़्यादातर अर्थशास्त्री अमेरिकी संस्था नेशनल ब्यूरो ऑफ़ इकनोमिक रिसर्च द्वारा डी गयी परिभाषा को मानते हैं। इस संस्था के मुताबिक़ मंदी के दौरान आर्थिक गतिविधियों में एक तरह की गिरावट देखी जाती है। यह गिरावट आम तौर पर कुछ महीनों से लेकर एक साल तक रह सकती है।
  • NBER की आर्थिक चक्र की निगरानी करने वाली समिति किसी नतीजे पर पहुँचने के लिए जी डी पी के अलावा कई और आंकड़ों पर भी नज़र रखती है जैसे बेरोज़गारी ए खपत आदि। इसके अलावा आर्थिक गतिविधियों में गिरावट एगहराई और इसके अंतराल पर भी नज़र राखी जाती है ताकि अर्थव्यस्था में मंदी का अनुमान लगाया जा सके।

क्या है तकनीकी मंदी

  • अमूमन मंदी के का मतलब आर्थिक गतिविधियों का सिकुड़ना होता है लेकिन इसके बावजूद कई ऐसे सवाल है जिनके जवाब अभी तक नहीं मिल आये हैं। मिसाल के तौर पर क्या सिर्फ तिमाही जी डी पी ही आर्थिक गतिविधि को मापने का एक तरीका भर है या फिर बेरोज़गारी और निजी खपत को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए। इस बात की पूरी संभावना है की जी डी पी कुछ वक्त्त के बाद बढ़नी शुरू हो सकती है लेकिन बबेरोज़गारी का स्तर तुरंत नहीं गिरता।
  • 28 की वैश्विक आर्थिक मंदी के दौरान NBER ने मंदी के ख़त्म होने का अनुमान 2009 के जून महीने तक लगाया था लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इस दौरान आयी बेरोज़गारी का सिलसिला 2014 तक कायम रहा। इन तकनीकी आंकड़ों को मद्देनज़र रखते हुए विशेषज्ञ आम तौर पर मंदी का वज़ूद तब मानते हैं जब असल जी डी पी कम से कम दो तिमाहियों के लिए घटी रहे। इसी वजह से तिमाही जी डी पी को आर्थिक गतिविधियों को मापने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। और तिमाही जी डी पी को ही तकनीकी मंदी का पैमाना भी माना जाता है। भारत के आंकड़ों पर गौर करें तो भारत सितम्बर के आखिर तक मंदी में प्रवेश कर गया है। ब्रिटैन मंदी की तीसरी तिमाही में पहुँच गया है। ब्राज़ील और इंडोनेशिया भी मंदी की त्रासदी से गुज़र रहा है लेकिन दक्षिण अफ्रीका में अभी तक मंदी का कोई संकट नहीं है। चीन में भी आंकड़ों को देखते हुए महामारी की शुरआत में ही मंदी देखी जा रही है।

क्या भारत में तकनीकी मंदी की कोई आशा नहीं थी

  • भारत में महामारी की समस्या को देखते हुए जैसे ही मार्च में बंदी का एलान किया गया कई विशेषज्ञों ने भारत में अर्थव्यवस्था में मंदी का अनुमान लगा लिया था। हालांकि कई अनुमानों के हिसाब से अर्थव्यस्था एक तिमाही के लिए और संकुचित होगी।

मंदी कितने समय तक चलेगी

  • अमूमन मंदी कुछ तिमाही तक रहती है। अगर मंदी का असर सालों तक रहता है तो इसे डिप्प्रेशन कहा जाता है लेकिन डिप्रेशन अर्थव्यस्था में काफी कम देखने को मिलता है। डिप्रेशन आखिरी बार साल 1930 में अमेरिका में देखा गया था !

आत्मनिर्भर भारत : तीसरा चरण

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आत्म निर्भर भारत के तीसरे चरण की घोषणा की। कोविड महामारी को देखते हुए आत्म निर्भर भारत का यह चरण सबसे आख़िरी चरण है। त्यौहार के मौके पर वित्त मंत्री ने कई अहम एलान किये। आत्मनिर्भर भारत अभियान 3.0 के तहत कुल 2,65,080 करोड़ रुपये के 12 उपायों का एलान किया गया है । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से आम आदमी पर असर डालने वाले कुल 7 एलान किये गए ।

रियल एस्टेट में आयकर राहत

  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो करोड़ रुपये तक की आवासीय इकाइयों को पहली बार सर्कल दर से कम कीमत पर बिक्री करने पर आयकर नियमों में छूट देने का एलान किया। अभी तक सर्किल दर और बिक्री करार मूल्य के बीच सिर्फ 10 प्रतिशत तक के अंतर की अनुमति दी गयी है। आवासीय रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्री ने इस अंतर को 30 जून 2021 तक बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया है। इस राहत को दो करोड़ रुपये तक की आवासीय इकाइयों के लिए दिया गया है।

शहरी पीएम आवास योजना के लिए 18000 करोड़

  • वित्त मंत्री सीतारमण ने शहरी आवास योजना के लिए 18,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि की घोषणा की। इस घोषणा से न सिर्फ रियल एस्टेट परियोजनाओं को मदद मिलेगीए बल्कि अनेक क्षेत्रों में रोगजार के अवसर भी मिलेंगे जिससे अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लिए बजट अनुमानों के अलावा अतिरिक्त बजटीय संसाधनों से 18,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। यह राशि इस साल दिए जा चुके 8,000 करोड़ रुपये से अतिरिक्त होगी। इससे 78 लाख नए रोजगार के मौके पैदा होंगे और स्टील तथा सीमेंट की मांग भी बढ़ेगी। आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना
  • वित्त मंत्री ने नई रोजगार योजना का भी एलान किया। इस योजना के तहत नई भर्तियां करने वाले प्रतिष्ठानों को सब्सिडी मुहैया कराई जाएगी। आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में पंजीकृत प्रतिष्ठानों को नए कर्मचारियों की भर्ती पर यह सब्सिडी मिलेगी। वित्त मंत्री ने बताया कि इस योजना में उन कर्मचारियों को शामिल किया जाएगा जिनका मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है । इसमें 15,000 से कम वेतन पाने वाले ऐसे कर्मचारी भी शामिल होंगेए जिन्हें कोविड19 महामारी के दौरान नौकरी से निकाल दिया गया था और वे एक अक्टूबर 2020 को या उसके बाद दोबारा जुड़े हैं। इस योजना का लाभ लेने के लिए अधिकतम 50 कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों को कम से कम दो नई कर्मचारियों को भर्ती करना होगाए जबकि जिन प्रतिष्ठानों में 50 से अधिक कर्मचारी हैंए उन्हें कम से कम पांच नई भर्ती करनी होगी।

सरकार देगी कर्मचारी के हिस्से का 12 फीसदी

  • पंजीकृत ईपीएफओ प्रतिष्ठान से जुड़ने वाले कर्मचारी को इसका फायदा होगा। इससे उन लोगों को फायदा मिलेगा जो पहले ईपीएफओ से नहीं जुडे थे या जिनकी इस साल 1 मार्च से 30 सितंबर के बीच नौकरी चली गई हो। यह योजना 1 अक्टूबर 2020 से लागू होगी और यह 30 जून 2021 तक रहेगी। इसके तहत केंद्र सरकार अगले दो साल तक सब्सिडी देगी। जिस संस्था में 1000 तक कर्मचारी हैंए उसमें 12 फीसदी कर्मचारी और 12 फीसदी नियोक्ता हिस्सा केंद्र देगी। 1000 से अधिक कर्मचारियों वाली संस्थाओं में केंद्र कर्मचारी के हिस्से का 12 फीसदी देगा।

फर्टिलाइजर के लिए 65000 करोड़ रुपये की सब्सिडी

  • प्रोत्साहन पैकेज के तहत किसानों को 65000 करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी दी जाएगी । किसानों को आगामी फसल सत्र के दौरान उर्वरकों की पर्याप्त ज़रुरत के मद्देनज़र 65000 करोड़ रुपये दिए जायेंगे । मौजूदा वित्त वर्ष में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना के लिए 10000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। कर्ज सहायता के जरिए निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक्जिम बैंक को 3,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।

पीएम गरीब कल्याण रोजगार योजना के लिए 10 हजार करोड़

  • आत्मनिर्भर भारत 3.0 के तहत पीएम गरीब कल्याण रोजगार योजना के लिए 10 हजार करोड़ रुपये और दिए जायेंगे । पीएम गरीब कल्याण योजना का मकसद ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सम्बल प्रदान करना है।
  • कोविड19 टीके पर शोध के लिए 900 करोड़ रुपये अनुदान की घोषणा
  • वित्त मंत्री ने कोविड19 के टीके पर शोध के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग को 900 करोड़ रुपये अनुदान देने का एलान किया । उन्होंने कहा कि अनुदान में टीके की वास्तविक लागत और वितरण का खर्च शामिल नहीं है। सीतारमण ने कहा कि घरेलू रक्षा उपकरणए औद्योगिक प्रोत्साहनए अवसंरचना और हरित ऊर्जा के लिए पूंजीगत एवं औद्योगिक व्यय के लिए 10,200 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजटीय आवंटन का भी प्रावधान किया जाएगा !