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Blog / 05 Apr 2021

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) योग से इतनी चिढ़ क्यों है अमेरिका के इस राज्य को? (Why America's State so irritated with Yoga?)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) योग से इतनी चिढ़ क्यों है अमेरिका के इस राज्य को? (Why America's State so irritated with Yoga?)



हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका के अलबामा राज्य में स्कूलों में योग सिखाए जाने पर लगे प्रतिबंध को हटाए जाने के मकसद से एक बिल पेश किया गया था. लेकिन यह बिल पारित नहीं हो सका यानी अलबामा में प्राइवेट स्कूलों में योग पर लगा दशकों पुराना प्रतिबंध अभी भी जारी रहेगा। अलबामा सीनेट ज्यूडिशरी कमेटी में सार्वजनिक सुनवाई के बाद इस प्रतिबंध को हटाने से जुड़े एक बिल को मंजूरी नहीं मिल पाई थी।

डीएनएस में आज हम जानेंगे कि आखिर यह पूरा मामला क्या है और अलबामा के स्कूलों में योग पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया है. साथ ही, हम जानेंगे कि यह योग क्या है और इसका भारत से क्या कनेक्शन है.

दरअसल कुछ धार्मिक रूढ़िवादी समूहों के दबाव के कारण साल 1993 में अलबामा शिक्षा बोर्ड ने राज्य के सरकारी स्कूलों में योग के साथ ही सम्मोहन और ध्यान विधा को प्रतिबंधित कर दिया था। इसी प्रतिबंध को हटाने के लिए अलबामा की प्रतिनिधि सभा में एक विधेयक पेश किया गया था. सभा ने इस ‘योग विधेयक’ को 17 के मुकाबले 84 मतों से पारित कर दिया था। विधेयक को मंजूरी के लिए फिर राज्य की सीनेट में लाया गया जिससे इसके कानून बनने और स्कूलों में 28 साल के प्रतिबंध को समाप्त करने का रास्ता साफ हुआ था। हालांकि, फाउंडेशन फॉर मॉरल लॉ समेत अन्य रूढ़िवादी संगठनों की गवाही के बाद सीनेट के न्यायिक समिति ने इस विधेयक को रोक दिया. रूढ़िवादी संगठनों का तर्क था कि प्रतिबंध हट जाने की वजह से हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा सरकारी स्कूलों में धर्मांतरण को बढ़ावा मिलेगा। गौरतलब है कि अलबामा समेत पूरे अमेरिका में न केवल हिंदू बल्कि अन्य धर्मावलंबियों की एक बड़ी तादाद योगाभ्यास करती है.

योग के बारे में आपको बताए तो ‘योग’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के ‘युज’ शब्द से हुई है, जिसका मतलब जोड़ना, एकीकरण करना या बांधना होता है। आध्यात्मिक स्तर पर जुड़ने का अर्थ है आत्मा का सार्वभौमिक चेतना से मिलन होना वहीं व्यावहारिक स्तर पर योग को शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने तथा तालमेल बनाने का एक साधन माना जाता है। भारत में योग की शुरूआत करीब दस हजार साल पहले से बताई जाती है। वैदिक संहिताओं के अनुसार सप्तऋषियों में से एक अगस्त्य मुनि ने भारत में योग को जनजीवन का हिस्सा बनाने की दिशा में काम किया। ईसा पूर्व दूसरी सदी में भारतीय महर्षि पतंजलि ने पतंजलि योग सूत्र पुस्तक लिखी। यह आधुनिक योग विज्ञान की बेहद ही महत्वपूर्ण रचना मानी जाती है।

आधुनिक समय की बात करें तो 1893 में अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म संसद को स्वामी विवेकानंद ने संबोधित किया था, जिसमें उन्होंने उस समय के आधुनिक युग में पश्चिमी दुनिया को योग से परिचय करवाया था। वहीं परमहंस योगानंद ने 1920 में बोस्टन में क्रिया योग सिखाया था। उसके बाद कई गुरुओं और योगियों ने दुनियाभर में योग का प्रसार किया और बड़े पैमाने पर लोगों ने इसको स्वीकार करना शुरू किया। यहां तक कि योग को एक विषय के रूप में भी अध्ययन किया जाने लगा।

बता दें कि साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा योग की महत्ता को विश्व में ख्याति दिलाने के मकसद से 21 जून को योग दिवस के रूप में मनाने के लिए UN में प्रस्ताव दिया था। इसके बाद दिसंबर 2014 में ‘वैश्विक स्वास्थ्य और विदेश नीति’ की कार्यसूची के तहत UN में सर्वसम्मति से 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की गयी थी।