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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 14 May 2020

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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 14 May 2020



इंडियन मीडिया में चीन का हस्तक्षेप

  • न्यूज़पेपर में कई प्रकार की सूचनाएं होती हैं ! जिन्हें देश, विदेश, अर्थव्यवस्था, खेल साहित्य आदि शिर्षकों के रूप में पाठकों के सामने लाया जाता है !
  • इसी प्रकार पेपर का एक खंड एडिटोरियल के नाम से जाना जाता है जिसमें पेपर के एडिटर और अन्य प्रमुख लोगों का किसी मुद्दे पर विचार होता है ! सामान्यत: यह पेपर का सर्वाधिक मजबूत और प्रभाव डालने वाला खंड माना जाता है !
  • इसी प्रकार एक भाग इसी एडिटोरियल के साथ जुड़ा होता है उसे OP-Ed (Opposite the Editorial Page ) के नाम से जाना जाता है ! इसमें लेखकों को जगह दी जाती है जिसमें वह अपने निजी विचार दे सकते हैं ! यह विचार पेपर के विचार के समान या अलग कुछ भी हो सकते हैं !
  • कोरोना वायरस फैलने के कारण जिस प्रकार चीन की छवि भूमिल हुई है उसे मैनेज करने के लिए चीन के प्रशासकों एवं प्रमुख लोगों ने दुनियाभर के पेपरों में अपने विचार लिखें ! इनका उद्देश्य यह बताना रहा कि कोरोनावायरस फैलाने में चीन की कोई भूमिका नहीं थी और कोरोनावायरस से निपटने की चीन की रणनीति सर्वाधिक सही थी और चीन की प्रशंसा इसका मुख्य उद्देश्य होता था !
  • सामान्यत: अंबेसडर (Ambassador) जैसे प्रमुख पदों पर बैठे लोग किसी मुद्दे पर अपने देश या अपना विचार रखने के लिए Op-Ed लिखते हैं ! और सभी देशों के कानूनों के अनुसार इसे संचालित किया जाता है !
  • भारत में भी इसकी आजादी है इसी कारण हम प्रमुख समाचार पत्रों में आए दिन इस प्रकार के Op-Ed देखते हैं जो किसी देश के एंबेस्डर (Ambassador) द्वारा लिखा गया होता है !
  • सामान्यत: इस प्रकार के लेख किसी आयोजन या किसी मुद्दे पर आते हैं लेकिन पिछले डेढ़ माह से कम समय में इस प्रकार के 6 चाइनीस Op-Ed Economic Times, The Hindu, Times of India, Hindustan Times, Indian Express and free press journal में लिखे गए हैं !
  • इन लेखों में यह बताया गया है कि कोरोना वायरस की बीमारी के समय चीन पर जिस तरह प्रश्न खड़े किए जा रहे हैं वह ठीक नहीं है और चीन की छवि खराब न की जाए तो साथ ही सभी देशों को एकजुट होकर इसके लिए लड़ना होगा !
  • चीन के अधिकारियों द्वारा लिखे गए लेखों में एकतरफा विचार प्रस्तुत किया जाता है ना कि तर्कों पर !
  • कई बार यह भारतीय अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ भी लिखते हैं !
  • जब कोई विवाद बढ़ता है तो अधिकारी यह कह देते हैं कि उनका यह निजी विचार है ना कि सरकार का ! जबकि ऐसा चीन की सरकार की नीतियों का भाग होता है !
  • एक प्रमुख चिंताजनक बात यह होती है कि कई बार इस प्रकार के Op-Ed स्पॉन्सर्ड होते हैं लेकिन यह ऐसे पेश किए जाते हैं जैसे यह पेपर का एडिटोरियल हो !
  • इसी के साथ एक और घटनाक्रम यह देखने को मिला है कि चीन एंबेसी के प्रवक्ता ने भारतीय मीडिया से यह अपील की है कि वह One-China Policy को स्वीकार करें !
  • यह कहा गया ताइवान के संदर्भ में भारतीय मीडिया को वही स्टैंड रखना चाहिए जो भारत के साथ-साथ विश्व के अन्य देश रखते हैं !
  • दरअसल हाल के संदर्भ में चीन के प्रति अनेक घटनाक्रम ताइवान में हुए हैं जिनको भारतीय मीडिया ने कवर किया और चीन के हस्तक्षेप की बात को रखा !
  • वहीं ताइवान World Health Assembly (WHA) जो 18 मई को होने वाली है उसमें शामिल होना चाहता है, जिसके पक्ष में तर्क भारतीय मीडिया में रखे जा रहे हैं !
  • यह WHO कि प्रत्येक साल होने वाली बैठक है जिसमें ताइवान एक पर्यवेक्षक राष्ट्र के रूप में शामिल होना चाहता है !
  • WHA में भारत के साथ कुल 194 सदस्य हैं ! इसमें ताइवान 2009 से 2017 तक शामिल हुआ लेकिन उसके बाद चीन ताइवान को इस बैठक से रोकने में सफल रहा !
  • हाल ही में चीन के प्रति Five Eyes ( USA, U.K, Canada, Australia, New Zealand ) का विचार खुलकर सामने आया है और वह ताइवान को दोबारा शामिल करना चाहते हैं !
  • इस ग्रुप और ताइवान के समर्थन तथा चीन के हस्तक्षेप को अस्वीकार करने वाली कई खबरें भारतीय मीडिया द्वारा कवर की गई जिसके प्रति चीन ने नाराजगी व्यक्त की है !
  • यहां पर यह ध्यान देना आवश्यक है कि चीन की मीडिया जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का पक्ष लेती आई है !

मिशन सागर

  • हिंद महासागर दुनिया का एकमात्र महासागर है जिसका नाम किसी देश ( हिंदुस्तान ) के नाम पर पड़ा है !
  • यह तीसरा सबसे बड़ा महासागर है जिसमें विश्व के जल का लगभग 20% भाग समाहित है ! इसकी उत्तरी सीमा का निर्धारण फारस की खाड़ी में 30 डिग्री उत्तरी अक्षांश द्वारा होता है !
  • इस महासागर में अनेक द्वीप जैसे - मेडागास्कर (4th), रीयूनियन, कोमोरोस, सेशल्स, मालदीव, मॉरीशस और इस महासागर की पूर्वी सीमा निर्धारित करने वाला इंडोनेशिया द्वीप समूह है !
  • इस महासागर में स्थित द्वीप अपने कृषि उत्पाद और पर्यटन से आय का बड़ा हिस्सा प्राप्त करते हैं !
  • हिंद महासागर के सभी प्रमुख द्वीपों में भारतीयों की भी बड़ी संख्या मिलती है इसके साथ ही इन युवकों के साथ भारत का एक आत्मीय जुड़ाव भी है !
  • द्वितीय क्षेत्र जब भी बाढ़, चक्रवात या किसी अन्य प्राकृतिक आपदा से प्रभावित होते हैं तो भारत बढ़-चढ़कर इनकी मदद करता है !
  • इसके अलावा भारत इन युवकों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाकर चीन को भी साधने का प्रयास करता है !
  • Covid-19 के कारण यह पूरे विश्व से अलग-थलग पड़ गए हैं ! और आजीविका के सभी प्रमुख स्रोतों पर विपरीत प्रभाव पड़ा है ! इसके साथ ही यह देश कोरोना संकट से भी जूझ रहे हैं ! इसी कारण इन देशों द्वारा भारत से मदद मांगी गई थी !
  • 10 मई 2020 को रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के आपसी सहयोग से मिशन सागर का प्रारंभ किया गया !
  • इस मिशन के द्वारा मालदीव, मॉरीशस, मेडागास्कर, सेशेल्स एवं कोमोरोस को खाद्य सामग्री, आवश्यक वस्तुएं, आयुर्वेदिक एवं एलोपैथिक दवाएं, चिकित्सक दल आदि की सहायता की जा रही है !
  • यह द्वीप डेंगू एवं मलेरिया की बीमारी से जूझ रहे हैं इसलिए हाइड्रोक्सी क्लोरो क्वीन (HCQ) भी भेजा गया है !
  • 600 टन खाद्य सामग्री के साथ अन्य सहायता पहुंचाने की जिम्मेदारी INS केसरी को दी गई है !
  • यह मिशन वर्ष 2015 के प्रधानमंत्री की “सागर” ( Security and Growth For All in the Region- SAGAR ) के अनुरूप है !
  • इसके तहत समुद्री पड़ोसियों आपकी आर्थिक सहयोग बढ़ाने, सूचना का आदान-प्रदान करने, बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करने, तटीय निगरानी करने और आपसी क्षमताओं को मजबूत करने का लक्ष्य रखा गया है !
  • भारत के इसी आपसी सहयोग का नतीजा है कि भारत ने कई द्वीपों क्षेत्रों में अपना नौसैनिक बेस बना रखा है
  • कोयला से बनाने वाला विद्युत भारत में ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है !
  • कोयला से विद्युत निर्माण में बड़ी मात्रा में फ्लाई ऐश ( Fly Ash ) निकलता है जिसका उपयोग समय सड़क निर्माण, ईट निर्माण और सीमेंट निर्माण में होता है !
  • भारत के फ्लाई ऐश को नावो के माध्यम से बड़ी मात्रा में बांग्लादेश ले जाया जाता है !
  • यह नौकाएँ हुगली नदी एवं मुरी गंगा (Muri Ganga) के रास्ते जाती है !
  • हुगली गंगा की एक वितरिका है जो कोलकाता से लगभग 200 किलोमीटर उत्तर में गंगा से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है वही मुरी गंगा इसकी सहायक है !
  • हाल ही में फ्लाई ऐश से लदीं नौकाएँ दुर्घटना का शिकार होकर इन नदियों में डूब गई ! जिन्हें पर्यावरण विशेषज्ञ सुंदरवन के लिए घातक मान रहे हैं !
  • इसमें दरअसल सीसा, क्रोमियम, मैग्नीशियम, आर्सेनिक एवं जस्ता के साथ-साथ अनेक प्रकार के विषैले तत्व होते हैं जिसका नकारात्मक ना सिर्फ यहां के जंतुओं बल्कि पौधों पर भी पड़ सकता है !
  • इस क्षेत्र की बड़ी जनसंख्या अपने खाद्य के लिए मछली का उपयोग करती है इसलिए यह घातक हो सकता है !
  • समीक्षकों का मानना है कि बांग्लादेश के यह नाम और जहाज पुराने होते हैं जिनका दुर्घटना होना आम है इसलिए सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए !

6 PM Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 14 May 2020


Global Nutrition Report – 2020

  • शरीर के लिए आवश्यक संतुलित आहार लंबे समय तक नहीं मिलना ही कुपोषण है !
  • कुपोषण अनेक प्रकार की बीमारियों के दुष्चक्र का कारण बन जाता है
  • कुपोषण बच्चों में होता है तो आने वाला युवा वर्ग और महिलाओं में हो तो आने वाली पीढ़ी को आपूरणीय क्षति होती है !
  • पहचान- शरीर की वृद्धि रुकना, वजन कम होना, बहुत अधिक वजन होना, मांस पेशियाँ ढीली होना और सिकुड़ जाना, मानसिक विकास कम होना चेहरा कांतिहीन होना आदि!
  • लोनसेट ( LONCET) के एक अध्ययन में पाया गया है कि अल्पवजन बच्चों का संज्ञानात्मक विकास कम होता है इससे बच्चे का अवधारणात्मक कौशल सूचना प्रसारण भाषा की समझ आदि भी प्रभावित होती है !
  • कुपोषण की समस्या का हम जब भी जिक्र करते हैं तो कम वजन के बच्चे हमारे दिमाग में आते हैं लेकिन आज अधिक वजन के बच्चों का अनुपात बढ़ रहा है !
  • विकसित देशों एवं शहरी क्षेत्रों में अधिक वजन के बच्चों का अनुपात बढ़ रहा है तो गरीब और ग्रामीण क्षेत्र में अल्प वजन एक जटिल समस्या अभी भी बना हुआ है !
  • यूनिसेफ ने शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रो में कुपोषण की समस्या का अध्ययन कर पाया कि इससे दिमाग का विकास न हो पाना, कमजोर याददाश्त, रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी, और संक्रमण तथा बीमारियों का तेजी से फैलना इसके परिणाम के रूप में सामने आते हैं !
  • हाल ही में जारी वैश्विक पोषण रिपोर्ट - 2020 (Global Nutrition Report) के अनुसार भारत विश्व के उन 88 देशों में शामिल है जो 2025 तक Global Nutrition Targets को प्राप्त करने में सफल नहीं हो सकेगा !
  • कुपोषण की समस्या पर यह विश्व की सबसे प्रमुख रिपोर्ट मानी जाती है !
  • इस प्रकार की रिपोर्ट की संरचना वर्ष 2013 में Nutrition For Growth (N4G) शिखर सम्मेलन में की गई थी ! इसका पहला संस्करण वर्ष 2014 में जारी किया गया था !
  • वार्षिक रूप से जारी की जाने वाली इस रिपोर्ट में पोषण लक्ष्यों की प्रगति को ट्रैक किया जाता है !
  • यह रिपोर्ट मौजूदा प्रक्रियाओं की समीक्षा करती है, कुपोषण की स्थिति पर प्रकाश डालती है और चुनौतियों को भी चिन्हित करती है !
  • World Health Assembly में मां, शिशु और किशोर बच्चों में 6 पोषण लक्ष्य को चिन्हित किया गया था, जिन्हे 2020 तक प्राप्त किया जाना था !
  • 19-50 वर्ष की आयु की महिलाओं में एनीमिया के मामलों में 50% कमी प्राप्त करना !
  • कम वजन के शिशुओं के जन्म के मामले में 30% कमी लाना !
  • 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में बौनापन (Stunting) के मामलों में 40% कमी लाना !
  • बच्चों के मोटापे में वृद्धि को पूरी तरह से रोकना !
  • बाल दुर्बलता (Child Wasting) के मामलों में कमी लाना और इसे 5% से कम बनाए रखना !
  • बच्चे के जन्म के प्रारंभिक 6 माह तक केवल मां का दूध पिलाने की दर को 50% तक बढ़ाना !
  • भारत उपरोक्त कारक A, C, D, F में भारत अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाया है !
  • भारत की पहचान नाइजीरिया और इंडोनेशिया के साथ उन तीन सबसे खराब देशों में की गई है जहां Stunting के मामले में बहुत असमानता है ! और अलग-अलग समुदाय में यह अंतर 4 गुना है !
  • आय का संबंध भी इसमें सामने आया है निम्न और उच्च तनाव वर्ग के बीच Stunting की समस्या में दोगुना का अंतर है !
  • भारत में प्रजनन योग्य आयु की प्रत्येक 2 महिला में से एक महिला में एनीमिया की समस्या होती है !
  • वजन बढ़ने ( मोटापा) की समस्या भारत में गंभीर है और प्रत्येक पांच वयस्क में से एक इस समस्या से प्रभावित है ! प्रतिशत के अनुसार यह पुरुषों (17.8%) से ज्यादा महिलाओं ( 21.6%) में है !
  • यहां हमें यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि भारत कृषि और खाद्यान्य का न सिर्फ बड़ा उत्पादक है बल्कि खाद्यान्य का निर्यात भी इसके बावजूद कुपोषण का समाप्त होना एक चुनौती है !
  • हमें इस पर भी विचार करना होगा कि जिन क्षेत्रों में खाद्यान्य की आपूर्ति हो रही है कुपोषण की समस्या क्षेत्रों में भी है इसका अर्थ यह है कि खाद्यान्न कम पोषक तत्व वाले हैं !

जमीन पर गिरा चीन का रॉकेट

  • रॉकेट एक प्रकार का वाहन है जिसके उड़ने का सिद्धांत न्यूटन के गति के तीसरे नियम “क्रिया की प्रतिक्रिया” पर आधारित होती है !
  • रॉकेट द्वारा तेज गति से गर्म वायु को पीछे की ओर फेंकने पर रॉकेट को आगे की दिशा में समान अनुपात का बल मिलता है !
  • रॉकेट के भीतर एक कक्ष में ठोस तरल ईंधन को आक्सीजन की उपस्थिति में जलाया जाता है जिससे उच्च दाब पर गैस उत्पन्न होती है ! इस गैस को पीछे की ओर एक संकरे मुंह से अत्यंत वेग के साथ बाहर निकाला जाता है और इससे उत्पन्न प्रतिक्रिया से रॉकेट आगे की ओर बढ़ता है !
  • जेट विमान यहां वायुमंडल से ऑक्सीजन लेते हैं वही रॉकेट विमान अपने साथ ऑक्सीजन लेकर जाते हैं क्योंकि हमें पता है कि ऊंचाई के साथ ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जाती है !
  • रॉकेट का इतिहास 13वीं सदी से माना जाता है ! चीन में रॉकेट विद्या का विकास तेजी से हुआ था, जिसके बाद यह यूरोप तक पहुंचा !
  • भारत में 1792 में मैसूर के शासक टीपू सुलतान ने अंग्रेज सेना के विरुद्ध इसका प्रयोग किया था जिसके बाद अंग्रेजों ने इसे आधुनिक रूप प्रदान किया था !
  • आधुनिक रॉकेट के विकास का श्रेय अमेरिकी वैज्ञानिक रॉबर्ट हञ्चिंग्स गोडार्ड ( Robert Hutchings Goddard ) को दिया जाता है ! उन्होंने 16 मार्च 1926 को इसे विकसित किया था !
  • अपने दल के साथ ही उन्होंने 1926 से 1941 के बीच 34 रॉकेट का प्रक्षेपण किया था !
  • वर्तमान समय में 11 देशों ( सोवियत, यूनियन और रूस को एक मानने पर ) में सैटेलाइट लॉन्च करने की तकनीकी है जिसके लिए बड़ी संख्या में अलग-अलग पद्धति के रॉकेट यूज किए जाते हैं !
  • यह देश रूस, USA, फ्रांस, जापान, चीन, U.K, इंडिया, इजरायल, यूक्रेन, ईरान, उत्तरी कोरिया एवं दक्षिणी कोरिया और न्यूजीलैंड है !
  • अन्य क्षेत्रों की तरह चीन की महत्वाकांक्षा अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी है इसी कारण वह नित नए-नए मिशन की योजना बना रहा है !
  • इसके लिए चीन दो रॉकेट Long March 5 और Long March 5B का प्रयोग करता है ! इसमें मार्च 5 का प्रयोग GTO के लिए और मार्च 5B का प्रयोग LEO के लिए करता है !
  • चीन मंगल पर अपना मिशन वर्ष 2020 तक Mars Orbit और Lander/Rover भेजना चाहता है जिसके लिए इन्हीं का प्रयोग करना चाहता है !
  • Long March रॉकेट सामान्यतः अन्य रॉकेट से अलग है यह एक Stage या 2 Stage का होता है !
  • एक Stage वाला होने के कारण यह बहुत बड़ा यूनिट ( खंड) होता है ! अर्थात पेलोड के अलावा यह सिंगल यूनिट वाला होता है !
  • हाल ही में एक रॉकेट 5 मई लांच किया था ! धीरे-धीरे यह रॉकेट चीन के कंट्रोल से बाहर हो गया ! 8000 फीट की ऊंचाई से यह गिरने लगा !
  • यह विश्व के लिए बहुत चिंता जनक था क्योंकि यह बहुत बड़ा खंड था जिसका वजन लगभग 18 टन था ! 100 फीट लंबा और 16 फीट चौड़ा था !
  • यह रॉकेट अफ्रीका के पश्चिम में अटलांटिक महासागर में गिरा ! यहाँ अच्छा यह रहा कि यह किसी जहाज स्थली क्षेत्र में नहीं गिरा अन्यथा यह एक बहुत बड़ा मानवीय आपदा का कारण बन सकता था ! कुछ और विलंब होता तो यह न्यूयॉर्क पर गिर सकता था !
  • इस प्रकार के चीन के रॉकेट का हादसा पहली बार नहीं हुआ है !
  • 9 अप्रैल को इंडोनेशिया के एक सेटेलाइट को लांच करते समय यह हादसा हुआ !
  • वर्ष 2019 के प्रारंभ में एक दो चरण वाले रॉकेट के से एक चरण अलग होकर चीन के एक गांव पर गिर गया था जिससे कई लोगों की जान भी गई थी !
  • चीन से गिरा इतना बड़ा मलवा 1991 के बाद सबसे बड़ा था ! उस समय 31 टन का 1 डिबरी रूस का गिरा था !

मेलामाइन का प्रयोग और खतरे

  • कई रिपोर्ट के अनुसार भारत में अधिकांश दुग्ध मिलावटी होता है ! कुछ रिपोर्ट में यह मिलावट 60% से भी अधिक होती है !
  • कई बार उत्पादन कम और मांग ज्यादा होने पर मिलावटी दूध का कार्य इतना व्यापक हो जाता है कि अधिकांश उत्पाद में अनेक प्रकार के केमिकल पाए जाते हैं !
  • यह मिलावट सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अनेक देशों में होती है ! चीन एवं अन्य देशों में आयातित उत्पादों में भी यह मिलावट पाया जाता है !
  • मिलावट में एक प्रमुख पदार्थ मेलामाइन (Melamine) का प्रयोग किया जाता है यह दूध में प्रोटीन की मात्रा को संतुलित करता है !
  • अधिक पानी मिलाने के बाद इसे मिलाया जाता है जिससे यह गाढ़ा और प्रोटीन वाला बन जाए !
  • मेलामाइन एक कार्बन आधारित रसायन होता है जो White crystal के रूप में पाया जाता है !
  • इसका प्रयोग गोंद, प्लास्टिक, वाइट बोर्ड, आदि को बनाने में किया जाता है लेकिन दुग्ध के मिलावटखोरी में इसका व्यापक तौर पर प्रयोग होता रहा है !
  • इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु के शोधकर्ताओं ने दूध और डेयरी उत्पादों में मेलामाइन की उपस्थिति का पता लगाने के लिए कम लागत वाली तकनीकी विकसित की है !
  • वर्तमान में मेलामाइन की उपस्थिति का पता लगाने वाली तकनीकें काफी महंगे एवं समय लेने वाली और उच्च प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा ही संपन्न होने वाली होती हैं इसलिए ऐसी तकनीकी की आवश्यकता थी जो इन कमियों को दूर कर सके !
  • इस नवीन तकनीकी से यह सब बहुत आसानी से हो सकता है !
  • सबसे बड़ी बात यह है कि यह दूध में मेलामाइन की 0.1 भाग (PPM) तक का पता लगा सकता है ! और परिणाम मात्र 4 मिनट में प्राप्त होगा !
  • इससे होने वाली अनेक बीमारियों और गुर्दों की समस्या से बचाव होगा !