(इनफोकस - InFocus) भारत में ड्रग्स की समस्या (Drugs Issue in India)
सुर्ख़ियों में क्यों?
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से बॉलीवुड में ड्रग्स का मसला काफी तेजी से तूल पकड़ता जा रहा है।
- इस मामले के बाद से फ़िल्म और टीवी जगत की कई हस्तियों से नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी NCB ने पूछताछ की।
- इन तमाम पूछताछ के दौरान एक के बाद एक नामी लोगों के नामों का खुलासा होता जा रहा है।
- अभी हाल ही में इस फेहरिस्त में ताज़ा नाम मशहूर कॉमेडियन भारती सिंह का भी जुड़ गया है।
ड्रग्स सेवन का कारण और प्रभाव
मादक पदार्थ एक ऐसा रासायनिक पदार्थ होता है, जो नशेड़ियों द्वारा अपनी शारीरिक और मानसिक कार्यप्रणाली को बदलने के लिये सेवन किया जाता है। ये नशेड़ी बिना डॉक्टर की सलाह के ही इन रासायनिक पदार्थों का सेवन करते हैं। ये पदार्थ इंसान को थोड़ी देर के लिए तनाव मुक्त, हल्का और आनंदित महसूस कराता है।
- एक तरफ जहां नशीले पदार्थों के इस्तेमाल से परिवार में बिखराव और सामाजिक ताने-बाने के टूटने का खतरा पैदा होता है तो वहीं दूसरी तरफ इससे इंसान की कार्य क्षमता और उत्पादकता में गिरावट आती है।
- ड्रग की तस्करी आर्थिक रूप से काफी लाभदायक होती है, और इसकी वजह से इन पदार्थों के अवैध व्यापार को बढ़ावा मिलता है।
- यह तमाम दूसरे अपराधों के बढ़ने का एक कारण भी बनता है।
मादक पदार्थ और भारत
NCRB द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में पिछले 10 सालों में 25,000 से ज्यादा लोगों ने नशीले पदार्थों की लत के असर के चलते आत्महत्या कर ली है।
भारत दुनिया में दो प्रमुख अवैध अफीम उत्पादन क्षेत्रों के बीच में स्थित है। एक तरफ इसके पश्चिम में गोल्डन क्रीसेंट यानी ईरान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान मौजूद है, तो दूसरी तरफ इसके पूरब में गोल्डन ट्रायंगल यानी दक्षिण-पूर्व एशिया मौजूद है। भारत की यह दोनों तरफ की सीमाएं ड्रग तस्करी के लिहाज से काफी संवेदनशील हैं। ड्रग्स माफिया इन दोनों क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर ड्रग्स की स्मगलिंग करते हैं।
ड्रग नियंत्रण से जुड़े क़ानूनी प्रावधान
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 में स्वास्थ्य के लिये नुकसानदायक नशीली दवाओं, मदिरा, ड्रग के औषधीय उपयोग से इतर उपयोग पर प्रतिबंध की बात कही गई है।
- इसके अलावा, संसद ने ड्रग्स पर लगाम लगाने के मकसद से स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 नाम का एक कानून बनाया है।
- इसी कानून के तहत नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो नाम का एक संगठन भी बनाया गया है।
- इसका मकसद मादक पदार्थों की स्मगलिंग या उसके गैर कानूनी उपयोग पर रोक लगाना है।
- इसी कानून की धारा 71 के तहत सरकार को नशीली दवा के आदी लोगों की पहचान, इलाज और पुनर्वास केंद्र की स्थापना करने का अधिकार प्राप्त है।
आगे क्या किया जा सकता है?
आधुनिक जीवन के इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में तनाव और समस्याओं ने इंसान को नशे की ओर धकेलना शुरू कर दिया है। आज की युवा पीढ़ी जो अपनी काबिलियत और रचनात्मकता के बल पर राष्ट्र निर्माण की सीढ़ी बन सकते थे, वे आज गलत संगति या थोड़ी देर की खुशी पाने के चक्कर में जहरीली और नशीली ड्रग्स का शिकार हो रहे हैं।
- वैसे तो सरकार और कानून की तरफ से इस पर लगाम लगाने के लिहाज से कई कदम उठाए गए है, लेकिन इसके अलावा भी तमाम ऐसे उपाय हैं जो किए जा सकते हैं मसलन नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या बढ़ाना।
- नशे की इस समस्या से निपटने के लिए कुछ दूसरे माध्यमों जैसे कि चिकित्सा, योग, मनोवैज्ञानिक संबल आदि का अभी सहारा लेना चाहिए।
- ऐसे राज्यों में जहां ड्रग्स के दुरुपयोग के मामले ज्यादा है, वहां पर प्रभावी और सस्ते पुनर्वास केन्द्रों की स्थापना करनी चाहिए।
- इसके अलावा, हमें व्यापक स्तर पर जन जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है ताकि हम नशे के आदी हो चुके लोगों की मानसिकता में बदलाव ला सकें।
- इन सबसे ऊपर, हमें ड्रग्स के माफियाओं के ऊपर कड़ी लगाम लगाने की जरूरत है।