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Blog / 03 Aug 2019

(इनफोकस - InFocus) भौगोलिक संकेत (जीआई टैग) (Geographical Indication - GI Tag)

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(इनफोकस - InFocus) भौगोलिक संकेत (जीआई टैग) (Geographical Indication - GI Tag)


जीआई (GI)

  • सुर्खियों में क्यों?
  • GI टैग क्या है?
  • GI टैग का विनियमन
  • GI टैग के लाभ

सुर्खियों में क्यों?

  • हाल ही में ओडिशा के रसगुल्ले को जीआई (GI) टैग प्रदान किया गया।
  • रसगुल्ले के लिए जीआई टैग को लेकर पश्चिम बंगाल और ओडिशा के मध्य विवाद चल रहा था।
  • पश्चिम बंगाल के रसगुल्ले को 2017 में ही जीआई टैग प्रदान कर दिया गया था।

GI टैग क्या है?

  • जीआई टैग या भौगोलिक संकेत(Geographical Indication) किसी भी उत्पाद के लिए एक प्रतीक चिन्ह के समान होता है।
  • यह उत्पाद की विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति, विशेष गुणवत्ता और पहचान के आधार पर दिया जाता है।
  • जीआई टैग उस उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी विशेषता को दर्शाता है।
  • किसी उत्पाद के जीआई टैग के लिए आवश्यक है कि “उत्पाद का उत्पादन या प्रोसेसिंग उसी क्षेत्र में होना चाहिए जहाँ के लिए जीआई टैग लिया जा रहा है।”
  • भारत में जीआई टैग को किसी विशेष फसल, प्राकृतिक और निर्मित उत्पादों को प्रदान किए जाते हैं।
  • कई बार जीआई टैग को एक से अधिक राज्यों में पाई जाने वाली फसलों या उत्पादों को प्रदान की जाती है। उदाहरण के लिए- बासमती चावल
  • जीआई टैग के तहत बासमती चावल पर पंजाब हरियाणा दिल्ली हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड इत्यादि राज्य का अधिकार है।
  • भारत में सबसे पहले दार्जिलिंग की चाय को 2004 में जीआई टैग प्राप्त हुआ था।
  • भारत के कुछ महत्वपूर्ण उत्पाद जिन्हें जीआई टैग प्राप्त है- महाबलेश्वर-स्ट्रॉबेरी, जयपुर -ब्लू पोटरी, बनारसी साड़ी, तिरुपति के लड्डू, मध्य प्रदेश के झाबुआ के कड़कनाथ मुर्गा, कांगड़ा की पेंटिंग, नागपुर का संतरा, कश्मीर की पाश्मीना, हिमाचल का काला जीरा, छत्तीसगढ़ का जीराफूल और ओडिशा की कंधमाल हल्दी इत्यादि।

GI टैग का विनियमन

  • औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण हेतु जीआई टैग को पेरिस कन्वेंशन के अंतर्गत बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के रूप में शामिल किया गया था।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीआई टैग का विनियमन विश्व व्यापार संगठन( डब्ल्यूटीओ) के द्वारा किया जाता है।
  • भारत में जीआई टैग का विनियमन वस्तुओं के भौगोलिक सूचक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम 1999 के अंतर्गत किया जाता है।
  • वस्तुओं के भौगोलिक सूचक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 15 सितंबर, 2003 से लागू हुआ था।
  • जीआई टैग का अधिकार हासिल करने के लिए चेन्नई स्थित जी आई डेटाबेस में अप्लाई करना पड़ता है।
  • एक बार जीआई टैग का अधिकार मिल जाने के बाद 10 वर्षों तक जीआई टैग मान्य होते हैं। इसके उपरांत उन्हें फिर रिन्यू कराना पड़ता है।

जीआई टैग से लाभ

  • जीआई टैग किसी क्षेत्र में पाए जाने वाले उत्पादन को कानूनी संरक्षण प्रदान करता है।
  • जीआई टैग के द्वारा उत्पादों के अनधिकृत प्रयोग पर अंकुश लगाया जा सकता है।
  • यह किसी भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित होने वाली वस्तुओं का महत्व बढ़ा देता है।
  • जीआई टैग के द्वारा सदियों से चली आ रही परंपरागत ज्ञान को संरक्षित एवं संवर्धन किया जा सकता है।
  • जीआई टैग के द्वारा स्थानीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में मदद मिलती है।
  • इसके द्वारा टूरिज्म और निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।