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Blog / 02 Dec 2020

(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 02 December 2020

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(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 02 December 2020



आज ही के दिन हुई थी भोपाल गैस त्रसदी की घटना

  • यूनियन कार्बाइड कॉपेरिशन संयुक्त राज्य अमेरिका की रसायन निर्माण करने वाली एक प्रमुख कंपनी है। इसकी स्थापना 1917 में की गई थी। यह कंपनी थोक रसायन, इथिलीन एवं इथिलीन योगिक का निर्माण करती है। इसका मुख्यालय ह्यूस्टन, टेक्सास में है।
  • 1960 के दशक में भारत में बड़ी मात्रा में कीटनाशकों का प्रयोग कृषि एंव औद्योगिक गोदामों में सामानों को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता था, जिससे यूनियन कार्बाइड कंपनी को भारत में बड़ा बाजार मिलने की संभावना थी फलस्वरूप इस कंपनी ने भारत में भी अपनी फेक्ट्री खोलने का निर्णय लिया।
  • यूनियन कार्बाइड ने भारत के मध्य प्रांत (मध्य प्रदेश) के भोपाल शहर में इस कंपनी की एक फेक्टरी स्थापित करने का निर्णय लिया और इसी के तहत वर्ष 1969 में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) नामक कंपनी का गठन किया गया।
  • वर्ष 1977 से इस कंपनी ने कार्य करना प्रारंभ कर दिया। इसमें यूनियन कार्बाइड और भारत सरकार दोनों की हिस्सेदारी थी । इसमें 51 प्रतिशत हिस्सा यूनियन कार्बाइड के पास होने के कारण निर्णय की मिल्कियत इस कंपनी के पास ही थी।
  • इस फेक्टरी में कार्बारिल नामक कीटनाशक का निर्माण किया जाता था जिसका नाम इस कंपनी ने सेविन रखा था।
  • सेविन नामक कीटनाशक के उत्पादन के लिए मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस या तरल पदार्थ का प्रयोग किया जाता था। मिथाइल आइसोनेट को बहुत कम तापमान (लगभग 4ºC) पर रखने पर यह तरल रहता है लेकिन तापमान में वृद्धि होने पर यह गैस में बदल जाता है। यह रंगहीन पदार्थ अत्यंत ज्वलनशील होता है तथा गंध भी इसकी बहुत तेज होती है। सामान्य वायुमंडलीय तापमान पर यह गैस के रूप में होती है और यह बहुत जानलेवा गैस साबित होती है।
  • जहां इसका उत्पादन हो या जहां इसका इस्तेमाल हो वहां पर खुले में सांस लेने या छूने से शरीर में प्रवेश कर जाती है।
  • किसी फेक्ट्री जहां इसका उत्पादन और भण्डारण होता है वहां थोड़ा-बहुत रिसाव होता रहता है और लोगों के शरीर में प्रवेश करता रहता है इसलिए इसे आवासीय क्षेत्रें से दूर लगाया जाता है।
  • यदि इसकी कम मात्रा शरीर में प्रवेश करती है तो आंखों में जलन एवं गले में खराश महसूस होता है तथा खांसी और छींक और ठींक आती है। मात्रा ज्यादा होने पर फेफडे में सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है। यह श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है, तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है जिससे चक्कर आना, दम घुटना, उल्टियाँ आयेंगी और मौत का कारण बन जाती है।
  • यदि यह गैस या लिक्विड शरीर के स्किन या आंख पर पड़े तो जलन होती है और पानी से मिलने पर यह तेजाब के रूप में कार्य करता है जिससे त्वचा गंभीर रूप से जल जाती है। आंखें शरीर का सबसे संवेदनशील भाग होती है इस कारण यह इस गैस के कम प्रभाव से भी बहुत ज्यादा प्रभावित होती है।
  • अगर यह गैस 21 PPM की दर से हवा में मिल जाये तो एक मिनट में हजारों लोगों की जान जा सकती है।
  • इस कंपनी की प्रतिसाल उत्पादन क्षमता 5000 टन सेविन उत्पादन की थी लेकिन उत्पादन लगभग आधा ही हो रहा था। 1980 का दशक आते-आते सेविन की मांग कम होने लगी फलस्वरूप मिथाइल आइसासाइनेट का भण्डार फेक्टरी में बढ़ने लगा।
  • कंपनी के मुनाफे में कमी जा रही थी फलस्वरूप उत्पादन लागत को कम करने का निर्णय कंपनी ने लिया। इसके लिए स्टाफ की संख्या कम किया गया। जिससे देख-रेख का काम प्रभावित हुआ। कंपनी के कलपूर्जे कम लागत वाले खरीदे गये जैसे स्टैनलेस स्टील की जगह सामान्य स्टील का प्रयोग किया गया।
  • उत्पादन की मांग ज्यादा न होने के कारण उत्पादन बहुत कम हो रहा था लेकिन कंपनी के ऊपर मुनाफे का दबाव बना हुआ था जिसके कारण यहां हादसे होते रहते थे। लेकिन इन्हें प्रशासनिक मिलीभगत से दबा दिया जाता था।
  • वर्ष 1976 में दो ट्रेड यूनियन इसके खिलाफ शिकायत की। 1981 में एक मजदूर की मौत पाइप में हो गई। जनवरी 1982 में Phosgene गैस लीक होने से 24 कर्मचारियों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा।
  • फरवरी 1982 में थोड़ी मात्रा में MIC का रिसाव होने से 18 मजदूरों को सांस लेने में दिक्कत हुई। अगस्त 1982 में MIC की वजह से एक इंजीनियर 30 प्रतिशत तक झुलस गया।
  • वर्ष 1983 और 1984 में भी MIC, क्लोरिन, फॉस्जिन, कार्बन टेट्राक्लोराइड जैसी गैसों का रिसाव हुआ।
  • अक्टूबर 1984 में MIC से भरे एक टैंक E610 के सही से कार्य न करने की शिकयत सामने लाई गई जिसमें 42 टन MIC भरा था। कंपनी ने इसे नजरअंदाज कर दिया।
  • दिसंबर आते-जाते कई टेंक (E610, E611, E619) ने काम करना बंद कर दिया क्योंकि सही से देखभाल नहीं हो रही थी।
  • 1982 में इन टेंकों के कूलिंग सिस्टम को खर्च कम करने के कारण हटा लिया गया था। टेंकों में क्षमता से अधिक मिथाइल आइसोसाइनेट भरा हुआ था।
  • 2 दिसंबर 1984 को पानी से सफाई करते समय टेंक नंवर E610 में पानी प्रवेश कर गया। पानी के साथ MIC ने रासायनिक प्रक्रिया प्रारंभ की जिसकी वजह से टेंक के अंदर भारी दबाव उत्पन्न हुआ। फलस्वरूप MIC रिसाव की घटना प्रारंभ हो गई।
  • रात को 11 बजे के बाद टेंक में दबाव बढ़ने लगा था। वाल्व खराब होने की वजह से रिसाव तेजी से बढ़ने लगा। 12:15 पर चेतावनी की सूचना का सायरन बजा, हालांकि बाहर के चेतावनी सायरन को नहीं बजाया गया। कुछ ही मिनट में यह गैस आस-पास के लगभग 8 किमी तक क्षेत्र में फैल गई।
  • रात का समय और ठण्ड का मौसम होने के कारण लोग सो रहे थे इस वजह से लोगों को जब तक समझ में आता तब तक बहुत लेट हो चुका था। लोगों का दम घुटने लगा, त्वचा में जलन होने लगी, लोग घरों से बार भागे और तालाबों और कुओं में कुदने लगे जिसका पानी तेजाब बन चुका था।
  • कुछ ही घंटो में तीन हजार से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी थी हालांकि गैर सरकारी आंकड़ों के हिसाब से यह संख्या तीन गुना थी।
  • जब लोग अस्पताल पहुँचे तो डॉक्टरों को भी नहीं पता था कि आपदा का इलाज कैसे किया जाये। अस्पतालों में लोग हर जगह गिर-मर रहे थे, इतनी अमानवीय घटना हो रही थी। मोटे तौर पर अनुमान लगाया गया। पहले दो दिन में 50 हजार लोगों का इलाज करने के बावजूद हजारों लोगों की मृत्यु हो चुकी थी।
  • हादसे के बाद जो लोग बचे भी वह अंधेपन, सिंर चकराने और त्वचार संबंधी बीमारियों की चपेट में आ चुके थे।
  • सुबह के समय हर तरफ लाशें थी और दृश्य आजाद भारत का सबसे खतरनाक रूप धारण कर चुका था।
  • हादसे में करीब साढ़े पांच लाख लोग सीधे प्रभावित हुए, जबकि उस समय भोंपाल की जनसंख्या ही साढ़े आठ लाख के आस-पास थी।
  • इस काण्ड से पीडित लोगों के जो बच्चे हो रहे हैं वह भी शारिरिक विकलांगता का शिकार है।

भारत नेपाल संबंध को कैसे खराब कर रहा है चीन ?

  • नेपाल, भारत का एक महत्वपूर्ण पड़ोसी देश है और दोनों के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और विदेशी संबंध भी महत्वपूर्ण एवं प्रगतिशील रहे हैं।
  • दोनों देशों के लोग धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से एक दूसरे के साथ जुड़ाव महसूस करते हैं। दोनों देशों की हिन्दू आबादी एक दूसरे के धार्मिक स्थानों को एक समान महत्व प्रदान करती है। बुद्ध का जन्म स्थान लुम्बिनी नेपाल में है तो उनका निर्वाण स्थान कुशीनगर, भारत में स्थित है, जिसके कारण बौद्ध धर्म भी दोनों देशों के बीच जुड़ाव का एक प्रमख कारण बन जाता है।
  • भारत ने आजादी के बाद अपने पड़ोसियों को खास महत्व दिया और इसी के तहत दोनों देशों के बीच वर्ष 1950 में भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि पर हस्ताक्षर किया गया। यह संधि दोनों देशों के बीच के लोगों और वस्तुओं की मुक्त आवाजाही और रक्षा एवं विदेशी मामलों के बीच घनिष्ठ संबंध तथा सहयोग की अनुमति देता हैं इसके माध्यम से भू-आबद्ध (Land-locked) नेपाल को कई विशेषाधिकार देता है जिसमें वह भारत से हथियार भी खरीद सकता है।
  • दोनों देशों के बीच 1850 किलोमीटर से अधिक लंबी साझा सीमा है जो सिक्किम, पंश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से जुड़ी है। दोनों देशों के बीच 98 प्रतिशत सीमा क्षेत्र पर आपसी सहमति भी है।
  • भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट में नेपाल के पहाड़ी इलाकों के युनाओं को भर्ती किया जाता है। अपसी सैन्य सहयोग को मजबूत करने के लिए सूर्य किरण नाम से संयुक्त अभ्यास आयोजित किया जाता है।

नेपाल-चीन की तरफ क्यों जा रहा है?

  • नेपाल में एक वर्ग ऐसा है जो चीन की तरफ शुरू से झुकाव रखता अया है और भारत के बराबर चीन को भी महत्व देना चाहता है।
  • नेपाल ने वर्ष 1956 में तिब्बत को चीन का एक हिस्सा मान लिया और 1960 में शांति और मैत्री संधि पर हस्ताक्षर कर किया।
  • नेपाल में नये संविधान का निर्माण और भारतीय सीमा से लगे लोगों के अधिकार की मांग को लेकर दोनों देशों के संबंधों के बीच कड़वाहट आई जो भारत द्वारा 2015 में नेपाल पर एक अनौपचारिक किंतु प्रभावी नाकाबंदी के बाद और बढ़ गई। नेपाल ने भारत पर आरोप लगाया कि भारत नेपाल के आंतरिक मुद्दों में हस्तक्षेप करना चाहता है तथा नेपाल को अशांत करना चाहता है। इस अवसर का फायदा चीन ने उठाया और उसने तिब्बत में नेपाल से लगी सीमा खोल दी।
  • नेपाल की राजनीतिक पार्टियों में कई पार्टियों का झुकाव इस समय चीन की ओर बढ़ा है तथा चीन भी हर वह प्रयास कर रहा है, जिससे नेपाल उसके करीब आये।
  • नेपाल की लगभग एक तिहाई जनसंख्या गरीब है, लगभग आधी आबादी निरक्षर है तो साथ ही बेराजगारी भी अधिक है। नेपाल का मानना है कि इन चुनौतियों का समाधान चीन की सहायता से किया जा सकता है। नेपाल एक भू-आबद्ध देश है इसलिए नेपाल की सर्वाधिक महत्व वहीं देश कर सकता है जो उसे सीमा साझा करता हो और बड़ी अर्थव्यवस्था और जिसके साथ उसके संबंध परस्पर लाभकारी हों।
  • चीन यहां चीन-नेपाल आर्थिक गलियारे के माध्यम से बड़ा निवेश कर रहा है, जिससे नेपाल चीन के करीब आया है। नेपाल ने 2017 में चीन की वन बेल्ट वन रोक परियोजना को स्वीकार कर लिया था।
  • चीन ने नेपाल में कई हाइड्रो प्रोजेक्ट और आधारभूत संरचना में निवेश किया है तथा सैन्य क्षमता से भी उसे मजबूत करने का आश्वासन दिया है।

हाल के समय में भारत-नेपाल संबंध-

  • उत्तराखंड के धारभूत को लिपुलेख दूर्रे से जोड़ने वाली सड़क को लेकर विवाद बढ़ा है।
  • भारत द्वारा द्वारा जारी किये गये गये मानचित्र पर नेपाल ने आपत्ति दर्ज की।
  • नेपाल ने नया मैप जारी कर उत्तराखंड के कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को अपना हिस्सा बताया है।
  • भारतीय फिल्मों ने नेपाली महिलाओं और नेपाल के लोगों को चौकीदार प्रस्तुत करने पर नेपाल ने आपत्ति प्रकट की।
  • नेपाल भारत पर बिग ब्रदर (Big Brother) की छवि को उठाता रहा है।
  • नेपाल ने हाल ही में भारत से सीमा पर अपनी चौकियों की संख्या तथा वहां पर सैनिकों की तैनाती बढ़ाने की घोषणा की।

हालिया घटनाक्रम क्या है?

  • कुछ समय पहले नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न हो गई थी समाधान जिसके समाधान में चीन की नेपाल में अंबेसडर Hou Yangi ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा वहां की सत्तारूढ़ सरकार को गिरने से बचाया था। यह प्रत्यक्ष राजनीतिक हस्तक्षेप का नवीन उदाहरण था।
  • हाल ही में चीनी रक्षा मंत्री ने नेपाल की यात्रा की और दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को बढ़ाने तथा मजबूत करने प्रशिक्षण एवं छात्र विनियम कार्यक्रमों को पुनः शुरू करने जैसे मुद्दे पर द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
  • चीन नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार का दर्जा भारत से छीनना चाहता है इस वजह से चीन कई प्रकार को व्यापार प्रोत्साहन नेपाल को दे रहा है।
  • चीन के साथ नेपाल की बढ़ती निकटता भारत के लिए ठीक नहीं है क्योंकि इससे दक्षिण एशियाई देशों का नेतृत्व के हाथ से चीन के पास जा सकता है।
  • भारत-चीन तनाव को दिशा-निर्देशित करने में भी नेपाल का महत्त्व ज्यादा है।
  • भारत की आंतरिक और वाह्य सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी नेपाल का भारत से दूर जाना ठीक नहीं है।