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Blog / 11 Apr 2019

(Video) पूर्वोत्तर विशेष (North East Special) नागालैंड : कला और संस्कृति (Nagaland : Art and Culture)

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(Video) पूर्वोत्तर विशेष (North East Special) नागालैंड : कला और संस्कृति (Nagaland : Art and Culture)


सन्दर्भ:

नागालैंड... भारत का ऐसा इलाका जो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है। अटखेलियां करती सूरज की किरणें पूर्वोत्तर के इन राज्यों में सबसे पहले पहुँचती हैं। गगन चूमती पहाड़ियां यहां आने वाले किसी भी सैलानी को मंत्रमुग्ध कर सकती हैं। एक ज़माने में अंग्रेज़ों के छक्के छुड़ा देने वाला ये राज्य ख़ूबसूरत पहाड़ियों और यहां बहने वाली नदियों के मधुर संगीत से गुलज़ार रहता है। हिमालय की तराई में बसा ये इलाक़ा प्राकृतिक सौन्दर्य, रोचक इतिहास और अदभूत संस्कृति से भरपूर है।

पूर्वोतर विशेष के अपने खास प्रोग्राम इस बार हम आपको नागालैंड ले चलेंगे और बताएंगे कि क्या है इस राज्य की विशेषता और क्या है यहां की कला और संस्कृति

नगा जनजाति के लोग मंगोल प्रजाति से ताल्लुक रखते है। क़रीब बारहवीं-तेरहवीं शताब्‍दी के आस पास ये जनजातियां असम के अहोम लोगों के संपर्क में आईं । ये जनजातियां अपने संस्कृति को लेकर काफी सतर्क थीं। इसलिए असम में आने के बावजूद भी इन लोगों के रहन-सहन पर कोई विशेष अंतर नहीं आया। अंग्रेज़ों के भारत में आने के बाद भी नागालैंड कई वर्षों तक आज़ाद रहा। लेकिन उन्‍नीसवीं शताब्‍दी में अंग्रेजों ने नागालैंड को भी ब्रिटिश शासन के अधीन कर लिया। हलांकि अंग्रेज़ योद्धाओं की भूमि कहे जाने वाले नागालैंड पर भारत के दूसरे इलाकों की तरह शासन नहीं कर पाए। भारत को आज़ादी मिलने के बाद 1957 में नागालेंड पहले केंद्र शासित राज्य बना और फिर 1 दिसंबर 1963 को इसे 16 वे राज्य के तौर पर मान्यता दे दी गई।

नागालैंड पूर्वोतर में बसा ख़ूबसूरत पहाड़ियों वाला राज्य है। इसकी सीमाएं पूर्व में म्‍यांमार, उत्‍तर में अरूणाचल, पश्चिम में असम और दक्षिण में मणिपुर से मिलती हैं। नागालैंड का क्षेत्रफल 16,579 वर्ग कि.मी. हैं। असम घाटी की सीमा से लगे क्षेत्र के अलावा इस राज्‍य का ज़्यादातर इलाका पहाड़ी है। नागालैंड की सबसे ऊंची पहाड़ी सरमती है जिसकी ऊंचाई क़रीब 3,840 मीटर है। सरमती पहाड़ी नागालैंड और म्‍यांमार को एक प्राकृतिक सीमा रेखा के रूप में अलग करती है।

नागालैंड में क़रीब 16 से अधिक जनजातियां रहती हैं। नागालैंड की प्रमुख जनजातियां में अंगामी, आओ, चाखेसांग, चांग, और कुकी जैसी कई अन्य जनजातियां शुमार हैं। नगा जनजाति में काफी विविधता है। नागालैंड में रहने वाली क़रीब 16हों जनजातियों की अपनी अलग अलग कला और संस्कृति है। इसके आलावा थोड़ी थोड़ी दूर पर ही इन जनजातियों की भाषा में बदलाव भी है। नागालैंड की ये जनजातियां आदिवासी बोलियों के आलावा अंग्रेज़ी और हिंदी भाषा का भी इस्तेमाल करती हैं।

नागालैंड की अर्थव्यवस्था मूल रूप से कृषि पर ही निर्भर है। यहां की क़रीब 90 फीसदी जनता खेती के कामों में लगी हुई है। नागालैंड राज्‍य का कृषि क्षेत्र में महत्‍वपूर्ण योगदान है। चावल नागालैंड के लोगों का सबसे प्रिय भोजन है। नागालैंड के कुल क्षेत्र के लगभग 70 प्रतिशत हिस्से पर धान की खेती होती है। यहां पैदा होने वाली फसलों में सबसे ज़्यादा उत्‍पादन चावल का ही है जोकि क़रीब 75 प्रतिशत है। नागालैंड की आधे से अधिक भूमि क्षेत्र पर जंगल हैं। नागालैंड में 'स्‍लेश' और 'बर्न' खेती भी काफी मशहूर है। जिसे हम आप झूम खेती के नाम से जानते हैं। नागालैंड के किसान खेती के लिए पहाडी झरनों का इस्तेमाल करते हैं। नागालेंड में कई वन्‍यजीव अभयारण्‍य और राष्‍ट्रीय उद्यान भी है। ये वन्‍यजीव अभयारण्‍य और राष्‍ट्रीय उद्यान नागालैंड की राजधानी कोहिमा और तुएनसांग इलाकों में मौजूद हैं।

वैसे तो नागालैंड की संस्कृति का कोई लिखित साक्ष्य देखने को नहीं मिलता। लेकिन नागालैंड की ये संस्कृति पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों को मौखिक रूप से मिलती रही है। नागालैंड अपनी कला और सांस्कृतिक विविधता के लिए मशहूर रहा है। संगीत और नृत्‍य नागाओं के जीवन में रचा बसा हैं। वीरता, सुंदरता, प्रेम और उदारता का बखान करने वाले नागाओं के लोकगीत पीढ़ियों से चली आ रही हैं। संगीत और नृत्‍य नागाओं के लगभग सभी उत्‍सवों का महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है। नागालैंड के महत्‍वपूर्ण त्योहारों में - सेकरेन्‍यी, मोआत्‍सु, तोक्‍कू एमोंगा और तुलनी जैसे त्योहार शामिल हैं। इसके अलावा कुमीनागा, रेंगमनागा, लिम, चोंग, खैवा और युद्ध नृत्‍य भी नागालैंड की अलग अलग जनजातियों द्वारा मनाए जाते हैं। इन अवसरों पर नगा जनजाति के लोग नृत्य करते हैं और संगीत जाती हैं।

नवंबर महीने में शुरू होने वाली गुलाबी सर्द नागालैंड को और रोमांटिक बना देती है। क्यूंकि ठंढ की दस्तक के साथ ही नागालैंड के फेस्टिवल ऑफ फेस्टिवल्स हॉर्नबिल की भी तैयारी शुरू हो जाती है। हॉर्नबिल फेस्टिवल के दौरान लोकगीत, नृत्य, और अलग-अलग प्रतियोगिताएं की तरह की कलाओं का भी अनूठा प्रदर्शन देखने को मिलता है। इस मौके पर नागा जनजाति के लोग रंगबिरंगी पोशाग पहने किसी गांव में इकट्ठा होते हैं। जहां ढोल की थाप पर थिरकते कदम, बाज़ारों की रौनक और पकवानों की भीनी खुशबू किसी का भी मन मोहने के लिए काफी है। नागालैंड के इस खास और शानदार फेस्टिवल्स में ज़्यादा से ज़्यादा लोग हिस्सा लेते हैं। जोश और उत्साह से भरे नगा जनजाति के लोग इस मौके पर लोकगीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। दुकानों पर सजे हैंडीक्राफ्ट और हैंडलूम के आइटम्स हॉर्नबिल फेस्टिवल की रौनक को और बढ़ा देते हैं। हॉर्नबिल फेस्टिवल के दौरान बाज़ारों में बेहतरीन कसीदाकारी से बने ख़ूबसूरत हैंडीक्राफ्ट्स मौजूद होते हैं।

हॉर्नबिल फेस्टिवल साल 2000 में भारतीय पर्यटन विभाग की ओर से शुरू किय गया था। नागालैंड की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए हर साल इसे राज्य दिवस यानी 1 दिसम्बर से लेकर अगले कई दिनों तक मनाया जाता है। दरअसल हॉर्नबिल नागा जनजाति का पूजनीय पक्षी है जिसके कारण ही इस त्यौहार का नाम हॉर्नबिल फेस्टिवल है। हॉर्नबिल फेस्टिवल में सिर्फ नागालैंड के ही नहीं इंडिया के खास भी फेस्टिवल्स में शुमार है जिसे देखने के लिए देश-विदेश से भी सैलानी आते रहते हैं।