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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 01 February 2020

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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 01 February 2020



भारत ब्राजील संबंध

  • हाल ही में भारत के 71वें गणतंत्र दिवस के मौके पर ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सानारो ने मुख्य अथिति के रूप में शिरकत की। ध्यातव्य है कि पी. एम. मोदी ने पिछले साल नवंबर ब्रिक्स के ब्राजीलिया सम्मेलन में ही राष्ट्रपति बोल्सानारों को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था। इससे भारत ब्राजील संबन्धों में और प्रगाढ़ता आने की उम्मीद है।

भारत ब्राजील संबंन्धों की पृष्ठभूमि

  • भारत ब्राजील का एक दूसरे परिचय एवं सम्बन्ध 1500 ई. से है, दरअसल भारत का राज्य गोवा पुर्तगाल का उपनिवेश था ऐसे में पुर्तगाल से गोवा तक लम्बी यात्रा के बीच में ब्राजील ठहराव का केन्द्र था।
  • इस दौरान दोनों देशों के बीच कृषि उत्पाद एवं मवेशी का आयात निर्यात होता था।
  • एक स्वतंत्र एवं संप्रभु देश के रूप में भारत- ब्राजील का औरचारिक सम्बन्ध 1948 में हुआ।
  • 3 मई 1948 को रियो.डि.जेनेरियों में भारत का दूतावास स्थापित हुआ।
  • शीतयुद्ध के समय दोनों देशों के बीच सम्बन्ध बहुत अच्छे नहीं थे।
  • 1961 में भारत द्वारा गोवा को अपने में मिला लेने से ब्राजील ने आपत्ति जताई थी और पुर्तगाल का साथ देते हुए भारत पर अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था।

भारत-ब्राजील में समानताएँ क्या क्या है ?

  • दोनों भाषाई, धार्मिक एवं सांस्कृतिक रूप से विविधतापूर्ण हैं।
  • दोनों विकासशील देश की श्रेणी में आतें हैं।
  • दोनों अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के लोकतंत्रिकरण के पक्ष में है, तथा UNSC में सुधार के पक्षधर हैं।
  • जहां ब्राजील जनसंख्या की दृष्टि से दुनिया में 5 वें स्थान पर है तो भारत का स्थान दूसरा है।
  • दोनों देश ब्रिक्स, G-20, G-4 IBBA ( India- Brazil, South Africa, Dialogue Forum) UN, WTO, UNESCO, WIPO जैसी संस्थाओं संगठनों के सदस्य हैं।

द्वीपक्षीय सम्बन्धों के क्षेत्र

  • वाणिज्य व्यापार
  • दोनों देशों के आपसी द्विपक्षीय व्यापार में पिछले 2 दशकों में वृद्धि हुई है, जहाँ 2015 में आपसी द्विपक्षीय व्यापार 7.9 बियिन डॉलर था तो वहीं 2018 में 8.2 बिलियन डॉलर था।
  • 2018-19 में भारतीय कम्पनियों ने ब्राजील में फार्मास्युटिकल, ऊर्जा, कृषि- व्यापार आदि क्षेत्रों में 6 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, हालांकि भारत में ब्राजील की कम्पनियों का निवेश कम रहा है जो भविष्य में बढ़ने के आसार है।
  • 25 जनवरी 2020 को भारत ब्राजील के बीच 15 समझौते
  • लैटिन अमेरिका के साथ सम्बन्धों को और आगे ले जाने के लिए दोनों देशों ने बहुस्तरीय एक्शन प्लान तैयार किया है।
  • इसके अलावा रक्षा, जैव, ऊर्जा, प्राकृतिक गैस, निवेश प्रोत्साहन, कानूनी सहयोग, जिनोमिक्स, साइबर सिक्यूरिटी तथा स्वास्थ समेंत 15 क्षेत्रों में समझौता किया गया।
  • इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 तक द्विपक्षीय व्यापार को 15 अरब डॉलर पहुँचाने का लक्ष्य रखा है।
  • ध्यातव्य है, कि 2023 दोनों देशों के सम्बन्धों का प्लेटिनम जुबली (75)वर्ष है।
  • रक्षा क्षेत्र
  • रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास तथा सैन्य प्रशिक्षण हेतु दोनों देशों में 2003 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था।
  • 2007 में भारत ने ब्राजील में अपने दूतावास में डिफेंस बिंग की स्थापना की थी, वहीं ब्राजील ने नई दिल्ली स्थित अपने दूतावास में 2009 में एक डिफेंस बिंग की स्थापना की थी।
  • सांस्कृतिक क्षेत्र
  • ब्राजील में भारतीय नृत्य भरतनाट्यम, ओड़िसी, कुचिपुड़ी कथक, संत्रिया समेंत कई नृत्य पसन्द किये जाते हैं, इसके अलावा रामकृष्ण मिशन, भक्ति बेदांत दर्शन इस्काॅन संस्था आदि की भी वहां मौजूदगी है।
  • चुनौतियां
  • फरवरी 2019 में ब्राजील, आस्ट्रेलिया समेंत कई देश मिलकर भारत द्वारा अपने किसानों को दी जा रही गन्ने पर सब्सिडी की शिकायत WTO में की थी, और इसे अन्तर्राष्ट्रीय नियमों के विरूद्ध बताया था।
  • 2009 में भारत के विरोध के बावजूद ब्राजील ने पाकिस्तान को 100 MAR- 1 एण्टी विकिरण मिसाइल दिया था।
  • जहाँ एक ओर भारत प्रबल रूप से पर्यावरण हितैषी है तो वहीं ब्राजील अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टस् को प्रायः खारिज कर देता है। यहाँ तक की ब्राजील पर उसकी प्री एग्री बिजनेस की नीति के चलते वहाँ के अमेंजन के जंगल के उन्मूलन में सहयोग का आरोप लगता है।

इस प्रकार उक्त बिन्दुओं के विश्लेषण के आधार पर यह कहा जा सकता है, कि कई मुद्दों पर दोनों देशों के मत भिन्न-भिन्न जरूर है, किन्तु दोनों लेाकतंत्र, बहुपक्षीयता , बहुध्रुवीय विश्व के समर्थक हैं, जिस कारण सम्बन्धों को और आगे ले जाने की पर्याप्त संभावना है, और उम्मीद किया जा सकता है कि जब दोनों देश 2048 में अपने सम्बन्धों की शताब्दी वर्ष मनायेंगे तो ऑल वेदर फ्रेंड के रूप में स्थापित हो चुके होंगे।

नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 एवं संबंधित विवाद

हाल ही में युरोपीय संघ की संसद में एक संकल्प पेश करके भारतीय कानून नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को मुस्लिम के साथ भेद भाव वाला कानून बताया, हालांकि यूरोपीय संघ आयोग ने कहा की यह संकल्प राजनीतिक दलों की व्यक्तिगत मत है, यह यूरोपीय संघ की अधिकारिक घोषण नहीं है।

क्या है नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019

  • दिसम्बर 2019 को संसद में इस विधेयक को मंजूरी दी जिसमें निम्न प्रावधान किये गये हैं।
  • अफगानिस्तान, पाकिस्तान एवं बाग्लादेश से आये हिन्दु, सिख, जैन, पारसी ईसाई बौद्ध समुदायों को 11 वर्ष की बजाय 5 वर्ष भारत में गुजारने पर उन्हें नागरिकता दे दी जायेगी।
  • ध्यातव्य है कि यह नागरिकता उपरोक्त 6 समुदायों को उक्त तीनों देशों में अल्पसंख्यक तथा इनपर धार्मिक उत्पीड़न किया गया है।
  • इन 6 सम्प्रदायों के प्रवासियों को विदेशी अधिनियम 1946 तथा पासपोर्ट अधिनियम 1920 का सामना नहीं करना पड़ेगा।
  • किसी अन्य कानून के उल्लंघन पर सरकार ओ.सी.आई. अर्थात विदेशी नागरिकता कार्ड धारकों के पंजीकरण को रद्द कर सकती है।
  • इस कानून पर अलग.अलग समीक्षकों की अलग अलग राय है इसलिए हमें इसके पक्ष एवं विपक्ष को जान लेना जरूरी है।

कानून के विपक्ष में तर्क

  • यह प्राय अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है क्योंकि अनुच्छेद भारत के राज्य में सभी व्यक्तियों को विधि के समक्ष समता एवं विधियों का समान संरक्षण प्रदान करता है।
  • इसमें श्री लंगा के तमिल म्यांमार के रोहिंग्या, पाकिस्तान के शिया एवं अहमरिया समुदाय को शामिल नहीं करता जबकि ये समुदाय वहाँ अल्पसंख्यक हैं तथा धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होते हैं।
  • यह कानून केवल धार्मिक उत्पीड़न की बात करता है, जबकि पड़ोसी देशों में सामाजिक एवं राजनैतिक आधार पर भी शोषण होता है जैसे नेपाल के मधेशी समुदाय के साथ।
  • बांग्लादेश से असम में आये ऐसे शरणार्थी जो NRC से भी बाहर हो गये हैं, किन्तु यदि वे इन 6 समुदायों से सम्बन्ध रखते हैं, तो उन्हें नागरिकता मिल जायेगी जिससे स्थानीय असमिया संस्कृति का क्षरण होगा।
  • धर्म के आधार पर नागरिकता से समाज को ध्रुवीकरण होगा, क्योंकि सांप्रदायिकता की आग में भारत जल चुका है, और अंततः भारत विभाजन भी हुआ है।
  • ओ.सी.आई के पंजीकरण को रद्द करने के आधार पर बहुत स्पष्ट नहीं किया गया है।

कानून के पक्ष में तर्क

  • कानून में शामिल तीनों देशों में इन 6 सम्प्रदायों के साथ धार्मिक उत्पीड़न होता है, यहाँ की इन सम्प्रदायों की महिलाओं के साथ दुष्कर्म धर्म परिवर्तन आदि खबरें हमेशा आती रहती हैं।
  • इन 6 समुदायों को अपने आप को भारतीय मूल बताने के अनुसार देशीयकरण की लम्बी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था।
  • भारत सदियों से सताये हुए को शरण देता हुआ आया है, जैसा की स्वामी विवेकानंद ने अपने शिकागों के सम्बोधन में भी कहा था।
  • यह कानून भारतीय संविधान के मूल्यों तथा महात्मा गांधी के दर्शन के अनुकूल हैं।
  • हम जानते हैं कि पाकिस्तान में हिन्दुओं में दलित ज्यादा हैं ऐसे में उन्हे नीचे के काम जैसे सफाई करना आदि ही दिया जाता है, जैसा की एक संशोधन के दौरान पाकिस्तानी पी.एम. ने कहा था कि - "सभी दलित यदि पाकिस्तान से चले जायेंगे तो पाकिस्तान की सफाई कौन करेगा।"
  • यह कानून अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता क्योंकि वह संसद को रीजनल क्लासीफिकेशन के आधार पर कानून बनाने का अधिकार दता है।
  • इसमें इनर लाइन परमिट तथा उत्तर पूर्व के त्रिपुरा अरूणांचल प्रदेश, मिजोरम, नागालैण्ड, मणिपुर तथा मेंघालय क कुछ हिस्सों समेंत सभी अनुसूची 6 के क्षेत्रों को इस कानून से छूट दिया गया है।
  • जैसा कि हम जानते हैं कि नागरिकता संसोधन कानून, नागरिकता अधिनियम 1955 को संशोधित करके बनाया गया है, ऐसे में नागरिकता अधिनियम 1955 तथा इसनें समय समय पर हुये संशोधन को भी संक्षिप्त में जान लेना जरूरी है।
  • संविधान में अनुच्छेद 5-11 तक नागरिकता से संबंधित प्रावधान दिये गये हैं। अनुच्छेद 11 संसद को नागरिकता का आधार तय करने तथा इसमें संबंधित प्रावधानों को सुनिश्चित करने का अधिकार देता है, इसी अनुच्छेद (Art-11) से शक्ति प्राप्त करते हुये संसद में नागरिकता अधिनियम 1955 पारित किया। जिसमें निम्न प्रावधान शामिल किये गये हैं।
  1. जन्म के आधार पर नागरिकता
  2. वंश के आधार पर नागरिकता, रक्त के आधार पर नागरिकता
  3. पंजीकरण के आधार पर नागरिकता
  4. क्षेत्र समविष्टी के आधार पर नागरिकता

नागरिकता अधिनियम 1955 में कब कब संशोधन किया गया-

  • इस कानून में 1957, 1960 समेत कई बार संशोधन किया गया जिसमें से कुछ निम्न लिखित हैं।
  • 1986- नागरिकता पाने के लिए अवैध प्रवासियों को निर्धारित प्रारूप में भारतीय वाणिज्य दूतावास के साथ पंजीकृत होना अनिवार्य होगा।
  • 1992- यह सुनिश्चित किया गया कि भारत से बाहर जन्में किसी व्यक्ति को वंश एवं परम्परा के आधार पर नागरिकता दिया जाये। साथ ही माता के भारतीय नागरिक होने पर बच्चे को नागरिकता प्रदान की गयी जबकि मूल कानून में केवल पिता के नागरिकता पर ही बच्चे को नागरिकता मिल सकता था।
  • 2003- 16 देशों में बसे भारतीय मूल के लोगों को उनकी विदेशी नागरिकता के साथ ही भारत की ओवरसीज नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया गया।
  • 2005- विकसित देशों में भारतीय मूल के लोगों को भारतीय नागरिकता योजना के तहत उन्हें नागरिकता देने का प्रयास किया गया।
  • 2015- इसमें प्रवासी भारतीयों के लिए नियमों को उदार बनाया गया, इससे भारतीय नागरिकों के ओ. सी. आई. नाबालिग बच्चों को प्रवासी भारतीय नागरिक के तौर पर पंजीकरण का प्रावधान किया गया।
  • 2019- इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश, तथा अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक अर्थात हिन्दु, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई, बौद्ध को 11 वर्ष की बजाय 5 वर्ष ही भारत में गुजारने पर नागरिकता दी जा रही है, इसका आधार वहाँ पर हो रहे धार्मिक उत्पीड़न को बताया है।

क्या CAA का NRC तथा NPR से सम्बन्ध है ?

  • NRC असम समझौता के तहत अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने की एक प्रक्रिया है, जबकि CAA नागरिकता देने का प्रावधान करता है, लेने का नहीं, अतः CAA का NRC से संबंध जोड़ना तर्कहीन प्रतीत होता है।
  • NPR देश में रह रहे सभी व्यक्तियों का एक लेखा. जोखा है, जिसके आधार पर सरकार अपनीन नितियां बनाती है उदाहरण स्वरूप मान लिजिए कि उत्तर प्रदेश के कुछ परिवार स्थाई रूप से गुजरात में रह रहे हैं, चूंकि उनकी मातृ भाषा हिन्दी है, ऐसे में सरकार को NPR के माध्यम से यदि यह पता होगा कि गुजरात हिन्दी मातृभाषा के परिवार रहते हैं तो गुजरात सरकार केन्द्र सरकार वहां पर हिन्दी भाषी स्कूल खोल सकेगी, ऐसी ही व्यवस्था पूरे देश में की जा सकेगी।
  • अतः अधिकारिक रूप से CAA का NPR तथा NRC से कोई संबंध नही है।

विभिन्न वैश्विक संस्थाओं एवं अन्य देशों की CAA पर मत

  • संयुक्त राष्ट्र - यह कानून भेदभाव वाला है किन्तु यह भारत का आंतरिक मुद्दा है।
  • यूरोपीय संघ आयोग- यह भारत का आंतरिक मामला है, हालांकि कुछ सांसदो ने यूरोपीय संघ के संसद में CAA के विरूद्ध एक संकल्प प्रस्तुत किया है।
  • रूस फ्रांस, USA - यह भारत का आंतरिक मामला है, यह भारत अपने ढ़ग से हल करे।
  • मलेशिया, तुर्की, पाकिस्तान- इन तीनों देशों ने इस कानून को भेदभाव वाला बताया है, मलेशिया ने तो यहाँ तक कह दिया कि भारत को अपने आप को धर्मनिरपेक्ष कहना छोड़ देना चाहिए। चीन भी इसे भारत का आंतरिक मामला मानता है।
  • मुस्लिम सहयोग संगठन (DIC)- CAA, NRC, बाबरी मस्जिद, 370 जैसी घटनाओं पर हम नजर बनाये हुये हैं, किन्तु भारत को इसे शांतिपूर्वक हल करना चाहिए।

अतः इस प्रकार उक्त विश्लेषण के आधार पर हम कह सकते हैं कि भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता शोषितों वंचितों को शरण देती आयी है, चाहे हम शक् , कुषाण, हुण, आदि को देखें या आधुनिक काल में इंदिरागांधी सरकार द्वारा 1971 में बांग्लादेश से आये शरणार्थियों को नागरिकता के रूप में देखें अतः CAA इसके अनुकूल है एवं इसे पोषित करता है।