(इनफोकस - InFocus) क्या है स्वामित्व योजना? (What is SWAMITV Scheme?)
सुर्खियों में क्यों?
बीते 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'स्वामित्व योजना' के अंतर्गत लोगों को प्रॉपर्टी कार्ड्स यानी संपत्ति पत्रक वितरित किया. प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम का शुभारंभ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया. शुभारंभ के दौरान एक लाख लोगों को उनका प्रॉपर्टी कार्ड मिला, इसके बाद असल कार्ड अब राज्य सरकारें लोगों को बांटेंगी.
महत्वपूर्ण बिंदु
इस योजना के तहत आवासीय भूमि की पैमाइश करने के बाद गांवों की सीमा के भीतर आने वाली हर संपत्ति का एक डिजिटल नक्शा तैयार किया जाएगा। साथ ही, हर राजस्व ब्लॉक की सीमा भी तय होगी। इसका मतलब कौन सा घर कितने एरिया में है, यह ड्रोन टेक्नोलॉजी से सटीकता से मापा जा सकेगा। फिर, गांव के हर घर का प्रॉपर्टी कार्ड राज्य सरकारों द्वारा बनाया जाएगा।
- इस योजना के तहत अगले चार साल में 6 लाख 20 हजार गाँवों को कवर किया जाएगा.
- इस महीने 750 गांवों के 1 लाख लोगों को प्रॉपर्टी कार्ड मिलेगा। हर कार्ड में आधार कार्ड की तरह एक यूनीक नंबर होगा।
- देश भर में लगभग 300 नियमित प्रचालन प्रणाली स्टेशन यानी CORS की स्थापना की जाएगी.
- आवासीय भूमि की पैमाइश ड्रोन तकनीक व CORS के जरिए ही की जाएगी.
- इसका उद्देश्य सटीक भूमि रिकॉर्ड से संपत्ति संबंधी विवादों को कम करने और वित्तीय तरलता को बढ़ावा देना है.
- साथ ही, सरकार द्वारा चलाई जा रही अन्य योजनाओं को बेहतर तरीके से क्रियान्वित करना, राजस्व संग्रह को सुव्यवस्थित और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रोपर्टी राइट्स पर स्पष्टता सुनिश्चित करना भी इसके उद्देश्य में शुमार है.
क्या है स्वामित्व योजना?
केंद्र सरकार की इस योजना को 24 अप्रैल, 2020 को लॉन्च किया गया था। इसी दिन राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जाता है. इस योजना को क्रियान्वित करने के लिए पंचायती राज मंत्रालय को इसका नोडल मंत्रालय बनाया गया है, जबकि राज्यों में योजना के लिए राजस्व/भूलेख विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। ड्रोन का इस्तेमाल करके संपत्तियों का सर्वेक्षण करने के लिए सर्वे ऑफ इंडिया को बतौर नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है।
इस योजना की जरूरत क्यों पड़ी?
मौजूदा वक्त में देश की 60 फ़ीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है। लेकिन ज्यादातर ग्रामीणों के पास अपने घरों के मालिकाना हक के कागज़ात उपलब्ध नहीं हैं।
- ब्रिटिश काल से ही गांवों की खेतिहर ज़मीन का रिकॉर्ड तो रखा गया, लेकिन लोगों को उनका मालिकाना हक सही-सही मिल पाए, इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया और न ही घरों पर ध्यान नहीं दिया गया।
- कई राज्य ऐसे हैं जहां गांवों के रिहायशी इलाकों का सर्वेक्षण और मैपिंग संपत्ति के सत्यापन के लिहाज से नहीं हुआ। इसका परिणाम यह हुआ कि कई घरों के संपत्ति के कागज़ात अब उनके मालिकों के पास उपलब्ध नहीं हैं।
- इसकी वजह से तमाम तरह की समस्याएं पैदा हो गईं, मसलन संपत्ति विवाद, सरकारी योजनाओं का सही क्रियान्वयन न हो पाना और सटीक राजस्व वसूली न हो पाना आदि. इन्हीं समस्याओं से निपटने के लिए 'स्वामित्व' योजना लाई गई।
क्या फायदे होंगे इस योजना के?
इस योजना के जरिए सरकार का प्रयास है कि ग्रामीण भारत में वित्तीय स्थिरता लाया जाए। साथ ही, सरकारी योजनाओं को बनाने के लिए सरकार के पास सटीक लैंड रिकॉर्ड्स उपलब्ध होंगे। योजना से प्राप्त आंकड़ों के जरिए सरकार सर्वेक्षण इन्फ्रास्ट्रक्सर और GIS मैप्स तैयार करेगी, जो किसी भी विभाग द्वारा इस्तेमाल में लाया जा सकता है। संपत्तियों को लेकर मालिकाना हक स्पष्ट होने से प्रॉपर्टी से जुड़े विवाद और कानूनी मामलों में कमी आएगी।
- सरकार के मुताबिक, इस योजना के कई लाभ होने वाले हैं, मिसाल के तौर पर, प्रॉपर्टी के मालिक को उसका मालिकाना हक आसानी से मिल पाएगा और एक बार प्रॉपर्टी स्पष्ट हो जाने के बाद उसके दाम भी आसानी से तय हो पाएंगे।
- इसकी वजह से पंचायती स्तर पर टैक्स व्यवस्था में सुधार होगा। इतना ही नहीं, प्रॉपर्टी कार्ड का इस्तेमाल करके लोग बैंकों से कर्ज भी ले सकेंगे।
- इसके माध्यम से बेहतर सुविधाओं के साथ ग्राम पंचायत विकास योजनाओं को गति दी जा सकेगी.