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Blog / 20 Aug 2020

(इनफोकस - InFocus) ब्रिक्स एंटी-ड्रग वर्किंग ग्रुप की चौथी बैठक (4th Meeting of BRICS Anti Drug Working Group)

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(इनफोकस - InFocus) ब्रिक्स एंटी-ड्रग वर्किंग ग्रुप की चौथी बैठक (4th Meeting of BRICS Anti Drug Working Group)



सुर्खियों में क्यों?

  • हाल ही में, ब्रिक्स एंटी-ड्रग वर्किंग ग्रुप की चौथी बैठक का आयोजन किया गया.
  • बैठक की अध्यक्षता रूस ने की और यह पूरी बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संपन्न हुई.

महत्वपूर्ण बिंदु

  • बैठक में भारतीय टीम की अगुवाई नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के महानिदेशक राकेश अस्थाना ने की।
  • इस दौरान ब्रिक्स देशों में मादक पदार्थों की स्थिति, इसकी अवैध तस्करी से जुड़े अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय रुझान और इनकी तस्करी की स्थिति पर तमाम आंतरिक और बाहरी कारकों के प्रभाव जैसे मसलों पर चर्चा की गई।
  • गौरतलब है कि बीते मई महीने में संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध कार्यालय यानी UNODC ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि कोरोना और इसके चलते होने वाले लॉकडाउन की वजह से भी अवैध दवाओं की आपूर्ति पर कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है।

बैठक के अहम निष्कर्ष

  • ब्रिक्स के सदस्य राष्ट्रों के बीच रियल टाइम इनफॉरमेशन शेयरिंग की जरूरत पर जोर दिया गया।
  • साथ ही, समुद्री रास्तों के जरिए बढ़ती मादक पदार्थों की तस्करी पर लगाम लगाने की भी जरूरत बताई गई।
  • इस दौरान भारत ने अवैध दवाओं की तस्करी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले डार्क नेट और आधुनिक तकनीक के ‘दुरुपयोग’ पर प्रकाश डाला।

डार्क नेट क्या है?

इंटरनेट पर तमाम ऐसी वेबसाइटें चल रही हैं जो आमतौर पर इस्तेमाल किये जाने वाले सर्च इंजनों मसलन गूगल, बिंग आदि के ब्राउज़िंग के दायरे से बाहर होती हैं। इन्हें डार्क नेट या डीप नेट के नाम से जाना जाता है।

  • सामान्य वेबसाइटों से अलग यह एक ऐसा नेटवर्क होता है जहां कुछ खास लोग ही पहुंच पाते हैं.
  • इस नेटवर्क तक खास ऑथराइज़ेशन प्रक्रिया, सॉफ्टवेयर और कॉन्फ़िगरेशन के जरिए ही एक्सेस किया जा सकता है।
  • ऐसे वेबसाइटों तक एक्सेस के लिए एक खास किस्म के ब्राउज़र टॉर (TOR) का उपयोग किया जाता है.
  • इसके लिये ऑनियन राउटर (Onion Router) शब्द का भी इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि इसमें सिंगल इनसिक्योर सर्वर से अलग नोड्स के एक नेटवर्क का इस्तेमाल करते हुए परत-दर-परत डाटा का एन्क्रिप्शन होता है। जिससे इसके इस्तेमाल करने वालों की पहचान छिपी रहती है और यह लोग कानून प्रवर्तन एजेंसियों की पहुंच से बच जाते हैं।
  • आम यूजर्स के लिए ऐसे ब्राउज़र का इस्तेमाल करना खतरे से खाली नहीं होता है।
  • इसके जरिए मानव और हथियारों की तस्करी और मादक पदार्थों का व्यापार जैसे गंभीर अपराधों को अंजाम दिया जाता है।

मादक पदार्थों की तस्करी और भारत UNODC की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुस्तान मादक पदार्थों के व्यापार का एक प्रमुख केंद्र है।

  • इसके मुताबिक, भारत में ट्रामाडोल (Tramadol), मेथाफेटामाइन (Methamphetamine) और भांग (Cannabis) जैसे ढेर सारे मादक पदार्थ इस्तेमाल किए जाते हैं।
  • रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की भौगोलिक स्थिति दो अहम अवैध अफीम उत्पाद क्षेत्रों के बीच मौजूद है. इसमें पहला गोल्डन क्रीसेंट (ईरान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान) है और दूसरा स्वर्णिम त्रिभुज (दक्षिण-पूर्व एशिया) है।
  • जहां गोल्डन क्रिसेंट भारत के पश्चिम में मौजूद है तो वहीं स्वर्णिम त्रिभुज इसके पूर्व में मौजूद है.