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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 09 June 2020

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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 09 June 2020



EPI में भारत की स्थिति चिंताजनक

  • पर्यावरण से तात्पर्य किसी जीव के उस आवरण से है जिसमें कोई जीव निवास करता है और दोनों एक दूसरे से अंतर्क्रिया करके एक दूसरे को प्रभावित करते हैं !
  • यह पर्यावरण ही वह प्रमुख कारक होता है जो किसी जीव के विकास और उत्तरजीविता को निर्धारित करता है !
  • पर्यावरण क्षति को कई बार प्रकृति द्वारा खुद संतुलित कर लिया जाता है लेकिन यदि क्षति ज्यादा बड़ी हो तो पर्यावरण विनाश की स्थिति उत्पन्न हो जाती है !
  • 20वीं एवं 21वीं सदी में विकास और पर्यावरण में एक अंतर्विरोध देखने को मिलता है ! जिसे स्टॉकहोम सम्मेलन से लेकर वर्तमान समय तक अनेक घोषणाओं और समझौतों के माध्यम से हल करने में हम पूर्णत: सफल नहीं हुए हैं !
  • पर्यावरण का संरक्षण और उसकी देखभाल किस देश द्वारा किस प्रकार की जा रही है यह जानना पूरे विश्व के लिए जरूरी होता है ताकि देश और वैश्विक समुदाय द्वारा उचित कदम उठाया जा सके !
  • इसी उद्देश्य के लिए विश्व आर्थिक मंच (WEF) के सहयोग से येल विश्वविद्यालय और कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से प्रत्येक 2 वर्ष पर पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (Environment Performance Index) जारी किया जाता है !
  • इसमें येल विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर एनवायरमेंटल लॉ एंड पॉलिसी तथा कोलंबिया विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर इंटरनेशनल नेटवर्क का महत्वपूर्ण योगदान होता है !
  • वर्ष 2018 में आई रिपोर्ट में 24 प्रदर्शन संकेतकों के आधार पर 180 देशों की सूची बनाई गई थी जिसमें भारत को 177 वां और 2016 के सूचकांक में 141 वां स्थान दिया गया था !
  • हाल ही वर्ष 2020 का पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक प्रस्तुत किया गया है ! इसमें 180 देशों की सूची में भारत को 168 वां स्थान प्राप्त हुआ है ! वहीं भारत का स्कोर 27.6 है !
  • इस बार का इंडेक्स 11 कारकों से संबंधित 32 प्रदर्शनों के आधार पर तैयार किया गया है !
  • कारक सूचकांक में हिस्सेदारी ( प्रतिशत में)
  • जलवायु परिवर्तन 24%
  • वायु गुणवत्ता 20%
  • स्वच्छता और पेय जल 16%
  • जैव विविधता और आवास 15%
  • पारिस्थितिकी सेवाएं 6%
  • इसके अलावा मत्स्यन ( 6%), भारी धातु ( 2%), अपशिष्ट प्रबंधन ( 2%), कृषि ( 3%), प्रदूषक उत्सर्जन ( 3%), जल संसाधन ( 3%) है !
  • अफगानिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के सभी देश इस सूचकांक में भारत से आगे हैं !
  • भारत के पीछे अधिकांश अफ्रीकी देश जैसे चाड़, बुरुंडी, गिनी, मेडागास्कर, सियरा लियोन, कोटे डी आइवर है !
  • डेनमार्क और लक्जमबर्ग क्रमशः पहले एवं दूसरे स्थान पर हैं ! वही 180वां स्थान लाइबेरिया को प्राप्त हुआ है !
  • इस सूचकांक में चीन 120 वें तथा अमेरिका 24 वें स्थान पर है !
  • भारत का स्कोर और खराब होने के कई कारण हैं !
  • रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले 10 वर्षों में ब्लैक कार्बन ,कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन और ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में वृद्धि हुई है !
  • इसके अलावा वायु गुणवत्ता, स्वच्छता एवं पेयजल, भारी धातु, अपशिष्ट प्रबंधन, जैव विविधता प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन आदि से संबंधित क्षेत्रों में कोई ठोस सुधार नहीं आया है !
  • हमें अपनी रैंकिंग को और अच्छा करने के लिए कृषि ,जल ,संसाधन एवं उपरोक्त उन सभी क्षेत्रों में कार्य करने की आवश्यकता है !
  • लोगों की भागीदारी जब-तक नहीं बढ़ेगी तब-तक पर्यावरण संरक्षण का हमारा प्रयास सफल नहीं होगा !
  • इसके अलावा पारदर्शिता, सुझाव एवं शिकायत निपटान, गैर सरकारी संगठनों की भूमिका, सुशासन आदि भी इसमें सहायक हो सकते हैं !
  • SDG (Sustainable Development Goals) गैर जीवाश्म ऊर्जा या नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यावरण प्रबंधन, वनों की कटाई और जनजाति अधिकार आदि मुद्दे भी यहां विचारणीय है !

भारतीय अर्थव्यवस्था के विरोधाभास

  • भारत की अर्थव्यवस्था में इस समय कई विरोधाभास दिखाई दे रहे हैं !
  • शेयर बाजार में FPI के Inflow से वृद्धि देखी जा रही है तो दूसरी ओर फैक्ट्रियां बंद हो रहे हैं, लोगों का रोजगार छिन रहा है, मांग में कमी आ रही है और अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट कम है !
  • हाल ही में मूडीज ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रैंकिंग कम करके Baa2 से घटाकर Baa3 कर दिया गया है !
  • इस रेटिंग एजेंसी के अनुसार यदि भारतीय अर्थव्यवस्था की रेटिंग और भी नीचे जाती है तो यह निवेश के लिए बिल्कुल ठीक नहीं रहेगा !
  • यदि ऐसा होता है तो भारतीय अर्थव्यवस्था Covid-19 के बाद भी गति प्राप्त नहीं कर पाएगी क्योंकि आंतरिक एवं बाहरी दोनों निवेश प्रभावित होंगे !
  • अभी जारी रैंकिंग के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था में नकारात्मक ग्रोथ की बात कही गई है ! और कम FPI की उम्मीद की गई थी !
  • इसके विपरीत निवेश बढ़ा है और हमारा विदेशी मुद्रा भंडार अब तक कुछ बिंदु 493 बिलियन को क्रॉस कर गई है !
  • इसके विपरीत भारतीय रुपया कमजोर होना था जो कि अभी रुका हुआ है क्योंकि निवेश बाहर जाना था जो नहीं हुआ !
  • लेकिन मूडीज के आधारों को हमें खारिज करने के स्थान पर उसे चुनौती के रूप में स्वीकार करने और उसका समाधान करने की आवश्यकता है !
  • हमारी अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट कम होना, फाइनेंशियल सेक्टर कमजोर हो रहा है, ऋण की मात्रा बढ़ी है, राजकोषीय घाटा बढ़ा है, NPA बढ़ सकता है आदि !
  • हमें इनका समाधान करने के साथ-साथ 20 लाख करोड़ के वित्तीय पैकेज के खर्च को भी दुरुस्त करना होगा !
  • इस पैकेज में बैंकिंग सेक्टर पर जितना भरोसा किया गया समीक्षकों के अनुसार हमारा बैंकिंग सेक्टर इतना स्वस्थ और मजबूत नहीं है !
  • प्रमुख चुनौती यह है कि इस समय अर्थव्यवस्था में एक बड़े निवेश की आवश्यकता है लेकिन निवेश के लिए वित्त कहां से आए यह सवाल अभी भी बना हुआ है !
  • सरकारी ट्रेजरी बिल इसमे एक प्रमुख कारक हो सकता है !
  • RBI सरकार को ट्रेजरी बिल के माध्यम से एक बड़ी रकम की आपूर्ति कर सकती है !
  • नए नोट को प्रिंट करना ( एक संतुलित मात्रा में) भी एक विकल्प हो सकता है कुछ समीक्षकों के अनुसार क्योंकि इस समय मांग कम है इसलिए महंगाई नहीं बढ़ेगी !
  • एक प्रमुख विरोधाभास, कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र से भी जुड़ा है ! यह तीनों सेक्टर इस निवेश की मांग कर रहे हैं तो इसमें कैसे संतुलन हो यह भी विचारणीय है !
  • मजदूर और कामगार को कैसे वापस बुलाया जाए और कोरोना संक्रमण से इन्हें कैसे बचाया जाए इस पर भी मंथन करने की आवश्यकता है !