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Blog / 02 Aug 2020

(इनफोकस - InFocus) एमिसैट : भारत का जासूसी सैटेलाइट (EMISAT : India's Spy Satellite)

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(इनफोकस - InFocus) एमिसैट : भारत का जासूसी सैटेलाइट (EMISAT : India's Spy Satellite)



सुर्खियों में क्यों?

  • भारत और चीन के बीच लद्दाख स्थित एलएसी पर जारी तनाव के बीच पूर्वोत्तर के कुछ इलाको में भारत ने घुसपैठ की आशंका के मद्देनजर चौकसी बढ़ा दी है।
  • इस बीच खबर है कि भारत की डीआरडीओ द्वारा संचालित खुफिया जानकारी जुटाने वाली सैटेलाइट EMISAT हाल ही में तिब्बत के ऊपर से गुजरी थी।
  • इस दौरान इमिसैट ने चीनी सेना यानी पीएलए की पोजिशन्स की जानकारी हासिल कर ली।

क्या है EMISAT?

EMISAT का पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सैटेलाइट है। 436 किलोग्राम वजन वाले किस उपग्रह को इसरो और डीआरडीओ ने मिलकर बनाया है।

  • इस उपग्रह को इसरो द्वारा पीएसएलवी C-45 लांच व्हीकल की मदद से श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से स्पेस में भेजा गया था।
  • इस सैटेलाइट को सन सिंक्रोनस पोलर ऑर्बिट में प्रक्षेपित किया गया था.
  • इसे अंतरिक्ष में भारत की 'आंख और कान' कहा जाता है.
  • विशेषज्ञों का कहना है कि EMISAT को इजरायल के प्रसिद्ध जासूसी उपग्रह 'सरल' की तर्ज़ पर बनाया गया है।
  • करीब 8 सालों की कड़ी मेहनत के बाद वैज्ञानिकों ने एमीसैट को बनाने में सफलता हासिल की थी।
  • इसके ज़रिये सीमा पर दुश्मन की छोटी-छोटी हरकतों पर भी नज़र रखी जा सकती है।

EMISAT की विशेषता

इसमें जमीन पर संचार प्रणालियों, रेडार और अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों से निकले सिग्नल को डिटेक्ट करने की क्षमता है। यानी इस सैटेलाइट से सुरक्षा एजेंसियों को यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि किसी क्षेत्र में कितने मोबाइल फोन और दूसरे संचार उपकरण सक्रिय हैं।

  • जासूसी उपग्रह EMISAT जमीन पर स्थित बर्फीली घाटियों, बारिश, तटीय इलाकों, जंगल और समुद्र की लहरों को बहुत आसानी से नाप सकता है।
  • इसके अलावा एमीसैट के ज़रिये दुश्मन देशों के रडार सिस्टम पर नज़र रखने के साथ ही उनकी लोकेशन को भी आसानी से ट्रैक किया जा सकता है।
  • साथ ही, इस सैटेलाइट की मदद से सीमा पर इलेक्ट्रॉनिक या किसी भी तरह की मानवीय गतिविधि पर भी आसानी से नज़र रखी जा सकती है।
  • एमीसैट की एक और अहम बात ये है कि ये दुश्मन के इलाकों का सही इलेक्ट्रॉनिक नक्शा बनाने की सटीक जानकारी दे सकता है।
  • इस एमिसैट में रेडार की ऊंचाई नापने वाला एक डिवाइस अलटिका लगा हुआ है जिसे डीआरडीओ के प्रॉजेक्ट 'कौटिल्य' के तहत बनाया गया है।

क्या है प्रोजेक्ट 'कौटिल्य'?

ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी के महान कूटनीतिज्ञ चाणक्य यानी कौटिल्य मौर्य शासक चंद्रगुप्त मौर्य के सलाहकार थे।

  • उनका मानना था कि किसी भी बड़े देश में सफलतापूर्व राज करने के लिए गुप्तचरों का प्रभावी नेटवर्क होना बेहद जरूरी होता है।
  • कौटिल्य के इसी विचार के आधार पर भारत सरकार के रक्षा अनुसंधान विकास संगठन ने 'प्रॉजेक्ट कौटिल्य' शुरू किया था।

सन सिंक्रोनस ऑर्बिट

सन सिंक्रोनस ऑर्बिट एक ऐसे तल में स्थित होता है जिससे पृथ्वी और सूर्य के सापेक्ष ऑर्बिट की स्थिति एक निश्चित कोण पर बनी रहती है।