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Blog / 12 Oct 2020

(इनफोकस - InFocus) भारत-श्रीलंका वर्चुअल वार्ता (India-Sri Lanka Virtual Talk)

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(इनफोकस - InFocus) भारत-श्रीलंका वर्चुअल वार्ता (India-Sri Lanka Virtual Talk)


सुर्खियों में क्यों?

हाल ही में, भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंका के नवनिर्वाचित प्रधान मंत्री श्री महिंदा राजपक्षे के बीच वर्चुअल वार्ता का आयोजन किया गया. श्री राजपक्षे द्वारा श्रीलंका के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद भारतीय प्रधानमंत्री के साथ उनकी यह पहली वर्चुअल मुलाकात है.

महत्वपूर्ण बिंदु

पीएम मोदी ने श्रीलंका से उनके संविधान के 13वें संशोधन को पूर्ण रूप से लागू करने की अपील की. साथ ही, उन्होंने भारत और श्रीलंका के बीच बौद्ध धर्म से जुड़े संबंधों को बढ़ावा देने के लिए 1.5 करोड़ डॉलर की मदद का भी ऐलान किया.

  • भारतीय प्रधानमंत्री ने ये भी उम्मीद जताई कि भारत से आयात की जाने वाली कुछ वस्तुओं पर श्रीलंका द्वारा लगाए गए अस्थायी प्रतिबंध जल्द हटा लिए जाएंगे. इससे देश की अर्थव्यवस्था और लोगों को लाभ पहुँचेगा.
  • इस बातचीत में दोनों देशों ने आतंकवाद-विरोधी सहयोग बढ़ाने, समुद्री सुरक्षा संबंधों को बेहतर करने और व्यापार एवं निवेश संबंधों को मज़बूत करने पर सहमति जाहिर की.
  • भारत ने कोलंबो बंदरगाह पर बनने वाले भारत-जापान इस्टर्न कंटेनर टर्मिनल (ईसीटी) का मुद्दा भी उठाया. इस परियोजना को लागू करने की बात पर भी दोनों देश सहमत हुए हैं.
  • दोनों नेताओं ने मछुआरों की समस्या के बारे में चर्चा की और इस पर मानवीय दृष्टिकोण रखने और द्विपक्षीय रास्तों के ज़रिए इस पर चर्चा करने पर भी सहमति जताई.
  • वार्ता के दौरान श्रीलंका में भारतीय सहयोग से होने वाले कार्यक्रमों पर भी चर्चा हुई. दोनों में ये सहमति बनी है कि हाई इंपैक्ट कम्युनिटी डेवेलपमेंट प्रोग्राम्स को 2020 के बाद पाँच और साल के लिए बढ़ाया जाएगा.

संविधान का 13वां संशोधन क्या है?

श्रीलंका के संविधान का 13वां संशोधन द्वीपीय देश में तमिल समुदाय के लिये सत्ता में भागीदारी की बात करता है।

  • इस संशोधन का मकसद श्रीलंका में नस्लवाद के मुद्दे को हल करना और देश की एकता, संप्रभुता बढ़ावा देना और अधिक स्थायित्व लाना था.
  • लेकिन संविधान का ये संशोधन पूरी तरह से लागू नहीं हो पाया, बल्कि बस एक चुनावी मुद्दा बनकर रह गया.
  • भारत इसे लागू करने के लिये जोर देता रहा है जो 1987 के भारत-श्रीलंका समझौते के बाद लाया गया।

क्यों बढ़ रही है भारत और श्रीलंका के बीच नज़दीकी?

चीन के साथ जारी सीमा विवाद के चलते भारत पहले ही देश के पूर्व, उत्तर और पूर्वोत्तर इलाक़े में अपनी सेना की तैनाती बढ़ा रहा है. पूर्वी लद्दाख के इलाक़े में हुए टकराव के बाद से दोनों देशों में तनाव की स्थिति है. दोनों देशों की तरफ से तनाव कम करने के लिए बातचीत जारी है, लेकिन कोई ठोस उम्मीद नजर नहीं आ रही है.

  • एक तरफ़ जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर चीन पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है तो दूसरी तरफ़ वो नेपाल के साथ अपने संबंध मज़बूत कर रहा है.
  • भारत के दक्षिण में अगर चीन को अपनी स्थिति मज़बूत करनी है तो वहां पर श्रीलंका एकमात्र देश है जहां वो अपनी पकड़ मज़बूत कर सकता है.
  • यही कारण है कि चीन श्रीलंका में निवेश और नज़दीकी, दोनों बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.
  • ऐसे में, दक्षिण में बढ़ रहे चीन के अप्रत्यक्ष खतरे से बचने के लिए भारत को श्रीलंका से नज़दीकी बनाना जरूरी है. हालांकि, भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों के इतिहास में काफी उतार-चढ़ाव रहे हैं.

हर देश हिंद महासागर में अपना दबदबा बढ़ाना चाहता है

हिंद महासागर, यूरोप से लेकर पूर्वी एशिया तक सभी प्रमुख समुद्री संचार गलियारे और बड़े तेल निर्यातक एवं आयातक देशों के बीच संपर्क मार्ग है. विश्व के कुल तेल व्यापार का लगभग 80% व्यापार हिंद महासागर के समुद्री मार्गों के जरिए किया जाता है। इस तरह यह भू-राजनैतिक दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है।

  • ग़ौरतलब है कि विश्व के तेल एवं गैस रिज़र्व का 40% हिस्सा इसी महासागर में स्थित है। इस इलाके में सोना, टिन, यूरेनियम, कैडमियम, कोबाल्ट, निकिल जैसे खनिज भी पाए जाते हैं।
  • भारत की खुद की भौगोलिक स्थिति के लिहाज से यह क्षेत्र भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
  • दरअसल, हमारा देश तीन तरफ से हिंद महासागर के जलीय क्षेत्र से घिरा हुआ है।
  • हम अपने पश्चिम तटीय बंदरगाहों से होकर अफ्रीका, पश्चिमी एशिया, ईरान तथा स्वेज़ नहर के जरिए यूरोप तक और पूर्वी तटीय बंदरगाहों के जरिए ऑस्ट्रलिया और दक्षिण-पूर्वी एशिया तक पहुँच सकते हैं।
  • भारत अपने तेल आयात का 70% से अधिक आयात हिंद महासागर क्षेत्र से ही करता है। जाहिर है कि भारत के लिए हिंद महासागर का सामरिक और आर्थिक दोनों ही महत्व है.