(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) दरबूक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी मार्ग (Why is Darbuk-Shyok-Daulat Beg Oldie Road Important?)
भारत की उत्तरी सीमाओं पर चीन अपनी मनमानी और भारत की आपत्तियों को अनदेखा करता रहा है लेकिन भारत अपनी सीमाओं के भीतर अगर कोई निर्माण या बचाव की तैयारी कर रहा है, तो चीन को न केवल ऐतराज़ है बल्कि एक बेचैनी है.... भारत और चीन के बीच सीमा विवाद हमेशा चलता रहता है और इसी तनातनी के बीच ये दोनों ही देश किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए हमेशा तैयारियां करते रहते हैं....इसी दिशा में भारत ने हाल ही में दो नयी सडकों का निर्माण शुरू किया है.
आज के DNS कार्यक्रम में हम बात करेंगे इन्ही दो सड़कों की फैक्ट्स और ज़मीनी तथ्यों के मुताबिक समझेंगे आखिर चीन इससे खतरा क्यों महसूस कर रहा है और भारत के लिए इन सड़कों के क्या मायने हैं
चीन के साथ सीमा विवाद के बीच भारत पूर्वी लद्दाख में चीन की सीमा के पास दो सड़कों का निर्माण कर रहा है...
- पहली सडक दरबूक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DS-DBO) है जो देश के उत्तरी-सबसे चौकी, दौलत बेग ओल्डी को कनेक्टिविटी प्रदान करती है... 255 किलोमीटर लंबी दरबूक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) सड़क लेह से अक्साई चीन की सीमा से सटे Daulat Beg Oldie तक कनेक्टिविटी बनाती है. चीन की सीमा से करीब 9 किमी दूर तक यह रोड भारत के लिए अहम है क्योंकि यह डीबीओ सीमा पोस्ट तक पहुंचती है. आर्मी की भाषा में 'सब सेक्टर नॉर्थ सड़क' का 220 किलोमीटर तक निर्माण 2019 तक पूरा हो चुका था और शेष काम जारी है..
- दूसरी सड़क जो ससोमा से सेसर ला तक बनाई जा रही है, जो कि एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान कर सकती है. ससोमा-ससेर ला सड़क धुरी डीबीओ के दक्षिण-पश्चिम में है.
इन दोनों परियोजनाओं को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा बनाया जा रहा है. इन सड़कों के निर्माण के लिए लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में चीन की सीमा के पास के क्षेत्रों में 11,815 श्रमिकों को काम पर लगाया गया है.
इन सड़कों का निर्माण क्यों किया जा रहा है?
चूंकि भारत और चीन एक दूसरे के साथ जो सीमा साझा करते हैं वह पहाड़ों वाले क्षेत्र में है. इस कारण यदि कोई एक देश अघोषित युद्ध शुरू कर देता है तो जीत उसी के कदम चूमेगी जिसकी सेना और रक्षा सामान आसानी से जल्दी बॉर्डर पर पहुंचेंगे. पहाड़ी इलाकों में हवाई जहाज से भी सामान और सैनिकों को पहुँचाने में परेशानी होती है इस कारण सड़कों के माध्यम से ही सामान और सैनिकों को पहुँचाने में आसानी होगी. यही कारण है कि भारत इन क्षेत्रों से सड़क निर्माण को बहुत अधिक प्रमुखता दे रहा है.
मतलब ये दो सड़कें भारतीय सेना को बेहतर कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने में मदद करेंगी. सेना इन्हें सब सेक्टर नॉर्थ (Sub Sector North-SSN) कहती है.
ससोमा से सेसर ला तक बनाई जा रही सड़क बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन के ‘हार्डनेस इंडेक्स-III’ में आता है. इस परियोजना का निर्माण 17,800 की ऊंचाई पर किया जा रहा है. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में जरूरत पड़ने पर इस सड़क का विस्तार ब्रानग सा, मुर्गो और आखिरकार डीबीओ तक किया जा सकता है....
क्यों चीन को खटक रही है DSDBO सड़क ?
लद्दाख की राजधानी लेह से चीन की सीमा पर स्थित काराकोरम पास तक पहुंचने वाले DSDBO सड़क के इस साल पूरे हो जाने की उम्मीदें हैं. 14 हज़ार फीट की ऊंचाई पर स्थित यह सड़क दरबूक से भारतीय सीमा के लद्दाख में स्थित आखिरी गांव श्योक तक पहुंचती है. लद्दाख को चीन के झिनजियांग प्रांत से अलग करने वाले काराकोरम पास और श्योक के बीच दौलत बेग ओल्डी स्थित है, 16 हज़ार फीट की ऊंचाई पर स्थित यह पहाड़ी मैदान भारतीय वायुसेना की सप्लाई के लिहाज़ से एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (ALG) की लोकेशन है
चीन का ऐतराज़ किस बात पर?
भारत अपनी सीमाओं में कोई भी निर्माण करने के लिए स्वतंत्र है तो चीन को आखिर दिक्कत क्या है? असल में गालवान वैली की सुरक्षा के लिहाज़ से DSDBO सड़क महत्वपूर्ण है और इस सड़क के कारण ही यहां भारत लगातार पैट्रोलिंग कर पा रहा है. अब तक चीन ने सीमाओं पर जो पोस्ट बनाई हैं, उनके ज़रिये वह गालवान वैली पर पूरी नज़र रख सकता है और इसलिए DSDBO पर चीन से खतरा भी है. चीन को इसी बात पर ऐतराज़ है और वो नहीं चाहता कि भारत इस तरह की सामरिक रणनीतियों पर आक्रामकता के साथ काम करे..
इस सड़क का सामरिक महत्व क्या है?
दौलत बेग ओल्डी भारत का सबसे उत्तरी कोना है और वहां तक एक सड़क का होना भारत के लिए वाकई अहम है. अक्साई चीन की सीमा रेखा के समानांतर चलने वाली DSDBO सड़क LAC से सिर्फ 9 किमी की दूरी पर है. इस सड़क की वजह से भारत अक्साई चीन, चिप चैप नदी और जीवन नल्ला से सटे इलाकों तक सीमाओं को मैनेज कर सकता है. इस सड़क से सेनाओं की जल्द तैनाती में भी मदद मिलेगी. इस सड़क से पहले सिर्फ एएलजी के रास्ते से ही इन इलाकों तक पहुंचा जा सकता था.
ये पूरा इलाका है भारत के लिए संवेदनशील
दौलत बेग ओल्डी के पश्चिम में गिलगिट बाल्टिस्तान का क्षेत्र है, जहां चीन और पाकिस्तान की सीमाएं मिलती हैं. यह पूरा इलाका इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यहां यानी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में चीन फिलहाल चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर बना रहा है. इस पर भारत ऐतराज़ कर चुका है.
उम्मीद है कि इन दोनों सडकों के निर्माण से चीन के खिलाफ भारत की रक्षा मजबूती और पुख्ता होगी.