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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 04 July 2020

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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 04 July 2020



शिवालिक वन क्षेत्र चर्चा में क्यों है ?

  • सहारनपुर उत्तर प्रदेश का सबसे उत्तरी जिला है, जिसकी सीमाएं हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड से लगती है| यह यमुना के किनारे ऐसा क्षेत्र है जहां 4 राज्यों की सीमाएं लगती हैं|
  • शिवालिक के समीप होने के कारण यहां का भूगोल वनस्पति विकास के अनुकूल है - जैसे अच्छी वर्षा, पर्याप्त धूप, पर्याप्त उच्चावचआदि इन सब कारणों से यहां पर्वतीय और मैदानी दोनों वनस्पतियां देखने को मिल जाती हैं| यहां की औसत ऊंचाई लगभग 930 फीट है|
  • इस जिले के 33 हजार हेक्टेयर में शिवालिक वन क्षेत्र का विस्तार है इन जंगलों में पर्याप्त सघनता होने के कारण जैव विविधता पर्याप्त पाई जाती है|
  • यहां हाथी, बाघ, भालू, तेंदुआ जैसे जानवरों के साथ ही ग्रेट हॉर्नबिल, क्रीपर्स, मुनिया, पराकिट्स, ड्रागो, नटहैच, फ्लाई कैचर, बैबलर्स आदि पक्षी पाए जाते हैं|
  • इस जिले के शिवालिक वन प्रभाग, बिजनौर वन प्रभाग के एक एरिया को 2009 में हाथी रिजर्व घोषित किया गया था|
  • चारों राज्यों की सीमावर्ती यह क्षेत्र अनेक प्रकार के जीवो के भ्रमण/वितरण के लिए एक गलियारे का निर्माण करता है|
  • हाल ही मे सहारनपुर मण्डल आयुक्त ने शिवालिक वन क्षेत्र को टाइगर रिजर्व घोषित करने का प्रस्ताव दिया है !
  • उत्तर प्रदेश में पहले से तीन टाइगर रिजर्व - दुधवा टाइगर रिजर्व, अमानगढ़ टाइगर रिजर्व तथा पीलीभीत टाइगर रिजर्व है । यदि यह भी टाइगर रिजर्व बन जाता है तो यह चौथा टाइगर रिजर्व होगा|
  • दरअसल हाल के समय में यहां हाथियों की संख्या के साथ-साथ अन्य जीवों की संख्या में वृद्धि देखी गई है| फलस्वरुप पशु-मानव संघर्ष बढ़ा है|
  • यदि इस क्षेत्र को टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया जाता है तो इससे ना सिर्फ बाघों की सुगम आवाजाही सुनिश्चित होगी बल्कि Eco Tourismको बढ़ावा मिलेगा|
  • पूरी दुनिया में बाघों की संख्या में कमी का प्रमुख कारण उनके आवास में कमी होना बताया जाता है इस तरह यह कदम इस समस्या का समाधान कर सकता है|
  • यहां यह ध्यान देने योग्य है कि विश्व स्तर पर बाघ आवास का 93% क्षेत्र का अतिक्रमण कर लिया गया है|
  • राष्ट्रीय बाघ सर्वेक्षण 2018 के अनुसार देश में बाघों की संख्या 2967 हो गई है|
  • 2014 से 2018 की बाघ जनगणना अवधि में इस बार सर्वाधिक 33% बाघों की संख्या में वृद्धि हुई थी| इसके बाद 2010 से 2014 में 30% वृद्धि हुई थी|
  • इस जनगणना के अनुसार मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या सबसे अधिक 526 पाई गई है इसके बाद कर्नाटक में 524 टाइगर एवं उत्तराखंड में 442 टाइगर का स्थान है|
  • मिजोरम और छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या में गिरावट देखने को मिली है जबकि उड़ीसा में इनकी संख्या अपरिवर्तनशील रही है|
  • बुक्सा (पश्चिम बंगाल) पलामू (झारखंड) एवं डंपा (मिजोरम) टाइगर रिज़र्व में बाघों की संख्या अनुपस्थित दर्ज की गई|
  • 29 जुलाई 2010 में रूस के सेंट पिट्सबर्ग शहर में एक टाइगर समिट के दौरान बाघों के संरक्षण के संदर्भ में एक समझौता किया गया था|
  • इस समझौते के अनुसार वर्ष 2022 तक बाघों की आबादी को दोगुना करना है|
  • बाघ संरक्षण के संदर्भ में जागरूकता फैलाने के लिए 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के रुप में मनाया जाता है|

कलादान प्रोजेक्ट चर्चा में क्यों ?

  • भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत के अन्य भागों की तरह आवागमन के मार्ग के रूप में विकसित नहीं हो पाया है|
  • पूर्वोत्तर भारत अभी एक ही रास्ते से मुख्य रूप से जुड़ा हुआ है जिसे सिलीगुड़ी मार्ग या कॉरिडोर के नाम से जाना जाता है| कुछ जगहों पर इसके लिए चिकन नेक शब्द का प्रयोग किया जाता है|
  • यदि इस सिलीगुड़ी मार्ग पर किसी प्रकार की रुकावट आती है तो इसका मतलब है पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत से कट जाएगा|
  • चीन की अरुणाचल प्रदेश में जिस प्रकार की गतिविधियां रहती हैं उसे हमेशा पूर्वोत्तर भारत चीन के हस्तक्षेप के दृष्टिकोण से संवेदनशील बन जाता है|
  • इसीलिए हमें एक अन्य विकल्प या रास्ते की तलाश थी जो 2008 में मिला |
  • वर्ष 2008 में कलादान प्रोजेक्ट पर हस्ताक्षर हुआ तथा 2010 में काम शुरु हो गया, जिसे 2015 तक पूरा किया जाना था जो अभी तक पूर्ण रूप से चालू नहीं हो पाया है|
  • इस प्रोजेक्ट के तहत कोलकाता बंदरगाह को म्यामार के सितवे बंदरगाह से जोड़ा जाएगा|
  • इसके बाद सितवे बंदरगाह को म्यामार के पलेतवा से कलादान नदी मार्ग के माध्यम से जोड़ा जाएगा जो कि लगभग 158 किलोमीटर लंबा नदी मार्ग होगा|
  • इसके बाद पलेतवा को कलेतवा से 129 किलोमीटर लंबे हाईवे के माध्यम से जोड़ा जाएगा| इसके बाद सड़क मार्ग से सामान पूर्वोत्तर भारत के राज्यों तक पहुंच सकेगा|
  • इस प्रोजेक्ट के माध्यम से न सिर्फ हम पूर्वोत्तर को विकास की मुख्यधारा से जोड़ सकते हैं बल्कि Look East और Act East की नीति को भी आगे बढ़ा सकते हैं|
  • इस प्रोजेक्ट से पूर्वोत्तर भारत में भारतीय सेना मजबूत होगी तो चीनी सेना को अपने नापाक इरादों को छोड़ना होगा|
  • शुरू से ही यह प्रोजेक्ट चीन को कभी पसंद नहीं आया इसीलिए कई तरह से वह इसे रोकने का प्रयास करता आया है|
  • हाल ही में म्यामार सेना प्रमुख ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा कि वह यहां के आतंकी समूह को हथियार ना दे|
  • उन्होंने कहा म्यांमार में जो आतंकी संगठन है उनके पीछे विदेशी ताकतें हैं यह इशारा चीन की तरफ था|
  • यहां अराकान आर्मी और अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी दो प्रमुख संगठन है । इन संगठनों ने अपने आप को आर्मी के रूप में तब्दील कर लिया है|
  • दक्षिण पूर्व एशिया की जानकारी रखने वालों का मानना है कि अराकान आर्मी के खर्च का 95% तक का भार चीन उठाता है|
  • चीन ने हाल ही में 500 असाल्ट राइफल, गोला बारूद, मशीन गन की बड़ी मात्रा में अराकान आर्मी को आपूर्ति किया है|
  • यह अराकान आर्मी कई बार कलादान प्रोजेक्ट में रुकावट डाल चुकी है|
  • वर्तमान समय में भी चीन सीमा तनाव को देखते हुए अराकान आर्मी के माध्यम से इस प्रोजेक्ट को रोकने का प्रयास कर रहा है|
  • भारत एवं म्यामार संबंध मजबूत होने के कारण अभी चीन अपनी इस रणनीति में सफल नहीं हो पाया है|

सेना को और अधिक मजबूत करने का निर्णय

  • लद्दाख में LAC पर चीन के साथ जारी सीमा विवाद की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने तीनों सेनाओं की सैन्य ताकत को और मजबूत करने का फैसला किया है|
  • रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद ने लगभग 39000 करोड़ रुपए के रक्षा खरीद संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है|
  • रक्षा प्रस्तावों में तीनों सेनाओं के लिए मिसाइल प्रणाली के साथ वायु सेना के लिए अतिरिक्त लड़ाकू जेट शामिल है|
  • वही खरीद प्रस्ताव में 21, मिग29 फाइटर जेट विमानों की खरीद, 12 SU-30MKI विमानों का अधिग्रहण तथा 59 मिगजेट विमानों को अपग्रेड करना शामिल है|
  • इस फैसले में तीन मिसाइलों का उल्लेख किया गया है इन की विशेषताएं निम्नलिखित हैं|
  • पिनाका मिसाइल सिस्टम - जैसा कि नाम से पता चल रहा है यह एक केवल मिसाइल नहीं है बल्कि S-400 की तरह ही पूरा सिस्टम है| जो किसी भी विषम परिस्थिति से निपट सकती है|
  • यह 44 सेकंड में 12 रॉकेट दागने की क्षमता रखती है|
  • इसका मार्क-1 सिस्टम 40 किलोमीटर तथा मार्क-2 सिस्टम 65 किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम है|
  • 120 किलोमीटर दूरी तक इसकी क्षमता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है|
  • लांचर की गति 80 किलोमीटर प्रति घंटा है|
  • कारगिल युद्ध में इसका प्रयोग किया जा चुका है|
  • वर्तमान समय में टाटा पावर एसईडी, लार्सन एंड टुब्रो एवं आयुध कारखाना बोर्ड द्वारा इसका उत्पादन किया जा रहा है|
  • अस्त्र मिसाइल - यह सीमा पार हवा से हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है| इसे इस रूप में डिजाइन किया गया है कि इसे लड़ाकू विमान पर तैनात किया जा सकता है|
  • इसकी मारक क्षमता 100 किलोमीटर से अधिक है|
  • इससे नौसेना तथा वायु सेना को सेवाएं प्राप्त होंगी|
  • इसे मिराज 2000, मिग 29, सी हैरियर, मिग-21, HAL तेजस और SU- 30 विमानों पर लगाया जा सकता है|
  • इसमें ठोस ईंधन प्रणोदक का इस्तेमाल किया जाता है|
  • अब अस्त्र को SU-30 MKI विमान के साथ एकीकृत करके भारतीय वायु सेना में शामिल किया जा रहा है|
  • यह सामने से आने वाली ऐसी मिसाइलों से भी निपटने में सक्षम है जो अपनी दिशा बदलती रहती है|
  • LRLACM - Long Range and Attack Cruise Missile System इसके तहत ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम की वर्तमान क्षमता 400 से 500 किलोमीटर को बढ़ाकर लगभग 1000 किलोमीटर किया जाएगा|
  • Aerodynamic Configuration, Vertical Launch using solid booster, Booster Separation, Thrust Vector Control system, In flight wing deployment, Long Range way point navigation system आदि का विकास इसके अंतर्गत किया जाएगा|
  • इसके अंतर्गत पूर्णतया स्वदेश निर्मित लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल का विकास किया जाएगा|
  • इन तीन मिसाइल सिस्टमों के अतिरिक्त रूस से 21 MIG-29 की खरीद को मंजूरी दी गई है| साथ ही रूस द्वारा भारत के मौजूदा 59 मिग- 29 विमानों को अपग्रेड करवाया जाएगा|
  • HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) से 12 सुखोई SU-30MKI जेट विमान खरीदे जाएंगे|
  • SU-30 MKI रूस के सुखोई तथा HAL के सहयोग से निर्मित 3000 किलोमीटर की दूरी तय करने वाला फाइटर जेट है जो हवा में ही ईंधन भर सकता है|