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Blog / 12 Oct 2020

(इनफोकस - InFocus) क्वाड बैठक 2020 (QUAD Meeting 2020)

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(इनफोकस - InFocus) क्वाड बैठक 2020 (QUAD Meeting 2020)


सुर्खियों में क्यों?

बीते 6 अक्टूबर को जापान की राजधानी टोक्यो में क्वॉड देशों यानी अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के विदेश मंत्रियों की दूसरी बैठक संपन्न हुई. इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने किया.

  • बैठक में भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि क्वॉड के सभी सदस्य नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इस व्यवस्था में क़ानून के शासन, पारदर्शिता, अंतरराष्ट्रीय समुद्रों में नौवहन की स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के प्रति सम्मान और विवादों का शांतिपूर्ण समाधान शामिल होना चाहिए.
  • विदेश मंत्री ने बैठक में चीन का नाम लिए बगैर कहा कि महामारी ने ये जाहिर कर दिया है कि तमाम चुनौतियों को लेकर एक जैसी सोच रखने वाले देशों को अब एकजुट होना चाहिए.

क्या है क्वॉड और इसकी क्या भूमिका होगी?

पिछले कुछ दशकों से, चीन अपने विस्तारवादी सोच और पड़ोसी देशों के प्रति आक्रामक रवैया रखने के लिए बदनाम हो चुका है। इसके अलावा, चीन की सुपर पावर बनने की आकांक्षा दूसरे देशों के मन में कई तरह के सवाल पैदा करती है.

  • शायद यही वजह है कि चीन को प्रतिसंतुलित करने के लिहाज से कई संगठन अस्तित्व में आए हैं और इसी में एक है क्वॉड.
  • क्वॉड यानी 'द क्वॉड्रिलैटरल सिक्‍यॉरिटी डायलॉग' इसके 4 सदस्य देश हैं जिनमें जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत शामिल हैं।
  • हालांकि, इन चारों के देशों के बीच की बैठक को मंत्रिस्तरीय बैठक ही कहा गया है क्योंकि क्वॉड जैसी किसी भी संगठन का आधिकारिक एलान नहीं किया गया है.
  • इसका मकसद हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति बनाए रखना और चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकना है।
  • अभी हाल ही में टोक्यो में संपन्न बैठक क्वाड देशों के समूह की दूसरी बैठक है. इस समूह की पहली बैठक साल 2017 में मनीला में हुई थी, जिसमें इन देशों के राष्ट्र व सरकार प्रमुखों ने हिस्सा लिया था.
  • क्वाड बैठक के पीछे सबसे बड़ी वजह चीन का बढ़ता आक्रामक रवैया और भारत तथा जापान के साथ सीमा विवाद और अमेरिका तथा आस्ट्रेलिया के साथ बढ़ते सामरिक एवं आर्थिक तनाव है.

क्या है हिंद प्रशांत क्षेत्र और इसकी अहमियत?

जैसा कि नाम से ही जाहिर है, हिंद (Indo) यानी हिंद महासागर (Indian Ocean) और प्रशांत (Pacific) यानी प्रशांत महासागर के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर जो समुद्र का एक हिस्सा बनता है, उसे हिंद प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific Area) कहते हैं।

  • यानी हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के सीधे जलग्रहण क्षेत्र में पड़ने वाले देशों को ‘इंडो-पैसिफिक देश’ कहा जा सकता है।
  • इस्टर्न अफ्रीकन कोस्ट, इंडियन ओशन तथा वेस्टर्न एवं सेंट्रल पैसिफिक ओशन मिलकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र बनाते हैं।
  • इसके अंतर्गत एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र दक्षिण चीन सागर आता है।
  • यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे अमेरिका अपना वैश्विक दबदबा बनाए रखने के लिहाज से महत्वपूर्ण मानता है, लेकिन चीन द्वारा इसे चुनौती दी जा रही है।
  • मौजूदा वक्त में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में 38 देश शामिल हैं. यह देश विश्व के सतह क्षेत्र का 44 फ़ीसदी, विश्व की कुल आबादी का 65 फ़ीसदी, विश्व की कुल GDP का 62 फीसदी और विश्व के माल व्यापार का 46 फ़ीसदी योगदान देते हैं।

क्या क्वॉड देशों के बीच आपस में कुछ मतभेद भी है?

क्वाड देशों के बीच कुछ मामलों को लेकर आपसी मतभेद भी है. मिसाल के तौर पर वित्तीय मामलों को लेकर भारत और जापान के बीच रिश्ते घनिष्ठ हैं लेकिन छोटी-छोटी बातों पर मतभेद बाक़ी है. जापान चिकेन निर्यात करना चाहता है.

उसमें भी वो केवल लेग पीसेज़ भेजना चाहता है क्योंकि जापानी लेग पीसेज़ पसंद नहीं करते, वो ब्रैस्ट पीसेज़ पसंद करते हैं. वित्त मंत्रालय ने इस सुझाव को इसलिए रद्द कर दिया क्योंकि इससे भारत की पॉल्ट्री इंडस्ट्री पर बुरा असर पड़ सकता था.

भारत को इससे कितना फायदा होगा?

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को फ़ायदा तब होगा जब वो क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी यानी RCEP में दोबारा शामिल हो जाए. लेकिन इस समूह में जापान और ऑस्ट्रेलिया के अलावा चीन भी शामिल है जिससे भारत को कठिनाई हो सकती है. क्वाड को लेकर भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया इस कोशिश में जुटे हैं और दूसरे देशों खास तौर से आसियान देशों का भी समर्थन हासिल करने की कोशिश की जा रही है.

बता दें कि इस बैठक से पहले अभी पिछले महीने भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के व्यापार व वाणिज्य मंत्रियों ने एक और बैठक की थी. इस बैठक का मक़सद चीन पर आर्थिक और व्यापारिक निर्भरता को कम करने के लिए तीनों देशों के बीच एक सप्लाई चेन बनाने की तैयारी करना था. इस प्रयास को सप्लाई चेन रेज़ीलियन्स इनिशिएटिव यानी SCRI का नाम दिया गया है. इसका मतलब यह हुआ कि क्वाड और SCRI दोनों का संयुक्त रूप से इस्तेमाल चीन पर नकेल कसने के लिए किया जाएगा.