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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 06 July 2020

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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 06 July 2020



हागिया सोफिया संग्रहालय

चर्चा में क्यों ?

  • तुर्की के इस्तांबुल में एक भव्य संरचना वाली इमारत हागिया सोफिया संग्रहालय (Hagia Sophia Museum) है |
  • हागिया सोफिया का मत्सव पवित्र विवेक होता है अर्थात ऐसा स्थान जहां व्यक्ति सभी प्रकार की बुराइयों एवं वासनाओं से ऊपर उठ जाता है |
  • इस संग्रहालय (इमारत) के मध्य में एक बड़ा गुंबद है तथा इसके चारों ओर 6 मीनारें हैं |
  • यह भव्य इमारत बास्फोरस जलसंधि (Bosporus Strait) के पश्चिमी किनारे पर है | बॉस्फोरस जलसंधि एशिया और यूरोप की सीमा तय करती है । इस जल संधि के पूर्व की तरफ एशिया और पश्चिम की तरफ यूरोप है इसीलिए इस संग्रहालय को दोनों महाद्वीपों मे काफी प्रसिद्धि मिली है |
  • लगभग 1500 वर्ष पुरानी यह इमारत यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल के रूप में सूचीबद्ध है |
  • प्राचीन समय में इस्तांबुल को कोंस्टेंटटिनोपोल (Constantinople) या कुस्तुनतुनिया के रूप में जाना जाता था |
  • 530 ईसवी के लगभग यह क्षेत्र बाईजेंटाइन साम्राज्य (Byzantine Empire) के अधीन था, जिसके शासक इस समय जस्टीनियन (Justinion) थे |
  • जबकि नियन ने यहां एक भव्य चर्च ( गिरजाघर) बनाने का प्लान बनाया और 532 ईस्वी में इसका निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया |
  • इसे बनाने के लिए उस समय के सबसे प्रतिष्ठित कारीगरों को बुलाया गया तथा सबसे उन्नत किस्म की निर्माण सामग्री का प्रयोग किया गया |
  • लगभग 5 वर्ष में यह गिरजाघर बनकर 537 ईस्वी में पूरा हुआ |
  • इसकी भव्यता ने जस्टीनियन की समृद्धि एवं प्रतिष्ठा को बहुत बढ़ाया |
  • यह निर्माण के कुछ समय बाद ही ऑर्थोडॉक्स ईसाईयत (Orthodox Christianity) का महत्वपूर्ण केंद्र बन गया |
  • निर्माण के बाद लगभग 900 साल तक यह ऑर्थोडॉक्स ईसाइयत का महत्वपूर्ण केंद्र बना रहा लेकिन 1453 मे ऑटोमन साम्राज्य (Ottoman Empire) के सुल्तान मेहमत दितीय (Sultan Mehmet II) ने कुस्तुनतुनिया पर कब्जा कर लिया और इसका नाम बदलकर इस्तानबुल कर दिया |
  • सुल्तान मेहमत ने आदेश दिया कि हागिया सोफिया की मरम्मत की जाए और उसे एक मस्जिद के रूप में परिवर्तित कर दिया जाए |
  • इस्लामी वास्तुकारों ने ईसाईयत कि ज्यादातर निशानियों को तोड़ दिया या फिर उनके ऊपर प्लास्टर की परत चढ़ा दी गई | साथ ही 6 मीनारें भी खड़ी कर दी गई |
  • इसमें पहले जुमे में सुल्तान खुद शामिल हुए | यहीं से ऑटोमन साम्राज्य को सल्तनत-ए-उस्मानिया भी कहा जाने लगा |
  • पहले विश्व युद्ध में ऑटोमन साम्राज्य को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा और साम्राज्य को विजेताओं ने कई टुकड़ों में विभाजित कर दिया | · इसी ध्वस्त ऑटोमन साम्राज्य की नींव पर खड़ा हुआ |
  • नवीन तुर्की ने 1930 के दशक में अपने आप मे कई परिवर्तन किए | आधुनिक तुर्की के संस्थापक मुस्तफा कमाल अतातुर्क में तुर्की को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ाने का निर्णय लिया और इसी के तहत हागिया सोफिया मस्जिद को एक संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया जो सभी धर्मों के लिए समान महत्व का प्रतीक था |
  • वर्ष 1935 में एक कदम और आगे बढ़ते हुए इस संग्रहालय को आम जनता के लिए खोल दिया गया |
  • तुर्की के वर्तमान राष्ट्रपति रेसेप एरदोगन तैय्यप अपनी राजनीति में अब हागिया सोफिया के मुद्दे का प्रयोग कर रहे हैं | दरअसल तुर्की का एक राष्ट्रवादी तबका इसे मस्जिद बनाने की मांग कर रहा है जिसका विरोध राष्ट्रपति ने खुद किया था |
  • कुछ समय पहले इस्तांबुल के नगर पालिका चुनाव में राष्ट्रपति को मिली हार के बाद उन्होंने अब खुद एक राजनीतिक मुद्दा बना दिया है |
  • इसके बाद एरदोगन ने संग्रहालय को म्यूजियम बनाने के पक्ष में बोलना प्रारंभ कर दिया |
  • उन्होंने यहां तक कहा कि हागिया सोफिया को एक संग्रहालय बनाना एक बहुत बड़ी गलती थी |
  • कुछ समय पहले ही उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि अब हागिया सोफिया को संग्रहालय नहीं मस्जिद कहा जाएगा | आगे उन्होंने कहा जो लोग हागिया सोफिया में आते हैं वे अब हागिया सोफिया मस्जिद का दौरा करेंगे ना कि संग्रहालय का | इसका वहां के धर्मनिरपेक्ष लोगों ने विरोध किया |
  • इसके बाद यह विवाद कोर्ट में पहुंच गया यहां की शीर्ष कोर्ट ने इस विवाद पर अपनी सुनवाई पूरी कर ली है |
  • आगामी 2 हफ्ते यह निर्णय आ सकता है कि इसे मस्जिद के रूप में बदला जाएगा या म्यूजियम ही बना रहेगा |
  • ग्रीस ने इस फैसले का विरोध किया है और कहा है कि यह चर्च ऑर्थोडॉक्स ईसाईयत को मानने वाले लाखों लोगों के आस्था का केंद्र है इसीलिए तुर्की का यह कदम धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला है |
  • इसी के साथ ग्रीस ने इस कदम को UNESCO ( Convention concerning the protection of world cultural and natural heritage) के नियमों का उल्लंघन बताया है |
  • अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा है कि इस इमारत की स्थिति में बदलाव ठीक नहीं है क्योंकि यह अलग-अलग धार्मिक आस्थाओं के बीच एक पुल का काम करता रहा है |

एक देश एक वोटर कार्ड का विचार

  • भारत एक लोकतांत्रिक देश है जिसमें सभी शक्तियों का स्त्रोत भारतीय नागरिकों को बनाया गया है | प्रस्तावना की लाइन 'हम भारत के लोग- सत्ता संचालन की जिम्मेदारी आम जनता को देती है |
  • भारतीय जनता संसदीय व्यवस्था का पालन करते हुए अपने प्रतिनिधियों को संसद एवं विधान सभा में भेजती है यह प्रतिनिधि जनता की तरफ से शासन व्यवस्था का संचालन करते हैं |
  • भारतीय चुनाव प्रणाली बेहद दिलचस्प और बड़ी है तो साथ ही इसमें बहुत बड़ी जनसंख्या एकत्रित होती है और अपनी भागीदारी सुनिश्चित करती है |
  • इस साल के नवंबर माह में बिहार विधानसभा चुनाव होना है तो साथ ही मध्य प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों एवं गुजरात की 8 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है |
  • पूरे देश में इस समय कोरोना का प्रसार तेजी से फैल रहा है ऐसे में चुनाव कैसे कराए जाएं यह एक चुनौती बनी हुई है |
  • इस चुनौती के संदर्भ में चुनाव आयोग ने 65 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों और कोरोना संक्रमित या फिर होम क्वॉरेंटाइन में रहने वाले लोगों के लिए यह व्यवस्था की है कि वह अपने वोट पोस्टल वैलट के माध्यम से डाल सकेंगे ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि इन्हें संक्रमण से ज्यादा खतरा है |
  • पोस्टल बैलट दरअसल एक फॉर्म के रूप में होता है जिसपर मतदान करके डाक के माध्यम से भेजा जाता है |
  • इसमें उन लोगों को शामिल किया जाता है जो किसी विशेष कारण से मतदान में शामिल होने में सक्षम नहीं होते हैं |
  • यह सुविधा ऐसे लोगों को मिलती है जो किसी निर्दिष्ट (Specified) सेवा में कार्यरत हैं, दिव्यांग है या वरिष्ठ नागरिक (80 साल से ज्यादा) हैं तथा मतदान केंद्र तक नहीं पहुंच सकते हैं |
  • दिव्यांग/वरिष्ठजन उन्हीं लोगों को माना जाएगा जिनका उल्लेख वोटर कार्ड में है |
  • चुनाव आयोग के इस प्रयास से वोटिंग में सहूलियत तो होगी लेकिन यह तैयारी भविष्य की तैयारी नहीं मानी जा सकती अर्थात यह पूरी तरह से दुरुस्त नहीं है |
  • एक बड़ी समस्या प्रवासी मजदूरों और लोगों के संदर्भ में है |
  • भारत में बड़ी मात्रा में प्रवास होता है यह संख्या 14 करोड़ में है |
  • यह प्रवासी मजदूर ना अपने मत का प्रयोग कर पाते हैं और ना ही राजनीतिक दलों के आकर्षण का भाग होते हैं इसलिए यह जहां से प्रवास करके आए हैं और जहां अभी हैं, दोनों जगहों पर इन को महत्व दिया जाता है |
  • हमारे यहां 91.05% रजिस्टर मतदाता हैं | इसमें से सिर्फ 67.4% लोगों ने ही वर्ष 2019 के चुनाव में भाग लिया है |
  • National Study Survey यह बताता है कि 10% लोगों को राजनीति में विशेष रुचि ना होने के कारण वह मतदान नहीं करते हैं वही 20 करोड़ मतदाता ऐसे हैं जो चाह कर भी इसमें शामिल नहीं हो पाते हैं इसमें सबसे बड़ी आबादी मजदूरों एवं प्रवासी लोगों की है |
  • इसलिए समीक्षक इसके समाधान के रूप में ONE NATION ONE VOTER CARD की बात आगे रख रहे हैं |
  • यह उसी प्रकार का विचार है जिस प्रकार का विचार एक देश एक राशन कार्ड के संबंध में था | जिसे सरकार ने लागू कर दिया है |
  • एक देश एक वोटर कार्ड के तहत कोई नया कार्ड बनाने की आवश्यकता नहीं है बल्कि पुराने वोटर कार्ड को मान्यता प्रदान करने की है |
  • दरअसल इस समय सभी जिलों के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ऑफिसों का नेटवर्क एक दूसरे से जुड़े हुए हैं जिनके डाटा का प्रयोग चुनाव के समय किया जा सकता है |
  • जिन राज्यों में प्रवासी मजदूर हैं वहां किसी चुनाव के समय किला के स्तर पर एक मतदान केंद्र विकल्प के तौर पर बनाया जा सकता है |
  • हालांकि सभी जिलों में एक साथ समन्वय की समस्या है लेकिन भारत की IT क्षमता को देखते हुए यह बहुत कठिन नहीं है |
  • इसी बीच एक और विचार डिजिटल वोटिंग का आया है |
  • इस विचार को बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने दिया है उनके अनुसार लोगों को ऑनलाइन डिजिटल वोटिंग का विकल्प दिया जाना चाहिए |
  • इस विचार को लगभग सभी दलों ने नकार दिया है क्योंकि इसमें मतों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है |
  • सितंबर 2019 में गृह मंत्री अमित शाह ने एक देश एक पहचान पत्र की बात की थी |
  • उन्होंने कहा कि यह ऐसा पहचान पत्र होगा जिसमें आधार, पासपोर्ट, बैंक खाता, ड्राइविंग लाइसेंस तथा वोटर कार्ड सभी की सूचनाएं होंगी |
  • हालांकि यह एक जटिल तथा समय लेने वाला कार्य है इसलिए वर्तमान दौर में लागू नहीं हो पाएगा इसीलिए वोटर कार्ड को देशभर में लागू कर चुनाव और मतदान की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकता है|