Home > InFocus

Blog / 02 Sep 2020

(इनफोकस - InFocus) जम्मू और कश्मीर में राज्य प्रशासन के नए नियम (New Laws of Administration in Jammu and Kashmir)

image


(इनफोकस - InFocus) जम्मू और कश्मीर में राज्य प्रशासन के नए नियम (New Laws of Administration in Jammu and Kashmir)



सुर्खियों में क्यों?

हाल ही में, गृह मंत्रालय ने जम्मू एवं कश्मीर में राज्य प्रशासन के नए नियमों की एक अधिसूचना जारी की है।

  • इन नियमों में उपराज्यपाल यानी LG और मंत्रिपरिषद की जिम्मेदारियों को स्पष्ट किया गया है।
  • ग़ौरतलब है कि जून 2018 से जम्मू-कश्मीर में कोई मुख्यमंत्री नहीं है।
  • जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के मुताबिक, UTs में परिसीमन का काम पूरा होने के बाद अगले साल नए चुनाव कराये जायेंगे।

केंद्र सरकार की भूमिका

कुछ मामले ऐसे हैं, जिनके बारे में LG द्वारा केंद्र सरकार को पूर्व सूचित करना होगा, मसलन

  • किसी अन्य राज्य, सुप्रीम कोर्ट अथवा किसी अन्य हाईकोर्ट के साथ केंद्र के संबंधों को प्रभावित करने वाले मामले;
  • मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति से जुड़े मामले;
  • जम्मू-कश्मीर की शांति और व्यवस्था को प्रभावित करने की संभावना वाले मामले; और
  • ऐसे मामले जो किसी अल्पसंख्यक समुदाय और SC/BC के हितों को प्रभावित कर सकते हैं।

उपराज्यपाल की शक्तियाँ

पुलिस, कानून व्यवस्था, अखिल भारतीय सेवाएं और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो यानी ACB जैसे विषय सीधे LG के नियंत्रण में रहेंगे.

  • ऐसे विषय, जो जम्मू-कश्मीर की शांति और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए दिक्कत पैदा कर सकते हैं, उनपर किसी भी तरह का आदेश जारी करने से पहले इसकी सूचना मुख्य सचिव के जरिए LG को देना अनिवार्य होगा. साथ ही, इसकी जानकारी मुख्यमंत्री को भी दी जाएगी.
  • अल्पसंख्यक समुदाय, SC/ST और OBC के हितों को प्रभावित करने वाले मामलों को लेकर भी यहीं प्रावधान किया गया है।
  • अगर LG और किसी मंत्री के बीच मतान्तर होता है और 1 महीने के भीतर ये दोनों किसी समझौते पर नहीं पहुंचते हैं तो ऐसी स्थिति में ‘उपराज्यपाल के फैसले को मंत्रिपरिषद द्वारा स्वीकृत’ माना जाएगा।
  • किसी भी मामले में LG और जम्मू-कश्मीर के मंत्रिपरिषद के बीच मतान्तर होने पर, LG द्वारा संबंधित मामले को राष्ट्रपति के पास भेजा जायेगा. इसके बाद, LG उस मामले में राष्ट्रपति के फ़ैसले के मुताबिक काम करेगा।
  • हालांकि ऐसी स्थिति में LG को दिशा-निर्देश जारी करने का अधिकार दिया गया है और राष्ट्रपति द्वारा संबधित मामले पर फैसला लेने तक मंत्रिपरिषद द्वारा की गई कार्रवाई निलंबित रहेगी।

मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की भूमिका

मुख्यमंत्री की अगुवाई में मंत्रिपरिषद, अखिल भारतीय सेवा से इतर अधिकारियों के सेवा मामलों, नए कर लगाने के प्रस्ताव, भूमि राजस्व और सरकारी संपत्ति की बिक्री संबंधी मामलों में फैसले लेगी.

  • इसके अलावा, अनुदान अथवा पट्टे, विभागों एवं कार्यालयों के पुनर्गठन और क़ानूनों के मसौदा से जुड़े फैसले भी मंत्रिपरिषद ही लेगी।
  • ऐसे मामले, जो जम्मू कश्मीर की सरकार और किसी अन्य राज्य सरकार अथवा केंद्र सरकार के बीच विवाद पैदा कर सकते हैं, इसकी सूचना संबंधित सचिव के द्वारा मुख्य सचिव के जरिए LG और मुख्यमंत्री को अतिशीघ्र देनी होगी।

नए नियमों के मायने

जब जम्मू-कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था, उस वक्त फैसला लेने की प्रक्रिया में मुख्यमंत्री सबसे ताक़तवर व्यक्ति होता था। लेकिन नए नियमों के आ जाने के बाद, मुख्यमंत्री का पद महज एक अलंकारिक पद बनकर रह जाएगा।