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Blog / 31 Jan 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) आखिर सरकार क्यों बेच रही है एयर इंडिया को (Why is Indian Government Selling Air India?)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) आखिर सरकार क्यों बेच रही है एयर इंडिया को (Why is Indian Government Selling Air India?)


पूरी तरह कर्ज में डूबी एयर इंडिया की 100% हिस्सेदारी बेचने के लिए सरकार ने कमर कस ली है । सरकार ने हिस्सेदारी बेचने के लिए 17 मार्च तक बोलियां मांगी हैं। 31 मार्च को सरकार योग्य बोलीदाता की घोषणा कर देगी । आपको बता दें की इससे पहले भी सरकार ने 2018 में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की थी लेकिन योग्य बोलीदाता न मिलने की वजह से ये मामला ठन्डे बस्ते में चला गया । इसके मुताबिक सफल खरीदार को एयर इंडिया का प्रबंध नियंत्रण भी सौंप दिया जाएगा। एयर इंडिया एक्सप्रेस के भी 100% शेयर बेचे जाएंगे। एयर इंडिया एक्सप्रेस एयर इंडिया की सहायक कंपनी है, जो सस्ती उड़ानों का संचालन करती है। संयुक्त उपक्रम एआईएसएटीएस में भी पूरी 50% हिस्सेदारी बेचने की योजना है। एआईएसएटीएस, एयर इंडिया और एसएटीएस लिमिटेड के बीच 50-50 फीसदी की साझेदारी वाला संयुक्त उपक्रम है। एयरपोर्ट पर विश्व स्तरीय सुविधाएं देने के उद्देश्य से इसकी शुरुआत की गई थी।

आपको बता दें की साल 2018 में बोली प्रक्रिया के विफल रहने की वजह से , सरकार ने शर्तें आसान कर दी हैं , एयरलाइन पर कुल 60,074 करोड़ रुपए का कर्ज है।

लेकिन नीलामी प्रक्रिया के दस्तावेजों के मुताबिक खरीदार को एयर इंडिया के सिर्फ 23,286।5 करोड़ रुपए के कर्ज की जिम्मेदारी लेनी होगी। । एयर इंडिया को बेचने की 2 साल में यह दूसरी कोशिश है। 2018 में सरकार ने 76% शेयर बेचने के लिए बोलियां मांगी थी, लेकिन कई खरीदार नहीं मिला। इसलिए शर्तें आसान की गई हैं। 2018 की शर्तों के मुताबिक खरीदार को कुल 33,392 करोड़ रुपए के कर्ज की जिम्मेदारी लेनी थी।

बिडिंग के लिए 3500 करोड़ रुपए की नेटवर्थ होना जरूरी

कोई भी प्राइवेट, पब्लिक लिमिटेड कंपनी, कॉर्पोरेट बॉडी या फंड जो कि भारत या भारत के बाहर रजिस्टर्ड हो वह भारतीय कानून के मुताबिक एयर इंडिया के लिए बोली लगा सकेंगे। निजी तौर पर या फिर कंसोर्शियम के जरिए बोली लगाई जा सकेगी। हालांकि बोली लगाने वाले की नेटवर्थ 3500 करोड़ रुपए होना जरूरी है। कंसोर्शियम के जरिए बोली लगाने वालों में शामिल हर हिस्सेदार की नेटवर्थ कम से कम 350 करोड़ रुपए होनी चाहिए।

एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज, एयर इंडिया ट्रांसपोर्ट सर्विसेज, एयरलाइन एलाइड सर्विसेज और होटल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया एक अलग कंपनी- एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग लिमिटेड (एआईएएचएल) को ट्रांसफर की जाएंगी। ये बिक्री में शामिल नहीं होंगी।

एयर इंडिया के 13629 कर्मचारी

न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि एयर इंडिया को बेचने की सरकार की योजना पर चर्चा के लिए कर्मचारी संगठन बैठक करेंगे। एयर इंडिया के कुल 13,629 कर्मचारी हैं। इन कर्मचारियों के करीब 12 संगठन हैं।

सार्वजनिक उपक्रमों (PSU) में सरकार की हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया विनिवेश या डिसइन्वेस्टमेंट (DisInvestment) कहलाती है। कई कंपनियों में सरकार की काफी हिस्सेदारी है। आम तौर पर इन कंपनियों को सावर्जनिक उपक्रम या पीएसयू कहते हैं। समय-समय पर सरकार सार्वजनिक उपक्रमों (PSU) में अपनी हिस्सेदारी घटाने का फैसला लेती रहती है। अक्सर आम बजट में सरकार वित्त वर्ष के दौरान विनिवेश का लक्ष्य तय करती है। सरकार के लिए विनिवेश वास्तव में पैसे जुटाने का महत्वपूर्ण जरिया है।विनिवेश के ज़रिये सरकार अपनी हिस्सेदारी का कुछ या पूरा भाग दूसरी कंपनियों को बेच देती है और इससे धन जुटाकर पैसे को अन्य विकास के कार्यों में लगा देती है।