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Blog / 29 Jun 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) क्यों गिरती है आसमान से बिजली? (Why do Lightning Strike?)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) क्यों गिरती है आसमान से बिजली? (Why do Lightning Strike?)



बीते गुरूवार को बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और प. बंगाल में बिजली गिरने से लगभग 135 पैंतीस लोगों की जान चली गई....वहीँ जिसको लेकर मौसम विभाग ने उसके अगले 3 दिन बिहार के 18 जिलों के लिए भारी बारिश-बिजली गिरने का अलर्ट जारी किया है.....

आज DNS कार्यक्रम में हम जानेंगे कि आसमान से बिजली पृथ्वी पर कैसे गिरती है और यह बनती कैसे है.

बिजली गिरने को ही वज्रपात (thunderbolt or Lightning strikes or lightning) कहते हैं.... आपको बता दें आसमानी बिजली से संबंधित पढ़ाई को "Fulminology" कहा जाता है...

वज्रपात क्या है-

वज्रपात या LIGHTNING वायुमंडल में होने वाला एक अत्यंत तीव्र और भारी विद्युत प्रवाह है जिसमें कुछ धरती की और मुड जाता है...बिजली का यह प्रवाह 10-12 किलोमीटर लम्बे उन बादलों में होता है जो विशाल आकार के होते हैं और उनमें बहुत ज्यादा गीलापन होता है.......

बादल कैसे बनते हैं ?

हमको पता है की वज्रपात या LIGHTNING क्या होती है....आब ज़रा इसपर नज़र डालते है की आखिर बादल कैसे बनते है....जहाँ हेरा फेरी होने से ही... वज्रपात या Lightning strikes होती है....समुद्र का पानी भाप बनकर ऊपर उठता है और जैसे-जैसे ऊपर पहुंचता है ठंडा होने लगता है. ठंडा होकर पानी की छोटी-छोटी बूंदों के रूप में इकट्ठा होकर बादल का रूप ले लेता है.....

बिजली गिरने और बिजली के कड़कने में क्या अंतर होता है

पहले जानते है बिजली कैसे चमकती है.....ये सबकुछ होता है बादलों के अंदर या Intra Cloud में आपको बतादें एक बादल में पॉज़िटिव चार्ज़ भी होता है और नेगटिव भी....जब ये एक दूसरे के पास एक साथ भारी मात्रा में आते हैं तो इलेक्ट्रिसिटी पैदा होती है.....इसे ही बादलों के भीतर बिजली चमकना कहते हैं...

वहीँ बादलों के बीच या Cloud To Cloud में ऐसा क्या होता है जिससे बिजली कड़कती है...एक बादल का नेगटिव चार्ज़ जब दूसरे के नेगटिव चार्ज़ के पास आता है तो ठीक वैसे ही इलेक्ट्रिसिटी पैदा होती है जैसे बादलों के अंदर....ये दोनों ही बिजली का कड़कना है...

तीसरा है बिजली के चमकने/कड़कने के साथ-साथ बिजली का गिरना....ये होता है बादलों और ज़मीन के बीच या Cloud To Ground , बादलों का नेगटिव चार्ज़ जब धरती में ‘डिस्चार्ज’ होता है तो उसे बिजली का गिरना कहते हैं....जब बिजली ज़मीन पर गिरती है तो उसकी ताकत दस करोड़ वोल्ट होती है. ये कितनी भीषण है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि हमारे घर में सप्लाई होने वाली बिजली की ताकत 220 वोल्ट होती है..

दरअसल जब आसमान में बारिश वाले बादल हवा के साथ यहाँ वहां घुमते हैं तो इनमे से विपरीत एनर्जी वाले बादल आपस में तेज गति से टकराते हैं और इनके टकराने की आवाज हमें सुनाई देती है साथ ही इनके टकराने पर जो घर्षण होता है उसी से बिजली पैदा होती है और धरती पर आ गिरती है...बिजली के धरती पर टकराने की एक ख़ास वजह है, असल में बादलों के घर्षण से पैदा होने वाली बिजली कंडक्टर की तलाश में धरती पर आ गिरती है क्योंकि उसे आसमान में किसी प्रकार का कंडक्टर नहीं मिलता....

पृथ्वी विद्युत की एक अच्छी संचालक होती है. इसका चार्ज न्यूट्रल होता है....लेकिन परन्तु बादल की बिचली परत की तुलना में पृथ्वी का चार्ज धनात्मक यानी पॉजिटिव हो जाता है....जिसके कारण इस बिजली का लगभग 15-20% अंश धरती की ओर दौड़ जाता है.,..बादल की बिजली अधिकतर पेड़, मीनार या BUILDING जैसी ऊँची वस्तुओं पर गिरती है. जब यह बिजली धरती से 80 से 100 मीटर ऊपर होती है तो उस समय यह मुड़कर ऊँची वस्तुओं पर जा गिरती है...

क्यों गिरती है आकाशीय बिजली?

दरअसल बिजली गिरने के तरीकों में भी भेद होता है....कुछ बिजलियाँ सीधे गिरती है जिसे Direct Strike कहते है, कुछ प्रवाहकत्त्व Conduction होती है, कुछ Streamers तो कुछ Side flash के नाम से और बिलकुल अपने गिरने के तरीकों के नामकरण अनुसार ही जानीं जाती हैं...

जब यह आकाशीय बिजली किसी व्यक्ति को चोटिल करती है तब उस व्यक्ति की आखों की रौशनी, बहरेपन, याददाश्त चलें जाना, दौरा पड़ना, अनिद्रा, दिल का दौरा, तंत्रिकाओं सबंधी विकार और साथ ही साथ शरीर पर लहराते हुए दाग सी छाप छोड़ते हुए आजीवन दाग दे जाती है....

आसमान से गिरने वाली ये बिजली मानव शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है इससे शरीर के टिशूज डैमेज हो जाते है...इसके अलावा शरीर के नर्वस सिस्टम पर भी इस आसमानी बिजली का बहुत बुरा प्रभाव हो सकता है और गंभीर शारीरिक अपंगता भी होने की सम्भावना होती है...इस बिजली की चपेट में आने से हार्ट अटैक होने का खतरा भी होता है जिससे जान तक जा सकती है..

आसमानी बिजली गिरने के दुष्प्रभाव से कैसे बचे?

जब भी आंधी तूफ़ान आये और आसमान में घने बादल मंडराएं तो अपने घर के इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे टीवी, रेडियो, कंप्यूटर आदि के पॉवर प्लग निकाल दें... घर में अर्थिंग वाला तार जरूर लगाएं..

जहाँ तक हो अपना मोबाइल भी स्विच ऑफ कर दें..फर्श या जमीन पर चलते समय अपने पैरों में रबर की चप्पल पहन के रखें...ऐसे मौसम में बिजली के उपकरणों को बंद कर दें और उससे दूर रहें

बारिश के मौसम में जब बिजली कड़क रही हो तो पेड़ के नीचे या खुले मैदान में ना जाएं

आपको बता दें की किसी व्यक्ति पर बिजली गिरने से सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव उसके सिर, कंधे और गले पर पड़ता है बिजली गिरने की सबसे ज्यादा संभावना दोपहर के समय होती है...बिजली गिरने से होने वाले दुष्प्रभावों का असर महिलाओं के मुकाबले पुरुषों पर ज्यादा होता है...