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Blog / 28 Sep 2020

(इनफोकस - InFocus) कितना सुरक्षित है व्हाट्सऐप? (How Safe is WhatsApp?)

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(इनफोकस - InFocus) कितना सुरक्षित है व्हाट्सऐप? (How Safe is WhatsApp?)



सुर्खियों में क्यों?

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जाँच बॉलीवुड में ड्रग्स की जाँच तक जा पहुँची है.

  • इस पूरे मामले में, अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की एक व्हाट्सऐप चैट मीडिया में दिखाई जा रही है.
  • इस चैट में वे कथित तौर पर किसी से ड्रग्स माँगते दिख रही हैं.
  • साथ ही, ये भी कहा जा रहा है कि ये चैट कुछ साल पुरानी है जो डिलीट हो चुकी थी, लेकिन जाँच एजेंसियों ने उसे हासिल कर लिया.

क्या व्हाट्सऐप मैसेज स्टोर करता है?

व्हाट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी के मुताबिक़, कंपनी सामान्य तौर पर यूज़र के मैसेज नहीं रखती. यूज़र के मैसेज एनक्रिप्टेड होते हैं जिसका मतलब है कि एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस तक मैसेज पहुँचने के बीच व्हाट्सऐप या कोई थर्ड पार्टी उसे नहीं पढ़ सकती.

  • लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में व्हाट्सऐप आपकी जानकारी स्टोर, इस्तेमाल और शेयर कर सकता है मसलन किसी क़ानूनी प्रक्रिया के लिए, सरकार की अपील पर और अपने नियमों को लागू करने के लिए आदि.
  • इसके अलावा, अपने किसी नियम या नीति को लागू करने, किसी उल्लंघन की जाँच, धोखाधड़ी या ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि का पता लगाने और सुरक्षा एवं तकनीकी वजह से भी व्हाट्सएप आपकी जानकारी स्टोर कर सकता है.
  • साथ ही, अपने यूज़र्स, व्हाट्सऐप, फ़ेसबुक की कंपनियों के अधिकारों और संपत्ति की रक्षा और उनकी सुरक्षा के लिए भी व्हाट्सएप आप की जानकारी स्टोर कर सकता है.

कैसे सामने आ रही हैं व्हाट्सऐप चैट?

कई बार व्हाट्सऐप में यूज़र ने आर्काइव का विकल्प रखा होता है जिससे उनकी चैट गूगल ड्राइव या फ़ोन की किसी ड्राइव में स्टोर हो जाती है. उन्होंने चैट बैकअप का विकल्प भी रखा होता है जिससे वो चैट फ़ोन में मौजूद होती है. यह डाटा मोबाइल फोन क्लोनिंग या फिर फॉरेंसिक क्लोनिंग के जरिए नए मोबाइल फोन में कॉपी किया जा सकता है। हालांकि, किसी के फ़ोन की क्लोनिंग व्यक्तिगत रूप से नहीं की जा सकती। ऐसा करना ग़ैरक़ानूनी है। लेकिन जांच एजेंसियां उपभोक्ता के मोबाइल डेटा को एक्सेस करने के लिए कानूनी रूप से फॉरेंसिक से मदद ले सकते हैं। इसकी एक कानूनी प्रक्रिया होती है. साथ ही, इन एजेंसियों तक यह डेटा कैसे पहुँचा, ये उन्हें चार्जशीट में बताना पड़ेगा.

  • इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 का सेक्शन-72 के मुताबिक इस क़ानून के तहत अगर किसी व्यक्ति को किसी का इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड, क़िताब, जानकारी, दस्तावेज़ रखने की शक्ति दी गई है और वो उसकी सहमति के बिना किसी और को ये सब दे देता है तो उसे दो साल तक की सज़ा या एक लाख रूपये जुर्माना या दोनों भी हो सकते हैं.
  • एविडेंस एक्ट के सेक्शन-65(बी) के मुताबिक़, व्हाट्सऐप चैट को सबूत के तौर पर कोर्ट में दाखिल किया जा सकता है.
  • इसके साथ जांच एजेंसी को एक हलफ़नामा भी दायर करना होता है कि चैट के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है.
  • हालांकि सिर्फ़ चैट के आधार पर कोई अपराध साबित नहीं किया जा सकता.
  • किसी को दोषी साबित करने के लिए दूसरे प्रमाण भी देने पड़ते हैं.
  • साथ ही, ये भी बताना पड़ता है कि ये चैट किस तरह से जाँच एजेंसी को मिली यानी इस चैट का स्रोत अधिकृत है या अनाधिकृत.

व्हाट्सऐप प्राइवेसी के मामले में कितना सुरक्षित

अगर व्हाट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी को ध्यान से पढ़ा जाये तो पता चलेगा कि जो भी आप जानकारी वहाँ दे रहे हैं, वो पब्लिक जानकारी है और उस पर कोई निजता का अधिकार लागू नहीं होता है. साथ ही,
व्हाट्सऐप को हैक करना भी मुश्किल नहीं है. मिसाल के तौर पर, अगर कोई जासूसी कंपनी यूज़र के व्हाट्सऐप में स्पाईवेयर डाल दे तो यूज़र को पता नहीं चलेगा. जैसे पिछले साल ही ख़बरें थी कि इसराइली कंपनी ने पेगासास नाम का स्पाईवेयर कई व्हाट्सऐप अकाउंट में इंस्टाल कर दिया था और दुनिया भर में इस पर चर्चा हुई थी.

भारत में निजता का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस पुट्टास्वामी बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया मामले में यह स्पष्ट किया था कि निजता का अधिकार हमारा मौलिक अधिकार है. लेकिन इस मौलिक अधिकार के लागू होने में भी कुछ दिक्कतें हैं. मिसाल के तौर पर भारत के पास निजता से जुड़ा कोई विशेष क़ानून नहीं है. यहाँ तक कि डेटा की सुरक्षा संबंधित क़ानून भी नहीं है. ऐसे में, भारत के लिए जरूरी है कि साइबर सुरक्षा और निजता की सुरक्षा का क़ानून लाया जाये और जो सर्विस प्रोवाइडर हैं, उनकी ज़िम्मेदारियों को भी फिर से परिभाषित किया जाये.