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Blog / 04 Jan 2020

(Wide Angle with Expert) जलवायु परिवर्तन : सफर COP 1 से COP 25 द्वारा सुनील वर्मा (Climate Change: A Journey From COP 1 to COP 25 by Sunil Verma)

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(Wide Angle with Expert) जलवायु परिवर्तन : सफर COP 1 से COP 25 द्वारा सुनील वर्मा (Climate Change: A Journey From COP 1 to COP 25 by Sunil Verma)


विषय का नाम (Topic Name): जलवायु परिवर्तन : सफर COP 1 से COP 25 (Climate Change: A Journey from COP 1 to COP 25)

विशेषज्ञ का नाम (Expert Name): सुनील वर्मा (Sunil Verma)


जलवायु क्या है?

प्रतिदिन तापमान, आर्द्रता, वायु, वर्षा आदि के रूप में जो वायुमंडलीय परिवर्तन होते हैं उसे मौसम के नाम से तथा मौसम के दीर्घकालिक स्वरूप के औसत को जलवायु कहा जाता है। जलवायु और मौसम में परिवर्तन होता है तो उसे जलवायु परिवर्तन के नाम से जाना जाता है।

मानवीय हस्तक्षेप से जलवायु परिवर्तित कैसे होती है?

मानवीय गतिविधियों के कारण वायुमण्डल में ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में बढ़ोतरी होती है जिससे प्रकृतिक ग्रीनहाउस प्रभाव प्रभावित होता है और ग्रीन हाउस गैसों द्वारा अधिक तापमान का अवशोषण होने से ग्लोबल वार्मिंग एवं क्लाइमेट चेंज की समस्या उत्पन्न होती है।

कैसे हुआ जलवायु परिवर्तन?

  1. औद्योगिक क्रांति एवं औद्योगिकरण
  2. नगरीकरण एवं यातायात के साधनों का विकास
  3. भूमि परिवर्तन एवं वन क्षेत्र में कमी
  4. संसाधनों का अति दोहन

जलवायु परिवर्तन की समस्या के समाधान के लिए वैश्विक प्रयास

  • स्टॉकहोम सम्मेलन 1972

  1. पहला विश्व पर्यावरण सम्मेलन
  2. UNEP का निर्माण
  3. एक ही पृथ्वी का सिद्धांत
  4. UN कांफ्रेंस ऑन - ह्यूमन इनवायरमेंट
  • पृथ्वी सम्मेललन या रियो सम्मेलन 1992

  • अधिकारिक नाम पर्यावरण एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन
  • तीन सिस्टर कंवेशन यहाँ अस्तित्व में आते हैं।
  1. UNFCCC-UN फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज
  2. CBD- कन्वेंशन ऑन बायलॉजिकल डायवर्सिटीज
  3. UNCCD- यूनाइटेड नेसंश कन्वेंशन टू काम्बेट डिजर्टीफिकेशन

UNFCCC-UN यूनाइटेड नेसंश जलवायु परिवर्तन पर फ्रेमवर्क कन्वेंशन

  • रियो सम्मिट के अधिकांस देश इसमें शामिल हो गये।
  • 21 मार्च, 1994 से यह कार्य करने लगा।
  • 197 देशों ने कन्वेंशन को सत्यापित किया है यह COP कहलाते हैं।
  • इसका लक्ष्य- GHG की सांद्रता में कमी रखा गया।
  • भूमिका उत्सर्जन में अलग- अलग इसलिए योगदान भी अलग- अलग
  • वित्तीय एवं तकनीकी सहायता विकासशील देशों को दी जायेगी।
  • COP की प्रथम बैठक- 1995 में बर्लिन में
  • COP की दूसरी बैठक- 1996 में जिनेवा में
  • COP की तीसरी बैठक- 1997 में जापान के क्योटो शहर
  • अंतर्राष्ट्रीय रूप से बाध्यकारी समझौता
  • अपनाया गया 11 दिसम्बर 1997 को
  • प्रभावी हुआ 16 फरवरी 2005
  • 159 देशों ने हस्ताक्षर
  • 6 गैसों के उत्सर्जन में कटौती- CO2 ] CH4 नाइट्रस ऑक्साइड, हाइड्रो फ्लोरो कार्बन, पर फ्लोरो कार्बन, सल्फर हेक्सा फ्लोराइड
  • गैसों के उत्सर्जन स्तर को 2012 तक 1990 के स्तर पर लाने का प्रयास
  • CBDR- कॉमन वट डिफरेंशिएटेड रिसपोन्सबिलिटीज का सिद्धांत
  • देशों को तीन श्रेणियों में विभाजित
  • Annex – 1– OECD के सदस्य देश जिनकी अर्थव्यवस्था संक्रमण से गुजर रही थी, बाल्टिक देश, मध्य एवं पूर्वी यूरोपीय देश
  • Annex – 2– OECD के सदस्य देश लेकिन उनकी अर्थव्यवस्था संक्रमण के दौर से नहीं गुजर रही। विकासशील देशों को वित्तीय सहायता देने की जिम्मेदारी
  • Non Annex – इसमें ज्यादातर विकासशील देश शामिल हैं।
  • उत्सर्जन में कटौती हेतु रणनीति
  1. विकासशील देशों द्वारा उत्सर्जन कटौती प्रतिबद्धता
  2. लचीला बाजार तंत्र- इसके अंतर्गत तीन तरह के तंत्र सम्मिलित थे।
  1. अंतर्राष्ट्रीय उत्सर्जन व्यापार
  2. स्वच्छ विकासतंत्र
  3. संयुक्त क्रियान्वयन
  • इस प्रोटोकॉल की मुख्य अवधि 2012 तक थी, लेकिन 2012 के दोहा सम्मेलन में अवधि को 2020 तक बढ़ा दिया गया।
  • COP-15 – 2009- कोपेनहेगेन- विकसित देशों ने विकासशील देशों पर भी कार्बन उत्सर्जन सम्बंधी वाह्यता निर्धारित करने का प्रयास विकासशील देशों पर किया।
  • विकासशीन देशों ने BASIC (Brazil, South Africa, India, China) नामक संगठन का गठन किया।
  • COP-16- 2010- कानकुन

Green Climate Fund (GCF) पर सहमति

  • COP-17- डरबन जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, 2011
  1. विकसित एवं विकासशील देश सभी एक ही कानून व्यवस्था के अंतर्गत आये
  2. नया समझौता 2020 से लागू हागा तथा इसकी कार्य योजना 2015 तक तैयार कर ली जायेगी।

रियो- 20 सम्मेलनद- वर्ष 2012

  • औरचारिक नाम यूनाइटेड नेशंस कांफ्रेंस ऑन सस्टेनबल डेवलपमेंट
  • हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण पर जोर
  • COP-18 - दोहा -2012
  • क्योटो प्रोटोकॉल को आगे 8 वर्ष तक जारी रखने पर सहमति
  • COP-19- वारसा - 2013
  • सभी देश 2015 तकअपना INDC (Intended National Determined Contribution) घोषित करेंगे।
  • COP-20- लीमा (पेरू)

COP-21 पेरिस-2015

  • CBDR –RC –NC वट डिफरेंशिएटेड रिस्पांसबिलिटिज विद रिस्पेक्टिव कैपबिलिटिज इन लाइट ऑफ नेशनल सर्कमस्टेन्सेज

INDC- Intended Nationally determined Contribution

  • Mitigation (शमन)
  • Adaptation (अनुकूलन)
  • प्रौद्योगिकी विकास एवं हस्तांतरण
  • Adhoc Committee (तदर्थ कमेटी)
  • COP-22 मराकेश (मोरक्को) -2016
  • COP-23 बोंन (जर्मनी)- 2017
  • COP-24 काटोपिस (पोलैण्ड)- 2018
  • COP-25 मैड्रिड (स्पेन) 2019