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Blog / 05 Jul 2019

(Global मुद्दे) G -20 शिखर सम्मेलन 2019 (G20 Summit 2019)

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(Global मुद्दे) G -20 शिखर सम्मेलन 2019 (G20 Summit 2019)


एंकर (Anchor): कुर्बान अली (पूर्व एडिटर, राज्य सभा टीवी)

अतिथि (Guest): पिनाक रंजन चक्रवर्ती (पूर्व राजदूत), संजय कपूर (वरिष्ठ पत्रकार)

चर्चा में क्यों?

बीते दिनों 28 से 29 जून के बीच जी-20 का 14वां संस्करण जापान के ओसाका शहर में आयोजित हुआ। इस शिखर सम्मलेन में पीएम मोदी, ट्रंप और पुतिन समेत इस ग्रुप के कई देश के नेताओं ने शिरकत किया। इस बार के शिखर सम्मेलन का थीम - 'मानव केंद्रित भविष्य का समाज' रहा।

ओसाका में, भारत के प्रधानमन्त्री मोदी की 9 देशों के राष्ट्र प्रमुखों के साथ आधिकारिक तौर पर द्विपक्षीय वार्ता हुई। साथ ही 8 देशों के प्रमुखों के साथ पीएम मोदी की अनौपचारिक मुलाकात भी हुई जिसमें द्विपक्षीय व वैश्विक मुद्दों पर वार्ता हुई। इसके अलावा उन्होंने तीन बहुपक्षीय बैठकों में भी हिस्सा लिया।

जी-20 घोषणा पत्र में क्या कहा गया?

शिखर सम्मेलन में पारित घोषणा पत्र में कहा गया कि जी-20 मुक्त, पारदर्शी और स्थिर व्यापार एवं पूंजी-निवेश का वातावरण बनाने की कोशिश कर रहा है। दो दिवसीय शिखर सम्मेलन की समाप्ति के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि G-20 भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए व्यावहारिक सहयोग जारी रखेगा।

क्या है G-20?

G-20 बीस देशों का एक समूह है, जिसकी बैठक हर साल अलग-अलग देशों में आयोजित की जाती है। G–20 का गठन सितंबर 1999 में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिहाज़ से किया गया था। साथ ही G–20 ब्रेटन वुड्स संस्थागत प्रणाली की रूपरेखा के भीतर आने वाले अहम् देशों के बीच अनौपचारिक बातचीत और सहयोग को बढ़ावा देने का काम भी करता है। 1997 के पहले एशियाई संकट के बाद दुनिया के कई देशों ने इसकी ज़रूरत महसूस की।

G-20 समिट में सदस्य देशों के प्रमुखों के साथ वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नर्स की भी बैठक होती है। इस बैठक में मुख्य रूप से आर्थिक विषयों पर चर्चा होती है।

जी-20 के सदस्य

जी20 में 19 देश और यूरोपियन यूनियन शामिल हैं। 19 देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, जर्मनी, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका शामिल हैं।

इस बार के जी-20 सम्मलेन के वैश्विक मुद्दे

वैसे तो इस बार के जी-20 का प्रमुख मुद्दा बढ़ते संरक्षणवाद के मद्देनजर विश्व व्यापार व्यवस्था को ध्वस्त होने से बचाना था। लेकिन इसके अलावा जलवायु परिवर्तन, बदलते डिजिटल अर्थव्यवस्था के मद्देनजर वैश्विक व्यापार नियमों को अपडेट करने की ज़रूरत जैसे मुद्दे भी शामिल रहे।

सबसे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता चीन और अमेरिका के बीच हुई। इस बैठक में अमेरिका इस बात पर सहमत हो गया कि वह चीनी सामान पर और शुल्क नहीं लगाएगा। अमेरिका और चीन के बीच आर्थिक और व्यापार वार्ता फिर से शुरू करने पर भी समझौता हुआ।

G-20 में भारत का एजेंडा

भारत ने शिखर सम्मलेन में भगोड़े आर्थिक अपराधियों से निपटने की कड़ी वकालत की है। इसके अलावा भारत द्वारा उठाये गये अन्य मुद्दों में पर्यावरण परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा, पर्यावरण संरक्षण, कृषि, पर्यटन, सामाजिक सुरक्षा के प्रति संरचनात्मक बदलाव और वृद्ध होती आबादी को वित्तीय लाभ प्रदान करना शामिल रहा।

  • सम्मलेन में भारत के शेरपा ने कहा कि भारत वृद्धि के लिये आवश्यक गुणवत्तायुक्त बुनियादी संरचना बनाने पर भी जोर देता रहा है।
  • आपको बता दें कि शेरपा राज्य या सरकार के प्रमुख का व्यक्तिगत प्रतिनिधि होता है जो अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलनों मसलन सालाना G-7 और G-20 की तैयारी करता है।

डिजिटल इकोनॉमी पर ओसाका डिक्लेरेशन से भारत ने बनाई दूरी

भारत ने डिजिटल इकोनॉमी पर ओसाका घोषणा पत्र पर दस्तख़त करने से मना कर दिया है। भारत के अलावा दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया समेत कई अन्य देशों ने भी इस घोषणा पत्र पर दस्तख़त नहीं किया। घोषणा पत्र के समर्थन में ऐसी दलील दी गई कि डिजिटल इकोनॉमी से वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। लेकिन, भारत ने डॉटा-सुरक्षा, डॉटा की जांच पड़ताल और विदेशी कंपनियों पर नियंत्रण जैसी वजहों के चलते इस पर हस्ताक्षर न करने का फैसला किया है। भारत के अलावा चीन ने भी विदेशी सेंध से डॉटा की सुरक्षा को लेकर सख्त नियम बनाएं हैं।

BRICS देशों की बैठक

जी-20 सम्मेलन के दौरान BRICS देशों की भी बैठक हुई। इस बैठक में भारत के प्रधानमन्त्री ने आतंकवाद समेत कई मुद्दों पर को विश्व समुदाय के सामने रखा। इस दौरान, ब्रिक्स नेताओं के संयुक्त वार्ता में कहा गया कि अवैध धन तथा वित्तीय प्रवाह और विदेशी न्यायालयों में फंसे हुए धन वैश्विक चुनौती हैं। ये चुनौतियाँ आर्थिक विकास और सतत विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।

भारत और अमेरिका की द्विपक्षीय बैठक

नवंबर, 2017 के बाद और मोदी के फिर से प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच ये पहली बैठक थी। दोनों नेताओं ने ईरान, 5-जी, व्यापार और रक्षा संबंध जैसे मुद्दों पर बातचीत की। भारत-अमेरिका की द्विपक्षीय बैठक के बाद इसमें जापान भी शामिल हुआ। जिसमें तीनों देशों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र को लेकर चर्चा की। इस त्रिपक्षीय वार्ता के दौरान पीएम मोदी ने जापान, अमेरिका और भारत को 'जय' (JAI) बताया।

G-20 के लिए क्यों अहम है भारत?

  • विश्व बैंक द्वारा पिछले महीने जारी इज ऑफ डूइंग बिजनेस की सूची में भारत के रैंकिंग में सुधार
  • भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
  • भारत एशिया में विकासशील देशों में आगे होने के साथ-साथ एक बड़ा उभरता बाजार है।
  • वैश्विक व्यापार की हालिया संरक्षणवादी नीतियों को देखते हुए दुनिया भारत की ओर रुख कर रही है।

बदलते वक़्त के साथ G-20 की एहमियत

समय के साथ वैश्वीकरण बढ़ता जा रहा है और ढेर सारे मुद्दे दिन-ब-दिन जटिल होते जा रहे हैं। ऐसे में हालिया जी-20 शिखर सम्मेलन ने न केवल व्यापक आर्थिक और व्यापारिक मुद्दों को छुआ है, बल्कि वैश्विक मुद्दों की एक लम्बी फ़ेहरिस्त पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। इन मुद्दों का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव देखने को मिलता है, मसलन विकास, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा, स्वास्थ्य, आतंकवाद, पलायन और शरणार्थी समस्या। G-20 जैसे मंच ने इन वैश्विक मुद्दों को हल करने की दिशा में बेहतर कोशिश की है।

ग़ौरतलब है कि G-20 देशों की अर्थव्यवस्था दुनिया के 90 प्रतिशत उत्पाद, 80 प्रतिशत विश्व व्यापार, दो-तिहाई जनसंख्या और दुनिया के लगभग आधे क्षेत्रफल का हिस्सा है। 2008 में जब दुनिया मंदी की गिरफ्त में आई थी तो जी-20 ने उससे बाहर निकलने में अहम भूमिका निभाई थी।