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Blog / 10 Oct 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 10 October 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 10 October 2020



शांति का नोबेल पुरस्कार चर्चा में क्यों हैं?

  • द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद विश्व में शांति स्थापित करने एवं विश्व को विकास के मार्ग पर आगे बढ़ाने के लिए एक संगठन को स्थापित किया गया, जिसे हम संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations) के नाम से जानते हैं।
  • इसकी स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 को हुई थी, जिसके संस्थापक देशों की संख्या 51 थी। संयुक्त राष्ट्र संघ नाम फ्रैंकलिन डी रूजबेल्ट द्वारा सर्वप्रथम दिया गया था।
  • इसका मुख्यालय न्यूयार्क में है तथा सदस्य देशों की संख्या 193 है।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ ने शांति और विकास के उन सभी क्षेत्रें में कार्य करने और देशों को एकजूट करने का निर्णय लिया जिसमें सभी देशों की भागीदारी आवश्यक है।
  • 1940 और 1950 का दशक एक परिवर्तनकारी समयकाल के रूप में जाना जाता है। इस समय द्वितीय विश्व युद्ध की वजह से कई देशों की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो चुकी थी, कई देश उपनिवेशवाद से आजादी प्राप्त कर रहे थे, कई देशों में गृह युद्ध चल रहा था, कई देश सूखा और अकाल जैसी प्राकृतिक विपदाओं का सामना कर रहे थे। इन सब कारणों से कुछ देशों को छोड़कर अधिकांश देशों में खाद्य असुरक्षा और खाद्य संकट की स्थिति बनी हुई थी।
  • संयुक्त राष्ट्र और उसकी संस्थायें अपना सहयोग कर रहीं थी। लेकिन स्थिति पूरी तरह से कंट्रोल में नहीं थी। अमेरिकी राष्ट्रपति ड्वाइट आइजनहावर ने सुयक्त राष्ट्र को सुझाव दिया कि क्यों न एक प्रयोग के तौर पर यू.एन. (UN) की तरफ से खाद्य सहायता शुरू की जाये।
  • 19 दिसंबर 1961 को संयुक्त राष्ट्र के तहत विश्व खाद्य कार्यक्रम (World Food Programme) को प्रारंभ किया गया। इसका मुख्यालय रोम में है।
  • 1961 में स्थापित WFP को इस दृष्टिकोण से स्थापित किया गया कि दुनिया के हर व्यक्ति को स्वस्थ्य जीवन प्रदान करने के लिए उन तक समय पर भोजन पहुँचाना आवश्यक है। अपने इसी दृष्टिकोण के तहत यह संस्था भूख और कुपोषण को समाप्त करने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का कार्य करती है।
  • इसके निम्न उद्देश्य हैं-
  1. आपातकालीन खाद्य सहायता पहुँचाकर लोगों की जान बचाना तथा आजीवकिा की रक्षा करना।
  2. खाद्य सुरक्षा और पोषण का समर्थन करना और लोगों समुदायों तथा देशों को स्वयं के भोजन एवं पोषण की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम बनाना।
  3. अल्पोषण को कम करना एवं भूख के अंतर-उत्पत्ति चक्र (Inter-generational cycle) को तोड़ना है।
  4. वर्ष 2030 तक जीरों हंगर (Zero Hunger) का लक्ष्य प्राप्त करना।
  • वर्तमान समय में यह भूख और खाद्य सुरक्षा पर कार्य करने वाला सबसे बड़ा मानवीय संगठन है।
  • वर्तमान समय में इसके क्षेत्रीय कार्यालय 80 देशों में है। वर्ष 2019 के आकड़ों के अनुसार इसकी पहुँच 88 देशों में 97 मिलियन लोगों तक इसकी पहुँच है।
  • यह आपातकालीन खाद्य सहायता के अलावा राहत और पुनर्वास, विकास सहायता और विशेष संचालन पर ध्यान केंद्रित करता है। इसके साथ-साथ यह खाद्य प्रणालियों को जलवायु परिवर्तन और राजनीतिक अस्थिरता के खिलाफ अधिक सक्षम बनाने का प्रयास करता है।
  • यह सतत विकास लक्ष्य (SDG- Sustainable Development Goal) में भी सहयोग दे रहा है और SDG-2 को पूरा करने का प्रयास कर रहा है। SDG-2 का लक्ष्य वर्ष 2030 तक भूख और कुपोषण को मिटाना तथा खेती की उत्पादकता 2 गुनी करना है।
  • इसका वित्तीय पोषण सरकारों के माध्यम से, निगमों द्वारा, निजी दाताओं के माध्यम से स्वैच्छिक दान से होता है।
  • वर्ष 2018 में इसे 7.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की फंडिंग प्राप्त हुई जिसमें सर्वाधिक अंश अमेरिका का 2-5 विलियन डॉलर तथा यूरोपीय संघ (1.1 बिलियन डॉलर) का था।
  • WFP एक कार्यकारी बोर्ड द्वारा शासित होता है, जिसमें 36 सदस्य राज्यों के प्रतिनिधि होते हैं। अमेरिका के दक्षिण कैरोलिना राज्य के पूर्व गवर्नर डेविड बेजले को मार्च 2017 में 5 साल के लिए कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया गया था।
  • इसकी स्थापना के कुछ समय बाद ही उत्तरी ईरान में भयंकर भूकंप आया था, जिसमें 12000 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो गई थी। यहीं से WFP का व्यापक कार्य प्रारंभ और तब से आज तक वह हर देश में जहां कोई आपात स्थिति उत्पन्न होती है या किसी कारण खाद्य असुरक्षा उत्पन्न होती है, उसे मदद पहुँचाने का प्रयास कर रहा है।
  • वर्ष 2019 में ही इस संस्था ने 10 करोड़े लोगों को खाद्य सहायता दी।
  • इस समय यह संगठन इस वजह से चर्चा में है क्योंकि इसे वर्ष 2020 का नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize 2020) दिया गया है।
  • इसे यह पुरस्कार किसी प्रकार के संकट से प्रभावित क्षेत्रें में भूखमरी से लड़ने व शांति कार्य में सराहनीय कार्य के चलते दिया गया है।
  • वर्तमान समय में पूरा विश्व जब कोरोना वायरस से जूझ रहा है, ऐसे में इस संगठन की जिम्मेदारीयां और बढ़ गई है। यह संकट कोविड-19 में पहले से ही अधिक सक्रिय हो गया।
  • इस साल के शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए 318 उम्मीदारी थे, जिसमें 211 व्यक्ति और 107 संगठन शामिल थे। नामांकन की अंतिम समय सीमा 1 फरवरी 2020 थी, इसलिए कोरोना योद्धाओं को इसमें शामिल नहीं किया गया है, लेकिन अगले साल हमें कुछ नाम इस क्षेत्र में (कोरोना काल में मदद पहुंचाने वाले ) कार्य करने वाले लोगों के दिख सकते है।
  • इस बार इस सूची में ग्रेटा थनबर्ग, नर्व एजेंट हमले से उबर रहे रूस के नेता अलेक्सई नवलनी, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), उइगर बुद्धिजीवी इलहाम तोहती, नाटो, पर्यावरणविद राओनी मेटुकतिरे, व्हिसलव्लोअर जूलियन असांज, एडवर्ड स्नोड़न और सेल्सी मैनिंग को नामांकित किया गया था।
  • अमेरिकी कवि लुइस ग्लक को साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
  • लुइस को उनकी बेमिसाल काव्यात्मक आवाज के लिए यह सम्मान दिया गया। लुइस येल यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी की प्रोफेसर हैं।
  • साल 2010 से लेकर अब तक वह चौथी ऐसी महिला है जिन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। नोबेल पुरस्कार के प्रारंभ से अब 16 महिलाओं को नोबेल पुरस्कार मिला है।
  • लुइस को 1993 में पुलित्जर पुरस्कार उनकी रचना ‘द वाइल्ड आइरिश’ के लिए दिया गया। वर्ष 2014 में उन्हें नेशनल बुक अवार्ड से नवाजा गया।
  • इनकी कवितायें मानवीय दर्द, बचपन और परिवार की पृष्ठभूमि और उनकी जटिलताओं को बयां करती हैं।
  • रसायन के क्षेत्र में जीनोम एडिटिंग की पद्धति विकसित करने के लिए इमैनुएल चारपेंटियर और जेनीफर डॉडना को नोबेल पुरस्कार दिया गया है।
  • भौतिकी विज्ञान के क्षेत्र में रोजर पेनरोस को ब्लैक होल की खोज के लिए रिनहार्ड गेनजेल और एंड्रेया गेज को हमारी आकाशगंगा के केंद्र में सुपरमैसिव कॉम्पैक्ट ऑब्जेक्ट की खोज के लिए यह पुरस्कार दिया गया हैं।
  • नोबेल पुरस्कार स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर दिया जाता हैं इसके लिए नोबेल फांउडेशन की स्थापना 29 जून, 1900 को की गई थी।
  • इन पुरस्कारों का प्रारंभ 1901 से हुआ हर साल 10 दिसंबर को इनकी पुण्यतिथी के अवसर पर नोबेल पुरस्कार दिये जाते हैं।
  • अक्टूबर माह में इनकी घोषणा की जाती है एवं लगभग दो माह बाद इन्हें प्रदान किया जाता है।
  • 1974 से पहले किसी मृत व्यक्ति को भी यह पुरस्कार दिया जा सकता था लेकिन 1974 के बाद यह तय किया गया कि यह केवल जीवित व्यक्ति को ही प्रदान किये जायेंगे।
  • यदि नाम के घोषणा होने के बाद किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसे पुरस्कार दिया जायेगा।
  • शांति के अलावा बाकि 5 नोबेल प्राइस (अवार्ड) स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में दिये जाते है जबकि शांति का नोबेल पुरस्कार नार्वे की राजधानी आस्लो में दिया जाता है।
  • यह पुरस्कार कम से कम एक व्यक्ति और अधिक से अधिक तीन व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है।
  • नोबल प्राइज वितरण के लिए नोबल फाडंडेशन का गठन किया गया है। इसमें कुल 5 लोग होते है। इस फाउंडेशन के मुखिया का चयन स्वीड़न की किंग ऑफ काउंसिल द्वारा तय किया जाता है। 4 अन्य सदस्य पुरस्कार वितरण संस्थान के न्यासी द्वारा तय किये जाते है।
  • सम्मान प्राप्त व्यक्ति स्वीड़न के राजा के हाथों पुरस्कार प्राप्त करता है।
  • नोबेल पुरस्कार जीतने वाले व्यक्ति को एक नोबेल पदक, डिप्लोमा तथा पुरस्कार राशि दी जाती है।
  • पुरस्कार राशि निश्चित नहीं रही है यह घटती बढ़ती रही है। जैसे से पहले तक नोबेल पुरस्कार जीतने वालों को 8 मिलियन स्वीडिश क्राउन मिलते थे पर 2017 में इसे बढ़ाकर 9 मिलियन (SEK) कर दिया गया। इसे भारतीय रुपयें में बदलें तो लगभग 7 करोड़ रूपये।
  • यदि दो लोग किसी वर्ग मे होते है तो आधी-आधी राशि दी जाती है और यदि तीन लोग है तो कमेटी तय करती है कि किये कितनी राशि मिलेगी।
  • नोबेल प्राइस/अवार्ड के लिए पहले नामिनेशन की प्रक्रिया अपनाई जाती है नामिनेशन की प्रक्रिया में हम सब या हर कोई व्यक्ति भाग नहीं ले सकता है।
  • नामिनेशन में राष्ट्र प्रमुख, राजनीतिज्ञ (राष्ट्रीय स्तर के), यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर, विदेश नीति संस्थान के निदेशक, नोबेल प्राइज विजेता और नार्वेजियन कमेटी और उसके सदस्य भाग लेते है।
  • नामिनेशन 1 फरवरी से पहले भेजना होता है। 2021 के दिसंबर में जिन्हें इस नामिनेशन में भाग लेना है उनका नामिनेशन वर्ष 2021 के 1 फरवरी तक प्राप्त हो जाना चाहिए।
  • इसके बाद नोबेल प्राइज कमेटी यह फैसला लेती है कि किसे प्राइज/अवार्ड दिया जाना है।